सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या पर गजछाया योग, जाने मुहूर्त, करें उपाय जिससे पितरों के आशीर्वाद के साथ मिले...


ऋण से मुक्ति, सुख-समृद्धि, हो घर-परिवार में धन का आगमन 
- देवताओं से पहले पितरों को संतुष्ट करना चाहिए : वायु पुराण 
- सर्वपितृ अमावस्या की विशेषता, इस दिन क्या न करें

(
धर्म नगरी / DN News वा.एप 8109107075 -न्यूज़, कवरेज, विज्ञापन, कॉपी भिजवाने हेतु) 
सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या (बुधवार, 6 अक्टूबर) पर इस बार "गज-छाया योग" संयोग का भी निर्माण हो रहा है। साथ ही इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी बनेगा। जब सूर्य का हस्त नक्षत्र पर परिभ्रमण हो, अमावस्या का संयोग हो और बुधवार जैसे शुभ वार हों, तो गजछाया योग बनता है। ज्योतिर्विदों के अनुसार, इसबार यदि बुधवार (सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या) को यदि पितरों के निमित्त श्रद्धा व्यक्त की जाए, जिसके अंतर्गत पितरों के निमित्त तर्पण  विधान, पिंड दान, ब्राह्मण भोजन, गाय-कौवा-श्वान-भिक्षुक को दान तथा तीर्थों पर वैदिक ब्राह्मण को वस्त्र, पात्र का दान करने से पितरों को उसका पुण्य पहल प्राप्त होता है।
 
सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या को "महालय अमावस्या", "पितृविसर्जनी अमावस्या", "महालय विसर्जन" या "विसर्जनी अमावस्या" के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन उन पितरों का तर्पण-श्राद्ध करने का विधान है, जिनकी तिथि हमें ज्ञात न हो। अर्थात, पितृ-पक्ष में निर्धारित तिथि (जो पितरों की थी), उस तिथि पर किसी कारणवश या भूलवश श्राद्ध न कर सकें अथया श्राद्ध की तिथि न पता हो, तो सर्वपितृ श्राद्ध अमावस्या पर श्राद्ध किया जा सकता है। मान्यता है, इस दिन सभी पितर आपके द्वार पर उपस्थित हो जाते हैं।  

वर्ष में पितृ-पक्ष ऐसा समय होता है, जब लोग स्वयं को अपने पितरों से जुड़ा होने का अनुभव करते हैं, उनके निकट अपने पाते हैं। मान्यता है, पितृ-पक्ष के दौरान आत्माओं को मुक्त कर दिया जाता है। इस अवधि में वो पृथ्वी लोक पर आते हैं और अपने परिवार के पास जाकर उन्हें आशीर्वाद देते हैं। 

सर्वपितृ अमावस्या की तिथि-
आश्विन माह की अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या तिथि को श्राद्ध व तर्पण का विधान है। अमावस्या तिथि का आरंभ 5 अक्टूबर (मंगलवार) शाम 7:04 बजे आरम्भ होगा। अमावस्या तिथि का समापन 6 अक्टूबर (बुधवार) शाम को 4:35 बजे तक रहेगी। अमावस्या तिथि का सूर्योदय (उदयातिथि) 6 अक्टूबर को होने से सर्वपितृ अमावस्या इसी दिन होगी, जिसके साथ पितृ-पक्ष सम्पन्न हो जाएगा।  

