कृष्ण शिला से निर्मित आदि शंकराचार्य की प्रतिमा का अनावरण करने केदारनाथ जाएंगे PM


सार्वजनिक रैली को सम्बोधित एवं परियोजनाओं का उद्घाटन भी करेंगे 
-पढ़ें, देशभर के साधु-सन्तों, धर्माचार्यों आदि की प्रतिक्रिया  
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उत्तराखंड के केदारनाथ मंदिर में नवनिर्मित 35 टन वजनी एवं 12 फीट ऊंची श्री आदि शंकराचार्य की समाधि तथा उनकी प्रतिमा का अनावरण शुक्रवार 5 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। वर्ष 2013 के जून माह में आए भयानक त्रासदी व बाढ़ में यह समाधि नष्‍ट हो गई थी, जिसका पुनर्निर्माण का कार्य प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में किया गया है।

परियोजनाओं का शिलान्यास एवं उद्घाटन 
श्री केदारनाथ पहुंचकर सर्वप्रथम PM मोदी श्री केदारनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना करेंगे। उसके बाद श्री आदि शंकराचार्य समाधि का उद्घाटन एवं प्रतिमा का अनावरण करेंगे। इसके पश्चात सार्वजनिक रैली को भी संबोधित करेंगे तथा अनेक ढांचागत परियोजनाओं का शिलान्यास एवं उद्घाटन भी करेंगे। इनमें सरस्वती आस्थापथ और घाट, मंदाकिनी आस्थापथ, तीर्थ पुरोहित हाउस तथा मंदाकिनी नदी पर गरुड़ चट्टी पुल शामिल हैं। इन परियोजनाओं पर एक अरब तीस करोड़ रुपये से अधिक की लागत आई है।
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सितंबर 2020 में आदि शंकराचार्य की समाधि स्थल, जब 35% निर्माण कार्य पूरा हुआ था 
कर्नाटक में बनी आदि शंकराचार्य की प्रतिमा-
आदि शंकराचार्य समाधि स्थल पर स्थापित की गई प्रतिमा कर्नाटक के मैसूर में में तैयार की गई। 12 फीट ऊंची और 35 टन वजनी यह प्रतिमा कर्नाटक के मैसूर में निर्मित की गई। कृष्ण शिला से निर्मित इस प्रतिमा को पिछले दिनों पहले गौचर और इसके बाद वायुसेना के हेलीकाप्टर की मदद से केदारनाथ पहुंचाया गया। पांच नवंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस प्रतिमा का अनावरण करेंगे। केदारनाथ में शंकराचार्य समाधि का निर्माण कर रहे वुड स्टोन कंस्ट्रक्शन कंपनी के केदारनाथ प्रभारी मनोज सेमवाल ने बताया, कि मूर्ति को समाधि-स्थल पर स्थापित करने के लिए कर्नाटक से पांच मूर्तिकार आए।

बीजेपी मनाएगी देशभर में सांस्कृतिक पुनर्जागरण-
प्रधानमंत्री की केदारनाथ धाम यात्रा को लेकर इस दिन बीजेपी देश भर में सांस्कृतिक पुनर्जागरण के एक भव्य राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम आयोजित करेगी। कार्यक्रम को देशभर के ज्योतिर्लिंगों, चारों धामों एवं देश भर के प्रमुख मंदिर एवं शिवालयों को जोड़े गए है। कार्यक्रम से साधु-संत, केंद्रीय मंत्री, बीजेपी शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सहित पार्टी के सभी वरिष्ठ नेता जुड़ेंगे। कार्यक्रम के अनुसार देश भर के हजारों शिवालयों पर भी प्रधानमंत्री के कार्यक्रम को देखने की व्यवस्था की गई है। 

उल्लेखनीय है, आदिगुरु शंकराचार्य जी ने देश में आध्यात्मिक संस्कार और आध्यात्मिक चेतना को जागृत करने के लिए जो अभूतपूर्व कार्य किये थे। बीजेपी का मानना है, ऐसे कार्यक्रमों से देशवासियों को परिचित कराने और और उनके द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों को जीवन में उतारने के लिए इस तरह के कार्यक्रम की ज़रूरत है। वहीं, उत्तराखंड में आने वाले समय में चुनाव है। PM की इस यात्रा के पहले 2019 में अंतिम चरण की वोटिंग के बाद प्रधानमंत्री केदारनाथ की यात्रा पर आए थे।

प्रधानमंत्री की इच्छा-
बीजेपी के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी चाहते हैं, कि सासंकृतिक विरासत को अक्षुण्ण रखने और इससे समस्त देशवासियों को परिचित कराने आदि शंकराचार्य की अखंड यात्रा के मार्ग पर स्थापित देशभर के प्रमुख 87 मंदिरों पर साधु-संत, महामंडलेश्वर, आचार्य आदि को भी जोड़ा जाए। इसलिए इस कार्यक्रम को आयोजित किया गया है।  

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श्री आदि शंकराचार्यजी के बारे में... 

भगवान शंकर के अवतार आदि शंकराचार्य 12 वर्ष की आयु में काशी से धर्म प्रचार करते हुए हरिद्वार पहुंचे। यहां गंगा तट पर पूजा-अर्चना किया। ऋषिकेश स्थित भरत मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु का शालिग्राम विग्रह स्थापित किया। ऋषिकेश से 35 किमी दूर व्यासचट्टी में गंगा पार कर ब्रह्मपुर (वर्तमान में बछेलीखाल) पहुंचे। ब्रह्मपुर से देवप्रयाग पहुंचकर संगम पर उन्होंने "स्तवन रचना" (गंगा स्तुति) की फिर श्रीक्षेत्र श्रीनगर (गढ़वाल) की ओर बढ़े। अलकनंदा नदी के दायें तट मार्ग से रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग होते हुए नंदप्रयाग पहुंचे।

यहां से शंकराचार्य जोशीमठ पहुंचे और वहां "कल्प वृक्ष" के नीचे साधना में लीन में हो गए। जोशीमठ में ज्योतिर्मठ पीठ (भारत के चार शंकराचार्य पीठ में उत्तर की पीठ) की स्थापना की
। फिर बदरीनाथ धर्म पहुंचे। यहां उन्होंने बदरीनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार करने के साथ श्रीविष्णु की चतुर्भुज मूर्ति को नारद कुंड से निकालकर मंदिर के गर्भगृह में स्थापित किया। बदरिकाश्रम में ही आदि शंकराचार्य ने ब्रह्मसूत्र पर "शांकर भाष्य" की रचना किया भारत को एक सूत्र में बांधते हुए उन्होंने भगवान शिव के धाम केदारनाथ पहुंचकर चिर-समाधि ले ली। जून 2013 में केदारनाथ त्रासदी के दौरान आदि शंकराचार्य की समाधि भी भीषण बाढ़ की भेंट चढ़ गई। धाम में इसी स्थान पर अब भूमिगत समाधि का निर्माण किया गया है।
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देशभर के साधु-सन्तों, धर्माचार्यों आदि की प्रतिक्रिया...  
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