शारदीय नवरात्रि : द्वितीया - ब्रह्म अर्थात तपस्या, चारिणी अर्थात आचरण, माँ ब्रह्मचारिणी


माँ ब्रह्मचारिणी का बीज मंत्र, पूजा-विधि, पौराणिक कथा
(
धर्म नगरी / DN News वाट्सएप 8109107075 -न्यूज़, कवरेज, विज्ञापन, कॉपी भिजवाने हेतु)
नवरात्रि की द्वितीया पर भक्त मां नवदुर्गा के द्वितीय स्वरुप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना करते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ब्रह्म का अर्थ होता है तपस्या और चारिणी का अर्थ है आचरण करना। मान्यता है, मां ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। इसी कारण उनका नाम मां ब्रह्मचारिणी पड़ा। मां ब्रह्मचारिणी के दाएं हाथ में माला है और देवी ने बाएं हाथ में कमंडल धारण किया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो साधक विधि-विधान से देवी के इस स्वरूप की पूजा अर्चना करते हैं उनकी कुंडली में शक्ति जाग्रत हो जाती है।संन्यासियों के लिए इस देवी की पूजा विशेष रूप से फलदायी है।

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का मंत्र-
या देवी सर्वभू‍तेषु ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

संयम, तप, वैराग्य तथा विजय की देवी मानी जाती हैं. माता का बीज मंत्र है-
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:।।
------------------------------------------------
संबंधित लेख-
शारदीय नवरात्रि : किस रूप की कैसी पूजा व भोग...
http://www.dharmnagari.com/2021/10/Shardiya-Navratri-7-October-Ghat-sthapna-vidhi-Tithi-anusar-kya-kare.html
------------------------------------------------

पूजा विधि-
नवरात्रि के दूसरे दिन सुबह शीघ्र उठकर नित्यकर्म और स्नान के बाद सफेद अथवा पीले रंग के कपड़े धारण करें। इसके बाद पूजा घर की साफ सफाई कर नवरात्रि के लिए स्थापित किए गए कलश में मां ब्रह्मचारिणी का आह्वान करें
 मां को सफेद रंग की पूजन सामग्री जैसे कि मिश्री, शक्कर या पंचामृत अर्पित करें घी का दिया जलाकर मां की प्रार्थना करें। दूध, दही, चीनी, घी और शहद का घोल बनाकर मां को स्नान करवाएं। मां की पूजा करें और उन्हें पुष्प, रोली, चन्दन और अक्षत अर्पित करें इसके बाद बाएं हाथ से आचमन लेकर दाएं हाथ से उसे ग्रहण करें। हाथ में सुपारी और पान लेकर संकल्प लें। इसके बाद नवरात्रि के लिए स्थापित कलश और मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करें।

भोग-
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा नवरात्रि के दूसरे दिन की जाती है। माता को शक्कर या चीनी से बना प्रसाद चढ़ाना चाहिए। इसके साथ पंचामृत अर्पित करने से मां ब्रह्मचारिणी दीर्घायु होने का आशीर्वाद देतीं हैं।

पौराणिक कथा-
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मां नव दुर्गा का दूसरा स्वरुप मां ब्रह्मचारिणी देवराज हिमालय और मैना की पुत्री हैं। इन्होंने देवर्षि नारद जी के कहने पर भगवान शंकर की ऐसी कठोर तपस्या की थी जिससे प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने इन्हें मनोवांछित वरदान दिया
 जिसके फलस्वरूप यह देवी भगवान भोले नाथ की वामिनी अर्थात पत्‍‌नी बनी। जो व्यक्ति अध्यात्म और आत्मिक आनंद की कामना रखते हैं। उन्हें इस देवी की पूजा से यह सब प्राप्त होता है। जो व्यक्ति भक्ति-भाव व श्रद्धा से दुर्गा पूजा के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करते हैं उन्हें सुख और आरोग्य की प्राप्ति होती है और मन प्रसन्न रहता है उसे किसी प्रकार का भय नहीं सताता है।
------------------------------------------------
आवश्यकता है- तथ्यों से पूर्ण, साफ़-सुधरी, स्तरीय, पठनीय, राष्ट्रवादी समसामयिक साप्ताहिक मैगजीन का प्रकाशन शुरू हो रहा रहा, जिसके विस्तार के लिए राष्ट्रवादी विचारधारा के पार्टनर / इन्वेस्टर / "संरक्षक" चाहिए। संपर्क करें- 9752404020, वाट्सएप-8109107075 ट्वीटर / Koo- @DharmNagari
------------------------------------------------