----------------------------------------------------
कथा आयोजन हेतु-
व्यासपीठ की गरिमा एवं मर्यादा के अनुसार श्रीराम कथा, वाल्मीकि रामायण, श्रीमद भागवत कथा, शिव महापुराण या अन्य पौराणिक कथा करवाने हेतु संपर्क करें। कथा आप अपने बजट या आर्थिक क्षमता के अनुसार शहरी या ग्रामीण क्षेत्र में अथवा विदेश में करवाएं, हमारा कथा के आयोजन की योजना (मीडिया आदि) में पूर्ण सहयोग रहेगा। -प्रसार प्रबंधक आरके द्धिवेदी "धर्म नगरी / DN News" मो.9752404020, 8109107075-वाट्सएप ट्वीटर / Koo / इंस्टाग्राम- @DharmNagari ईमेल- dharm.nagari@gmail.com यूट्यूब- DharmNagari News Link- https://www.youtube.com/channel/UCJd2xFXRHoFGImZMClnxVOg      
------------------------------------------------
अमावस्या श्राद्ध
देवताभ्यः पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च।
नमः स्वधायै स्वाहायै नित्यमेव नमो नमः।।
अर्थात, देवताओं, पितरों, महायोगियों, स्वधा और स्वाहा को मेरा सर्वदा नमस्कार है। -रा.पाठक, अवैतनिक सम्पादक (पाक्षिक "धर्म नगरी" / DN News)  

सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या की विशेषता-
- अमावस्या को सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या का दिन पितरों को विदा करने का अंतिम दिन होता है। एक पक्ष (15 दिन) तक पितर या पुरखे घर में विराजते हैं एवं उनके वंशज- हम सब उनकी सेवा करते हैं।

  - सर्वपितृ अमावस्या पर पितृ सूक्तम् पाठ, रुचि कृत पितृ स्तोत्र, पितृ गायत्री पाठ, पितृ कवच पाठ, पितृ देव चालीसा और आरती, गीता पाठ और गरुढ़ पुराण का पाठ करने का अत्यधिक महत्व है।

-  इस दिन ( सर्वपितृ अमावस्या) जो पितर नहीं आ पाते हैं, जिन्हें हम नहीं जानते हैं उन भूले-बिसरे पितरों का भी श्राद्ध करते हैं। अत: इस दिन श्राद्ध अवश्य करना चाहिए।

- श्राद्ध आप घर में, किसी पवित्र नदी या समुद्र तट पर, तीर्थ क्षेत्र या वट-वृक्ष के नीचे, गौशाला, पवित्र पर्वत शिखर और सार्वजनिक पवित्र भूमि पर दक्षिण में मुख करके श्राद्ध किया जा सकता है।

- शास्त्रानुसार,  "पुन्नामनरकात् त्रायते इति पुत्रः" जो नरक से त्राण (रक्षा) करता है वही पुत्र है। इस दिन किया गया श्राद्ध पुत्र को पितृदोषों से मुक्ति दिलाता है। कुतुप, रोहिणी और अभिजीत काल में श्राद्ध करना चाहिए। प्रात:काल देवताओं का पूजन और मध्याह्न में पितरों का, जिसे 'कुतुप काल' कहते हैं।

- इस दिन गृह कलह करना, शराब पीना, चरखा, मांसाहार, बैंगन, प्याज, लहसुन, बासी भोजन, सफेद तील, मूली, लौकी, काला नमक, सत्तू, जीरा, मसूर की दाल, सरसो का साग, चना आदि वर्जित माना गया है।

- सर्वपितृ अमावस्या पर तर्पण, पिंडदान और ऋषि, देव एवं पितृ पूजन के बाद पंचबलि कर्म करके 16 ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है।

सर्वपितृ अमावस्या पर गजछाया योग-
साल 2021 में पड़ने वाले सर्वपितृ अमावस्या को गजछाया योग बनेगा। ज्योतिर्विदों के अनुसार, यह योग 11 साल पहले 2010 में बना था और 2021 के बाद अब यह योग 2029 में बनेगा। इस योग को बहुत शुभ माना गया है। 6 अक्टूबर के दिन सूर्य देव और चन्द्रमा दोनों ही सूर्योदय से लेकर शाम के 4:34 बजे तक हस्त नक्षत्र में रहेंगा। इसके फलस्वरूप ही गजछाया योग का निर्माण होगा। 

मान्यता है,  गजछाया योग में श्राद्ध कर्म करने से पितर प्रसन्न होते हैं एवं अपना आशीर्वाद अपने परिवार को देते हैं। इस योग की महत्ता बहुत अधिक मानी गयी है। इस अवधि में तर्पण करने से ऋण (Debt) से मुक्ति मिलती है। घर-परिवार में धन का आगमन होता है साथ ही सुख-समृद्धि भी बढ़ती है। इस योग में दान-तर्पण करने से लगभग बारह वर्षों तक पितरों को इसका लाभ मिलता है।

