#KarwaChauth2021 : ऐसे रखें व्रत, करें पूजा, कथा अवश्य पढ़ें, कुछ बातों का रखें विशेष ध्यान...

  सुहागिन महिलाओं का सबसे बड़ा पर्व- करवा चौथ

- Karwa Chauth : Married women's observe fast for their          Husband 
- विशेष अवसर पर मेहंदी क्यों लगते हैं, पढ़ें हिन्दू लोक कथा...

करवा चौथ पर चंद्र दर्शन करतीं सीमा पर तैनात भारतीय सेना की महिलाएं (फाइल फोटो) @DharmNagari    
धर्म नगरी / DN News (वाट्सएप 8109107075 -न्यूज़, कवरेज, विज्ञापन व सदस्यों हेतु)
महिलाओं के लिए सबसे बड़े त्यौहारों में एक करवा चौथ का व्रत माना जाता है, जिसे अधिकांश सुहागिन महिलाएं पति की दीर्घायु की कामना के साथ निर्जला व्रत रखती हैं। कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सुहागिन महिलाओं का सबसे बड़ा पर्व इस वर्ष यह त्यौहार 24 अक्टूबर (रविवार) है। यह व्रत सौभाग्य की वृद्धि करने वाला और उत्तम व्रतों में से एक माना जाता है। वर्षभर के सभी व्रत-त्यौहारों से सबसे अलग इस व्रत में चद्र दर्शन का विशेष महत्व होता है अगर इस दिन आप चंद्रमा का दर्शन नहीं करते, तो यह व्रत अधूरा रह जाता है।

पति की मंगल कामना और सुखी दांपत्य जीवन के लिए सुहागिन स्त्रियां इस दिन निर्जल उपवास करती है। पौराणिक कथाओं में माना जाता है, इस व्रत और अपने पतिव्रता होने के कारण ही सती सावित्री अपने पति को यमराज से वापस ले आई थी। इस व्रत को पूरे विधि-विधान के साथ ही रखना चाहिए। यदि ऐसा न किया जाए, तो इसका विपरीत प्रभाव पति के जीवन पर पड़ता है। इसलिए करवा चौथ का व्रत करने वाली महिलाओं को इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए, कि व्रत में किसी प्रकार की कोई भूल न हो।

करवा चौथ के दिन पति की लंबी आयु के लिए महिलाएं व्रत रखती हैं। शाम को 16 श्रृंगार करके महिलाएं चंद्रमा निकलने के बाद शिव-परिवार और चंद्रमा का पूजन करते हुए अर्घ्य देती। उसके बाद चंद्रमा का छलनी के अंदर से दर्शन करती हैं 
और पति को तिलक करके, उनके पैर छूकर आशीर्वाद लेती हैं। पति के हाथों से जल ग्रहण करते हुए अपना व्रत खोलती हैं और अपनी सास का पैर छूकर आशीर्वाद लेकर, व्रत पूरा करती हैं। 


करवा चौथ व्रत के नियम-
विवाहित स्त्रियां और जिनका विवाह होने वाला है केवल वहीं इस व्रत को करें। करवा चौथ व्रत में लाल या पीले रंग के कपड़े पहनना विशेष फलदायी होता है। करवा चौथ का व्रत सूर्योदय से चंद्रोदय तक रखा जाता है। यदि कोई स्त्री इस नियम का पालन नहीं करती है तो चौथ माता उससे असंतुष्ट हो जाती है। करवा चौथ व्रत निर्जल या केवल जल ग्रहण करके ही रखना चाहिए। यदि निर्जल व्रत करने में सक्षम हो तो निर्जल रखना विशेष लाभदायक होता है। चूँकि यह व्रत पति के लिए किया जाता है, इसलिए इस दिन व्रती महिला को श्रृंगार अवश्य करना चाहिए। करवा चौथ का व्रत रजोनिवृति (पीरियडस) में भी किया जाना चाहिए। इस व्रत को सुहागिन महिलाओं के लिए इतना आवश्यक माना गया है कि गर्भावती महिलाओं को इस व्रत करना जरूरी बताया गया है।

