सावन माह की मासिक शिवरात्रि महादेव को अत्यंत प्रिय है... पूजन-विधि, शुभ-मुहूर्त, पूजन सामग्री, विशेष मंत्र


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श्रवण (सावन) माह भगवान शिव के सर्वप्रिय माह होता है, जिसमें उनकी पूजा-अर्चना के साथ माता पार्वती की भी पूजा की जाती है. प्रत्येक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि होती है वहीं, सावन माह की मासिक शिवरात्रि है. सावन के माह में पड़ने वाली मासिक शिवरात्रि का महत्व बहुत अधिक होता है शिव भक्तों के लिए सावन माह सभी महीनों में सबसे पवित्र माह होता है, इसलिए इस माह को भगवान शिव की उपासना के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। सावन के इस पावन महीने में भगवान शिव की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। सावन माह की मासिक शिवरात्रि की पूजा-विधि, शुभ मुहूर्त और पूजन सामग्री इस प्रकार है-

शिवरात्रि तिथि व शुभ मुहूर्त-
6 अगस्त (शुक्रवार) मासिक शिवरात्रि की चतुर्दशी तिथि है.
चतुर्दशी तिथि प्रारंभ- 6 अगस्त शाम 6:28 से
चतुर्दशी तिथि समाप्त- 7 अगस्त (शनिवार) शाम 7:11 बजे
ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 4:20 से 5:03 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12 से 12:54 बजे तक
विजय मुहूर्त- दोपहर 2:41 से दोपहर 03:34 बजे तक
गोधूलि मुहूर्त- सायं 6:55 से 07:19 बजे तक
अमृत काल- प्रातः 5:42 से 7 अगस्त प्रातः 7:25 बजे तक
निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:06 से दोपहर 12:48 बजे तक
सर्वार्थ सिद्धि योग- 6 अगस्त प्रातः 6:38 से 7 अगस्त प्रातः 05:46 बजे तक

व्रत पारण का काल-
7 अगस्त (शनिवार) प्रातः 5:46 बजे से दोपहर 3:45 मिनट तक

पूजन सामग्री-
पुष्प, पंच फल पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें,तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री

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मासिक शिवरात्रि का महत्व-
सावन माह के मासिक शिवरात्रि का अत्यधिक महत्व होता है. इस दिन भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है. इस दिन भोलेनाथ की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं

सावन शिवरात्रि के पावन अवसर पर आप कुछ प्रभावशाली मंत्र हैं, जिनका जाप करने से व्यक्ति को पुत्र प्राप्ति, सुख, संपदा, आरोग्य, सफलता और अकाल मृत्यु का भय दूर होता है। ये मंत्र एवं उनके प्रभाव इस प्रकार हैं-
पुत्र प्राप्ति हेतु मंत्र-
ऊं देवकी सुत गोविंद वासुदेव जगत्पते।
देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत:।।
यह मंत्र एक लाख बार जपने से सिद्ध होता है। मंत्र को रुद्राक्ष की माला से जपना चाहिए। ऐसे करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है और बाद में वह माला भगवान शिव को अर्पित कर देनी चाहिए।

आरोग्यता हेतु मंत्र-
माम् भयात् सवतो रक्ष श्रियम् सर्वदा।
आरोग्य देही में देव देव, देव नमोस्तुते।।

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

इस मंत्र को प्रतिदिन 108 बार रुद्राक्ष की माला पर जप करने से हर प्रकार के रोग से मुक्ति मिलती है।

धन संपदा पाने के लिए-
ॐ हृौं शिवाय शिवपराय फट्।।
इस मंत्र को स्फटिक की माला पर 11000 बार करने से जीवन सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।

शत्रु पर विजय प्राप्त करने हेतु- 
ॐ मं शिव स्वरुपाय फट्।।
यह मंत्र जाप यदि रुद्राक्ष की माला पर सवा लाख लाख बार किया जाए, तो आपके जीवन से शत्रु परास्त हो कर दूर हो जाते हैं।
 
कार्य में सफलता प्राप्ति के लिए-
ॐ नमः शिवाय।।
यह मंत्र यदि रुद्राक्ष की माला पर रोजाना 108 बार किया जाए तो विशेष लाभ प्राप्त होता है।

अकाल मृत्यु से मुक्ति हेतु-
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
इस मंत्र को रुद्राक्ष की माला से 11,000 बार जप करने पर अकाल मृत्यु के भी से मुक्ति मिलती है।
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