जन्माष्टमी : जाने अद्भुत योग, राशि अनुसार लगाएं भोग, क्या करें क्या न करें, भेजें शुभकामना


  नंद के घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की...
- श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर अत्यंत शुभ कृत्तिका और रोहिणी नक्षत्र भी 
- इस बार स्मार्त एवं वैष्णव एक साथ मनाएंगे जन्माष्टमी !


(धर्म नगरी / DN News वाट्सएप 8109107075 -न्यूज़, कवरेज, विज्ञापन/शुभकामना हेतु)
भगवान श्रीकृष्ण का जन्मदिन- जन्माष्टमी, हिन्दू पंचांग अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को बड़े ही धूमधाम पूरे देश सहित दुनिया के अधिकांश देशों में मनाई जाती है। जन्माष्टमी को श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप- बालगोपाल या लड्डू गोपाल की विशेष पूजा-आराधना का महत्व है। 

इस वर्ष श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 30 अगस्त (सोमवार) को हर्षण योग में है। इस योग अत्यंत शुभ माना गया है। इस योग के साथ श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन कृत्तिका और रोहिणी नक्षत्र भी रहेगा, जिस कारण से इस जन्माष्टमी का महत्व अनेक गुना बढ़ गया है। जन्माष्टमी के दिन रोहिणी नक्षत्र और चंद्रमा वृष राशि में रहने के साथ ही जन्माष्टमी पर सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है। ज्योतिषविद के अनुसार, अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र, चंद्रमा वृष राशि में होने से श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व का व्रत करना इसी दिन उत्तम धर्म शास्त्र सम्मत है।

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर सोमवार को व्रत रखना विशेष पुण्यकारी है। यद्यपि रविवार रात 11:25 पर अष्टमी तिथि प्रारंभ होगी। ऐसे में सूर्य उदयनी तिथि के अनुसार सोमवार को व्रत रखें। रोहिणी नक्षत्र भी सोमवार को सुबह 6:39 बजे से लगेगा। ज्योतिर्विदों के अनुसार, इस वर्ष दृश्य गणित एवं प्राचीन गणित के पंचांगों के आधार पर स्मार्त एवं वैष्णव एक साथ 30 अगस्त को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव मनाएंगे। इसके पूर्व 5 सितंबर 2015 को एक साथ जन्माष्टमी मनाई गई थी।

जन्माष्टमी के पूजन का मुहूर्त-
30 अगस्त- रात्रि 11.59 से 12.44 बजे तक

राशि अनुसार लगाएं श्रीकृष्ण को भोग- 
इस जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-आराधना करते हुए अपनी राशि (Zodiac Sign) के अनुसार भोग लगाए। राशि के अनुसार, लड्डू गोपाल, कान्हा या बाल कृष्ण को भोग इन वस्तुओं को अर्पित करना श्रेष्ठ रहेगा-

मेष : मिश्री का भोग लगाना अत्यंत अनुकूल रहेगा। इससे आपको श्रीकृष्ण का आशीर्वाद मिलेगा, आपकी समस्त मनोकामनाएं भी पूर्ण होंगी।

वृषभ : भगवान को भोग में, मक्खन अर्पित करें। इससे श्रीकृष्ण की कृपा आपको मिलने के साथ स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से भी मुक्ति मिलेगी।

मिथुन : गाय का शुद्ध घी और गाय के दूध से बनी दही अर्पण करें। इससे आपके घर में सुख-समृद्धि आएगी, कार्यक्षेत्र पर समस्याओं से मुक्ति मिलेगी।

कर्क : भगवान कृष्ण को दूध और केसर का भोग लगाएं, इससे संतान सुख तो मिलेगा ही, साथ ही आपके सभी कार्य भी सफलतापूर्वक पूर्ण होंगे ।

सिंह : बाल कृष्ण को भोग में मक्‍खन-मिश्री अर्पित करें। इससे आपकी प्रतिष्ठा बढ़ेगी, कार्यस्थल पर भी पदोन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे।

कन्या : जन्माष्टमी के दिन, श्रीकृष्ण को भोग में मावा खिलाना शुभ रहेगा. इससे आपके जीवन में सकारात्मकता आएगी।