करवा चौथ (फोटो- सोशल मीडिया)  
व्रत का संकल्प-
इस दिन सुबह नित्यकर्मों से निवृत्त होकर प्रतिदिन की भांति इस दिन भी देवी-देवताओं की पूजा करें। व्रत रखने वाली महिलाओं को प्रात:काल स्नानादि के बाद 
भगवान शिव और माता पार्वती के समक्ष व्रत का संकल्प लें। "मम् सुख सौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रत महं करिष्ये" पति, पुत्र-पौत्र तथा सुख सौभाग्य की इच्छा का संकल्प लेकर यह व्रत करना चाहिए। या संकल्प के समय आप अपना नाम लेकर कहें- मैं पति की लंबी आयु व सुरक्षा और अखंड सौभाग्य की, अक्षय संपत्ति की प्राप्ति के लिए आज करवा चौथ का व्रत करूंगी। आप व्रत निराहार रहेंगी फलाहार के साथ रहेंगी या निर्जला, ये भी बोलें। इसके बाद संकल्प में कही बात का व्रत में पालन करें। सर्वश्रेष्ठ होगा, यदि आप व्रत निर्जला रहें। 

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शाम को चन्द्रोदय के कुछ पूर्व एक पटले पर कपड़ा बिछाकर उस पर मिट्टी से शिवजी, पार्वती जी, कार्तिकेय जी और चन्द्रमा की छोटी-छोटी मूर्तियां बनाकर अथवा करवा चौथ के छपे चित्र लगाकर कर पटले के पास पानी से भरा लोटा और करवा रख कर करवा चौथ की कहानी सुनी जाती है कहानी सुनने से पूर्व करवे पर रोली से एक सतिया बनाकर उस पर रोली से 13 बिन्दियां लगाई जाती हैं, हाथ पर गेहूं के 13 दाने लेकर कथा सुनी जाती है और चन्द्रमा निकलने पर उसे अर्ध्य दिया जाता है। 

पूजा में एक तांबे या मिट्टी के पात्र में चावल, उड़द की दाल, सुहाग की सामग्री जैसे- सिंदूर, चूडियां, कंघी, बिंदी और रुपए रखकर इसे अपनी सास या आयु में किसी बड़ी सुहागिन महिला को देते हुए उनके पैर छूकर आशीर्वाद लें। रात में जब पूर्ण चंद्रोदय हो जाए तब चंद्रमा को छलनी से देखकर अर्घ्य दें। चंद्र देव की आरती उतारें और अपने पति को भी छलनी से देखें। फिर उनकी पूजा कर पैर छूएं। इसके बाद पति के हाथों से जल पीएं और इसके बाद व्रत का पारण करें।

सींक का पूजा में विशेष महत्व-
करवा चौथ व्रत में सींक का विशेष महत्व होता है, क्योंकि करवा माता की तस्वीर के अलावा सींक भी माता के शक्ति का प्रतीक माना जाता है। सींक का करवा चौथ की पूजा में विशेष महत्व होता है, बिना करवा के करवा चौथ की पूजा का कोई अर्थ नहीं होता। इसलिए मिट्टी का करवा जरूर होना चाहिए। करवा को पवित्र नदी के प्रतीक रूप में पूजा जाता है।

करवा चौथ व्रत कथा सुनने के नियम-
करवा चौथ व्रत कथा सुनते समय साबूत अनाज और मीठा साथ में रखें। करवा चौथ में व्रती महिलाओं के साथ थाली बंटाने या घूमाने का विशेष महत्व होता है। इसमें लगभग सात सुहागन आपस में थालियां बंटाती हैं। यह तब तक किया जाता है, जब तक उनकी थाली उनके पास नहीं पहुंच जाती। कहानी सुनते समय जयकारा अवश्य लगाना चाहिए। 

बहू को कथा सुनने के बाद सास के लिए बायना निकालना होता है। जिसमें मठियां, गुलगुले आदि खाने योग्य सामान और वस्त्र-आभूषण आदि होते है। सुहाग का सामान, पानी का लोटा, जिसके ऊपर कुछ अनाज हो और शगुन में पैसे अवश्य रखें। बायना देते समय सास के चरण स्पर्श अवश्य करें। 

जब बहू व्रत शुरू करती है, तो सास उसे करवा देती है। उसी तरह बहू भी सास को करवा देती है। जब आप पूजा करते हो, कथा सुनते हो, उस समय आपको दो करवे रखने होते हैं- पहला, जिससे आप अर्घ्य देते हो यानी जिसे आपकी सास ने दिया था और दूसरा, जिसमें पानी भरकर आप बायना देते समय अपनी सास को देती हैं। सास उस पानी को किसी पौधे में डाल देती हैं और अपने पानी वाले लोटे से चन्द्रमा को अर्घ्य देती हैं। मिट्टी का करवा न हो तो आप स्टील के लोटे का प्रयोग भी कर सकती हैं। एक ही लोटा अगली बार भी प्रयोग कर सकती हैं, केवल उसमें बंधी मौली बदल दें। उस पर ॐ और स्वस्तिक बना लें।

