कोक Vs पेप्सी बनाम MLCs विज्ञापन : क्या है रोनाल्डो की प्रेस कांफ्रेंस की सच्चाई, उस भारतीय खिलाडी जिसने...


...2001 में में दुनिया के नम्बर-1 व 2 खिलाड़ियों को पराजित करने के बाद मिले ऑफर को-  
 ठोकर मार दी कोकाकोला के ऑफर को...

पुलेला गोपीचंद, जिन्होंने 2001 में कोका कोला कम्पनी का बहुत मोटी रकम वाला वह विज्ञापन का प्रस्ताव ठुकरा दिया, लेकिन भारतीय मीडिया ने उसे नहीं दिखाया @DharmNagari 

(धर्म नगरी / DN News) वाट्सएप- 8109107075  

कहावत है कि... नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली...
अब राम जाने वह कहां चली पर कहते तो ऐसे ही हैं।
तो मित्रों पिछले कुछ दिन से सुर्खियां बटोरने वाले रोनाल्डो द्वारा की गई नौटंकी को समझते हैं...
जब से रोनाल्डो ने कोक को भरी प्रेस कान्फ्रेस में पानी की बोतल पर फॉक्स किया, तब से पुर्तगाल का यह मिडफील्डर अचानक भारतीय तथा विदेशी मीडिया की सुर्खियों में है।
क्रिश्चियानो रोनाल्डो की यह हरकत भारतीय मीडिया विशेषकर न्यूज चैनलों में इस तरह छायी है। मानो क्रिश्चियानो रोनाल्डो ने कोई महान क्रांतिकारी कदम उठा लिया है।

अतीत में सैकड़ों करोड़ रूपये लेकर कोकाकोला का ब्रांड एम्बेसडर बन चुके क्रिश्चियानो रोनाल्डो का अब कोई अनुबंध कोकाकोला से नहीं है। यानी उसे कोकाकोला से अब कोई पैसा नहीं मिलता। इसलिए प्रचार के उद्देश्य से उसकी प्रेस कॉन्फ्रेंस में टेबिल पर रखी गयी कोकाकोला की बोतलें उसने हटा दीं। इस पूरे मामले का किसी सैद्धांतिक या वैचारिक लड़ाई से कोई लेनादेना नहीं है।

यह लड़ाई केवल और केवल पैसों की ही थी। क्रिश्चियानो रोनाल्डो कोकाकोला की प्रतिद्वंद्वी कंपनी पेप्सी की साझीदार KFC फ़ास्टफूड चेन का ब्रांड एम्बेसडर भी है। रोनाल्डो की हरकत से कोकाकोला को होने वाले नुकसान का सीधा फायदा पेप्सी को ही मिलना है। अतः रोनाल्डो की उस हरकत को पेप्सी ने अपनी पूरी ताकत झोंक कर पूरी दुनिया में ऐसा प्रचारित करवाया मानो दुनिया में कोई बहुत बड़ी घटना घट गयी है।

कोक और पेप्सी की व्यापारिक लड़ाई कोई नई बात नहीं है... अब इस विवाद से उपजे दूसरे पहलू पर भी गौर करने की जरूरत है और वह है भारतीयों और भारतीय मीडिया की गुलाम मानसिकता...

बैडमिंटन स्टार साइना नेहवाल, पुलेला गोपीचंद (बीच में) और पीवी सिंधु (दाएं)। -फाइल फोटो  
 इसके लिए आपको समय में थोड़ा पीछे ले चलते हैं...
सन 2001 में श्रेष्ठता क्रम में दुनिया के नम्बर-1 और दो खिलाड़ियों को पराजित कर एक नौजवान भारतीय खिलाड़ी ने बैडमिंटन की विश्व विख्यात बैडमिंटन प्रतियोगिता ऑल इंग्लैंड चैम्पियनशिप को जीता था। इसी वर्ष उसे अर्जुन एवार्ड तथा राजीव गांधी खेल रत्न एवार्ड से सम्मानित भी किया गया था।

इससे पूर्व 1996 से 2000, लगातार 5 वर्षों तक यह नौजवान बैडमिंटन का राष्ट्रीय चैम्पियन भी रह चुका था। परिणामस्वरूप 2001 में कोकाकोला ने इस खिलाड़ी को बहुत मोटी रकम देकर अपना ब्रांड एम्बेसडर बनाने का प्रस्ताव दिया था। उस नौजवान ने कोका कोला कम्पनी का बहुत मोटी रकम वाला वह प्रस्ताव बहुत साफ शब्दों में यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया था कि-
"कोल्ड ड्रिंक्स से शरीर को होनेवाली हानि से मैं भलीभांति परिचित हूं तथा कई वर्ष पूर्व स्वयं मैंने ही इन्हें पीना छोड़ दिया है अतः एक यूथ आइकॉन होने के नाते अपने देश के नौजवानों को कोल्ड ड्रिंक्स पीने के लिए मैं प्रेरित नहीं कर सकता। मेरी अंतरात्मा मुझे इसकी इजाजत नहीं देती।"
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उस नौजवान बैडमिंटन खिलाड़ी का नाम पुलेला गोपीचंद था। जिसने स्वयं रिटायर होने के बाद अपनी निजी बैडमिंटन एकेडमी खोली और उस एकेडमी से साइना नेहवाल, पीवी सिंधू, श्रीकांत किदाम्बी, पारुपल्ली कश्यप, प्रनॉय कुमार, सिक्की रेड्डी जैसे आधा दर्जन से अधिक विश्वविख्यात विश्वस्तरीय बैडमिंटन खिलाड़ियों समेत अंतरराष्ट्रीय स्तर के लगभग 2 दर्जन बैडमिंटन खिलाड़ी देश को दिए। यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा, कि पुलेला गोपीचंद ने पिछले दस वर्षों में अकेले अपने क्षमता व योग्यता से  बैडमिंटन की दुनिया में चीन के एकाधिकार वर्चस्व को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया। बैडमिंटन की दुनिया में भारत को आज एक महाशक्ति के रूप में स्थापित करने का पूरा श्रेय पुलेला गोपीचंद को ही है।

