68 साल बाद एयर इंडिया की "घर वापसी" टाटा सन्स ने 18 हजार करोड़ रु में खरीदा #AirIndia
Tata Sons wins bid for acquiring national carrier Air India
#सोशल_मीडिया में प्रतिक्रिया...
(धर्म नगरी / DN News वाट्सएप 8109107075 -न्यूज़, कवरेज, विज्ञापन, कॉपी भिजवाने हेतु)
टाटा सन्स समूह ने एयर इंडिया के अधिग्रहण की बोली जीत ली है। टाटा सन्स ने एयर इंडिया के लिए 18 हजार करोड़ रुपये की बोली लगाई थी।
निवेश और लोक परिसम्पत्ति प्रबंधन विभाग-दीपम के सचिव तुहिन कांत पांडे ने आज (8 अक्टूबर) नई दिल्ली में बताया, इस बोली के अंतर्गत 15 हजार 300 करोड़ रु ऋण चुकाने के रूप में और दो हजार 700 करोड रु नकद प्रदान किए जाएंगे। बोली के अंतर्गत एयर इंडिया और इसकी सहयोगी इकाई एयर इंडिया एक्सप्रेस की शत-प्रतिशत हिस्सेदारी के अलावा, एयर इंडिया की ग्राउंड हैंडलिंग सेवाएं देने वाली कम्पनी एयर इंडिया सैट्स एयरपोर्ट सर्विसेज़ प्राइवेट लिमिटेड में 50% हिस्सेदारी भी टाटा सन्स को मिलेगी।
मंत्री समूह ने चार अक्टूबर की बैठक में दी स्वीकृति-
गृहमंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की मंत्री समूह की चार अक्टूबर को हुई बैठक में इस सौदे को स्वीकृति दी गई।
नागरिक उड्डयन सचिव राजीव बंसल ने एयर इंडिया के कर्मचारियों के बारे में बताया, टाटा सन्स एक वर्ष तक सभी कर्मचारियों को यथावत बनाए रखेगा, जबकि दूसरे वर्ष में स्वेच्छिक सेवानिवृत्ति जैसी योजनाओं का विकल्प दिया जा सकता है।
राष्ट्रीयकरण से पहले टाटा समूह के पास ही था परिचालन-
एयर इंडिया का राष्ट्रीयकरण होने से पहले इसका परिचालन टाटा समूह के पास ही था। 1932 में प्रसिद्ध उद्योगपति जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा ने एयर इंडिया की स्थापना की थी। 1938 में एयर इंडिया ने यात्री सेवाओं का विस्तार करके अंतरराष्ट्रीय परिचालन की शुरूआत की। कोलंबो को अपनी गन्तव्य सूची में जोड़ने के साथ एयर लाइन्स का नाम बदल कर टाटा एयर सर्विसेज और बाद में टाटा एयरलाइन्स कर दिया गया। बर्मा में द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान ब्रिटिश रॉयल एयर फोर्स के स्पोर्ट मिशन के लिए उडान भरी और युद्ध समाप्त होने के बाद इसका नाम बदल कर एयर इंडिया कर दिया गया। केंद्र सरकार ने जल्द ही एयर इंडिया में अपनी रुची दिखाई और उसमें 49 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीद ली। 1953 में सरकार ने टाटा सन्स से एयर इंडिया का अधिग्रहण किया और इसका राष्ट्रीयकरण कर दिया गया। बाद में लगातार बढ़ते घाटे के कारण सरकार ने एयर इंडिया के विनिवेश करने की योजना तैयार की।
Department of Investment and Public Asset Management (DIPAM) Secretary Tuhin Kanta Pandey while addressing a press conference in New Delhi said that the winning bid comprises of taking over of 15 thousand 300 crore rupees debt and paying rest by cash.
Inter-Ministerial Group cleared the winning bid
He said, the transaction is expected to be completed by December 2021. An Inter- Ministerial Group comprising Home Minister Amit Shah, Finance Minister Nirmala Sitharaman, Commerce Minister Piyush Goyal and Civil Aviation Minister Jyotiraditya Scindia cleared the winning bid for Air India on 4th of October.
Tata Group had earlier run Air India before it goes nationalised. The Tata Group-Air India relationship went back to 1932 when legendary industrialist Jehangir Ratanji Dadabhoy had launched the national carrier. The airlines soon expanded to passenger aircraft and in 1938 it started flying overseas. With the Air Corporations Act in 1953, the government took over the company from Tata Sons and nationalised it. Now, in view of mounting debt, the Union government once again had invited bids for strategic disinvestment of 100 per cent stake of the government in the airline last year.
