हरतालिका तीज पर रवि योग, अखंड सुहाग के लिए तीज व्रत रखेंगी महिलाएं


रवि-योग कम करता है अशुभ प्रभाव, शुभ मुहूर्त में करें पूजा 

हरितालिका तीज-व्रत के  देवता शिव,पार्वती, उप देवता गौरी-गणेश है

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भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया को महिलाएं पति के दीर्घायु और अखंड सुहाग की कामना से हरितालिका तीज का  व्रत रखेंगी। यह तिथि इस बार 9 सितंबर को पड़ रही है। हरतालिका या हरितालिका तीज पर रवि-योग का दुर्लभ संयोग है। ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार इस योग में हर तरह के दोष और विकारों का नाश हो जाता है। इस योग में निर्जला व्रत रखकर महिलाएं पतियों के दीर्घायु के लिए भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना करेंगी। पौराणिक मान्यता के अनुसार कभी माता पार्वती ने इसी व्रत को धारण कर भगवान शिव को प्राप्त किया था। मनोवांछित वर की प्राप्ति के लिए बड़ी संख्या में कुंवारी कन्याएं भी इस व्रत को करेंगी। तीज व्रत की घर-घर में तैयारियां की गई हैं

अशुभ योगों के प्रभाव को कम करे- 
ज्योतिषियों के अनुसार इस बार तीज पर रवि-योग का दुर्लभ संयोग मिलेगा। तीज पर पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 6:10 से रात 7:54 बजे तक है। वहीं शाम 5:14 बजे से सभी प्रकार के दोषों को विनाश करने वाला रवियोग का दुर्लभ संयोग प्राप्त होगा। ज्योतिषशास्त्र में रवि योग को अत्यंत प्रभावशाली माना है। मान्यता है, इस योग में कई अशुभ योगों के प्रभाव को कम करने की क्षमता है। इस शुभ योग में रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए शिव -पार्वती की पूजा कुंवारी कन्याओं के लिए विशेष फलदायी होगी।  

तीज पूजा विधि-
- मिट्टी की वेदियों पर शिव-पार्वती और गणपति की प्रतिमाओं की प्रतिष्ठापना करें। फिर संकल्प लेकर ध्यान, पूजा करें।
- व्रत रखने वाली महिलाए भगवान शिव को फूल, बेलपत्र और शमि की पत्तियां अर्पित करें और माता पार्वती को शृंगार की वस्तुएं चढ़ाएं।
- हरितालिका तीज व्रत कथा सुनने के बाद भगवान शिव और माता पार्वती की आरती उतारने के बाद भोग लगाएं।

पूजन सामग्री- 
हरतालिका तीज व्रत पूजन सामग्री- सुहाग का पिटारा तैयार करने के लिए सिंदूर, चूड़ी, बिंदी, मेहंदी, काजल। इसके अलावा तुलसी, केला का पत्ता, आंक का फूल, मंजरी, शमी पत्र, जनैऊ, वस्त्र, फूल, अबीर, वस्त्र, फल, कुमकुम, चंदन, घी-तेल, दीपक, नारियल, माता की चुनरी, लकड़ी का पाटा, पीला कपड़ा, सुहाग पिटारा और तुलसी आदि।

दान की वस्तुएं- 
हरतालिका तीज व्रत में सुहाग का सामान चढ़ाया जाता है। जिसमें बिछिया, पायल, कुमकुम, मेहंदी, सिंदूर, चूड़ी, माहौर, कलश, घी-तेल, दीपक, कंघी, कुमकुम और अबीर आदि शामिल है।

व्रत नियम-

हरतालिका तीज व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा की जाती है। कई जगहों पर महिलाएं भगवान शिव, माता पार्वती और श्रीगणेश की कच्ची मूर्ति से प्रतिमा बनाती हैं। ये व्रत निर्जला और निराहार रखा जाता है। इस व्रत में अन्न और जल ग्रहण करना मना होता है। व्रत का पारण अगले दिन यानी चतुर्थी तिथि में किया जाता है। व्रत रखने वाली महिलाओं को हरतालिका तीज व्रत कथा जरूर सुननी चाहिए।
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