8 राजनीतिक पार्टियों संग PM की बैठक, पूर्ण राज्य का दर्जा मांगा, महबूबा का "पाक राग"
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(धर्म नगरी / DN News वाट्सएप- 8109107075)
- जम्मू-कश्मीर की 8 राजनीतिक पार्टियों के साथ पीएम मोदी की बैठक में पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर के चार पूर्व मुख्यमंत्री और चार पूर्व उपमुख्यमंत्री शामिल हुए। इन नेताओं में नेशनल कॉन्फ्रेंस के संरक्षक फारूक अब्दुल्ला, उनके पुत्र और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद, कांग्रेस नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तारा चंद, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गुलाम अहमद मीर प्रमुख हैं.
- लगभग साढे तीन घंटे चली बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह, प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव पी के मिश्रा, गृह सचिव अजय भल्ला और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल उपस्थित थे।
- जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद-370 के अधिकांश प्रावधान हटाए जाने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किए जाने के बाद यह पहली बैठक रही, जिसकी अध्यक्षता स्वयं प्रधानमंत्री मोदी ने की।
- बैठक के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि राजनीतिक मतभेद जरूर होंगे, लेकिन सभी को राष्ट्रहित में काम करना चाहिए ताकि जम्मू-कश्मीर के लोगों को लाभ पहुंच सके। समाचार एजेंसी के अनुसार, बैठक में पीएम मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि जम्मू-कश्मीर में सभी लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की जरूरत हैं और साथ ही वे चाहते हैं कि ‘दिल्ली की दूरी’ और ‘दिल की दूरी’ मिटे।
- परिसीमन की प्रक्रिया और शांतिपूर्ण चुनाव जम्मू-कश्मीर में पूर्ण राज्य की बहाली के प्रमुख मील के पत्थर हैं, ये बात गृह मंत्री अमित शाह ने कही। उन्होंने ट्वीट कर लिखा- ‘‘जम्मू-कश्मीर पर आज की बैठक बहुत ही सौहार्दपूर्ण वातावरण में हुई। सभी ने संविधान और लोकतंत्र के प्रति प्रतिबद्धता जाहिर की। जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करने पर जोर दिया गया। हम जम्मू-कश्मीर के सर्वांगीण विकास को लेकर प्रतिबद्ध हैं।’’
- केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बैठक को लेकर बताया, कि PM ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में सभी जगह विकास पहुंचे इसके लिए साझेदारी हो। विधानसभा चुनाव के लिए डिलिमिटेशन की प्रक्रिया को तेज़ी से पूरा करना होगा, जिससे हर क्षेत्र प्राप्त राजनीतिक प्रतिनिधित्व विधानसभा में प्राप्त हो सकें. उन्होंने कहा, डिलिमिटेशन की प्रक्रिया में सभी की हिस्सेदारी हो इसको लेकर बैठक में बातचीत हुई. बैठक में उपस्थित सभी दलों ने इस प्रक्रिया में हिस्सा लेने के लिए सहमति जताई। बैठक में PM ने इस बात पर भी जोर दिया कि जम्मू-कश्मीर में शांति बनाए रखने के लिए सभी हितधारकों को साथ चलना होगा।
- पीडीपी के नेता मुजफ्फर हुसैन बेग बैठक बहुत शानदार हुई. मैंने कहा कि 370 का मामला सु्प्रीम कोर्ट में है। सुप्रीम कोर्ट धारा-370 के मामले पर फ़ैसला करेगा। मैंने धारा-370 कि कोई मांग नहीं रखी।- कांग्रेस की ओर से 5 मांगे रखीं गई। इस बारे में कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने बैठक में बताया। उन्होंने कहा- हमने बैठक में कहा कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्ज़ा मिले, जम्मू-कश्मीर में तुरंत चुनाव हो। हमने कश्मीरी पंडितों की भी बात रखी और राजनीतिक कैदियों को छोड़े जाने की मांग की। इसके साथ ही रोज़गार और जमीन की गारंटी देने की बात भी की। इसके अलावा 80% पार्टियों ने कहा कि 370 का मामला सुप्रीम र्ट में है।
