#Social_Media : आज के चुनिंदा पोस्ट्स, ट्वीट्स, वीडियो, कमेंट्स, वायरल...20211129


जब चंद्रशेखर आजाद जी की शव यात्रा निकली... लोग नंगे पैर, सिर से पगड़ी, टोपी, गमछा जो कुछ भी सिर पर बाँधा था उतारकर चल रहे थे... कल्पना करें, तब कैसा दृश्य रहा होगा...! कैसे भाव रहें होंगे लोगों के हृदय में...! लेकिन कांग्रेसियों ने शव यात्रा में शामिल हो, उनको सम्मान देने से भी मना कर दिया  
अमर बलिदानी चंद्रशेखर आज़ादजी का वास्तविक चित्र 
धर्म नगरी / DN News
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एक अंग्रेज सुप्रीटेंडेंट ने चंद्रशेखर आजाद के बलिदान के बाद उनकी वीरता की प्रशंसा करते हुए कहा था- चंद्रशेखर आजाद पर तीन तरफ से गोलियां चल रही थीं... लेकिन, इसके बाद भी उन्होंने जिस तरह मोर्चा संभाला और 5 अंग्रेज सिपाहियों को हताहत कर दिया था... वो अत्यंत उच्च कोटि के निशाने बाज थे... अगर मुठभेड़ की शुरुआत में ही चंद्रशेखर आजाद की जांघ में गोली नहीं लगी होती तो शायद एक भी अंग्रेज सिपाही उस दिन जिंदा नहीं बचता...  
 
शत्रु भी जिसके शौर्य की प्रशंसा कर रहे थे... मातृभूमि के प्रति जिसके समर्पण की चर्चा पूरे देश में होती थी.. जिसकी बहादुरी के किस्से हिंदुस्तान के बच्चे-बच्चे की जुबान पर थे... उन महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद की शव यात्रा में शामिल होने से कांग्रेसियों ने ही इनकार कर दिया था  
 
उस समय के इलाहाबाद... यानी आज के प्रयागराज के अल्फ्रेड पार्क में जिस जामुन के पेड़ के पीछे से चंद्रशेखर आजाद निशाना लगा रहे थे... उस जामुन के पेड़ की मिट्टी को लोग अपने घरों में ले जाकर रखते थे... उस जामुन के पेड़ की पत्तियों को तोड़कर लोगों ने अपने सीने से लगा लेते थे। चंद्रशेखर आजाद की मृत्यु के बाद वो जामुन का पेड़ भी अब लोगों को प्रेरणा दे रहा था... इसीलिए अंग्रेजों ने उस जामुन के पेड़ को ही कटवा दिया... लेकिन चंद्रशेखर आजाद के प्रति समर्पण का भाव देश के आम जन-मानस में कभी कट नहीं सका
 
चंद्रशेखर आज़ाद पार्क (पहले अल्फ्रेड पार्क) में महान क्रन्तिकारी देशभक्त की प्रतिमा 
जब इलाहाबाद (आज का प्रयागराज) की जनता अपने वीर चहेते क्रांतिकारी के शव के दर्शनों के लिए भारी मात्रा में जुट रही थी... लोगों ने दुख से अपने सिर की पगड़ी उतार दी... पैरों की खड़ाऊ और चप्पलें उताकर लोग नंगे पांव चंद्रशेखर आजाद की शव यात्रा में शामिल हो रहे थे... उस समय शहर के कांग्रेसियों ने कहा कि हम अहिंसा के सिद्धांत को मानते हैं इसलिए चंद्रशेखर आजाद जैसे हिंसक व्यक्ति की शव यात्रा में शामिल नहीं होंगे
 
महान क्रन्तिकारी देशभक्त को प्रणाम 13 जून 2016 प्रयागराज  
भारत रत्न पुरुषोत्तम दास टंडन भी उस समय कांग्रेस के नेता थे और चंद्रशेखर आजाद के भक्त थे। उन्होंने शहर के कांग्रेसियों को समझाया कि अब जब चंद्रशेखर आजाद की मृत्यु हो चुकी है और वो वीरगति को प्राप्त कर चुके हैं, तो मृत्यु के बाद हिंसा और अहिंसा पर चर्चा करना ठीक नहीं है.. और सभी कांग्रेसियों को अंतिम यात्रा में शामिल होना चाहिए। आखिरकार बहुत समझाने-बुझाने और बाद में जनता का असीम समर्पण देखने के बाद कुछ कांग्रेसी नेता और कांग्रेसी कार्यकर्ता डरते हुए चंद्रशेखर आजाद की शव-यात्रा में शामिल होने को मजबूर हुए थे
 