नवरात्रि के उपवास-व्रत 
नवरात्रि में यदि कोई पूरे के उपवास-व्रत न कर सकता हो तो सप्तमी, अष्टमी और नवमी– तीन दिन उपवास करके देवी की पूजा करने से वह संपूर्ण नवरात्रि के उपवास के फल को प्राप्त करता है
श्रीमद् देवी भागवत में आता है कि यह व्रत महासिद्धि देने वाला, धन-धान्य प्रदान करने वाला, सुख व संतान बढ़ाने वाला, आयु एवं आरोग्य वर्धक तथा स्वर्ग और मोक्ष तक देने में समर्थ है। यह व्रत शत्रुओं का दमन व बल की वृद्धि करने वाला है। महान-से-महान पापी भी यदि नवरात्रि व्रत कर ले तो संपूर्ण पापों से उसका उद्धार हो जाता है।

नवरात्रि का उत्तम जागरण वह है, जिसमें- शास्त्र ज्ञान की चर्चा हो, प्रज्जवलित दीपक रखा हो, देवी का भक्ति भावयुक्त कीर्तन हो, वाद्य, ताल सहित का सात्त्विक संगीत हो, मन में प्रसन्नता हो, सात्त्विक नृत्य हो, डिस्को या ऐसे दूसरे किसी नृत्य का आयोजन न हो, सात्त्विक नृत्य, कीर्तन के समय भी जगदम्बा माता के सामने दृष्टि स्थिर रखें, किसी को बुरी नजर से न देखें।

मनोकामना पूर्ति हेतु नवरात्रि में करें उपाय-
नवरात्र के समय कुछ कार्यों को करने से माता रानी प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि का वरदान देती हैं। ये कार्य इस प्रकार हैं-
- अपने हर काम में सफल होने के लिए और धन-सम्पदा प्राप्त करने के लिए नवरात्रि की अष्टमी के दिन माता महागौरी को कमल गट्टा जरूर चढ़ाएं। कमल गट्टे के साथ माता का सबसे प्रिय लाल गुड़हल का फूल भी चढ़ाएं।
- हर दिन नवरात्रि में देवी को ताजे फूल चढ़ाना चाहिए और पूजा घर की साफ-सफाई का विशेष ध्यान देना चाहिए। पुराने हो चुके फूलों की कभी भी कूड़े दान में नहीं फेंकना चाहिए, बल्कि किसी नदी या कुएं में प्रभावित करना चाहिए।
- अष्टमी और शुक्रवार के दिन झाडू जरूर खरीदकर घर लाना चाहिए। ऐसे करने से आपके ऊपर और परिवार के बाकी सदस्यों पर माता लक्ष्मी की कृपा होगी।
- नवरात्रि पर प्रतिदिन श्रीदुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए। दुर्गा सप्तशी का पाठ करने से आपके सभी तरह के बिगड़े हुए काम पूरे होने लगते हैं।
- हर तरह की मनोकामना को पूरा करने के लिए नवरात्रि पर गाय को रोटी जरूर खिलाएं। नवरात्रि के नौ दिन तक ऐसा करने पर भाग्य का साथ मिलने लगता है।
आपसे (Disclaimer)- उक्त लेख जानकारियां और सूचना ज्योतिर्विदों एवं पुस्तकों से साभार लिया गया है इनको करने से पूर्व कर्मकांडी ब्राह्मण या विद्वान से संपर्क करें। 
------------------------------------------------
नवरात्रि से पूर्व विशेष आग्रह / अपील आपसे- ब्राह्मण या विद्वान से किसी भी पूजा-पाठ के लिए यथासंभव सम्मानपूर्वक दक्षिणा देकर संतुष्ट करें, क्योंकि उसने कर्मकांड की शिक्षा ली है, आपके पूजा-पाठ के लिए समय-ऊर्जा दे रहा है, यह उसकी आजीविका है या परिवार के भरण-पोषण का माध्यम भी है -प्रबंध सम्पादक    
------------------------------------------------

धार्मिक-आध्यात्मिक लेख, समाचार- 
मासिक राशिफल : अक्टूबर 2021... न्याय व्यवस्था चुस्त होगी, फिल्मी व राजनीतिक क्षेत्र हेतु नहीं है शुभ
☟ 
http://www.dharmnagari.com/2021/09/Monthly-horoscope-October-2021-Masik-rashifal.html  

Dwitiya is devoted to the second form of Nav Durga - Goddess Brahmacharini. She is believed to be the unmarried form of Mata Parvati when she did severe ‘tapa’ or penance for thousands of years to get Lord Shiva as her husband.
 #Brahmacharini #ब्रह्मचारिणी -@MeenaKadam7
-
After the Goddess took the form of Kushmanda, the incarnation of Brahmacharini followed. Parvati took birth in the home of Daksha Prajapati who had a deep contempt for Lord Shiva. Her maiden form is worshipped as Brahmacharini. #ब्रह्मचारिणी -@GTharnath

No comments