#Haryana : सरकारी कर्मचारियों के राजनीति व चुनाव में भाग लेने पर प्रतिबंध, लेकिन...


आरएसएस की गतिविधियों में हिस्सा ले सकेंगे
- संघ पर 1967, 1980 में लगाए प्रतिबंध वापस लिए
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हरियाणा सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के राजनीति और चुनाव में भाग लेने पर प्रतिबंध लगा दिया है। वहीं, संघ को राजनीतिक संगठन मानने वाले तत्कालीन सरकारों के 1967, 1980 में लगाए प्रतिबंध वाले आदेश सोमवार को वापस ले लिए। इससे हरियाणा के सरकारी कर्मचारी अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की गतिविधियों में हिस्सा ले सकेंगे।

राजनीति और चुनाव में भाग लेने पर प्रतिबंध- 
हरियाणा सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को चेताया है, कि राजनीतिक गतिविधियों में उनकी संलिप्तता व सक्रियता स्वीकार्य नहीं है। वे राजनीति में सक्रिय किसी संगठन के साथ नहीं जुड़ सकते, न ही घर पर किसी दल, संगठन या मार्चे का झंडा लगा सकेंगे, जो राजनीति कर रहा हो। इसके साथ वो किसी दल या संगठन को चंदा नहीं दे सकेंगे। ऐसे मामलों में संलिप्तता पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। मुख्य सचिव (Chief Secretary) कार्यालय से अधिसूचना जारी के अनुसार, आदेश के उल्लंघन पर तुरंत कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। कोई भी सरकारी कर्मचारी किसी राजनीतिक दल या राजनीति में भाग लेने वाले संगठन का सदस्य नहीं हो सकता। उन्हें किसी भी राजनीतिक आंदोलन या गतिविधियों में सहयोग नहीं करना चाहिए। किसी भी सरकारी कर्मचारी का अपने वाहन या आवास पर कोई चुनावी चिन्ह लगाना, चुनाव में अपने प्रभाव का उपयोग करना माना जाएगा।

संघ को गैर राजनीतिक संगठन बताया-
हरियाणा के सरकारी कर्मचारी अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की गतिविधियों में सम्मिलित हो सकेंगे। प्रदेश सरकार संघ को गैर राजनीतिक संगठन मानती है। संघ को राजनीतिक संगठन मानने वाले तत्कालीन सरकारों के 1967, 1980 में लगाए गए प्रतिबंध वाले आदेश सोमवार को वापस ले लिए गए। राजनीति में कर्मचारियों के हिस्सा लेने, प्रचार करने व वोट मांगने पर अब भी रोक रहेगी।

मुख्य सचिव कार्यालय की ओर से सामान्य प्रशासन विभाग ने सोमवार को इस संबंध में सभी प्रशासनिक सचिवों, विभागाध्यक्षों, बोर्ड-निगमों के मुख्य प्रशासकों, प्रबंध निदेशकों, मंडलायुक्तों, डीसी, सभी विवि के रजिस्ट्रार व पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को निर्देश जारी कर दिए। इसमें हरियाणा सिविल सेवा (सरकारी कर्मचारी  आचरण) नियम-2016 के नियम संख्या 9 और 10 की अनुपालना कड़ाई से सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है। ताजा पत्र अनुसार अब आरएसएस प्रदेश में प्रतिबंधित संगठन नहीं है।

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1970 में कार्रवाई न करने के दिए थे निर्देश
तत्कालीन हरियाणा सरकार ने 11  जनवरी 1967 को सरकारी  कर्मचारियों को आरएसएस की गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रतिबंधित कर दिया था। पंजाब सरकारी कर्मचारी (आचार) नियमावली-1966  (तब  हरियाणा पर भी लागू)  के नियम 5 (1) के तहत आरएसएस को   राजनीतिक संगठन माना गया था। इसकी गतिविधियों में भाग लेने पर सरकारी कर्मचरियों के विरुद्ध नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए थे। 

एक अन्य सरकारी आदेश में (4  मार्च 1970 को) कार्रवाई करने पर रोक लगा दी गई, चूंकि मामला सुप्रीम कोर्ट में भी लंबित था। इसके बाद 2 अप्रैल 1980 को अन्य सरकारी पत्र में स्पष्ट किया गया, मामला लंबित होने के बावजूद हरियाणा में आरएसएस की गतिविधियों में भाग लेने पर सरकारी कर्मचारियों के  विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है।
 
