रक्षाबंधन : इस वर्ष शुभ योग व भद्रारहित काल है, पर भाई-बहन इसे करने से बचें

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श्रावण माह की पूर्णिमा तिथि पर मनाए जाने वाले पवित्र "रक्षाबंधन" का पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार 
इस वर्ष 22 अगस्त (रविवार) को है। रक्षाबंधन पर्व- बहनों द्वारा भाइयों की कलाई पर रक्षा या राखी बांधकर उनके सुखद एवं दीर्घ जीवन की कामना का पर्व है, जिसकी प्रतीक्षा बहन और भाई दोनों को रहती है। रक्षाबंधन से जुड़ी कुछ बातें हैं, जिनका विशेष ध्यान रखना चाहिए एवं कुछ कार्य करने से बचना चाहिए।

बहुत लंबे समय के बाद रक्षाबंधन शुभ योग व भद्रारहित काल में-  
अच्छे मुहूर्त अथवा भद्रारहित काल में भाई की कलाई में राखी बांधने से भाई को कार्य सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है। ज्योतिषियों के अनुसार, रक्षाबंधन पर इस बार चंद्रमा कुंभ राशि एवं गुरु कुंभ राशि में ही वक्री चाल में रहेंगे। गुरु-चंद्रमा की इस युति से रक्षाबंधन पर गजकेसरी योग बन रहा है। ज्योतिष में गजकेसरी योग को बहुत ही शुभ माना गया है। इस योग पर शुभ कार्य करने पर उसमें विजय होने की संभावना सर्वाधिक होती है,सभी तरह के सुखों की प्राप्ति होती है एवं इस योग में किये जाने वाले कार्यों का परिणाम अच्छे प्राप्त होते हैं।

राखी बांधने का शुभ मुहूर्त-
राखी पर भद्राकाल का विचार अवश्य करते हैं, जो इसबार रक्षाबंधन पर नहीं रहेगी। अति अशुभ कही जाने वाली शनिदेव की बहन भद्रा दिनभर नहीं रहेगी, इसलिए शाम 4:30 बजे राहुकाल के आरम्भ होने से पहले पूरे दिन रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाना सर्वोत्तम रहेगा। इसमें भी दोपहर 12से 1 बजे का मुहूर्त श्रेष्ठ रहेगा। जबकि, केवल भद्रारहित काल को मैंने वाले रक्षाबंधन के दूसरे दिन (23 अगस्त) को सोमवार सुबह 5:50 मिनट से 6:03 बजे तक राखी बाँध / बंधवा सकते है।

जाने कौन है भद्रा, क्या है उसका प्रभाव ?
भद्रा शनिदेव की तरह उग्र स्वभाव की हैं। भद्रा को ब्रह्रााजी ने शाप दिया, कि जो भी भद्राकाल में किसी भी तरह का कोई भी शुभ कार्य करेगा उसमें उसे सफलता नहीं मिलेगी। भद्रा के अलावा राहुकाल में भी किसी तरह का शुभ कार्य करना वर्जित माना गया है। शास्त्रों में रक्षाबंधन का त्योहार भद्रा रहित समय में करने का विधान है। भद्रारहित काल में भाई की कलाई में राखी बांधने से भाई को कार्य सिद्धि और विजय प्राप्त होती है। इसीलिए भद्रा और राहुकाल में रक्षाबंधन के दिन कभी भी राखी नहीं बांधनी चाहिए। दोनों ही समय अशुभ माने गए हैं। वैसे इस वर्ष रक्षाबंधन भद्रा से मुक्त हैं, परन्तु इस दिन राहुकाल का ध्यान रखें तो सर्वोत्तम होगा।

रक्षाबंधन को ये करने से बचें-  
- रक्षाबंधन के दिन काले रंग के प्रयोग से बचें। काला रंग को नकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है, इसलिए इसका प्रयोग न करना श्रेष्ठ है।
- राखी बांधते समय ध्यान रखें कि भाई का मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख हो। राखी बंधवाते समय दक्षिण दिशा में मुख नहीं होना चाहिए।
-रक्षाबंधन के अवसर पर भाई-बहन एक दूसरे को रुमाल और तौलिया उपहार में न दें, क्योकि यह शुभ नहीं होता है।
- बहनों को धारदार या नुकीली चीजें उपहार में न दें। इसके साथ दर्पण और फोटो फ्रेम जैसे गिफ्ट भी इस दिन देने से बचें।
- तिलक लगते समय अक्षत (खड़े चावल) का ही प्रयोग करें, क्योंकि अक्षत् का अर्थ होता जिसकी कोई क्षति न हो। टूटे चावल का प्रयोग भाई को टीका लगाने के बाद न करें।

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रक्षाबंधन के दिन ध्यान रखें-
- बहनें अपने भाई को केवल पानी वाले श्रीफल (नारियल) से राखी बांधे
- राखी बांधते समय अपने भाई का हाथ भरा हुआ हो, तो ही राखी बांधी जाती है, यह परम्परा है। इस कारण बहन अपने भाई के हाथ में नारियल रखती हैं, भाई नारियल पकड़ता है और बहन राखी बांधती है। हाथ भरा होने के पीछे यह कामना रहती है, कि भाई के हाथ में सदैव लक्ष्मी बनी रहे। इसी कारण उसके हाथ में ‘‘श्री’’ फल अर्थात नारियल रखा जाता है।
- कुछ लोग केले, मिठाई अथवा सूखे नारियल गोले भी रखते हैं- जो पूर्णत: गलत है। यह एक गलत परम्परा है, जो भूल-वश आरम्भ हो गई, जिसे तत्काल सुधार लेना चाहिये। सभी बहन को अपने भाई के हाथ में ‘‘जलयुक्त श्रीफल" ही रखकर राखी बांधना चाहिये। भाईयों को भी ध्यान रखना चाहिये, कि वह श्रीफल से ही राखी बंधवायें। 