शुभ मुहूर्त, चंद्रोदय काल-
व्रत तिथि- 24 अक्टूबर (रविवार) 2021
चतुर्थी तिथि आरंभ- 24 अक्टूबर (रविवार) सुबह 3:01 मिनट से
चतुर्थी तिथि समाप्त- 25 अक्टूबर (सोमवार) सुबह 5: 43 मिनट बजे
चंद्रोदय का समय- 8:07 मिनट पर (स्थान के अनुसार समय में परिवर्तन)

करवा चौथ पर चंद्रोदय का समय- (Moonrise Time 24 October)-
चन्द्रमा सभी स्थानों पर लगभग 8 बजकर 07 मिनट से दिखाई देना शुरू हो जाएगा, लेकिन अलग-अलग स्थानों पर चंद्रमा आगे पीछे भी हो सकता है...
कोलकाता- 7:34 मिनट पर
पटना- 7:46 मिनट पर
प्रयागराज, लखनऊ- 7:56 मिनट पर
कानपुर- 8:00 मिनट पर
मेरठ, चंडीगढ़- 8:03 मिनट पर
नोएडा, गाजियाबाद 8:06 मिनट पर
दिल्ली, लुधियाना- 8:07 मिनट पर
हरियाणा- 8:10 मिनट पर
मुंबई- 8:45 मिनट पर
इंदौर- 8:56 मिनट पर
मुरादाबाद– 7:58 मिनट पर
जयपुर- 8:17 मिनट पर

व्रत में इसे रखें-
करवा चौथ पर निर्जल व्रत रख रही हों, तो अपनी सरगी में इन चीजों को वस्तुओं को अवश्य रखें। करवाचौथ के व्रत की शुरुआत सूर्योदय से पहले सरगी खाकर की जाती है, ताकि करवाचौथ वाले दिन महिलाओं के शरीर में ऊर्जा (energy) बनी रहे। यदि आप पहली बार करवाचौथ का व्रत रखने जा रही हैं, तो आपके लिए निर्जल व्रत रख पाना थोड़ा कठिन हो सकता है। इसलिए उन चीजों सरगी में शामिल करेन, जिससे आपकी भूख-प्यास नियंत्रित रहेगी और आप सहजता से अपने व्रत को पूर्ण कर पाएंगी।
पौष्टिक आहार- पौष्टिक आहार के रूप में आप खिचड़ी, वेजिटेबल उपमा या पोहा अथवा सब्जी के साथ मल्टीग्रेन चपाती भी खा सकती है। इससे आपके शरीर को पोषण मिलेगा और पेट लंबे समय तक भरा रहेगा। कोई भी फ्राई चीज खाने से बचें, वरना आपको प्यास बहुत लगेगी।
दूध से बनी मिठाई- 
सरगी में आप दूध से बनी कोई मिठाई जैसे सेवई, खीर या रबड़ी आदि को अवश्य रखें। दूध में भरपूर प्रोटीन होता है, जो आपके शरीर में ऊर्जा को बनाए रखता है। इसलिए दूध से बनी कोई चीज अवश्य खाएं। अन्यथा एक गिलास दूध ही पी लें।
सूखे मेवे (Dry fruits)- व्रत रखने से पहले ड्राई फ्रूट्स जैसे बादाम, किशमिश, काजू आदि खा सकती हैं, जो आपके शरीर में दिनभर की एनर्जी को स्टोर करने का काम करेगा और शुगर लेवल को कंट्रोल में रखेंगे। इससे आपको दिनभर पेट भरा हुआ लगेगा, शरीर में एनर्जी भी रहेगी।
फल- फल जल्दी पच जरूर जाते हैं, पर ये आपको काफी मिनरल्स देते हैं, जिनके सहारे आप करवाचौथ का दिन बिना कुछ खाए-पीए भी बिता सकती हैं। आप केला, पपीता, अनार, बेरिज, सेब जैसे फलों को शामिल कर सकती हैं।
नारियल पानी- नारियल पानी पोषक तत्वों का खजाना होता है। व्रत वाले दिन आप पानी नहीं पी सकतीं, इसलिए सूर्योदय से पहले नारियल पानी पीएं। इससे शरीर को पोषण मिलने के साथ प्यास भी नियंत्रित रहेगी।
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करवा चौथ को ये न करें- 
- व्रत का आरम्भ सूर्योदय के साथ माना जाता, इसलिए भूलकर भी इस दिन देर तक न सोएं,
- पूजा-पाठ में भूरे और काले रंग के कपड़े पहनना अशुभ मानते हैं, इसलिए इस (करवा चौथ) दिन लाल या पीले रंग के कपड़े ही पहनें, क्योंकि लाल रंग प्यार का प्रतीक है और पति-पत्नी के इस प्रेम के प्रतीक व्रत में लाल रंग आपसी प्रेम को और बढ़ाएगा,
- इस पवित्र दिन न स्वयं सोएं और न किसी सोए हुए व्यक्ति को जगाएं। मान्यता है, करवा चौथ के दिन किसी भी सोते हुए व्यक्ति को नींद से जगाना शुभ नहीं माना जाता है,
- करवा चौथ पर सास द्वारा दी सरगी शुभ मानी जाती है व्रत शुरू होने से पहले सास अपनी बहू को कुछ मिठाइयां, कपड़े और ऋंगार का समान देती है। इस दिन सूर्योदय से पूर्व सरगी का भोजन करें और फिर पूरे दिन निर्जला-व्रत रहकर पति की दीर्घायु की कामना करें,
- व्रत करने वाली महिलाएं इस दिन अपनी भाषा पर नियंत्रण रखे, महिलाओं को घर में किसी बड़े भी का अपमान न करें,  
- शास्त्रानुसार, करवाचौथ व्रत के दिन पति-पत्नी को आपस में झगड़ा नहीं करना चाहिए। कहते हैं, झगड़ा करने पर आपको व्रत का फल नहीं मिलता,
- इस दिन किसी श्वेत वास्तु का दान भूलकर भी न करें। सफेद कपड़े, सफेद मिठाई, दूध, चावल, दही आदि को भूलकर भी किसी को न दें।

