492 साल बाद चांदी के झूले (हिंडोले) पर विराजे रामलला


रामलला के लिए 5 फीट ऊंचा, 21 किलो चांदी का भव्य झूला 
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श्रीराम की नगरी अयोध्या में 11 अगस्त से झूला मेला आरम्भ हो गया है मंदिरों में भगवान को रक्षाबंधन तक झूला झूलाया जाएगा, गीत भी सुनाए जाएंगे श्रीराम जन्मभूमि परिसर में भी रामलाल चांदी के झूले में झूलेंगे रामलला श्रावण मास की नागपंचमी पर्व से आरम्भ झूलन-महोत्सव का आनंद लेंगे यद्यपि, कोरोना के चलते इस साल ये झूला महोत्सव धूमधाम से नहीं मनाया जा रहा है    

श्रवण मास की नागपंचमी के पर्व से रामनगरी अयोध्या के लिए विशेष हो गई, क्योंकि इसदिन (13 अगस्त) रामलला के दरबार में झूलनोत्सव की छटा दिखने लगी। 492 साल के बाद रामलला पहली बार चांदी के हिंडोले पर आसीन हो गए। रामलला के लिए 21 किलो चांदी के पांच फीट ऊंचे भव्य झूले का निर्माण श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने कराया है। कल (गुरुवार) को पूजन-अर्चन के बाद गर्भगृह में झूले को स्थापित करा दिया गया। झूले पर विराजित रामलला सहित चारों भाई सहित भक्तों को दर्शन दे रहे हैं। इसको लेकर रामनगरी के संत-धर्माचार्यों सहित भक्तों में बहुत उत्साह है।

रामनगरी के हजारों मंदिरों में हर वर्ष श्रावण झूलनोत्सव की परंपरा का निर्वहन सदियों से होता आ रहा है। टेंट में संगीनों के साए के बीच विराजमान रहे रामलला के दरबार में भी परंपरा निर्वहन सीमित स्तर पर होता आ रहा था।
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रामलला अस्थाई मंदिर में (
25 मार्च 2020 को) विराजित हुए, परन्तु झूलनोत्सव से वंचित थे। मीडिया द्वारा रामलला के अस्थाई मंदिर में भी झूलनोत्सव की व्यवस्था को लेकर समाचार प्रकाशित किया गया था। उसके बाद श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से रामलला के लिए भव्य झूला निर्मित कराने का कार्य आरंभ हुआ। श्रीराम जन्मभूमि के पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने बताया, यह पहली बार है, जब रामलला के दरबार में झूलन उत्सव की धूम है।

नागपंचमी 13 अगस्त से श्रीरामलला भाईयों संग जिस चांदी के झूले पर विराजमान होंगे, उसकी डोर भी चांदी की है। सुबह आरती, पूजन के बाद जब मंदिर खुलने पर रामलला झूले पर विराजित होकर भक्तों को दर्शन देंगे। झूले पर एक ऊंचे आसन पर रामलला को विराजित हैं। उनके नीचे भरत, लक्ष्मण व शत्रुहन भी विराजमान हैं। नाग पंचमी को रामलला के दरबार में झूलनोत्सव की धूम होगी। वहीं, प्रतिदिन शाम को एक घंटे सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे।

राममंदिर निर्माण के साथ ही साथ रामनगरी का गौरव भी लौट रहा है। रामनगरी सनातन संस्कृति की संवाहक रही है। अब इसको एक नई ऊर्जा प्राप्त हो रही है। 
जगतगुरु रामदिनेशाचार्य कहते हैं, हम सबके आराध्य रामलला के दरबार में अब समय-समय पर उत्सव हो रहे हैं। हम इसके साक्षी बन रहे हैं, यह सुखद क्षण है।  
 