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार के अनुसार, 5 मार्च 2019 को हरियाणा के मुख्य सचिव कार्यालय के सामान्य प्रशासन विभाग में एक आरटीआई लगाई थी। पहले बिंदु के जवाब में उन्हें सरकार ने वर्ष 1967, 1970 और 1980 में जारी सरकारी पत्रों की प्रतियां प्रदान की। साथ में हरियाणा सिविल सेवा (सरकारी कर्मचारी  आचरण ) नियम-2016 के नियम संख्या 9 और 10 का भी हवाला दिया। इसके अतिरिक्त 2 अप्रैल 1980 के जारी सरकारी पत्र में बारे में भी बताया था।

ऐसे एसोसिएशन में सम्मिलित होने पर प्रतिबंध- 
कोई भी सरकारी कर्मचारी ऐसे किसी भी एसोसिएशन में शामिल नहीं होगा या उसका सदस्य नहीं रहेगा, जिसका उद्देश्य या गतिविधियां भारत की संप्रभुता, अखंडता, सार्वजनिक व्यवस्था या नैतिकता के हित के लिए हानिकारक हैं। कोई भी सरकारी कर्मचारी राज्य स्तर पर और राष्ट्रीय स्तर पर एक से अधिक ऐसे एसोसिएशन का सदस्य व पदाधिकारी नहीं होगा, जिसके उद्देश्य या लक्ष्य खेल के प्रचार से संबंधित हों। खेल विभाग के कर्मचारी केवल अपनी विशिष्टता, विषय के क्षेत्र में ही राज्य स्तर पर एक एसोसिएशन और राष्ट्रीय स्तर पर एक एसोसिएशन के सदस्य, पदाधिकारी बन सकते हैं।
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RSS / जमात-ए-इस्लामी की गतिविधियों को लेकर पत्र-
11 जनवरी, 1967 को तत्कालीन मुख्य सचिव के कार्यालय ने “सरकारी कर्मचारियों को आरएसएसएस/जमात-ए-इस्लामी की गतिविधियों से जोड़ना” विषय पर सभी विभागों के प्रमुखों को एक पत्र जारी किया था। इसमें लिखा था-

“मुझे पंजाब सरकार के कर्मचारी (आचरण) नियम, 1966 के उप नियम (1) या नियम (5) की ओर ध्यान आकर्षित करने का निर्देश दिया गया है, जिसके तहत कोई भी सरकारी कर्मचारी किसी भी कर्मचारी का सदस्य नहीं होगा या अन्यथा उससे जुड़ा नहीं होगा। राजनीतिक दल या कोई भी संगठन जो राजनीति में भाग लेता है और न ही किसी राजनीतिक आंदोलन या किसी गतिविधि में भाग लेता है, सहायता में सदस्यता लेता है, या किसी अन्य तरीके से सहायता करता है। 

यह स्पष्ट किया जाता है कि सरकार ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और जमात-ए-इस्लामी की गतिविधियों को हमेशा इस तरह का माना है कि सरकारी कर्मचारियों द्वारा उनमें भागीदारी नियम के उप-नियम (1) के प्रावधानों को आकर्षित करेगी। पंजाब सरकार के कर्मचारी (आचरण) नियम-1966 के 5. कोई भी सरकारी कर्मचारी जो उपरोक्त संगठनों का सदस्य है या अन्यथा उनसे जुड़ा है या उनकी गतिविधियों के साथ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए उत्तरदायी है। अनुरोध है कि उपरोक्त स्थिति को आपके नियंत्रण में आने वाले सभी सरकारी कर्मचारियों के ध्यान में लाया जाए।

Govt employees can't participate in Politics and Elections
Haryana has banned government employees from participating in politics and elections. A notification has been issued from the office of the chief secretary in this regard. A government spokesperson said, any violation of the order will invite immediate and strict disciplinary action. As per the notification, no government employee should be a member of any political party or any organisation, which takes part in politics. They should also not aid or assist any political movement or activity. Display of any electoral symbol by a government employee on his person, vehicle or residence will amount to using his influence in connection with an election, the spokesperson said.
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