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टाटा सन्स समूह ने एयर इंडिया के अधिग्रहण की बोली जीत ली है। टाटा सन्स ने एयर इंडिया के लिए 18 हजार करोड़ रुपये की बोली लगाई थी।
निवेश और लोक परिसम्पत्ति प्रबंधन विभाग-दीपम के सचिव तुहिन कांत पांडे ने आज (8 अक्टूबर) नई दिल्ली में बताया, इस बोली के अंतर्गत 15 हजार 300 करोड़ रु ऋण चुकाने के रूप में और दो हजार 700 करोड रु नकद प्रदान किए जाएंगे। बोली के अंतर्गत एयर इंडिया और इसकी सहयोगी इकाई एयर इंडिया एक्सप्रेस की शत-प्रतिशत हिस्सेदारी के अलावा, एयर इंडिया की ग्राउंड हैंडलिंग सेवाएं देने वाली कम्पनी एयर इंडिया सैट्स एयरपोर्ट सर्विसेज़ प्राइवेट लिमिटेड में 50% हिस्सेदारी भी टाटा सन्स को मिलेगी।
मंत्री समूह ने चार अक्टूबर की बैठक में दी स्वीकृति-
गृहमंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की मंत्री समूह की चार अक्टूबर को हुई बैठक में इस सौदे को स्वीकृति दी गई।
नागरिक उड्डयन सचिव राजीव बंसल ने एयर इंडिया के कर्मचारियों के बारे में बताया, टाटा सन्स एक वर्ष तक सभी कर्मचारियों को यथावत बनाए रखेगा, जबकि दूसरे वर्ष में स्वेच्छिक सेवानिवृत्ति जैसी योजनाओं का विकल्प दिया जा सकता है।
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एयर इंडिया का राष्ट्रीयकरण होने से पहले इसका परिचालन टाटा समूह के पास ही था। 1932 में प्रसिद्ध उद्योगपति जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा ने एयर इंडिया की स्थापना की थी। 1938 में एयर इंडिया ने यात्री सेवाओं का विस्तार करके अंतरराष्ट्रीय परिचालन की शुरूआत की। कोलंबो को अपनी गन्तव्य सूची में जोड़ने के साथ एयर लाइन्स का नाम बदल कर टाटा एयर सर्विसेज और बाद में टाटा एयरलाइन्स कर दिया गया। बर्मा में द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान ब्रिटिश रॉयल एयर फोर्स के स्पोर्ट मिशन के लिए उडान भरी और युद्ध समाप्त होने के बाद इसका नाम बदल कर एयर इंडिया कर दिया गया। केंद्र सरकार ने जल्द ही एयर इंडिया में अपनी रुची दिखाई और उसमें 49 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीद ली। 1953 में सरकार ने टाटा सन्स से एयर इंडिया का अधिग्रहण किया और इसका राष्ट्रीयकरण कर दिया गया। बाद में लगातार बढ़ते घाटे के कारण सरकार ने एयर इंडिया के विनिवेश करने की योजना तैयार की।
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Tata Sons wins bid for acquiring national carrier Air India
Tata Sons group has won the bid for acquiring national carrier Air India. Tata Sons made a winning bid of 18 thousand crore rupees for Air India. Talace Private Ltd, which is a wholly owned subsidiary Tata Sons has emerged as successful bidder for acquiring Air India beating a Consortium led by Ajay Singh whose bid was 15 thousand 100 crore rupees. Both the bidders had quoted above the reserve price of 12,906 crore rupees.
Department of Investment and Public Asset Management (DIPAM) Secretary Tuhin Kanta Pandey while addressing a press conference in New Delhi said that the winning bid comprises of taking over of 15 thousand 300 crore rupees debt and paying rest by cash.
Inter-Ministerial Group cleared the winning bid
He said, the transaction is expected to be completed by December 2021. An Inter- Ministerial Group comprising Home Minister Amit Shah, Finance Minister Nirmala Sitharaman, Commerce Minister Piyush Goyal and Civil Aviation Minister Jyotiraditya Scindia cleared the winning bid for Air India on 4th of October.
Tata Group had earlier run Air India before it goes nationalised. The Tata Group-Air India relationship went back to 1932 when legendary industrialist Jehangir Ratanji Dadabhoy had launched the national carrier. The airlines soon expanded to passenger aircraft and in 1938 it started flying overseas. With the Air Corporations Act in 1953, the government took over the company from Tata Sons and nationalised it. Now, in view of mounting debt, the Union government once again had invited bids for strategic disinvestment of 100 per cent stake of the government in the airline last year.
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#सोशल_मीडिया में प्रतिक्रिया...
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DIPAM Secretary, Mr Tuhin Kanta Pandey says taxpayers have put in Rs 110,276 crores into #AirIndia since 2009 to fund losses.
Just imagine what PM Modi has saved for India.
#AirIndiaDisinvestment -@Tejasvi_Surya
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Story of #AirIndia -@rishibagree
how Air India used during congress tenure.. -@PathakMedia
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... Coloum to be updated
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