निर्वाणी अनी अखाड़ा के महासचिव गौरीशंकर दास कहते हैं, रामलला का भव्य राममंदिर बन रहा है। इसलिए अब अयोध्या में उत्सव ही उत्सव है। ट्रस्ट को साधुवाद है कि वह रामलला के हर उत्सव को भव्यता देने को प्रयासरत रहता है। वहीं, महंत गिरीशपति त्रिपाठी कहते हैं, श्रीराम हमारी आस्था के प्रधान केंद्र हैं। अयोध्या में अब रामभक्ति की डोर और भी मजबूत होगी। इस सुखद क्षण का आनंद कई गुना इसलिए भी बढ़ गया है कि हम इसके साक्षी बन रहे हैं। 

वर्षों तक टेंट में रहें रामलला के दरबार मेें भी आध्यात्मिक वैभव की अभिव्यक्ति हो रही है। 
रामलला के हर उत्सव का साक्षी बनने का अवसर भक्तों को प्राप्त हो रहा है। सदियों तक हमने रामलला के पुर्नवैभव का इंतजार किया है। अब यह सुखद क्षण आ गया है तो यह हमारे लिए हर्ष और उत्सव का क्षण है।

भक्तों की इच्छा के अनुरूप रामलला का 5 फीट ऊंचा झूला 
दिल्ली में 
निर्मित हुआ है झूला- 
रामलला के दरबार में अब हर उत्सव भव्यता का पर्याय होगा। इसी के तहत शुक्रवार से मंदिर परिसर में झूलनोत्सव की छटा भी बिखरेगी। भक्तों की इच्छा के अनुरूप रामलला के लिए दिल्ली से 21 किलो चांदी का पांच फीट ऊंचा झूला निर्मित कराया गया है। जो अस्थाई मंदिर में स्थापित करा दिया गया है।- चंपत राय, महासचिव, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट
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Devotees became happy, after seeing Ramlala Sarkar
Serving Ramlala for 28 years, 
Priest Satyendra Das said, we have served the Lord in the tent as well. Now seeing the opulence of Ramlala, who is enshrined in the temporary temple, is so happy that it cannot be described in words.

Shravan Shukla Paksha Panchami, popularly known as "Nag Panchami" (13 August, 2021) has also become special for Ramnagari, because after 492 years Ramlala is sitting on a silver swing for the first time. The chief Archaka of Ramlala, with special worship in the Brahma Muhurta, enshrined the four brothers, including Ramlala, on a silver-studded carousel. To make this auspicious time special, the entire sanctum sanctorum was decorated with flowers and Ramlala also got special enjoyment. 
Ramlala Sarkar sitting on the silver carousel, Ayodhya 

Devotees became happy, after seeing Ramlala Sarkar sitting on the silver carousel. After the morning aarti at 6.30 am, as soon as the door of the sanctum sanctorum opened at seven o’clock, a crowd of devotees gathered for the darshan of Ramlala. With the proclamation of Jai Shri Ram, the devotees were becoming anxious to see their adorable Ramlala seated on the silver carousel. Acharya Satyendra Das, the head priest of Shri Ram Lalla, said that a 21 kg silver swing has been made by the Ram Mandir Trust of Shri Ram Lalla.

As per the tradition, after worship and aarti on Nag Panchami, Bharat, Lakshmana and Shatrughna along with Ramlala were placed on a swing. It is said, the shade of Jhulanotsav will be scattered in the court of Ramlala from Panchami Tithi to Shravan Purnima. He first made Ramlala swing on the carousel, during which he got emotional.

The head priest said, it seemed as if the Lord was sitting on the swing in a real form. There was a new avatar of Ramlala, it seemed. Priest Satyendra Das, who has been serving Ramlala for 28 years, said that we have served the Lord in the tent as well. Now seeing the opulence of Ramlala, who is enshrined in the temporary temple, is so happy that it cannot be described in words. 

He futher said, to make this day special, the entire sanctum sanctorum has been given grandeur by decorating it with flowers. Prasad was distributed to Ramlala by offering special offerings of puri, vegetables, shortbread, kheer, sweets, fruits etc. Cultural events will also be held for one hour every day in the evening. Ramlala’s court will be buzzing after centuries. Trust’s general secretary Champat Rai, trustee Dr Anil Mishra and administrative officers also blessed their lives by swinging Ramlala.

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