नई शिक्षा नीति-2020 की 25 मुख्य बातें...



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सरकार ने शिक्षा सत्र- 2021-22 से, स्‍नातक और स्‍नातकोत्‍तर मेडिकल और दंत पाठ्यक्रमों में अखिल भारतीय कोटा योजना में, आर्थिक रूप से पिछडे वर्गों को 10% और अन्‍य पिछडे वर्गों को 27% आरक्षण देने का ऐतिहासिक और महत्‍वपूर्ण निर्णय लिया है।

इस निर्णय से आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लगभग 550 विद्यार्थी MBBS में और लगभग 1000 विद्यार्थी स्नात्कोत्तर पाठ्यक्रम में प्रवेश ले सकेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने (26 जुलाई को) सभी संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों को निर्देश दिया था, कि वे काफी समय से लंबित इस मुद्दे का प्रभावशाली समाधान निकालने का प्रयास करें। अखिल भारतीय कोटा योजना की शुरुआत 1986 में की गई थी। इसे किसी दूसरे राज्य में स्थित अच्छे मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई के इच्छुक विद्यार्थियों को निवास प्रमाणपत्र के बिना मैरिट के आधार पर प्रवेश लेने का अवसर प्रदान करने शुरू किया गया था। अखिल भारतीय कोटे में कुल उपलब्ध अंडर ग्रेज्युएट सीटों का 15% और सरकारी मेडिकल कॉलेजों में पोस्ट ग्रेज्युएशन की उपलब्ध कुल सीटों का 50% सम्मिलित है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा, वर्तमान सरकार पिछड़े वर्गों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को यथोचित आरक्षण उपलब्ध कराने को प्रतिबद्ध है।
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नई शिक्षा नीति-2020 की 25 मुख्य बातें-
  1. नई शिक्षा नीति में पाँचवी क्लास तक मातृभाषा, स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई का माध्यम रखने की बात कही गई है. इसे क्लास आठ या उससे आगे भी बढ़ाया जा सकता है.
  2. विदेशी भाषाओं की पढ़ाई सेकेंडरी लेवल से होगी. हालांकि नई शिक्षा नीति में यह भी कहा गया है कि किसी भी भाषा को थोपा नहीं जाएगा.
  3. साल 2030 तक स्कूली शिक्षा में 100% जीईआर (Gross Enrolment Ratio) के साथ माध्यमिक स्तर तक एजुकेशन फ़ॉर ऑल का लक्ष्य रखा गया है.
  4. अभी स्कूल से दूर रह रहे दो करोड़ बच्चों को दोबारा मुख्य धारा में लाया जाएगा. इसके लिए स्कूल के बुनियादी ढांचे का विकास और नवीन शिक्षा केंद्रों की स्थापनी की जाएगी.
  5. स्कूल पाठ्यक्रम के 10 + 2 ढांचे की जगह 5 + 3 + 3 + 4 का नया पाठयक्रम संरचना लागू किया जाएगा जो क्रमशः 3-8, 8-11, 11-14, और 14-18 उम्र के बच्चों के लिए है. इसमें अब तक दूर रखे गए 3-6 साल के बच्चों को स्कूली पाठ्यक्रम के तहत लाने का प्रावधान है, जिसे विश्व स्तर पर बच्चे के मानसिक विकास के लिए महत्वपूर्ण चरण के रूप में मान्यता दी गई है.
  6. नई प्रणाली में प्री स्कूलिंग के साथ 12 साल की स्कूली शिक्षा और तीन साल की आंगनवाड़ी होगी. इसके तहत छात्रों की शुरुआती स्टेज की पढ़ाई के लिए तीन साली की प्री-प्राइमरी और पहली तथा दूसरी क्लास को रखा गया है.
  7. अगले स्टेज में तीसरी, चौथी और पाँचवी क्लास को रखा गया है. इसके बाद मिडिल स्कूल याना 6-8 कक्षा में सब्जेक्ट का इंट्रोडक्शन कराया जाएगा. सभी छात्र केवल तीसरी, पाँचवी और आठवी कक्षा में परीक्षा देंगे. 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा पहले की तरह जारी रहेगी. लेकिन बच्चों के समग्र विकास करने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए इन्हें नया स्वरूप दिया जाएगा.
  8. एक नया राष्ट्रीय आकलन केंद्र 'परख (समग्र विकास के लिए कार्य-प्रदर्शन आकलन, समीक्षा और ज्ञान का विश्लेषण) एक मानक-निर्धारक निकाय के रूप में स्थापित किया जाएगा.
  9. पढ़ने-लिखने और जोड़-घटाव (संख्यात्मक ज्ञान) की बुनियादी योग्यता पर ज़ोर दिया जाएगा.