-चंद्रशेखर आजाद की मृत्यु साल 1931 में हो गई थी, लेकिन उनकी मां साल 1951 तक (बीस साल तक) जीवित रहीं... आजादी साल 1947 में मिल गई थी... लेकिन आजादी के बाद 4 साल तक भी उनकी माँ जगरानी देवी को बहुत भारी कष्ट उठाने पड़े थे । माता जगरानी देवी को भरोसा ही नहीं था कि उनके बेटे की मौत हो गई है वो लोगों की बात पर भरोसा नहीं करती थीं । इसलिए उन्होंने अपने मध्यमा अंगुली और अनामिका अंगुली को एक धागे से बांध लिया था । बाद में पता चला कि उन्होंने ये मान्यता मानी थी कि जिस दिन उनका बेटा आएगा उसी दिन वो अपनी ये दोनों अंगुली धागे से खोलेंगी लेकिन उनका बेटा कभी नहीं लौटा... वो तो देश के लिए अपने शरीर से आजाद हो गया था...  
परम पूज्य माँ जगरानी देवी (महान देशभक्त व क्रांतिन्तिकारी आजाद जी की माता) 
- आजाद के परिवार के पास संपत्ति नहीं थी... गरीब ब्राह्मण परिवार में जन्म हुआ था... पिता की मृत्यु बहुत पहले ही हो चुकी थी... बेटा अंग्रेजों से लडता हुआ बलिदान हो चुका था... ये जानकर सीना फट जाता है, कि आजाद की मां आजादी के बाद भी पड़ोस के घरों में लोगों के गेहूं साफ करके और बर्तन मांजकर किसी तरह अपना गुजारा चला रही थी
 
- किसी कांग्रेसी लीडर ने कभी आजाद की मां की सुध नहीं ली... जो लोग जेलों में बंद होकर किताबें लिखने का गौरव प्राप्त करते थे और बाद में प्रधानमंत्री बन गए उन लोगों ने भी कभी चंद्रशेखर आजाद की मां के लिए कुछ नहीं किया । वो एक स्वाभिमानी बेटे की मां थीं... बेटे से भी ज्यादा स्वाभिमानी रही होंगी किसी की भीख पर जिंदा नहीं रहना चाहती थीं, लेकिन क्या हम देश के लोगों ने उनके प्रति अपना फर्ज निभाया
 
- ये बलिदान कितना बड़ा था... आगे फिर कभी लिखेंगे.. लेकिन आप ये लेख हर ग्रुप में जरूर शेयर करना... अपने बच्चों और परिवार वालों को जरूर पढ़ाएं

यहाँ विशेष उल्लेखनीय है, जैसा प्रयागराज के अनेक गणमान्य वरिष्ठ व्यक्तियों ने हमें बताया, महान क्रन्तिकारी चंद्रशेखर आज़ाद जी बलिदान नेहरू के कारण हुए या कहें, आज़ादजी की मृत्यु नेहरू के कारण हुई. घटना है, प्रयागराज में कटरा से साइकिल से आज़ादजी के एक साथी नेहरू के पास 2000/- क्रांतिकारियों के दल के संचालन हेतु मांगने गए, तो बात-बात में नेहरू ने उनसे (आज़ादजी के साथी) आज़ादजी कहाँ हैं, पता लगा लिया। 