परम्परा यह है, कि विवाहित बहने जब मायके आती हैं तो भाई के लिये नारियल और भाभी के लिये सूखा-गोला लाती है, जिसे उनकी झोली में डालती हैं। कालांतर में इस सूखे गोले से कुछ बहनों ने गलती करते हुए भाईयों को राखी बांधना शुरु कर दी। जबकि यह सूखा गोला केवल भाभी के लिये होता है। भाई के हाथ में श्रीफल ही रखा जाता है ?

श्रीफल भी नहीं रखते भाई अपने पास-
नारियल नहीं है, तो केवल धन अर्थात कुछ रुपये हाथ में रखकर भी राखी बंधवा सकते हैं, लेकिन इसके अलावा कुछ नहीं रखना चाहिये। परिस्थितिजन्य अक्षत (बिना टूटे साबुत चावल) भी रखे जा सकते हैं। एक ही पानी वाले श्रीफल से पूरे परिवार के लोग राखी बंधवा सकते हैं, इसलिये अलग-अलग श्रीफल नही खरीदना चाहिये। भाई को बहनों से कुछ लेना नहीं चाहिए। 

मान्यतानुसार श्रीफल भी भाई अपने पास नहीं रखते, केवल हाथ में रखकर राखी बंधवाते हैं। वह श्रीफल बहन का ही होता है। बहनों को प्रयास करना चाहिए, कि वह अपने हाथ से रेशमी धागे की राखी बनाकर अपने भाई को बांधे। रेशम का धागा आसानी से बाजार में मिल जाता है। राखी कोई दिखावे की वस्तु नहीं है, वह मर्यादा और शक्ति का प्रतीक है, इसलिये इसमें तडक़-भडक़-चमक की आवश्यकता नहीं है। बाजारु राखी केवल बच्चों का मन बहलाने का माध्यम है। यदि आप भाई को चाहती हैं तो रेशम की डोर ही बांधे।

मिठाई को लेकर भी सावधान रहे। प्रयास करें बहने कि अपने हाथ से कोई मिठाई बनाये। नहीं बना सके तो हलुवा बना ले। बहुत मजबूरी में ही बाजार से मिठाई लायें, क्योंकि यह प्यार का पर्व है ? चॉकलेट पैक इत्यादि तो बिलकुल भी न लें
 भाई, अपनी बहन को स्पष्ट कहे कि खुद मिठाई बनाकर लाना, बाजार की नहीं होना चाहिए। बहन, अपने भाई को स्पष्ट कहें, केवल स्नेह और प्यार दे, रुपये से राखी को ना तौले। और हाँ, रक्षाबंधन हो या अन्य कोई हिन्दू त्यौहार, सामान केवल उसी से लें, जो इसे मनाते हों, उनसे न लें जो हिंदुत्व व हिन्दुओं, सनातनियों के त्योहारों के विरोधी हों। 

पूरी होगी विश्व प्रसिद्ध अमरनाथ यात्रा-
रक्षाबंधन या राखी सावन का अन्तिम दिन होता है और इसके पश्चात से भाद्र माह आरम्भ होता है। सामान्यतः राखी का पर्व भाई-बहनों के प्रेम का प्रतिक है, परन्तु रक्षाबंधन के दिन हमारे देश में ब्राह्मणों, गुरुओं, नेता और प्रतिष्ठित व्यक्ति को भी राखी बांधी जाती है। देश में कई स्थानों पर वृक्ष और भगवान को भी राखी बांधने की परंपरा है। इस दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पुरुष भाईचारे के लिये एक-दूसरे को भगवा रंग की राखी बांधते हैं, तो राजस्थान और हरियाणा में भाभीयों को भी राखी बांधी जाती है।

रक्षाबंधन के दिन हिमानी शिवलिंग आकार ग्रहण करते हैं एवं इस दिन ही विश्वप्रसिद्ध अमरनाथ यात्रा भी पूर्ण होती है। राखी का त्योहार पड़ोसी देश नेपाल में भी मनाया जाता है। वामन अवतार में भी राजा बलि को रक्षासूत्र बांधा था, वहीं कुछ पौराणिक कथाओं में 'रक्षासूत्र' का उल्लेख है, जिसके अनुसार भगवान विष्णु के वामनावतार ने राजा बलि के 'रक्षासूत्र' बांधा और उसके बाद ही उन्हें पाताल जाने का आदेश दिया था।

डिस्क्लेमर (Disclaimer)- उक्त लेख में जानकारी, सामग्री विभिन्न माध्यमों- ज्योतिषियों, पंचांग, मान्यताओं व धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर लिखी गई हैं। इसलिए इसे में निहित सटीकता या विश्वसनीयता अंतिम या शत प्रतिशत सत्य हो, ऐसा दवा हम नहीं करते है। लेख को सूचना के तहत ही लें।  
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