  10. बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान की प्राप्ति को सही ढंग से सीखने के लिए अत्यंत ज़रूरी एवं पहली आवश्यकता मानते हुए 'एनईपी 2020' में मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) द्वारा 'बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान पर एक राष्ट्रीय मिशन' की स्थापना किए जाने पर विशेष ज़ोर दिया गया है.
  11. एनसीईआरटी 8 वर्ष की आयु तक के बच्चों के लिए प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा (एनसीपीएफ़ईसीसीई) के लिए एक राष्ट्रीय पाठ्यक्रम और शैक्षणिक ढांचा विकसित करेगा.
  12. स्कूलों में शैक्षणिक धाराओं, पाठ्येतर गतिविधियों और व्यावसायिक शिक्षा के बीच ख़ास अंतर नहीं किया जाएगा.
  13. सामाजिक और आर्थिक नज़रिए से वंचित समूहों (SEDG) की शिक्षा पर विशेष ज़ोर दिया जाएगा.
  14. शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय प्रोफ़ेशनल मानक (एनपीएसटी) राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा वर्ष 2022 तक विकसित किया जाएगा, जिसके लिए एनसीईआरटी, एससीईआरटी, शिक्षकों और सभी स्तरों एवं क्षेत्रों के विशेषज्ञ संगठनों के साथ परामर्श किया जाएगा.
  15.  मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदल कर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है. इसका मतलब है कि रमेश पोखरियाल निशंक अब देश के शिक्षा मंत्री कहलाएंगे.
  16. छठी क्लास से वोकेशनल कोर्स शुरू किए जाएंगे. इसके लिए इसके इच्छुक छात्रों को छठी क्लास के बाद से ही इंटर्नशिप करवाई जाएगी. इसके अलावा म्यूज़िक और आर्ट्स को बढ़ावा दिया जाएगा. इन्हें पाठयक्रम में लागू किया जाएगा.
  17. उच्च शिक्षा के लिए एक सिंगल रेगुलेटर रहेगा. लॉ और मेडिकल शिक्ष को छोड़कर समस्त उच्च शिक्षा के लिए एक एकल अति महत्वपूर्ण व्यापक निकाय के रूप में भारत उच्च शिक्षा आयोग (एचईसीआई) का गठन किया जाएगा.
  18. एचईसीआई के चार स्वतंत्र वर्टिकल होंगे- विनियमन के लिए राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा नियामकीय परिषद (एनएचईआरसी), मानक निर्धारण के लिए सामान्य शिक्षा परिषद (जीईसी), वित पोषण के लिए उच्चतर शिक्षा अनुदान परिषद (एचईजीसी) और प्रत्यायन के लिए राष्ट्रीय प्रत्यायन परिषद (एनएसी).
  19.  उच्च शिक्षा में 3.5 करोड़ नई सीटें जोड़ी जाएंगी.
  20. ई-पाठ्यक्रम क्षेत्रीय भाषाओं में विकसित किए जाएंगे. वर्चुअल लैब विकसित की जा रही है और एक राष्ट्रीय शैक्षिक टेक्नोलॉजी फ़ोरम (NETF) बनाया जा रहा है.
  21. निजी उच्च शिक्षण संस्थानों को अपने यहां छात्रों को बड़ी संख्या में मुफ़्त शिक्षा और छात्रवृत्तियों की पेशकश करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा.
  22. छात्रवृत्ति प्राप्त करने वाले छात्रों की प्रगति को समर्थन प्रदान करना, उसे बढ़ावा देना और उनकी प्रगति को ट्रैक करने के लिए राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल का विस्तार किया जाएगा.
  23. एससी, एसटी, ओबीसी और अन्य विशिष्ट श्रेणियों से जुड़े हुए छात्रों की योग्यता को प्रोत्साहित करने का प्रयास किया जाएगा.  
  24. नई शिक्षा नीति में छात्रों को ये आज़ादी भी होगी कि अगर वो कोई कोर्स बीच में छोड़कर दूसरे कोर्स में दाख़िला लेना चाहें तो वो पहले कोर्स से एक ख़ास निश्चित समय तक ब्रेक ले सकते हैं और दूसरा कोर्स ज्वाइन कर सकते हैं.
पहली बार मल्टीपल एंट्री और एग्ज़िट सिस्टम लागू किया गया है. अर्थात आज की व्यवस्था में अगर चार साल इंजीनियरिंग पढ़ने या छह सेमेस्टर पढ़ने के बाद किसी कारणवश आगे नहीं पढ़ पाते हैं तो आपके पास कोई उपाय नहीं होता, लेकिन मल्टीपल एंट्री और एग्ज़िट सिस्टम में एक साल के बाद सर्टिफ़िकेट, दो साल के बाद डिप्लोमा और तीन-चार साल के बाद डिग्री मिल जाएगी. इससे उन छात्रों को बहुत फ़ायदा होगा जिनकी पढ़ाई बीच में किसी वजह से छूट जाती है.

