आज विशेष : देश-दुनिया । अनोखे शासक राजा रवि वर्मा, जिन्होंने बनाई हिंदू महाकाव्यों व धर्मग्रन्थों पर कालजयी कलाकृतियाँ


पाँच वर्ष की आयु में घर की दीवारों पर बनाने लगे थे चित्र
- साउंड इंजीनियर से फिल्म निर्माता बने, मिले 19 राष्ट्रीय पुरस्कार
- दुनिया के पहले टेलीविजन का सफल टेस्‍ट हुआ
- इतिहास में आज (2 अक्टूबर) की कुछ महत्‍वपूर्ण घटना
- पूर्व PM, परिवार में सबसे छोटे "नन्हे" का जन्मदिन 

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भारत के राजा रवि वर्मा ऐसे अनोखे शासक हुए, जिन्होंने अपने हाथों से कालजयी कलाकृतियों का सृजन किया। उनके चित्रों की सबसे बड़ी विशेषता ये रही, कि ये हिंदू महाकाव्यों और धर्मग्रन्थों पर बनाए गए। राजा रवि वर्मा का जन्म 29 अप्रैल 1848 को केरल के एक छोटे से शहर किलिमानूर में हुआ। 

राजा रवि वर्मा 
पाँच वर्ष की छोटी सी आयु में ही उन्होंने अपने घर की दीवारों पर चित्र बनाना प्रारम्भ कर दिया था।उनके चाचा कलाकार राज राजा वर्मा ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें कला की प्रारम्भिक शिक्षा दी। चित्रकला की शिक्षा उन्होंने मदुरै के चित्रकार अलाग्री नायडू तथा भारत भ्रमण पर आए विदेशी चित्रकार थियोडोर जेंसन से पाई।

राजा रवि वर्मा की "ऑइल पेंटिंग्स" भी लोग बहुत पसंद करते थे, जिनकी बहुत मांग थी इसको ध्यान में रखते हुए 1894 में उन्होंने विदेश से एक कलर लिथोग्रफिक प्रेस खरीदकर मुम्बई में कारखाना खोल दिया यहां वह अपनी पेंटिंग्स की नकल बनाकर जन सामान्य (common citizen) को कम मूल्य पर बेच देते। ऐसा राजा रवि वर्मा से पहले किसी भी चित्रकार ने नहीं किया था
 