बैठक जम्मू कश्मीर के लिए इसलिए बहुत ही महत्वपूर्ण थी, क्योंकि इसने 5 अगस्त 2019 को संसद में पारित जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की राह में बनी रुकावट दूर की है। बैठक में बुलाए गए गैर-भाजपा नेता 5 अगस्त 2019 के बाद कई दिनों तक एहतियातन हिरासत में रहे हैं। डॉ. फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और सज्जाद गनी लोन पर जन सुरक्षा अधिनियम भी लगाया था।
ये सभी अनुच्छेद-370 को हटाने खिलाफ मुखर हैं और उसकी पुनर्बहाली की मांग कर रह हैं। प्रधानमंत्री के साथ इन लोगों की 5 अगस्त के बाद पहली बैठक थी। बैठक से पहले कई लोग हंगामे के साथ विफलता का अनुमान लगा रहे थे, क्योंकि पीपुल्स एलायंस फार गुपकार डिक्लेरेशन जिसे PAGD और गुपकार एलांयस कहते हैं, के घटकोंं में शामिल नेकां, पीडीपी व माकपा अनुच्छेद 370 की बहाली को अपना कोर एजेंडा बता चुके थे। कांग्रेस पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग कर रही है। पीपुल्स कांफ्रेंस के सज्जाद गनी लोन जम्मू कश्मीर के लोगों की पीड़ा बयान करने के एजेंडे के साथ बैठक में पहुंचे थे। कश्मीर को जानने वाले दावा कर रहे थे, कि मोदी ने एजेंडा केवल बैठक को सफल बनाने के लिए घोषित नहीं किया है,उनका कश्मीर मिशन सभी को पता है।
(धर्म नगरी / DN News वाट्सएप- 8109107075)
आठ पार्टियों के 14 नेताओं के साथ पीएम आवास नई दिल्ली पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज (24 जून) अत्यंत महत्वपूर्ण बैठक हुई। केंद्र शासित प्रदेश में भविष्य की रणनीति तैयार करने बीते लगभग दो साल में पहली बार जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक नेतृत्व के साथ वार्ता हुई. प्रधानमंत्री ने केंद्र शासित प्रदेश में भविष्य की रणनीति तैयार करने बैठक की, जिसमे बैठक में सभी पार्टियों ने एक-एक कर अपनी बात रखी। पीएम ने भी जम्मू-कश्मीर के विकास पर बात की. बैठक की प्रमुख बातें इस प्रकार रही-
- जम्मू-कश्मीर की 8 राजनीतिक पार्टियों के साथ पीएम मोदी की बैठक में पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर के चार पूर्व मुख्यमंत्री और चार पूर्व उपमुख्यमंत्री शामिल हुए। इन नेताओं में नेशनल कॉन्फ्रेंस के संरक्षक फारूक अब्दुल्ला, उनके पुत्र और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद, कांग्रेस नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तारा चंद, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गुलाम अहमद मीर प्रमुख हैं.
- लगभग साढे तीन घंटे चली बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह, प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव पी के मिश्रा, गृह सचिव अजय भल्ला और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल उपस्थित थे।
- जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद-370 के अधिकांश प्रावधान हटाए जाने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किए जाने के बाद यह पहली बैठक रही, जिसकी अध्यक्षता स्वयं प्रधानमंत्री मोदी ने की।
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- परिसीमन की प्रक्रिया और शांतिपूर्ण चुनाव जम्मू-कश्मीर में पूर्ण राज्य की बहाली के प्रमुख मील के पत्थर हैं, ये बात गृह मंत्री अमित शाह ने कही। उन्होंने ट्वीट कर लिखा- ‘‘जम्मू-कश्मीर पर आज की बैठक बहुत ही सौहार्दपूर्ण वातावरण में हुई। सभी ने संविधान और लोकतंत्र के प्रति प्रतिबद्धता जाहिर की। जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करने पर जोर दिया गया। हम जम्मू-कश्मीर के सर्वांगीण विकास को लेकर प्रतिबद्ध हैं।’’
- केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बैठक को लेकर बताया, कि PM ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में सभी जगह विकास पहुंचे इसके लिए साझेदारी हो। विधानसभा चुनाव के लिए डिलिमिटेशन की प्रक्रिया को तेज़ी से पूरा करना होगा, जिससे हर क्षेत्र प्राप्त राजनीतिक प्रतिनिधित्व विधानसभा में प्राप्त हो सकें. उन्होंने कहा, डिलिमिटेशन की प्रक्रिया में सभी की हिस्सेदारी हो इसको लेकर बैठक में बातचीत हुई. बैठक में उपस्थित सभी दलों ने इस प्रक्रिया में हिस्सा लेने के लिए सहमति जताई। बैठक में PM ने इस बात पर भी जोर दिया कि जम्मू-कश्मीर में शांति बनाए रखने के लिए सभी हितधारकों को साथ चलना होगा।
- महबूबा मुफ्ती (अध्यक्ष पीडीपी) ने बैठक के बारे में बात करते हुए कहा- मैंने बैठक में प्रधानमंत्री की प्रशंसा की और कहा कि आपने पाकिस्तान से बात कर सीज़फायर करवाया. घुसपैठ कम हुई यह अच्छी बात है। मैंने PM से कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों को पाकिस्तान से बात करने पर सुकून मिलता है तो आपको पाकिस्तान से बात करनी चाहिए।
- पीडीपी के नेता मुजफ्फर हुसैन बेग बैठक बहुत शानदार हुई. मैंने कहा कि 370 का मामला सु्प्रीम कोर्ट में है। सुप्रीम कोर्ट धारा-370 के मामले पर फ़ैसला करेगा। मैंने धारा-370 कि कोई मांग नहीं रखी।
आजाद के अनुसार, कांग्रेस की ओर से कश्मीरी पंडित का मुद्दा भी मीटिंग में उठाया गया। कहा गया, कि ये सभी नेताओं की मौलिक जिम्मेदारी है कि आदर के साथ सभी कश्मीरी पंडितों की घाटी में वापसी हो। वे मानते हैं, अभी कई ऐसे कश्मीरी पंडित हैं जो जम्मू-कश्मीर से बाहर रह रहे हैं. ऐसे में अब उनकी वापसी होनी चाहिए।
बैठक जम्मू कश्मीर के लिए इसलिए बहुत ही महत्वपूर्ण थी, क्योंकि इसने 5 अगस्त 2019 को संसद में पारित जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की राह में बनी रुकावट दूर की है। बैठक में बुलाए गए गैर-भाजपा नेता 5 अगस्त 2019 के बाद कई दिनों तक एहतियातन हिरासत में रहे हैं। डॉ. फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और सज्जाद गनी लोन पर जन सुरक्षा अधिनियम भी लगाया था।
ये सभी अनुच्छेद-370 को हटाने खिलाफ मुखर हैं और उसकी पुनर्बहाली की मांग कर रह हैं। प्रधानमंत्री के साथ इन लोगों की 5 अगस्त के बाद पहली बैठक थी। बैठक से पहले कई लोग हंगामे के साथ विफलता का अनुमान लगा रहे थे, क्योंकि पीपुल्स एलायंस फार गुपकार डिक्लेरेशन जिसे PAGD और गुपकार एलांयस कहते हैं, के घटकोंं में शामिल नेकां, पीडीपी व माकपा अनुच्छेद 370 की बहाली को अपना कोर एजेंडा बता चुके थे। कांग्रेस पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग कर रही है। पीपुल्स कांफ्रेंस के सज्जाद गनी लोन जम्मू कश्मीर के लोगों की पीड़ा बयान करने के एजेंडे के साथ बैठक में पहुंचे थे। कश्मीर को जानने वाले दावा कर रहे थे, कि मोदी ने एजेंडा केवल बैठक को सफल बनाने के लिए घोषित नहीं किया है,उनका कश्मीर मिशन सभी को पता है।
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#सोशल_मीडिया में प्रतिक्रिया-
आज देश को पहली बार पता चल रहा है कि-
कश्मीर valley की लोकसंख्या 53 लाख है,
जम्मू विभाग की population 69 लाख है तथा लद्दाख की लोकसंख्या 5 लाख है,
कश्मीर का क्षेत्रफल (area) राज्य के संपूर्ण क्षेत्रफल का 16% है... जम्मू का 25 % है... बाकी का 59 % Area लद्दाख का है।
सोचने वाली बात ये है, कि न कश्मीर एरिया के हिसाब से ज्यादा है, ना लोकसंख्या के हिसाब से है...
फिर भी नेहरू ने कश्मीर वॅली को 47 सीट विधान सभा में दे दी...
तथा जम्मू व लद्दाख को मिलाकर 43 सीट दे दी...
अर्थ स्पष्ट है की यदि कोई जम्मू व लद्दाख की सारी सीटें भी जीत ले, तब भी सत्ता नहीं पा सकता।
ऐसा घिनौना खेल देश के साथ खेला गया... परंतु देश चुप रहा, क्यों ? क्यों नहीं नेहरू गाँधी की काली करतूतों, देश और हिन्दू विरोधी कार्यों का, कानूनों का जमकर विरोध नहीं किया और देश का दूसरा प्रधानमंत्री (पहले घोषित / मान्य प्रधानमंत्री नेताजी सुभाष चंद्र बोस हैं) बनने दिया ?