अब जिस व्यक्ति के पास विश्वासपूर्वक आज़ादजी ने क्रांतिकारियों व आज़ादी के संघर्ष हेतु आर्थिक सहायता के लिए भेजा हो (ऐसा ही कुछ विचार कर) आज़ादजी के साथ ने बता दिया कि वह (आज़ादजी) अभी अल्फ्रेड पार्क (साइंस फैकल्टी, इलाहाबाद के पश्चिम) की ओर हैं, या बता दिया। फिर नेहरू ने उन्हें बात में उलझाकर तत्कालीन अंग्रेज डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर (जिलाधीश) को आज़ादजी की पार्क में होने की मुखबिरी कर दी. अब इसी घटना से आप अनुमान लगाएं, कि नेहरू कितने बड़े दोगले और देशद्रोही थे. नेहरू चाहते तो मना कर देते 2000/- देने से, पर आज़ादजी का धोखें से location पूंछकर  मुखबिरी तो नहीं करते। यही सब नेहरू ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस आदि देशभक्तों के साथ किया। अब सोशल मीडिया में नेहरू-गाँधी खानदान की एक-एक हकीकत सामने आ गई है।हलांकि, मतांतर से प्रयागराज के कुछ वरिष्ठ नागरिकों के अनुसार, चंद्रशेखर आज़ाद जी बलिदान के इस घटना को छिपाने या नेहरूजी को बचाने हेतु किसी सोसलिस्ट पार्टी के कार्यकर्ता ने उक्त मुखबिरी की, ऐसी अफवाह एवं कहानी गढ़कर उड़ा दी गई थी... संप्रति आजादजी के जीवन का यह अंतिम दिन को देश में "क्रांतिकारियों के विरोधी, सत्ता के लालची, हिन्दू-द्रोही व मुस्लिमपरस्त नेता एवं पार्टी ने ठीक वैसा ही रहस्यमय बना दिया, जैसा नेताजी सुभाषचंद्र बोस के अंतिम दिनों (मृत्यु) को बना दिया। 

प्रसंगवश यहाँ एक और घटना विशेष उल्लेखनीय है, जो नेहरूजी की असलियत से जुडी है. नेहरूजी जब इलाहाबाद से पहला लोकसभा चुनाव लड़ रहे थे, तब वह निकटम एवं अत्यंत सशक्त प्रतिद्वंदी गोलोकवासी प्रभुदत्त ब्रह्मचारीजी को झूठा आश्वासन (पूरे देश में एकसाथ लागू होने वाला "संपूर्ण गौवंश हत्या निशेष एवं पूर्ण संरक्षण" कानून) देकर जीते थे, क्योंकि ब्रह्मचारीजी भारत में संपूर्ण गौवंश संरक्षण एवं पूर्ण गौवंश हत्या पर कठोर कानून बनाने के एकलौते चुनावी बिंदु (मुद्दे) पर चुनाव लड़ रहे थे, अपना जोरदार चुनावी प्रचार प्रयागराज (तब इलाहाबाद में आज का फूलपुर भी सम्मिलित था) कर रहे थे... इस पूरे चुनाव को लेकर हमने खोजबीन भी की है, ब्रह्मचारीजी के आश्रम एवं उनके वयोवृद्ध उत्तराधिकारी से अनेक बार भेंट भी किया है... दुःख है, कि अत्यंत सीमित संसाधनों एवं राष्ट्रवादियों तथा हिन्दुओं का कोई सहयोग नहीं मिलने के कारण हम ऐसे लेख आदि, "धर्म नगरी" की प्रतियों को अधिकाधिक लोगों को निःशुल्क नहीं भेज पा रहे है... #रा.पाठक घटना के बारे में अन्य जानकारी हेतु 6261868110 पर आप कॉल कर सकते हैं
-क्रमशः आगे पढ़ें- कंडे-लकड़ी बेचकर अपना पेट पालती रहीं क्रांतिकारी चन्द्रशेखर आजाद की माँ,
डकैत की माँ कहकर उलाहना देता था समाज...          
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गुरुद्वारों में नमाज से सिख मुस्लिम गठजोड़ तक  
शाहीन बाग के लंगर से लेकर गुड़गांव के गुरुद्वारों में हो रही नमाज तक सिख मु.स्लिम गठजोड़ की खबरें सोशल मीडिया से लेकर मेंन स्ट्रीम मीडिया तक खूब बिखरी हुई हैं। मु.स्लिमों से सिखों की बढ़ती नजदीकी और हिंदुओं से उनकी लगातार बढ़ती घृणा किसी से छिपी नहीं है।