राजा रवि वर्मा पहले चित्रकार थे, जिन्होंने हिंदू देवी-देवताओं को साधारण मानव जैसा दिखाया। या कहें, उन्होंने भगवान को मानव का चेहरा दिया। आज हम जिन फोटो, पोस्टर, कैलेंडर आदि में माँ सरस्वती, लक्ष्मी, दुर्गा, राधा या भगवन कृष्ण के चित्र देखते हैं, वो प्रायः राजा रवि वर्मा की कल्पनाशक्ति की कलाकृति हैं।  
राजा रवि वर्मा की इस कलाकृति (Painting) में राजकुमारी दमयंती दिख रही हैं, जो शाही हंस से बात करते हुए दिख रही हैं। कहते हैं, यह वो पल है जब दमयंती राजा नल के बारे में हंस से संवाद करती हैं
राजा रवि वर्मा को "वॉटर कलर" पेंटिंग में विशेषज्ञता प्राप्त थी उनकी इस पेंटिंग में अर्जुन और उनकी पत्नी सुभद्रा को हैं, जिसमें अर्जुन को एक सन्यासी के रूप में दिखाया है
ये अभिज्ञानशाकुंतलम की शकुंतला का चित्र है
 राजा रवि वर्मा की इस पेंटिंग में शकुंतला पैर से कांटा निकालने के बहाने राजा दुष्यंत को देखते हुए दिख रही हैं विदेशी लेखक मेनियर विलियंस ने अभिज्ञानशाकुंतलम का अंग्रेजी अनुवाद किया था उन्होंने अपनी पुस्तक के कवर पेज में राजा रवि वर्मा की बनाई हुई शकुंतला पेंटिंग ही लगवाई।   
राजा रवि वर्मा ने कई पौराणिक कथाओं और उनके पात्रों के जीवन को अपने कैनवास पर उतारा। इस कलाकृति  "राधा-माधव" में श्रीकृष्ण को राधा रानी के संग इस प्रकार दर्शाया
इस अद्भुत पेंटिंग में 
राजा रवि वर्मा ने रामायण का एक दृश्य है, जिसमें रावण के सीता हरण के समय जटायू को संघर्षरत दिखाया गया है जटायू ने माता सीता को बचाने अपने प्राण दिया था
इस कालकृति में राजा रवि वर्मा ने राजा हरिशचंद्र को उनकी पत्नी तारामती के साथ प्रदर्शित किया, जिमें श्मशान घाट के उस काल को दिखाया जब हरिशचंद्र (जब स्वयं को श्मशान के डोम को बेचकर उसके दास हो गए) के बेटे की मृत्यु हो गई और उनकी पत्नी बेटे के अंतिम संस्कार हेतु अनुमति मांग रही हैं
उर्वशी और राजा पुरुरवा की पहली भेंट को राजा रवि वर्मा ने पेंटिंग के रूप में उकेरा। 
द्रौपदी द्वारा न्याय के लिए विराट की में याचना करते हुए पेंटिंग।  
राजा रवि वर्मा ने इस पेंटिंग में ऋषि विश्वकर्मा को बच्चे का तिरस्कार करते हुए प्रदर्शित किया। 
सुनें- 
राज रवि वर्मा की कल्पनाशक्ति (imagination power) अद्भुत थी. ये उंनके धार्मिक ग्रंथो और महाकाव्यों के चरित्रों पर बनाई गई पेंटिंग्स में साफ दिखता है. पर भाई साब पोर्ट्रेट भी गजब बनाते थे पोर्ट्रेट का आशय किसी को सामने बैठकर या उसकी फोटो को शत प्रतिशत उसके जैसा (हुबहू) कैनवास में बनाना। उस समय के भारतीय राजाओं से लेकर अंग्रेज शासक तक, सभी राजा रवि वर्मा से अपने चित्र बनवाने के लिए लाइन लगाए रहते थे रवि वर्मा ने महाराणा प्रताप का एक पोर्ट्रेट बनाया , जो उनके बनाए मास्टरपीसेस में एक है-
रवि वर्मा न्यूड पेंटिंग्स बनाने के कारण विवादों में भी आए। भारतीय धर्मग्रंथ और महाकाव्य चरित्रों की उर्वशी, रंभा जैसी अप्सराओं की न्यूड पेंटिंग्स बनाई। इससे लोगों की भावनाएं आहत हो गईं
इससे उनका बहुत विरोध भी हुआ
। कुछ लोगों का कहना है, विरोध से रुष्ट होकर उन्होंने मुम्बई वाला प्रेस भी जला दिया। यद्यपि, इसपर सभी एकमत नहीं हैं और कुछ लोग कहते हैं, उन्होंने प्रेस को किसी जर्मन चित्रकार को बेचा था। 1904 में ब्रिटिश सरकार ने रवि वर्मा को ‘केसर-ए-हिंद’ से दी यह भारतीय नागरिको के लिए उस समय का सबसे बड़ा सम्मान था एक कलाकार के रूप में सम्मान पाने वाले रवि वर्मा पहले व्यक्ति थे

