शारदीय नवरात्रि : पंचमी - माता स्कंदमाता अपने भक्तों पर पुत्र के समान लुटाती हैं स्नेह


माँ स्कंदमाता की कृपा से मिलता है संतान सुख  

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नवरात्रि के पांचवे दिन (10 अक्टूबर) मां के पंचम स्वरूप माता स्कंदमाता की पूजा- अर्चना की जाती है। सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण इनके चारों ओर तेज दिखाई देता है. माँ के इस स्वरूप (स्कंदमाता) की उपासना से भगवान स्कंद के बाल रूप की भी  पूजा होती है। मां अपने भक्तों पर पुत्र के समान स्नेह लुटाती हैं। माँ स्कंदमाता की कृपा से संतान सुख की प्राप्ति होती है। मां की उपासना से अलौकिक तेज की प्राप्ति होती है। मां की उपासना से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। मां का स्मरण करने से ही असंभव कार्य संभव हो जाते हैं।

मां स्कंदमाता का स्वरूप-
श्री देवी पुराण के अनुसार, माँ स्कंदमाता का प्राकट्य माँ गौरी से हुआ है, इसीलिए उनका रंग धवल अर्थात श्वेत है
। स्कंदमाता कमल के आसन पर विराजमान हैं इसी कारण उन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है। मां स्कंदमाता को पार्वती एवं उमा तथा मां को विद्यावाहिनी दुर्गा देवी नाम से भी जाना जाता है। माँ की चार भुजाएं हैं। इन्होंने अपनी दाएं तरफ की ऊपर वाली भुजा से स्कंद अर्थात कार्तिकेय को पकड़ा हुआ है। निचली दाएं भुजा के हाथ में कमल का फूल है। बायीं ओर की ऊपरी भुजा में वरद मुद्रा एवं नीचे दूसरे हाथ में सफेद कमल का फूल है। सिंह इनका वाहन है।

देवासुर संग्राम के सेनापति भगवान स्कंद की माता होने के कारण मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है। शिव और पार्वती के दूसरे और षडानन (छह मुख वाले) पुत्र कार्तिकेय का एक नाम स्कंद है, क्योंकि यह सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं, इसलिये इनके चारों ओर सूर्य जैसा अलौकिक तेजोमय मंडल दिखाई देता है। स्कंदमाता की उपासना से भगवान स्कंद के बाल रूप की भी पूजा होती है।मां की उपासना से संतान की प्राप्ति होती है। मां का वाहन सिंह है। मां स्कंदमाता सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं।
सुनें, देखें-
माँ का भोग एवं प्रिय वस्तु-

मां स्कंदमाता की उपासना से परम शांति और सुख का अनुभव होता है। मां को केले का भोग अति प्रिय है। मां को आप खीर का प्रसाद भी अर्पित करें। मां स्कंदमाता को श्वेत रंग प्रिय है। मां की उपासना में श्वेत रंग के वस्त्रों का प्रयोग करें। मां की पूजा के समय पीले रंग के वस्त्र धारण करें।

माँ का मंत्र-
सिंहासनगता नित्यं, पद्माश्रितकरद्वय।
शुभदास्तु सदा देवी, स्कन्दमाता यशस्विनी।।
सिंह पर सवार रहने वाली और अपने दोनों हाथों में कमल का फूल धारण करने वाली यशस्विनी स्कंदमाता हमारे लिए शुभदायी हों. दिन में उपवास के बाद केले का भोग लगाया जाता है, इससे शरीर स्वस्थ रहता है।
माँ स्कंदमाता सुख-शांति व मोक्ष प्रदान करने वाली हैं। 
माता बीज मंत्र है- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं स्कंदमातायै नम:
माता का मंत्र है- 
या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै  नमस्तस्यै  नमस्तस्यै  नमो  नम:।। 

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