अब नही। इसके आगे नहीं। मेरा यकीन करना हिंदुओं -Fb- Rajeshanand Rajeshanand
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जिस दिन
मोदी, शाह और योगी नहीं होंगे
तुम अपने ही देश में शरणार्थी बन जाओगे! -@ikrishnaacharya
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बस इसी सोच से हिंदुओं को कायर बनाया जा रहा है। आपको पालने और आपकी रक्षा करने वाला एक परमात्मा है और दूसरा आपका साहस। पर अगर आप परमात्मा और अपना साहस त्याग किसी तीसरी शक्ति को अपना रक्षक समझोगे तो समझ लेना कायरता आपके अंदर घर कर चुकी है। -@Singhdeep37
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हिन्दू आज भी शरणार्थी ही है, 30 करोड़ हिन्दुओ ने सड़को पर शरण लेते है, सोने के लिए छत नहीं है, 90%करोड़ हिन्दू गरीबो को खाने के लिए रोटी नहीं है, काम नहीं है, भूखे नंगे लोगो को क्यों बेकार की बातो मे उलझा रहे हो और ट्वीटर पे आपको कौन सा गरीब मिलेगा ? -@Vonod5575
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We need to keep this government in power as they are for better India. People of all religions can stay happily in Hindustan. No forcefully conversion, no love Jihad. UCC. Anyone with hidden agenda, you will see more UT and our capable armed forces will handle internal enemies. -@apurvaparikh18
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#मोदी_शाह_राज में ही तो #बंगाल_के_हिन्दू शरणार्थी बन गये हैं।
जम्मू और कश्मीरी पंडितों के प्रतिनिधियों को आज वार्ता तक में नहीं बुलाया ।
तो इन दोनों के होने से भी हिंदुओ को क्या फायदा ? -@Jaya41757249
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याद है मुझको जुल्म पुराना चुप चाप खड़े थे लाेग
लुट रही थी अस्मत मेरी मरी थी माँ की काेख
हमें बचाने काेई न आया खुद के वतन में दंडित हूँ
मुझसे मेरा दर्द न पूछाे मैं कश्मीरी पंडित हूँ
Restor statehood but Insure Hindus safe No terrorism's On Hindu temple safe jammu
-@Shubham36551970
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कश्मीर के नेता लोगों की चिकनी चुपड़ी बातों में आकर सारी मेहनत पे पानी मत फेर देना PM जी, पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त करके कश्मीर के नेता फिर से पाकिस्तान परस्त नीतियों को लागू करेंगे इसलिए पहले वहां पर दिल्ली की तर्ज पर लेफ्टिनेंट गवर्नर के अंडर विधानसभा का गठन करवाया गया...2
सालों तक इनको देखा जाए किस तरह से शासन करते हैं उसके बाद ही जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए नहीं तो जम्मू और कश्मीर को अलग-अलग दौर में बांट दिया जाए और अलग अलग राज्य बना देनी चाहिए ...3
गुपकार गैंग को कश्मीर जम्मू या देश से कोई लेना देना नहीं है उन्हें केवल इस बात की चिंता है कि उनको कुर्सी मिल जाए उनका मान सम्मान पहले की तरह बन जाए वह लोगों को गुमराह करते रहें और केंद्र सरकार से आने वाला पैसा खुद खाते रहें बस उनको इसी बात की चिंता है...4
जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा अभी किसी भी हाल में नहीं देना चाहिए अभी लेफ्टिनेंट गवर्नर के अंतर्गत विधानसभा का गठन करवा करके देखना चाहिए कि यह किस तरह की राजनीति करते हैं उसके बाद सोच समझकर इन को पूर्ण राज्य का दर्जा देना चाहिए,नहीं तो सारे किए कराए पर पानी फिर जाएगा pm ji ...5
A.जब तक कश्मीर से आतंकवाद खत्म नहीं होता तब तक तो किसी भी हाल में वहां पर पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं दिया जाना चाहिए क्योंकि उससे गुप्तार डेंगू को जम्मू कश्मीर पुलिस पर नियंत्रण हासिल हो जाएगा जिससे कि वह वहां पर आतंकवाद को और बढ़ावा देंगे जब तक वहां पर लेफ्टिनेंट गवर्नर का शासन ...6
B.रहेगा तब तक वहां की पुलिस केंद्र सरकार के अंतर्गत रहेगी जिससे कि वहां पर आतंकवाद पर काबू पाने में ज्यादा आसानी होगी सभी को पता है कि जब जम्मू कश्मीर में पूर्ण राज्य का दर्जा था और उन्हें विशेष अधिकार प्राप्त था तब उन्होंने कैसे आतंकवादियों को जेलों में आराम होगा आरामगाह बना
C.कर दी और नए आतंकवादियों की भर्ती के सेंटर भी जेलों के भीतर से ही चलाए जाते थे केंद्र शासित प्रदेश बन बन जाने के बाद जम्मू कश्मीर में कोई भी पत्थरबाजी की घटना नहीं हुई और आतंकवाद की घटनाएं भी छिटपुट हुई है इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए जब तक आतंकवाद खत्म नहीं हो जाता तब
-@puruohit
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