एक समय ऐसा भी आया, जब बंगाल स्कूल के चित्रकारों ने राजा रवि वर्मा को चित्रकार मानने पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया। अंग्रेज लोग भी पेंटिंग किया करते थे। उस काल में उनकी टेक्निक कुछ अलग होती थी, जो ऑइल पेंटिंग किया करते थे। राजा रवि वर्मा ने इसका प्रयोग अपने चित्रों में बड़े ही अद्भुत रूप से किया है एवं विख्यात हो गए। उस समय के भारतीय चित्रकारों को कैनवास और ऑइल पेंट का प्रयोग करने इन्होने ही बढ़ावा दिया। कहते हैं, भारतीय चरित्रों की पेंटिंग्स बनाने वह अंग्रेजो की पेंटिंग तकनीकि का प्रयोग करते थे, जिससे लोगों को समस्या थी। 
राजा रवि वर्मा की 1880 की 
एक पेंटिंग है इसमें त्रावणकोर के महाराज एवं उनके भाई को तत्कालीन मद्रास ब्रिटिश गवर्नर जनरल रिचर्ड टेम्पल ग्रेनविले का स्वागत करते हुए दिखाया है ये पेंटिंग 2007 में 1.24 मिलियन डॉलर (लगभग सवा 8 करोड़ रु) में बिकी। 
राजा रवि वर्मा #साभार विकिपीडिया 
राजा रवि वर्मा की 115 जयंती वर्ष है
 आजीवन जीवन में रंग भरने वाले राजा रवि वर्मा का 58 साल की आयु में 2 अक्टूबर, 1906 निधन हो गया। फ़िल्म निर्माता केतन मेहता ने 2014  राजा रवि वर्मा के जीवन पर एक फिल्म बनायी है जो हिन्दी और अंग्रेजी में है। अंग्रेजी में फिल्म का नाम कलर ऑफ पैशन्स और हिंदी में फिल्म का नाम रंग रसिया है। 
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साउंड इंजीनियर से करियर शुरू कर बनाने लगे फिल्में
मिले दादा साहेब फाल्के सहित 19 बार राष्ट्रीय पुरस्कार
दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्‍मानित प्रतिष्ठित फ़िल्मकार तपन सिन्हा की आज जयंती है। उन्होंने बांग्‍ला और हिंदी फिल्मों का निर्देशन किया। अपने करियर की शुरुआत 1946 में कोलकाता के न्यू थीएटर में साउंड इंजीनियर के रूप में करने वाले तपन सिन्हा को 1950 में ब्रिटेन के पाइनवुड स्टूडियो में काम करने का अवसर मिला। जिसके बाद भारत लौटने के बाद उन्होंने उड़िया, बांग्ला और हिंदी में फ़िल्में बनाना आरम्भ किया।
सामाजिक सरोकार के साथ उनकी फ़िल्में दर्शकों का मनोरंजन करने में सदैव सफल रहीं। यही कारण रहा, कि उन्हें 19 बार राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुए। सामाजिक, कॉमेडी, बाल फ़िल्मों के अलावा साहित्य आधारित फ़िल्में बनाने पर उन्होंने अधिक ध्यान दिया। रवीन्द्रनाथ ठाकुर की रचनाओं पर ‘काबुलीवाला’ तथा ‘क्षुधित पाषाण’ उनकी चर्चित फ़िल्में हैं। 1956 में आई उनकी काबुलीवाला को बहुत सराही गई. उनकी फ़िल्म में छबि बिसबास और काली बैनर्जी ने काम किया था। उसे बाद में हिंदी में भी बनाया गया. बर्लिन फ़िल्म फ़ेस्टिवल में काबुलीवाला को संगीत की श्रेणी में पुरस्कृत किया गया।

इतिहास में आज (2 अक्टूबर) की कुछ महत्‍वपूर्ण घटना- 
दुनिया के पहले टेलीविजन का सफल टेस्‍ट हुआ-
आज के दिन 1925 में स्‍कोटिश आविष्‍कारक जॉन लॉगी बेयर्ड ने अपनी लैब में दुनिया के पहले टेलीविजन का सफल टेस्‍ट किया। इसके बाद लोगों को टीवी देखने की सुविधा मिली थी। जबकि भारत में टेलीविजन 15 सितम्‍बर 1959 को आया।
- 1870 - Rome was made the capital of Italy.
- 1944 - world war 2 The Warsaw Uprising ends when the few surviving Polish rebels surrender to German forces.
- 1955 में आज ही चेन्नई में रेल डिब्‍बे बनाने इंटीग्रल कोच फैक्‍ट्री का शुभारम्भ हुआ। तब इस कोच फैक्ट्री की क्षमता वार्षिक 350 कोच बनाने की थी। अब यह क्षमता कई गुना बढ़ गई है।
- 1968 California's Redwood National Park was established. Redwoods are the tallest of all trees, growing up to 400 feet (120 meters) during a lifetime that can span 2,000 years.
- 1st strip of Charlie Brown, "Li'l Folks", later "Peanuts", by Charles M. Schulz published in 9 papers on oct 2 1950.
- A classic hollywood film was released on this day in the year 1957 The Bridge on the River Kwai", directed by David Lean and starring William Holden and Alec Guinness, is released and the FOLLOWING YEAR it received the academy awards for the best picture
- 1925 - John Baird performs the first test of a working television system.
- On 2 October 1954 Chandannagar was integrated into the state of West Bengal. Going back in time we find that since the year1696 it was under French possession who called it chandernagore, located on the western bank of Hooghly River, the town was one of the five settlements of French India. The city has a unique culture due to the fusion Bengali culture and French culture, different from other cities in West Bengal.

