अनंत चतुर्दशी या अनंत चौदस : गणपति की विदाई का दिन, करें गणपति से जुड़े उपाय...


अनंत चौदस, व्यक्तिगत पूजा है, सामाजिक धार्मिक उत्सव नहीं 
- भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा हेतु विशेष दिन है अनंत चतुर्दशी  
- मनोकामना पूर्ति हेतु राशि अनुसार बांधें विष्णुजी को अनंत या अनंता 


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-राजेश पाठक   
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि 19 सितंबर (रविवार) को है। भविष्य पुराण में भाद्र महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी कहा गया है। इस तिथि को अनंत चतुर्दशी का व्रत भी रखा जाता है। यह भगवान गणेश के विसर्जन का दिन भी होता है, जिसका हिंदू धर्म में बड़ा महत्व है। इसे अनंत चौदस के नाम से भी जाना जाता है। 

अनंत चतुर्दशी पूजा का शुभ मुहूर्त 19 सितंबर 2021 सुबह 6:07 मिनट से शुरू होकर, अगले दिन (20 सितंबर) सुबह 5:30 मिनट तक होगा। इस दिन शुभ मुहूर्त की कुल अवधि 23 घंटे और 22 मिनट होगी।

क्या है अनंत या अनंता ?  
अनंत चौदस के दिन अनंत के रूप में हरि की पूजा होती है। पुरुष दाएं तथा स्त्रियां बाएं हाथ में अनंत (सूत्र / डोरी) धारण करती हैं। अनंत राखी के समान रूई या रेशम के कुंकू रंग में रंगे धागे होते हैं और उनमें चौदह गांठ होती हैं। इन्हीं धागों से अनंत का निर्माण होता है। यह व्यक्तिगत पूजा है, इसका कोई सामाजिक धार्मिक उत्सव नहीं होता।

इस दिन कच्चे धागों से बने 14 गांठ वाले धागे को बाजू में बांधने से शेषनाग की शैय्या पर शयन करने वाले भगवान विष्णु, जो आदि अनंत से परे हैं, उनकी बड़ी कृपा होती है। यदि हरि अनंत हैं, तो 14 गांठ हरि द्वारा उत्पन्न 14 लोकों की प्रतीक हैं। धार्मिक मान्यता है, कि अनंत चतुर्दशी की शुरुआत महाभारत काल से हुई। पौराणिक मान्यता है, इस दिन भगवान विष्णु ने सृष्टि की शुरुआत में चौदह लोकों- तल, अतल, वितल, सुतल, तलातल, रसातल, पाताल, भू, भुवः, स्वः, जन, तप, सत्य, मह की रचना की थी इन लोकों की रक्षा और पालन के लिए भगवान विष्णु खुद भी चौदह रूपों में प्रकट हो गए थे, जिससे वे अनंत प्रतीत होने लगे।  

अनंत चतुर्दशी का व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और अनंत फल देने वाला माना गया है। ऐसा माना गया है, इस दिन व्रत रखने के साथ कोई व्यक्ति विष्णु सहस्त्रनाम स्रोत का पाठ करता है तो उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं ये व्रत महिलाएं सुख-समृद्धि, धन-धान्य और संतान प्राप्ति के लिए करती हैं भारत के कई राज्यों में अनंत चतुर्दशी का पर्व धूम-धाम से मनाया जाता है इस दिन भगवान विष्णु की लोक कथाएं सुनी जाती हैं

इस धागे को बांधने की विधि और नियम को लेकर पुराणों में कुछ नियम और कथाएं हैं।
भाद्र शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी के दिन कच्चे धागे में 14 गांठ लगाकर कच्चे दूध में डूबोकर ‘ओम अनंताय नमः’ मंत्र से भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। हरि की पूजा के पश्चात अपने हाथ के ऊपरी भाग (बाजू) में या गले में धागा बांधकर या लटकाकर (जिस पर कोई भी पवित्र विष्णु मंत्र पढ़ा गया हो) व्रती अनंत व्रत को पूर्ण करता है। आजकल अनंतसूत्र बाजार में भी मिलते हैं, जिनकी पूजा करके पुरुषों को दाएं बाजू में और महिलाओं को बाएं बाजू में धारण करना चाहिए।

14 दिन धारण-
अनंत सूत्र धारण करने वाले को कम से कम 14 दिन इसे धारण करके रखना चाहिए और इस बीच मांसाहार से परहेज रखना चाहिए। वैसे नियम यह है, इसे पूरे साल बांधकर रखें तो उत्तम फल मिलता है। कैण्डिल्य ऋषि ने अपनी पत्नी की बाजू में इसे बंधा देखकर इसे जादू टोने का धागा मान लिया और इसे जला दिया। इससे कौडिल्य ऋषि को बड़े दुखों का सामना करना पड़ा। भूल का अहसास होने पर इन्होंने खुद 14 वर्षों तक अनंत व्रत किया इससे प्रसन्न होकर अनंत भगवान ने इन्हें फिर से धन वैभव प्रदान किया। इसलिए अनंत का सूत्र बड़ा ही चमत्कारी है।
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राशि अनुसार बांधें अनंत या अनंता-
अनंत चतुर्दशी का दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा हेतु श्रद्धालु व सनातन धर्मावलम्बी विशेष मानते हैं। इस दिन भगवान को अपनी राशि के रंग की डोरी बांधेंगे, तो उनकी कृपा मिलेगी, आपको यश, सुख, आरोग्य एवं सफलता के द्वार खुलेंगे, आपकी मनोकामना पूर्ण होंगे। राशि अनुसार अनंत या अनंता का रंग इस प्रकार है- 