तुला : श्रीकृष्ण को शुद्ध गाय के घी का भोग लगाना सर्वश्रेष्ठ रहेगा, आपको रोगों से मुक्ति मिलेगी एवं जीवन में आनंद आएंगी।

वृश्चिक : भोग में केवल दूध से बनी मिठाई अर्पित करें, श्रीकृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होगा। जीवन में धन का अभाव भी दूर होगा।

धनु : श्रीकृष्ण को फल और पंचामृत का भोग लगाएं, आपके जीवन में आनंद आएगा। विरोधियों पर भी विजय प्राप्त करने में सफल रहेंगे।

मकर : माखन-मिश्री का भोग लगाना शुभ होगा, जीवन में सुख-समृद्धि आएगी। यदि कोर्ट-कचहरी में कोई मामला चल रहा है तो, उसमें सफलता मिलने की संभावना बनेगी।

कुंभ : श्रीकृष्ण को बालूशाही का भोग लगाएं। आपकी हर प्रकार की आर्थिक तंगी तो दूर होगी एवं आपको घर-परिवार के सदस्यों का भी सहयोग मिल सकेगा।

मीन : भोग में केसर का दूध और सफ़ेद मिठाई अर्पित करें। आपको अपने प्रेम संबंधों में सफलता मिलेगी, अपने किसी ऋण से भी छुटकारा पा सकेंगे।

इनका ध्यान रखें, इसे 
जन्माष्टमी को अवश्य करें-
- श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन धार्मिक स्थल पर जाकर फल और अनाज दान करें,
- जन्माष्टमी की रात्रि 12 बजे नार वाले खीरे से श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप का जन्म कराएं। नार वाले खीरे को देवकी मां के गर्भ का प्रतीक माना जाता है
 ।
- श्रीकृष्ण के जन्म के बाद उनका अभिषेक शंख में दूध डालकर करें
। इससे भगवान अत्यंत प्रसन्न होते हैं। आप दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल, इन पांच चीजों से भी अभिषेक कर सकते हैं।
- बाल गोपाल का अभिषेक करने के दौरान लगातार ऊं नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें 
- अभिषेक के पश्चात बाल कृष्ण या लड्डू गोपाल को सुंदर वस्त्र, मुकुट पहनाएं, झूले में बिठाएं। उनके पास एक बांसुरी और मोरपंख लाकर पूजा के समय भगवान को अर्पित करें,
- इस दिन कान्हा को माखन और मिश्री का भोग अवश्य लगाएं एवं कान्हा के पूजन में तुलसी का प्रयोग करे,
- पांच वर्ष तक के किसी भी बच्चे को अपनी अंगुली से माखन और मिश्री चटाएं,
 इससे आपको भी आभास होगा, आप कन्हैया को भोग लगा रहे हैं,
- इस दिन गाय-बछड़े की प्रतिमा घर लेकर आएं और पूजा के स्थान पर रखकर उनकी भी पूजा करें,भगवान को पीला चंदन लगाएं. पीले वस्त्र पहनाएं और हरसिंगार, पारिजात या शेफाली के फूल भगवान को अवश्य अर्पित करें।
श्रीकृष्ण एक ग्वाले थे, इसलिए वे गाय की पूजा करने वालों से अत्यंत प्रसन्न होते हैं। घर के निकट कहीं गाय हो, तो गाय की सेवा करें, चारा खिलाएं या रोटी बनाकर खिलाएं और आशीर्वाद लें।
- जन्माष्टमी का व्रत नहीं रखने वालों को इस दिन चावल नहीं खाना चाहिए. एकादशी और जन्माष्टमी के दिन चावल और जौ से बनी चीजें खाने से बचना चाहिए
- जन्माष्टमी के दिन भूलकर भी तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए भगवान विष्णु को श्रीकृष्ण का अवतार माना जाता है. मान्यता के अनुसार तुलसी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय हैं. इसलिए इस दिन तुलसी के पत्ते तोड़ना शुभ नहीं माना जाता है


श्रीकृष्ण को क्यों अति प्रिय हैं बांसुरी, मोरपंख और माखन मिश्री ?
सनातन धर्म में देवी-देवताओं के प्रतीक चिन्ह हैं, उनके वाहन हैं, विशेष अश्त्र-शस्त्र भी हैं। भगवान श्रीकृष्ण के प्रतीक चिन्ह हैं, उनके महत्व भी हैं, जो इस प्रकार है-