पुलेला गोपीचंद PM नरेंद्र मोदी से मिलते हुए (21 फरवरी 2021) -फाइल फोटो  
पुलेला गोपीचंद की उपरोक्त कीर्ति गाथा का उल्लेख आज इसलिए क्योंकि उस समय पुलेला गोपीचंद के उस साहसिक ऐतिहासिक निर्णय का कोई उल्लेख तक भारतीय मीडिया ने नहीं किया । बल्कि यह कहा जाए, कि हर वर्ष मीडिया में सैकड़ों करोड़ रूपये के विज्ञापन देने वाली कोकाकोला के दबाव में पुलेला गोपीचंद के उस फैसले को बहुत सुनियोजित तरीके से दबा दिया गया।
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यही कारण है कि अतीत में सैद्धांतिक वैचारिक रूप से पुलेला गोपीचंद द्वारा किए गए कोकाकोला के बहिष्कार के समाचार को भारतीय मीडिया में कभी स्थान नहीं पा सकी (शायद इसलिए कि करोड़ों रु के विज्ञापन कंपनी के बंद हो जाते), लेकिन रोनाल्डो की छोटी सी हरकत का बैंडबाजा भारतीय मीडिया किसी बैंड पार्टी की तरह बेसुध होकर बजा रही है।
यह भारतीय मीडिया की गुलाम मानसिकता का उदाहरण है।
इस मानसिकता का क्या कारण है ?
शायद पैसा या दास भाव से गोरी चमड़ी वालों को श्रेष्ठ समझने की दरिद्र सोच.?
इसका फैसला आप स्वंय करें। -विनोद नेगी
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रोनाल्डो प्रेस कांफेरेंस में कोक की बोतल क्यों हटाई, क्यों ? इसके बाद यूएफा (यूरोपीय फुटबॉल संघों के संघ) ने यूएफा (UEFA) ने17 जून को 24 टीमों के खिलाड़ियों से कहा कि वे प्रेस कांफ्रेंस मंचों पर रणनीति के
अंतर्गत रखी गई प्रायोजक कंपनियों की ड्रिक्स बोतलों को हटाना बंद कर दें @DharmNagari 
-    रोनाल्डो द्वारा कोका कोला की बोतलें हटाना उनके व्यक्तित्व के बारे में क्या बताता है ?
-    यही बताता है कि वो स्मार्ट है और
-    हम भारतीय गुलाम थे ,गुलाम है, और गुलाम रहेंगे
-    तब राजनैतिक रूप से गुलाम और आज मानशिक रूप से गुलाम
-    लोग जिस तरह पगलाए रोनाल्डो के कोका कोला की बोतल हटाने को लेकर जैसे पता नही कौन सा उपकार कर दिया ।
-     ये कौन लोग है ?
-     ये वही लोग है जो 20 सालों से चिंतक-विचारक राष्ट्रवादी स्वर्गीय राजीव दीक्षित जी और उनके तथ्यों को लेकर बाबा रामदेव जब कोका कोला और पेप्सिको का विरोध करते, उनको टॉयलेट किलिनर बोलता थे 
-     तब ये बाबा का मजाक बनाते
-     बोलते बाबा तो अनपढ़ है उसको क्या पता है
-     अब वही बात रोनाल्डो ने बोल दी
-     वाह !!! रोनाल्डो कितना ईमानदार है
-     कितना सही बता रहा हमे
-     एहसान कर दिया हमपे ,वरना हम इतने बड़े गुलाम थे
-     बाबा रामदेव बोल-बोल कर बूढा हो गया तब हमने उसकी ना सुनी
-     रोनाल्डो जिसका करियर बस खत्म होने पर है दम से कोका कोला से कमाई कर ली
-     अब वो हेल्थकेयर प्रोडक्ट का प्रचार करने की तैयारी में है उसके लिए पागल हुए जा रहे ।
-     कब जागोगे भरतीय ?
-     अब तो अपने दिमाग से और अपने लोगों की सुनना शुरू करो ।
-     वरना ये मल्टीनेशनल कंपनिया ऐसे ही नया रोनाल्डो पैदा करती रहेगी और तुम बकलोल बनकर बकलोली करते रहोगे। -विनय सिंह 
(Disclamer- उक्त लेख / पोस्ट में लेखक के अपने विचार / मत हैं, सभी बाते अक्षरश: सत्य हो, ये आवश्यक नहीं -धर्म नगरी / DN  News) 
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