छलनी से क्यों देखते हैं चन्द्रमा ?
इसके पीछे एक कथा है, एक परंपरा है। कहा जाता है, कि एक साहूकार के 7 बेटे थे और एक बेटी थी
एक बार साहूकार की बेटी ने अपने मायके में पति की लंबी आयु के लिए करवा चौथ का व्रत रखा, लेकिन भूख और प्यास से उसकी हालत खराब होने लगी सातों भाई अपनी इकलौती बहन से बहुत प्यार करते थे। उनसे बहन का ये हाल देखा नहीं गया। उन्होंने चन्द्रमा निकलने से पहले ही एक पेड़ की आड़ में छलनी के पीछे एक जलता हुआ दीपक रखकर बहन को कहा, कि चन्द्रमा निकल आया है। बहन ने छलनी में रखे उस दीपक की रोशनी को चांद समझ लिया और अर्घ्य देकर अपना व्रत खोल लिया। भाइयों ने छल से उनका चौथ का व्रत खुलवा दिया। इससे करवा माता उससे रुठ गईं और कुछ देर में उसके पति की मृत्यु हो गई।

इसके बाद महिला को अपनी भूल का अनुभव हुआ हुआ और उसने माता से अपनी भूल की क्षमा मांगी। फिर उसने अगले साल कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को व्रत रखा। किसी भी तरह के छल से बचने के लिए उसने स्वयं ही हाथ में छलनी लेकर, उसमें दीपक रखकर चंद्र देव के दर्शन किए। इसके बाद उसका पति जीवित हो गया। मान्यता है, कि तभी से छलनी को हाथ में लेकर चांद को निहारने की प्रथा की शुरुआत हो गई।

पौराणिक कथा-
पौराणिक कथाओं के अनुसार करवाचौथ के व्रत का उद्गम उस समय हुआ, जब देव-दानवों के बीच भयंकर युद्ध चल रहा था और युद्ध में देवता परास्त होते दिख रहे थे। तब देवताओं ने ब्रह्माजी से इसका कोई उपाय करने की प्रार्थना की। ब्रह्माजी ने देवताओं की करुण पुकार सुनकर उन्हें कहा, अगर आप सभी देवों की पत्नियां सच्चे और पवित्र हृदय से अपने पतियों के लिए प्रार्थना एवं उपवास करें, तो देवता दैत्यों को परास्त करने में सफल होंगे। ब्रह्माजी का सुझाव मानकर सभी देव पत्नियों ने कार्तिक मास की चतुर्थी को व्रत किया और रात्रि के समय चंद्रोदय से पहले ही देवता युद्ध जीत गये।तब चंद्रोदय के पश्चात दिनभर से भूखी-प्यासी देव पत्नियों ने अपना व्रत खोला। ऐसी मान्यता है, कि तभी से करवा चौथ व्रत किये जाने की परंपरा आरंभ हुई।