उच्च शिक्षा में कई बदलाव-
जो छात्र रिसर्च करना चाहते हैं उनके लिए चार साल का डिग्री प्रोग्राम होगा. जो लोग नौकरी में जाना चाहते हैं वो तीन साल का ही डिग्री प्रोग्राम करेंगे. लेकिन जो रिसर्च में जाना चाहते हैं वो एक साल के एमए (MA) के साथ चार साल के डिग्री प्रोग्राम के बाद सीधे पीएचडी (PhD) कर सकते हैं. उन्हें एमफ़िल (M.Phil) की ज़रूरत नहीं होगी.

शोध करने के लिए और पूरी उच्च शिक्षा में एक मज़बूत अनुसंधान संस्कृति तथा अनुसंधान क्षमता को बढ़ावा देने के लिए एक शीर्ष निकाय के रूप में नेशनल रिसर्च फ़ाउंडेशन (एनआरएफ़) की स्थापना की जाएगी. एनआरएफ़ का मुख्य उद्देश्य विश्वविद्यालयों के माध्यम से शोध की संस्कृति को सक्षम बनाना होगा. एनआरएफ़ स्वतंत्र रूप से सरकार द्वारा, एक बोर्ड ऑफ़ गवर्नर्स द्वारा शासित होगा.

ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा-
महामारी और वैश्विक महामारी में वृद्धि होने के परिणामस्वरूप ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए अनुसंशा के एक व्यापक सेट को कवर किया है, जिससे जब कभी और जहां भी पारंपरिक और व्यक्तिगत शिक्षा प्राप्त करने का साधन उपलब्ध होना संभव नहीं हैं, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के वैकल्पिक साधनों की तैयारियों को सुनिश्चित करने के लिए, स्कूल और उच्च शिक्षा दोनों को ई-शिक्षा की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए एमएचआरडी में डिजिटल अवसंरचना, डिजिटल कंटेंट और क्षमता निर्माण के उद्देश्य से एक समर्पित इकाई बनाई जाएगी.

सभी भारतीय भाषाओं के लिए संरक्षण, विकास और उन्हें और जीवंत बनाने के लिए नई शिक्षा नीति में पाली, फ़ारसी और प्राकृत भाषाओं के लिए एक इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ ट्रांसलेशन एंड इंटरप्रिटेशन (आईआईटीआई), राष्ट्रीय संस्थान की स्थापना करने, उच्च शिक्षण संस्थानों में संस्कृत और सभी भाषा विभागों को मज़बूत करने और ज़्यादा से ज़्यादा उच्च शिक्षण संस्थानों के कार्यक्रमों में, शिक्षा के माध्यम के रूप में मातृभाषा/ स्थानीय भाषा का उपयोग करने की सिफ़ारिश की गई है  