श्राद्ध के लिए अत्यंत शुभ "गजछाया योग" में पितरों के लिए श्राद्ध करें घी मिली हुई खीर का दान करें ऐसा करने से पितृ कम से कम 12 सालों के लिए तृप्त हो जाते हैं इसके अतिरिक्त इस काल में जरूरतमंदों और ब्राह्मणों को भोजन कराएं एवं अन्न-कपड़े दान करें

सर्वपितृ अमावस्या को ये न करें-
- श्राद्ध कर्म करने वाले व्यक्ति को अमावस्या के दिन पान नहीं खाना चाहिए, शरीर पर तेल लगाना चाहिए और किसी पर भी कजक्रोध नहीं करना चाहिए।
- श्राद्ध कर्म करने वाले व्यक्ति को श्राद्ध में काला जीरा, खीरा, चना, मसूर, उड़द, सत्तू, मूली, बासी खाना और अन्न का उपयोग नहीं करना चाहिए।
- बिना संकल्प के श्राद्ध पूरा नहीं माना जाता, इसलिए सर्वपितृ अमावस्या के दिन हाथ में अक्षत (चावल), चंदन, फूल और काले तिल लेकर पितरों का तर्पण करें।
 - ब्राह्मणों, निर्धनों को भोजन कराना शुभ होता है एवं पितृ-दोष से मुक्ति मिलती है।
 - अपने घर को छोड़कर कभी दूसरे के निवास स्थान या भूमि पर श्राद्ध नहीं करना चाहिए।
- रात्रि, संध्याकाल व पूर्वाह्न काल में श्राद्ध नहीं करना चाहिए एवं श्राद्ध कर्म करने वाले व्यक्ति को चांडाल और सूअर श्राद्ध के संपर्क में नहीं आना चाहिए। 
हवन का श्राद्ध में बहुत महत्व होता है, इसलिए सर्वप्रथम अग्नि को भोग अर्पित करें। हवन करने के बाद पितरों के निमित्त पिंड दान करना अनिवार्य होता है।
 -----------------------------------------------

स्कन्द पुराण, भविष्य पुराण में...
स्कन्द पुराण के अनुसार, अमावस्या के जल अथवा शाक द्वारा भी श्रात्र करने से पितृगण तृप्तिलाभ करते हैं। अमावस्या के दिन पितृगण वायुरूपेण द्वार पर आकर मानवों से श्राद्ध की प्रार्थना करते हैं एवं सूर्यास्त होने पर निराश होकर दु:खी अन्त:करण हो, दीर्घ नि:श्वास छोड़ते तथा वंशधरों की निन्दा करते-करते वापस चले जाते हैं। 
पद् पुराण के अनुसार, पितरों का तर्पण किए बिना वस्त्र को न निचोड़े। मनुष्य के शरीर में साढ़े तीन करोड़ रोंये होते हैं। उन सब से जल गिरता है। अतएव उन सबको पोछना नहीं चाहिए। शिर के जल को देवता पीते हैं। दाढ़ी के जल को पितृगणए नेत्रों से गिरने वाले जल को गन्धर्व और नीचे के रोओं से गिरे जल को दूसरे सभी जीव पीते हैं। देवता, पितृगण, गन्धर्व तथा दूसरे जीव केवल स्नान कर लेने से तुष्ट हो जाते हैं। अतएव स्नान कर लेने से पाप नहीं रह जाता है। जो प्रतिदिन स्नान करते हैं, वह मनुष्य उत्तम पुरुष हैं।  
भविष्य पुराण के अनुसार, माता-पिता की सेवा करने से ब्रह्मा की प्राप्ति होती है। जो अपने माता-पिता का तर्पण नहीं करता, उसकी गुरु वन्दना व्यर्थ हो जाती हैं। उनके जीवित रहने पर तर्पण करना अनुचित है। गंगा में प्राणान्त होने पर भी तर्पण आवश्यक नहीं है। -डॉ. अल्प नारायण त्रिपाठी "अल्प" पूर्व प्राचार्य- श्री महानिर्वाणी वेद महाविद्यालय, प्रयागराज, लेखक- "व्यास उवाच" व सलाहकार (धर्म आध्यात्म) धर्म नगरी / DN News
------------------------------------------------