बांसुरी- श्रीकृष्ण को बांसुरी सर्वाधिक प्रिय है। इस कारण उनका नाम मुरलीधर, वंशीधर भी प्रचलित है। वाद्य के तौर पर बांसुरी के स्वर अत्यंत सुरीले होते हैं, जो संदेश देती है कि हमारे जीवन को भी बांसुरी की तरह ही सुरीला और मधुर हो। फिर हमारी परिस्थिति कैसी भी हो, हम हर अवस्था में आनंदित रहे, दूसरों को भी करें।

माखन मिश्री- कान्हा को माखन अति प्रिय था, गोपियों का माखन चुराकर खाने के कारण उनका नाम माखनचोर पड़ा। लड्डू गोपाल को माखन-मिश्री भी बहुत प्रिय हैं। माखन-मिश्री को जब एक साथ मिलाते हैं, इसका स्वाद बहुत मधुर हो जाता है। वैसे ही हमारे जीवन में माखन-मिश्री घुले व जीवन में मिठास बनी रहे।

मोरपंख- 
मोरपंख भी श्रीकृष्ण को बहुत भाता है, इसलिए वह इसे अपने मुकुट पर धारण करते हैं। धार्मिक ग्रंथों में मोरपंख का बड़ा महत्व बताया है। यह जीवन में कष्टों को कम कर सुख-शांति और समृद्धि लाता है।

कमल-
 कमल के पुष्प को हमारे वैदिक शास्त्रों, ग्रंथों में अत्यंत पवित्र बताया है। कीचड़ में खिलने के पश्चात भी यह अपनी पवित्रता, सुंदरता एवं कोमलता का त्यागता। कमल का पुष्प यह हमें जीवन की किसी भी परस्थिति में सहज एवं सुंदर रहते हुए जीने की सीख देता है।

वैजयंती माला-
 भगवान श्रीकृष्ण अपने गले में वैजयंती माला को धारण करते हैं, कमल के बीजों को पिरोकर यह माला बनती है। कमल के बीज बहुत कठोर होते हैं। वैजयंती माला से हमें संदेश मिलता है- जीवन भले ही कितनी भी कठनाईयों से घिरा हो, परन्तु समझदारी से लिए निर्णय दुष्कर मार्गों को भी सहज बना देते हैं।

गाय- 
भारतीय सनातन संस्कृति में गाय को सदा सर्वदा से सर्वाधिक पवित्र जीव माना गया है। पंचगव्य यानि गौ दूध, गौ दही, गौ मूत्र, गौ घी एवं गौ गोबर का धर्मशास्त्रों में अत्यंत महत्व बताया है। गौसेवा से कष्टों का नाश होकर समृद्धि की प्राप्ति होती है, क्योंकि गौवंश के सम्पूर्ण अंग में 33 कोटि (प्रकार के) के देवी-देवताओं का वास होता है।

आरती भगवन श्रीकृष्ण-
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

गले में बैजंती माला,
बजावै मुरली मधुर बाला ।
श्रवण में कुण्डल झलकाला,
नंद के आनंद नंदलाला ।
गगन सम अंग कांति काली,
राधिका चमक रही आली ।
लतन में ठाढ़े बनमाली
भ्रमर सी अलक,
कस्तूरी तिलक,
चंद्र सी झलक,
ललित छवि श्यामा प्यारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की...॥

कनकमय मोर मुकुट बिलसै,
देवता दरसन को तरसैं ।
गगन सों सुमन रासि बरसै ।
बजे मुरचंग,
मधुर मिरदंग,
ग्वालिन संग,
अतुल रति गोप कुमारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की...॥
जहां ते प्रकट भई गंगा,
सकल मन हारिणि श्री गंगा ।
स्मरन ते होत मोह भंगा
बसी शिव सीस,
जटा के बीच,
हरै अघ कीच,
चरन छवि श्रीबनवारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की...॥

श्री नारायण स्तुति (श्रीमच्छंकराचार्यविरचितं)-
नारायण नारायण जय गोविंद हरे ॥
नारायण नारायण जय गोपाल हरे ॥