हिंदू अभी भी यह मानते हैं, कि सिख सनातन हिंदू धर्म का ही एक पंथ, एक हिस्सा है जबकि कट्टरपंथी सिख यह दावा करते हैं, कि वह हिंदू धर्म से अलग एक स्वतंत्र धर्म है। हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई आपस में सब भाई भाई, यह नारा वीर सावरकर ने आजादी से पहले दिया था। 

इस नारे में सिख पंथ को हिंदू मुस्लिम और ईसाई धर्मों की तरह एक अलग धर्म के रूप में उल्लिखित किया गया है। अगर सिख पंथ हिंदू धर्म का ही एक हिस्सा था तो क्या सावरकर को यह नहीं पता होगा ? अगर पता था तो सही नारा होना चाहिए था, हिंदू मुस्लिम यहूदी ईसाई आपस में सब भाई भाई।

हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख यह सभी सनातन परंपरा के ही हिस्से हैं लेकिन वीर सावरकर ने अपने नारे में सनातन बौद्ध या सनातन जैन धर्म के बजाय सिख धर्म को जगह दिया। क्या वीर सावरकर सेकुलर थे ?

मेरे ख्याल से तो नहीं, तो फिर उन्होंने सिख धर्म के हिंदू सनातन धर्म से अलगाव को महसूस कर लिया था, वह भी आजादी से पहले जब खालिस्तान नाम की चिड़िया का अता पता भी नहीं था। 

सिखों का सनातन परंपरा से अलगाव तब शुरू होता है जब इनमें अंतिम का कांसेप्ट आ जाता है। दसवें और अंतिम गुरु...! सनातन में कहीं भी अंतिम का कांसेप्ट नहीं है। सनातन हिंदू, सनातन जैन और सनातन बौद्ध तीनों ही अनंत के कांसेप्ट में विश्वास करते हैं। अंतिम का कांसेप्ट इस्लामिक कॉन्सेप्ट है, अंतिम पैगंबर,  अंतिम किताब।

विभाजन थोड़ा और बढ़ जाता है, जब सिखों के बीच किताब महत्वपूर्ण हो जाती है। किताब इसलिए महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि 'गुरु ग्रंथ साहब' को ही अंतिम गुरु मान लिया जाता है। सनातन परंपरा श्रुति परंपरा रही है, सुनना, याद करना और अगली पीढ़ी तक पहुंचाना। लिखने की परंपरा बहुत देर से शुरू हुई, वह भी पत्तों और ताम्र पर। 

वेद खो गए, साढ़े तीन चार हज़ार साल पहले फिर से कंपोज करने पड़े। ढाई- तीन हजार साल पहले तक रामायण-महाभारत की कहानियां लोक परंपरा में ही सीमित थी। मूल रामायण महाभारत कहाँ है, किसी को नहीं पता। दो हज़ार साल पहले भगवद गीता को पूछने वाला कोई नहीं था। कटु लग सकता है, अविश्वसनीय लग सकता है, पर ऐतिहासिक रूप से सत्य है। 

किताब महत्वपूर्ण है इस्लाम में, किताब महत्वपूर्ण है सिखों में। किताबों का महत्व सिखों को इस्लाम के करीब और सनातन परम्परा से दूर ले जाता है। फिर आता है कॉन्सेप्ट बेअदबी का। बेअदबी की सजा है हिंसा! हाथ काट दो, पैर काट दो, जान से मार दो। संस्कृत का पूरा शब्दकोष छान मारिए, कहीं भी आपको बेअदबी या ईशनिंदा का समानार्थी शब्द ही नहीं मिलेगा। ईशनिंदा जैसा कोई कांसेप्ट सनातन में है ही नहीं। 

ईशनिंदा, तौहीन-ए-रिसालत ये सब इस्लामिक कांसेप्ट है और 'बेअदबी' सिखों का कॉन्सेप्ट। दोनों की सजा मौत।
यह चीज भी सिखों को इस्लाम के करीब और सनातन से दूर ले जाती है। भी कुछ असमानताएं है, पर ये मुख्य वजहें हैं जिन्हें शायद वीर सावरकर ने अपनी दूरदृष्टि या अध्ययन से देख लिया था, बाकी सारी वजहें राजनैतिक और क्षणिक है।