संबंधित लेख-

जब शरीर का संस्कार (अग्निदाह) किया जाता है, तब प्राण मन को लेकर चलता है...

http://www.dharmnagari.com/2021/09/Sraddh-Paksh-where-does-Soul-Mann-goes-after-the-cremation-Scientific-Aspect.html
जाने पितृ-दोष के लक्षण, पितृपक्ष...

http://www.dharmnagari.com/2020/08/Pitra-Paksh-Pitra-Dosh.html
भारत के पराधीन [गुलाम] होने का मुख्य कारण धन व भोगवासना है...महाभारत के उद्योग पर्व के संदर्भ में  
Why-India-has-been-a-slave-Country-Spiritual-reason-accordingly-Mahabharat-are-money-andlust-Bharat-Paradheen-kyo-raha
------------------------------------------------
राजनीतिक मैगजीन- तथ्यों से पूर्ण, साफ़-सुधरी, स्तरीय, पठनीय, राष्ट्रवादी समसामयिक साप्ताहिक राजनीतिक मैगजीन का प्रकाशन शुरू करने हेतु इन्वेस्टर या "संरक्षक" की आवश्यकता है। जिले स्तर पर इक्छुक पार्टनर एवं ब्यूरो चीफ  (बिना नियुक्ति वाले जिलों में) हेतु संपर्क करें- 9752404020, वाट्सएप-8109107075 ट्वीटर / Koo- @DharmNagari
------------------------------------------------

इसे भी पढ़ें-
मासिक राशिफल : अक्टूबर 2021... न्याय व्यवस्था चुस्त होगी, फिल्मी व राजनीतिक क्षेत्र हेतु नहीं है शुभ
☟ 
http://www.dharmnagari.com/2021/09/Monthly-horoscope-October-2021-Masik-rashifal.html 
आज विशेष : देश-दुनिया । अनोखे शासक राजा रवि वर्मा, जिन्होंने बनाई हिंदू महाकाव्यों व धर्मग्रन्थों पर कालजयी कलाकृतियाँ 
राजा रवि वर्मा, जिन्‍होंने घर-घर पहुंचा दिए देवी-देवताओं के च‍ित्र
http://www.dharmnagari.com/2021/10/Todays-Special-2-October-www.DharmNagari.com-Dharm-Nagari.html
आज विशेष : देश-दुनिया । काका हाथरसी: ऊंट पर निकली शवयात्रा, मौत पर गूंजे ठहाके
http://www.dharmnagari.com/2021/09/Todays-Special-18-September-Dharm-Nagari.html
आज विशेष : देश-दुनिया । 'पंचायती राज के वास्तुकार' बलवंतराय... जिनकी मृत्यु पाक एयरफोर्स के अटैक से विमान में हुई
http://www.dharmnagari.com/2021/09/Todays-Special-19-September-Dharm-Nagari.html 
आज विशेष : देश-दुनिया । 'मूक बधिर दिवस', 'नदी दिवस' व 'बेटी दिवस'... 'आधुनिक नृत्य के जन्मदाता प्रसिद्ध नर्तक, नृत्य निर्देशक, बैले निर्माता उदय शंकर की पुण्यतिथि
http://www.dharmnagari.com/2021/09/Todays-Special-26-September-www.DharmNagari.comDharm-Nagari.html
"धर्म नगरी" की सदस्यता, शुभकामना-विज्ञापन या दान देने अथवा अपने नाम (की सील के साथ) से
लेख/कॉलम/इंटरव्यू सहित "धर्म नगरी" की प्रतियां अपनों को देशभर में भिजवाने हेतु बैंक खाते का डिटेल।
 

No comments