कथा अवश्य पढ़ें-
पौराणिक कथा के अनुसार, इंद्रप्रस्थपुर के एक शहर में वेदशर्मा नाम का एक ब्राह्मण रहता था। उसके सात पुत्र और वीरावती नाम की एक पुत्री थी। इकलौती बेटी होने के कारण वो सभी की लाडली थी
 जब वीरावती विवाह के योग्य हो गई, तो उसके पिता ने उसका विवाह एक ब्राह्मण युवक से कर दिया।

विवाह के बाद वीरावती अपने मायके आयी हुई थी, तभी करवा चौथ का व्रत पड़ा
 वीरावती अपने माता-पिता और भाइयों के घर पर ही थी उसने पहली बार पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखा, लेकिन वो भूख प्यास बर्दाश्त नहीं कर पाई और मूर्छित होकर जमीन पर गिर पड़ी। बहन का कष्ट उसके सात भाइयों से देखा नहीं गया। ऐसे में उन्होंने छलनी में एक दीपक रखकर उसे पेड़ की आड़ से दिखाया। बेहोश हुई वीरावती जब जागी, तो उसे बताया कि चंद्रोदय हो गया है। छत पर जाकर चांद के दर्शन कर ले। वीरावती ने चंद्र दर्शन कर पूजा-पाठ किया और भोजन करने के लिए बैठ गई।

पहले कौर में बाल आया, दूसरे में छींक आई और तीसरे कौर में उसे अपने सुसराल वालों से निमंत्रण मिला। ससुराल के निमंत्रण पाकर वीरावती एकदम से ससुराल की ओर भागी और वहां जाकर उसने अपने पति को मृत पाया। पति की हालत देखकर वो व्याकुल होकर रोने लगी। उसकी हालत देखकर इंद्र देवता की पत्नी देवी इंद्राणी उसे सांत्वना देने पहुंची और उसे उसकी भूल को बताया। साथ ही करवा चौथ के व्रत के साथ-साथ पूरे साल आने वाली चौथ के व्रत करने की सलाह दी। वीरावती ने ऐसा ही किया और व्रत के पुण्य से उसके पति को पुन: जीवनदान मिल गया।

Karwa Chauth : Married women's observe fast for their Husband 
The festival of Karwa Chauth will take place on October 24 this year. It is one of the most important festivals for Hindu women. Traditionally, on this day, married women observe a one-day fast for their husbands and pray for their good health and long life. They worship the moon. However, these days many unmarried women also observe fast and pray for their future husbands. Women make sure to dress their best on this day.

They do the Solah Shringar (16-embellishments) which includes putting flowers in the hair, Bindi, kajal, earrings, necklace, bangles, mehendi and many more things.

Applying Mehendi or Henna is one of the important customs that is followed by most women. There are several types of Mehendi styles that are available in the market these days. From Moroccan mehndi pattern, Arabic mehendi designs, Indo-Arabic mehendi designs, minimal designs, full designs to many more, the list is endless. To avoid the hassle of Henna, these days readymade Mehendi tattoos are also available online.

As you gear to celebrate the festival this year, we bring to you a list of the latest and most popular mehendi designs that you can apply on your hands and win your husband's heart.
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मेहंदी क्यों लगते हैं, पढ़ें हिन्दू लोक कथा  
हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार प्रत्येक सुहागन महिला या कुवाँरी लड़की शादी, त्यौहार या किसी भी अन्य शुभ अवसर पर अपने हाथों में मेहंदी लगाती है। भारतीय परम्परा और संस्कृति के अनुसार मेहंदी को सुहागन महिलाओं के 16 श्रृंगारों में गिना जाता है। इतना ही नहीं हिन्दू धर्म में अलग-अलग अवसरों पर मेहंदी लगाने के अलग-अलग महत्व वर्णित है।
पूरा पढ़ें, मेहदी के कुछ डिज़ाइन भी देखें- Link -

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