"धरती के लाल" पूर्व PM, परिवार में सबसे छोटे "नन्हे" का जन्मदिन 
आज "धरती के लाल" करोड़ों हिन्दुओं के हृदय में बसने वाले ईमानदारी व कर्तव्यनिष्ठा के प्रतीक लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर, 1904 को मुग़लसराय, उत्तर प्रदेश में 'मुंशी शारदा प्रसाद श्रीवास्तव' के यहाँ हुआ था। इनके पिता प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक थे। अत: सब उन्हें 'मुंशी जी' ही कहते थे। बाद में उन्होंने राजस्व विभाग में लिपिक (क्लर्क) की नौकरी कर ली थी। लालबहादुर की माँ का नाम 'रामदुलारी' था। परिवार में सबसे छोटा होने के कारण बालक लालबहादुर को परिवार वाले प्यार से नन्हें कहकर ही बुलाया करते थे।
दो अक्तूबर को मोहनदास करमचंद गांधी एवं देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती  है। दो अक्तूबर, 1904 को जन्मे 
शास्त्रीजी की सादगी और साहस से हर कोई परिचित है। बात 1965 के युद्ध की है, जब 1962 के युद्ध में नेहरू की लापरवाही एवं निष्क्रियता के कारण भारत चीन से हार गया और पाकिस्तान को भ्रम हो गया, कि भारतीय सेना शक्तिशाली नहीं रही। इसी सोच के साथ उसने भारत पर आक्रमण कर दिया। उस समय लाल बहादुर शास्त्री द्वारा अपनाई रणनीति पाकिस्तान को मुंह तोड़ जवाब देने काफी थी। शास्त्रीजी 9 जून, 1964 को देश के प्रधानमंत्री बने थे।

भारत-पाकिस्तान युद्ध-1965 के समय भारत में अनाज की कमी हो गई और देश खाने की कमी की समस्या से जूझने लगा। तब लाल बहादुर शास्त्री ने अपना वेतन लेना बंद कर दिया। उन्‍होंने देशवासियों से अपील की, कि वो हफ्ते में एक दिन एक वक्त व्रत रखें उनकी अपील को मानते हुए सोमवार शाम को भोजनालयों ने शटर बंद कर दिए लोगों ने भी एक वक्त व्रत रखना शुरू कर दिया था देशवासियों ने इसे 'शास्त्री व्रत' कहना शुरू कर दिया 
PM रहते हुए कार लिया बैंक से लोन, आज रखी है म्यूजियम में  
सन 1952 में शास्त्रीजी रेल मंत्री बने थे। चार साल बाद 1956 में तमिलनाडु में एक ट्रेन दुर्घटना हुई, जिसमें करीब 150 यात्रियों की मौत हो गई। इस घटना के बाद उन्होंने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया। सेना के जवानों और किसानों महत्व बताने के लिए उन्होंने "जय जवान जय किसान" का नारा भी दिया।

प्रधानमंत्री रहते हुए उन्होंने अपने परिवार के कहने पर एक फिएट कार खरीदी। उस समय वह 12,000 रु में थी, लेकिन उनके बैंक खाते में केवल 7,000 रुपये थे। कार खरीदने के लिए उन्होंने पंजाब नेशनल बैंक से 5,000 रुपये के बैंक लोन के लिए आवेदन किया। वह कार को नई दिल्ली के शास्त्री मेमोरियल में रखा गया है।
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