'अफगानिस्तान संकट का शांतिपूर्ण हो समाधान', PM मोदी की अध्यक्षता में BRICS देशों का आह्वान
"...आतंकवाद का हर रूप में मुकाबला करने प्रतिबद्ध हैं"
(धर्म नगरी / DN News वाट्सएप 8109107075 -न्यूज़, कवरेज, विज्ञापन, कॉपी भिजवाने हेतु)
ये भी कहा PM मोदी ने-
- पिछले डेढ़ दशक में ब्रिक्स ने कई उपलब्धियां हासिल की हैं। आज हम विश्व की उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक प्रभावकारी आवाज़ है। विकासशील देशों की प्राथमिकताओं पर ध्यान केन्द्रित करने के लिए भी यह मंच उपयोगी रहा है,
- हमें यह सुनिश्चित करना है कि ब्रिक्स अगले 15 वर्षों में और परिणामदायी हो। भारत ने अपनी अध्यक्षता के लिए जो थीम चुना है, वह यही प्राथमिकता दर्शाता है- “BRICS at 15: Intra-BRICS Cooperation for Continuity, Consolidation and Consensus”
- हाल ही में पहले “ब्रिक्स डिजिटल हेल्थ सम्मेलन” का आयोजन हुआ। Technology की मदद से health access बढ़ाने के लिए यह एक innovative कदम है। नवंबर में हमारे जल संसाधन मंत्री ब्रिक्स फॉर्मेट में पहली बार मिलेंगे
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ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की घोषणा में कहा गया है कि नेताओं ने "समावेशी अंतर-अफगान वार्ता" की भी मांग की ताकि वहां राजनीतिक स्थिरता, नागरिक शांति, कानून और व्यवस्था सुनिश्चित की जा सके। हालांकि, शिखर सम्मेलन का विषय "निरंतरता, समेकन और आम सहमति के लिए सहयोग" था लेकिन, ध्यान अफगानिस्तान पर केंद्रित रहा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में गुरुवार (9 सितंबर) शाम को पांच देशों के 13वें शिखर सम्मेलन (BRICS Meet) में शांतिपूर्ण तरीकों से अफगानिस्तान में स्थिति को सुलझाने का आह्वान किया गया। शिखर सम्मेलन की घोषणा में कहा गया, कि नेताओं ने "समावेशी अंतर-अफगान वार्ता" की भी मांग की ताकि वहां राजनीतिक स्थिरता, नागरिक शांति, कानून और व्यवस्था सुनिश्चित की जा सके।
घोषणा पत्र में कहा गया है कि ब्रिक्स के सभी देश "आतंकवादियों के सीमा पार आंदोलन और आतंकवाद के वित्तपोषण नेटवर्क और सुरक्षित पनाहगाहों सहित आतंकवाद का हर रूप में मुकाबला करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।"
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में गुरुवार (9 सितंबर) शाम को पांच देशों के 13वें शिखर सम्मेलन (BRICS Meet) में शांतिपूर्ण तरीकों से अफगानिस्तान में स्थिति को सुलझाने का आह्वान किया गया। शिखर सम्मेलन की घोषणा में कहा गया, कि नेताओं ने "समावेशी अंतर-अफगान वार्ता" की भी मांग की ताकि वहां राजनीतिक स्थिरता, नागरिक शांति, कानून और व्यवस्था सुनिश्चित की जा सके।
शिखर सम्मेलन का विषय "निरंतरता, समेकन और आम सहमति के लिए सहयोग" था लेकिन, ध्यान अफगानिस्तान पर केंद्रित रहा। शिखर सम्मेलन के अंत में अपनाई गई "नई दिल्ली घोषणा" ने भी "मानवीय स्थिति को संबोधित करने और महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों सहित सभी के मानवाधिकारों की रक्षा" की आवश्यकता पर जोर दिया।
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राजनीतिक मैगजीन- तथ्यों से पूर्ण, बहुत ही साफ़-सुधरी, स्तरीय, पठनीय राष्ट्रवादी साप्ताहिक राजनीतिक मैगजीन हेतु तुरंत इन्वेस्टर एवं संपादक-पार्टनर की आवश्यकता है। जिले स्तर पर रिपोर्टर, रोमिंग करेस्पोंडेंट ब्यूरो चीफ हेतु भी संपर्क करें- मो. / वाट्सएप-8109107075 ट्वीटर / Koo- @DharmNagari
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आतंकवाद से लड़ाई में अपनी प्राथमिकता-
ब्राजील-रूस-भारत-चीन और दक्षिण अफ्रीका समेत पांच देशों के समूह ने "आतंकवाद से लड़ाई में अपनी प्राथमिकताओं को भी दोहराया, जिसमें आतंकी संगठनों द्वारा अफगान क्षेत्र को आतंकी क्षेत्र के रूप में उपयोग करने और अन्य देशों के खिलाफ हमले करने के प्रयासों को रोकना शामिल है।"