सवाल यह है किस सिख-मु.स्लिम गठजोड़ क्या लंबे समय तक चल सकता है? जवाब है नहीं। इतनी समानताओं के बावजूद कुछ विरोधाभास भी है। सिखों में कीर्तन-संगीत उनके धर्म का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जबकि इस्लाम में संगीत पूरी तरह हराम है। हलाल और झटका मीट भी दोनों के बीच असमानता पैदा करता है। 

जहां हिंदू बहुसंख्यक होगा, वहां सिख हमेशा रहेंगे लेकिन जहां इस्लाम बहुसंख्यक होगा, वहां से सिखों को भाग कर फिर से हिंदुओं की शरण में आना पड़ेगा। बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान इसके सबसे ताजा और ज्वलन्त उदाहरण हैं। #सोशल_मीडिया से...
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World's Tallest Railway Bridge
Very proud to share that @RailMinIndia is constructing the World's Tallest Railway Bridge Pier at Noney Valley in Manipur with a height of 141 Mtrs.
As a part of the ambitious 111 Km long Jiribam-Imphal line, the travel time of 10-12 hours will be reduced to a mere 2.5 hours.



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भारत की 18+ आबादी का 83.0% कम से कम एक डोज़ ले चुका है और 18+ आबादी का 46.2% पूरी तरह वैक्सीनेटेड हो चुका है।
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Disclaimer : अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अंतर्गत हमारा संविधान हमे अपनी बात या पक्ष कहने की अनुमति देता है. इस कॉलम (आज के चुनिंदा पोस्ट्स, ट्वीट्स, कमेंट्स...) में अधिकांश कमेंट व पोस्ट SOCIAL MEDIA से ली गई है, यह जरूरी नहीं की सभी पोस्ट अक्षरशः सत्य हों, हम यथासम्भव हर पोस्ट की सत्यता परख कर इस कॉलम में लेते हैं, फिर भी हम सभी पोस्ट एवं उनकी सभी तथ्यों से पूर्ण सहमत नहीं हैं -सम्पादक 
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#समान_नागरिक_संहिता_लागू_करो
Support This Trend
 #समान_नागरिक_संहिता_लागू_करो
#देश_मांगे_UniformCivilCode -@Hindustanikhun
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Dear All Nationlist 
Please raise your voice and Support .
India need 
#समान_नागरिक_संहिता_लागू_करो 
#समान_नागरिक_संहिता_लागू_करो -@VISHALJ17021983
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#समान_नागरिक_संहिता_लागू_करो
#जनसंख्या_नियंत्रण_कानून_लागू_करो
#अल्प_संख्यक_आयोग_खत्म_करो
#एनआरसी_लागू_करो
#हिन्दू_पर्सनल_बोर्ड_को_मान्यता_दो -@kishorjimaharaj
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Retweet If You Agree .
#समान_नागरिक_संहिता_लागू_करो -@YogiDevnath2
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59 people including 27 women and 10 children were burnt to death in Godhra by Muslims because they were returning from Ayodhya. #MunawarFaruqui made a joke on it & blamed Amit Shah for it
He doesn't deserve to perform anywhere in India forget Bangalore. -@vikrantkumar
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Bilal Ismail Abdul Majid alias Haji Bilal (61), who was held guilty of the carnage of 59 innocent Ram Bhakta Hindus in 2002 at Godhra in Gujarat died on November 26 at Vadodara’s SSG hospital. 

Bilal was serving life imprisonment at Vadodara Central Jail after he was convicted of involvement in the Godhra massacre. He was under treatment for an aliment for over four years. On November 22, his health deteriorated and he was rushed to SSG hospital. He was kept on oxygen support but he died during treatment. After the post-mortem, police handed over the body to his family. Owing to his poor health, he was granted parole earlier, and had returned to jail after the parole term was over.

Assistant Commissioner of Police A V Rajgor said that Bilal was suffering from a heart ailment and regular hypertension.