करुणापारावारा वरुणालयगम्भीरा ॥
घननीरदसंकाशा कृतकलिकल्मषनाशा ॥

यमुनातीरविहारा धृतकौस्तुभमणिहारा ॥
पीताम्बरपरिधाना सुरकल्याणनिधाना ॥

मंजुलगुंजाभूषा मायामानुषवेषा ॥
राधाऽधरमधुरसिका रजनीकरकुलतिलका ॥

मुरलीगानविनोदा वेदस्तुतभूपादा ॥
बर्हिनिवर्हापीडा नटनाटकफणिक्रीडा ॥

वारिजभूषाभरणा राजिवरुक्मिणिरमणा ॥
जलरुहदलनिभनेत्रा जगदारम्भकसूत्रा ॥

पातकरजनीसंहर करुणालय मामुद्धर ॥
अधबकक्षयकंसारे केशव कृष्ण मुरारे ॥
हाटकनिभपीताम्बर अभयं कुरु मे मावर ॥
दशरथराजकुमारा दानवमदस्रंहारा ॥

गोवर्धनगिरिरमणा गोपीमानसहरणा ॥
शरयूतीरविहारासज्जनऋषिमन्दारा ॥

विश्वामित्रमखत्रा विविधपरासुचरित्रा ॥
ध्वजवज्रांकुशपादा धरणीसुतस्रहमोदा ॥

जनकसुताप्रतिपाला जय जय संसृतिलीला ॥
दशरथवाग्घृतिभारा दण्डकवनसंचारा ॥

मुष्टिकचाणूरसंहारा मुनिमानसविहारा ॥
वालिविनिग्रहशौर्या वरसुग्रीवहितार्या ॥

मां मुरलीकर धीवर पालय पालय श्रीधर ॥
जलनिधिबन्धनधीरा रावणकण्ठविदारा ॥

ताटीमददलनाढ्या नटगुणविविधधनाढ्या ॥
गौतमपत्नीपूजन करुणाघनावलोकन ॥

स्रम्भ्रमसीताहारा साकेतपुरविहारा ॥
अचलोद्घृतिञ्चत्कर भक्तानुग्रहतत्पर ॥

नैगमगानविनोदा रक्षःसुतप्रह्लादा ॥
भारतियतिवरशंकर नामामृतमखिलान्तर ॥
 इति श्रीमच्छंकराचार्यविरचितं नारायणस्तोत्रं सम्पूर्णम्‌। 

भगवान श्रीकृष्ण की स्तुति-
श्री कृष्ण चन्द्र कृपालु भजमन, नन्द नन्दन सुन्दरम्।
अशरण शरण भव भय हरण, आनन्द घन राधा वरम्॥

सिर मोर मुकुट विचित्र मणिमय, मकर कुण्डल धारिणम्।
मुख चन्द्र द्विति नख चन्द्र द्विति, पुष्पित निकुंजविहरिणम।।

मुस्कान मुनि मन मोहिनी, चितवन चपल वपु नटवरम।
वन माल ललित कपोल मृदु, अधरन मधुर मुरली धरम।।

वृषभान नंदिनी वामदिशि, शोभित सुभग सिहासनम।
ललितादि सखी जिन सेवहि करि चवर छत्र उपासनम।।
(हरे कृष्ण, हरे कृष्ण)

अपनी शुभकामना ये लिखकर भेजें- 
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥

नंद के घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की
हाथी घोड़ा पालकी, जैय कन्हैय लाल की।

माखन का कटोरा, मिश्री का थाल, मिट्टी की सुगंध,
बारिश की फुहार, राधा की आशा, कृष्ण का प्यार, 
बधाई हो आपको, जन्माष्टमी का त्यौहार।

राधा की स्नेह है कृष्णा, उनके हृदय में वास है कृष्णा,
चाहें कितना भी रास रचा ले कृष्णा, 
दुनिया तो फिर भी कहती है,
राधे-कृष्णा, राधे-कृष्णा।

हे कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी 
हे नाथ नारायण वासुदेवाय
एक मात्र स्वामी तुम सखा हमारे
हे नाथ नारायण वासुदेवाय
शुभ और मंगलमय जन्माष्टमी
 
गोकुल में उनका निवास
करते हैं गोपियों के संग रास 
देवकी और यशोदा हैं जिनकी मैया
ऐसे हैं हमारे कृष्ण कन्हैया
जन्माष्टमी मंगलदायक हो

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