मेष व वृश्चिक- श्वेत रंग का अनंत, 
वृषभ, कर्क व तुला- सफेद रंग की अनंत,    
मिथुन व कन्या- हरे रंग की अनंत,   
सिंह- गुलाबी रंग की अनंत,
मकर व कुंभ- काले रंग का अनंत, 
धनु व मीन- पीले रंग का अनंत बांधें।

भगवान विष्णु की कथा- 
अनंत चतुर्दशी पर कृष्ण द्वारा युधिष्ठिर से कही गई कौण्डिन्य एवं उसकी स्त्री शीला की गाथा भी सुनाई जाती है। कृष्ण का कथन है, 'अनंत' उनके रूपों का एक रूप है और वे काल हैं जिसे अनंत कहा जाता है। अनंत व्रत चंदन, धूप, पुष्प, नैवेद्य के उपचारों के साथ किया जाता है। इस व्रत को लेकर मान्यता है, कि यह व्रत 14 वर्षों तक किया जाए, तो व्रती विष्णु लोक की प्राप्ति कर सकता है।

इस दिन भगवान विष्णु की कथा होती है। इसमें उदय तिथि ली जाती है। पूर्णिमा का सहयोग होने से इसका बल बढ़ जाता है। यदि मध्याह्न तक चतुर्दशी हो तो ज्यादा बेहतर है। जैसा इस व्रत के नाम से प्रतीत होता है कि यह दिन उस अंत न होने वाले सृष्टि के कर्ता ब्रह्मा की भक्ति का दिन है।
इस व्रत की पूजा दोपहर में की जाती है।
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दस-दिवसीय गणेशोत्सव का समापन-
धर्म ग्रंथों के अनुसार, चतुर्दशी को दस-दिवसीय गणेशोत्सव का समापन पर घरों व सार्वजनिक स्थानों पर स्थापित गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, यदि इस दिन विसर्जन से पहले नीचे बताए गए छोटे-छोटे उपाय किए जाएं, तो श्रद्धालु की मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं-
👉 भगवान श्री गणेश को पूजा में रेशमी दुपटटा चढ़ाएं। दाम्पत्य जीवन में प्रेम-विश्वास बढ़ेगा।
👉 श्री गणेश को पांच तरह के लड्डुओं का भोग लगाएं। भौतिक सुख-सुविधाएं अनुकूल होंगी।
👉 श्री गणेश का अभिषेक गाय के कच्चे दूध (बिना उबला) से करें। धन की कमी पूरी होगी।
👉 स्फटिक से बनी श्री गणेश की मूर्तियाँ भक्तों को बांटें। समाज में मान-सम्मान मिलेगा।
👉 श्री गणेश को ताजी, हरी दूर्वा चढ़ाएं। मानसिक और शारीरिक परेशानियां दूर होगी।
👉 श्री गणेश को सिंदूर चढ़ाएं। ऑफिस और परिवार में चल रही समस्याएं समाप्त होंगी।
👉 आम के पत्तों से भगवान गणपति की पूजा करें। सभी तरह के  रोग ठीक होने लगेंगे।
👉 भगवान श्री गणेश को गुड, चीनी और दही का भोग लगाएं। आने वाले संकटों से बचेंगे।
👉 
गणपतिजी का पंचामृत से अभिषेक करें। पैसों से संबंधित लाभ होने के योग बन सकते हैं।
👉 तांबे के सिक्के को काले धागे में बांधकर श्री गणेश को चढ़ाएं। धन लाभ होगा।
👉 भगवान गणेश को गुलाब के 21 फूल चढ़ाएं। संतान संबंधी समस्या का निदान होगा।
👉 पीले रेशमी कपड़ा भगवान गणेश को अर्पित करें। नौकरी व व्यापार में लाभ होगा।

दुकान या धन्धे में प्रगति हेतु उपाय-
दुकान में जिनका अपना व्यापर हो, कारोबार करते है, अपना काम-धंधा करते हैं, परन्तु दुकान-धंधे में प्रगति नहीं तो क्या करें ये उपाय-
सुबह घर से पूर्व दिशा की ओर मुँह करके तिलक करके जायें दुकान में जाके थोड़ा सा कपूर जला लें, अपने गुरुदेव और गणपतिजी का चित्र रखें। गणेश गायत्री मंत्र बोलें-
एकदंताय विद्यमहे वक्रतुंडाय धीमहि, तन्नोदंती प्रच्चोदयात।।
इस भगवन गणेश के गायत्री मंत्र को पांच बार, ग्यारह बार बोलें, धीरे-धीरे अपने आप सही होने लगेगा।

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