Bilal was among 11 Muslims who were awarded the death penalty by a special court of Judge PR Patel in Ahmedabad in March 2011, in the Godhra train carnage. Later on, their sentence was commuted to life imprisonment by the Gujarat high court. Another 20 people were sentenced to life imprisonment in the case.

The court had described them as the ‘core committee’ that had planned the mass murder of 59 Hindus on February 27, 2002, when they were returning from Ayodhya in the Sabarmati Express.

At Godhra in the Panchmahal district of Gujarat, the mob comprising over a thousand Islamic fanatics targeted coach number S6 of Sabarmati Express in which karsevaks were travelling. The mob surrounded the coach, poured fuel on it and set it on fire, leading to the tragic death of the karsevaks. The incident had triggered the 2002 riots in Gujarat.

Besides murder and conspiracy, Bilal was held guilty for obstructing firefighters from reaching to burning coach that possibility could have saved lives. 

The court had called this case rarest of the rare. Even Gujarat government-appointed inquiry commission, headed by Justice Nanavati, had concluded train burning was the result of a pre-planned conspiracy and not an accident. In October 2017, the division bench of Justices A.S. Dave and G.R. Udhwani of Gujarat High Court commuted their death sentence to life imprisonment. Courtesy : #OpIndiacom
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Complaint against comedian Munawar Faruqui in Bangalore. 
Complaint alleges that “it could create chaos and disturb public peace and harmony”
@munawar0018 #MunawarFaruqui @BlrCityPolice -@barandbench
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Rightwards arrow59 Hindu pilgrims (including 27 women & 10 children) were brutally burnt alive in Godhra. #MunawarFaruqui mocked the innocent Godhra train victims Rightwards arrowHe mocked Shri Ram Ji & Sita Ji Rightwards arrowHe can’t utter a word on any other religion, including his own. Rightwards arrowConclusion- I am a Bhakt! -@advocate_alakh
See, listen-
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I am all for expansion of arts and artistic freedom. 
But the day you made fun of Hindu women and children burnt alive in Godhra is the day I wished your career never flourishes Munawwar Farooqi. -@first_desi
#MunawarFaruqui
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Will ANY comedian joke about :
1984 riots
1947 partition
26/11 
9/11 
No right?
Then how can you take jokes on GODHRA 2002 where HINDUS were burned alive in train !
This isn't COMEDY.
This is HINDU HATRED. -@sunnysingh695
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In 2002 why did you put the documents in that karsevak train coming back from Ayodhya to Godhra, Gujarat?
#MunawarFaruqui, Burning Train This was not a joke or a comedy. -@Tarpan_Patel_
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Kader Khan, Mahmood to Zakir Khan, even Pakistani comedians like Shakeel Siddiqui, Rauf Lala etc, none of any Muslim comedians faced boycott by majoritarian.
So please don’t teach us tolerance!!We can’t do Charlie Hebdo, hence boycott! -@MrSinha_
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Dear Arfa ji majoritarian thugs asked authorities to cancel pysopath #MunawarFaruqui shows who make fun of people who was died in Godhra. Peaceful Islamic minorities killed kamlesh Tiwari,Charlie hebdo cartoonist for a cartoon only. Can u condemn their acts to prove secularism -@SecularSarcasm
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How Islamist react when their Prophet was defamed,
...But Hindus protested democratically to cancel show...
Still Left-Liberals unhappy with this ?
@astitvam @mepratap @HJSBangalore 
#WellDoneBengaluruPolice -@Ramesh_hjs
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Anti-Hindu comedian #MunawarFaruqi  is in the habit of constantly deriding Hindus’ Deities !
Bengaluru Police sent a letter to auditorium to cancel Munawar show in Bengaluru.
We support @BlrCityPolice  for their prompt action !
#WellDoneBengaluruPolice -@HinduJagrutiOrg
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There has never been a problem of Munawar Faruqui being a Muslim.
The problem is, "he many times has made jokes on Hindu gods" while he never dares to make joke on Allah. 
Zakir Khan is also a Muslim and everyone loves him because he is a comedian.
#MunawarFaruqui -@scorchedstone
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Nafrat jeet gayi? Mocking Hindu Gods is comedy? 60 people being murdered by burning to death is a JOKE? India is great & Indians are tolerant so only your insensitive shows are getting canceled Write better jokes, don’t destroy the delicate secular fabric of our nationFolded handsFolded hands
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What do you think by saying emotional statements like nafrat jeet gyi this that goodbye nd all will help you?? You should have thought speaking about Hindu gods beforehand only now it’s not that India where people used to laugh on jokes made on their deities. #ban #MunawarFaruqui
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What happened in Wuhan ? -@vapendharkar
Wuhan residents line up to be tested for COVID-19 in Wuhan (Photo: AP)
The first outbreak of the SARS-CoV-2 virus and the disease that would come to be known as Covid-19 occurred during the fall of 2019 in the Chinese city of Wuhan, but the world still doesn’t know the virus’s precise origin. Many scientists believe that the most likely explanation is zoonotic spillover, a process in which the virus jumped to humans through another species in the wild. Historical precedent makes the theory plausible—SARS-CoV-1, the virus that caused the 2002-04 SARS epidemic, seems to have crossed over from civet cats. But direct evidence that something similar happened in the case of Covid-19 has yet to emerge.
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मेंगलुरु की बहकी हिन्दू डॉक्टर युवती को जब एक संत ने समझाया... देश के लाखों साधु-संत धर्माचार्यों के लिए है प्रेरणा  
#Social_Media : आज चुनिंदा पोस्ट्स, ट्वीट्स, वीडियो, कमेंट्स, वायरल...20211123