ब्राजील-रूस-भारत-चीन और दक्षिण अफ्रीका समेत पांच देशों के समूह ने "आतंकवाद से लड़ाई में अपनी प्राथमिकताओं को भी दोहराया, जिसमें आतंकी संगठनों द्वारा अफगान क्षेत्र को आतंकी क्षेत्र के रूप में उपयोग करने और अन्य देशों के खिलाफ हमले करने के प्रयासों को रोकना शामिल है।"
घोषणा पत्र में कहा गया है कि ब्रिक्स के सभी देश "आतंकवादियों के सीमा पार आंदोलन और आतंकवाद के वित्तपोषण नेटवर्क और सुरक्षित पनाहगाहों सहित आतंकवाद का हर रूप में मुकाबला करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।"
शिखर सम्मेलन में इस विषय पर बहुत कड़ी टिप्पणियां रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की ओर से आईं, जिन्होंने संभावित खतरों के बारे में बताया, कि एक अस्थिर अफगानिस्तान कैसे पड़ोसी देशों के लिए खतरनाक हो सकता है।
भारत इस साल ब्रिक्स की अध्यक्षता कर रहा है। बैठक में ब्राजील के राष्ट्रपति जाइर बोलसोनारो, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, चीन के राष्ट्रपति शी चिनपिंग और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा भी उपस्थित थे। प्रधानमंत्री मोदी दूसरी बार ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे हैं। इसके पहले वर्ष 2016 में उन्होंने गोवा शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता की थी। इस वर्ष भारत उस समय ब्रिक्स की अध्यक्षता कर रहा है, जब ब्रिक्स का 15वां स्थापना वर्ष मनाया जा रहा है।
भारत इस साल ब्रिक्स की अध्यक्षता कर रहा है। बैठक में ब्राजील के राष्ट्रपति जाइर बोलसोनारो, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, चीन के राष्ट्रपति शी चिनपिंग और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा भी उपस्थित थे। प्रधानमंत्री मोदी दूसरी बार ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे हैं। इसके पहले वर्ष 2016 में उन्होंने गोवा शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता की थी। इस वर्ष भारत उस समय ब्रिक्स की अध्यक्षता कर रहा है, जब ब्रिक्स का 15वां स्थापना वर्ष मनाया जा रहा है।
- पिछले डेढ़ दशक में ब्रिक्स ने कई उपलब्धियां हासिल की हैं। आज हम विश्व की उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक प्रभावकारी आवाज़ है। विकासशील देशों की प्राथमिकताओं पर ध्यान केन्द्रित करने के लिए भी यह मंच उपयोगी रहा है,
- हमें यह सुनिश्चित करना है कि ब्रिक्स अगले 15 वर्षों में और परिणामदायी हो। भारत ने अपनी अध्यक्षता के लिए जो थीम चुना है, वह यही प्राथमिकता दर्शाता है- “BRICS at 15: Intra-BRICS Cooperation for Continuity, Consolidation and Consensus”
- यह भी पहली बार हुआ कि BRICS ने “Multilateral systems की मजबूती और सुधार” पर एक साझा position ली। हमने ब्रिक्स “Counter Terrorism Action Plan” भी एडॉप्ट किया है
पुतिन ने अफगानिस्तान के हालात पर जताई चिंता-
13वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अफगानिस्तान को लेकर बड़ा बयान दिया। पुतिन ने कहा, अफगानिस्तान अपने पड़ोसी देशों के लिए खतरा नहीं बनना चाहिए।पुतिन ने अफगानिस्तान के आतंकवाद और ड्रग स्मगलिंग का अड्डा बनने की आशंका जाहिर की।पुतिन ने आगे कहा, अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना और उसके सहयोगियों की वापसी ने एक नया संकट पैदा कर दिया है और यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि यह वैश्विक और क्षेत्रीय सुरक्षा को कैसे प्रभावित करेगा। हमारे देशों ने इस मुद्दे पर विशेष ध्यान दिया है।
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