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, नई राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति-देश के लाखों युवाओं के सपनों को पंख लगाएगी। राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की पहली वर्षगांठ के अवसर पर उन्होंने कहा, कि देश स्‍वतंत्रता के 75वें वर्ष के प्रवेश द्वार पर खडा है, ऐसे में यह तब यह नीति देश के भविष्‍य को सुनहरा बनाने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाएगी। "...नई राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति का इम्‍प्‍लीमेंटेशन आजादी के अमृत महोत्‍सव का प्रमुख हिस्‍सा बन गया है। राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति के तहत आज शुरू हुई योजनाएं नये भारत के निर्माण में बहुत बड़ी भूमिका निभाएंगी। भारत के जिस सुनहरे भविष्‍य के संकल्‍प के साथ आज हम आजादी के अमृत महोत्‍सव मना रहे हैं, उस भविष्‍य की ओर हमें आज की नई पीढ़ी ही ले जाएगी।"

प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर शिक्षा क्षेत्र में विभिन्‍न महत्‍वपूर्ण पहल की शुरूआत की। उन्होंने कहा, कोविड महामारी के कारण पूरे शिक्षा क्षेत्र पर विपरीत प्रभाव पडा, लेकिन विद्यार्थियों ने जल्‍द ही बडे बदलाव के साथ ऑनलाइन शिक्षा पद्धति को अपनाया। "...हम सबने देखा है कोरोना काल में कैसे हमारी शिक्षा व्‍यवस्‍था के सामने इतनी बड़ी चुनौती आई, स्‍टूडेंट्स की पढ़ाई का, जीवन का ढंग बदल गया, लेकिन देश के विद्यार्थियों ने तेजी से इस बदलाव को एडॉप्‍ट किया। ऑनलाइन एजुकेशन अब एक सहज चलन बनती जा रही है।"


प्रधानमंत्री ने कहा‍ कि भारत का युवा, डिजिटल भारत अभियान में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाएगा। "...हम कितना आगे जाएंगे, ये इस बात पर निर्भर करेगा कि हम अपने युवाओं को वर्तमान में यानी आज कैसी शिक्षा दे रहे हैं, कैसी दिशा दे रहे हैं, इसलिए भारत की नई राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति को इतना आधुनिक बनाया है, इतना फ्यूचर रेडी रखा है।" उन्होंने यह भी कहा, नई शिक्षा नीति विद्यार्थियों को परीक्षा के अनावश्‍यक बोझ से मुक्ति दिलाएगी। इससे पहले, विद्यार्थी पढाई के लिए विदेश जाते थे, लेकिन जल्‍द ही वे अपने देश में ही विश्‍वस्‍तरीय शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे।

"...हम कितना आगे जाएंगे, ये इस बात पर निर्भर करेगा कि हम अपने युवाओं को वर्तमान में यानी आज कैसी शिक्षा दे रहे हैं, कैसी दिशा दे रहे हैं, इसलिए भारत की नई राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति को इतना आधुनिक बनाया है, इतना फ्यूचर रेडी रखा है।" प्रधानमंत्री ने कहा कि नई राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत विद्यार्थी मातृ भाषा में शिक्षा ग्रहण कर सकेंगे और उन्‍हें इसके लिए कई विकल्‍प मिलेंगे 

14 इंजीनियरिंग कॉलेज में 5 भारतीय भाषाओं में पाठ्यक्रम
आठ राज्‍यों के 14 इंजीनियरिंग कॉलेजों में पांच भारतीय भाषाओं में इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम शुरू किया जा रहा है। ये भाषाए हैं - हिन्‍दी, तमिल, तेलुगु, मराठी और बांग्‍ला। इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम के 11 भारतीय भाषाओं में अनुवाद के लिए टूल का विकास भी किया गया है।

प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट का शुभारंभ किया। इससे विद्यार्थियों को उच्‍च शिक्षा में प्रवेश तथा निकासी और इंजीनियरिंग कार्यक्रम प्रथम वर्ष की क्षेत्रीय भाषाओं में पढाई के विकल्‍प और उच्‍च शिक्षा के अंतर्राष्‍ट्रीयकरण के लिए दिशा-निर्देश उपलब्‍ध होंगे। ग्रेड-1 के लिए तीन महीने का खेल आधारित स्‍कूल तैयारी मॉड्यूल, सेकेंडरी स्‍तर पर एक विषय के रूप में भारतीय संकेत भाषा और NCERT द्वारा तैयार किया गया एकीकृत शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम- निष्‍ठा के दूसरे चरण की भी शुरूआत की गई है।

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