http://www.dharmnagari.com/2021/11/Aaj-ke-selected-Posts-Tweets-Comments-Tuesday-20211123.html

#Social_Media : अब रात को मोबाइल की रोशनी में अपनो को जलाया, तब घर में घर के फर्नीचर से अपनों को जलाया...
http://www.dharmnagari.com/2021/10/Aaj-ke-selected-Posts-Tweets-Comments-Sunday-20211017.html
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जब अपने पति और बेटे का शव घर में, घर के फर्नीचर से जलाना पड़ा


#Social_Media : बाल दिवस का विरोध करने #ठरकी_दिवस के माध्यम से निकली भड़ास
http://www.dharmnagari.com/2021/11/Aaj-ke-selected-Posts-Tweets-Comments-Sunday-20211114.html

मुस्लिम निकाह एक अनुबंध (कॉन्ट्रैक्ट), यह हिंदू विवाह की तरह संस्कार नहीं: कर्नाटक हाईकोर्ट
http://www.dharmnagari.com/2021/10/Aaj-ke-selected-Posts-Tweets-Comments-Saturday-20211023.html

भारत में बांग्लादेशी लूटते ही नहीं, रेप और मर्डर भी करते हैं... 
देश हो या विदेश... हिन्दू मारे, लूटे जा रहे... कब दुनियाभर के हिन्दू देंगे जवाब ?
http://www.dharmnagari.com/2021/10/Aaj-ke-selected-Posts-Tweets-Comments-Monday-20211018.html

देश-दुनिया । अनोखे शासक राजा रवि वर्मा, जिन्होंने बनाई हिंदू महाकाव्यों व धर्मग्रन्थों पर कालजयी कलाकृतियाँ
http://www.dharmnagari.com/2021/10/Todays-Special-2-October-www.DharmNagari.com-Dharm-Nagari.html 
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कथा आयोजन करवाने हेतु सम्पर्क करें-
व्यासपीठ की गरिमा एवं मर्यादा के अनुसार श्रीराम कथा, वाल्मीकि रामायण, श्रीमद भागवत कथा, शिव महापुराण या अन्य पौराणिक कथा करवाने हेतु संपर्क करें। कथा आप अपने बजट या आर्थिक क्षमता के अनुसार शहरी या ग्रामीण क्षेत्र में अथवा विदेश में करवाएं, हमारा कथा के आयोजन की योजना (मीडिया आदि) में पूर्ण सहयोग रहेगा। 
-प्रसार प्रबंधक आरके द्धिवेदी "धर्म नगरी / DN News" मो.9752404020, 8109107075-वाट्सएप ट्वीटर / Koo / इंस्टाग्राम- @DharmNagari ईमेल- dharm.nagari@gmail.com यूट्यूब- #DharmNagari_News   

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