चंद्र ग्रहण पर 19 नवंबर को, विशेष उपाय, मंत्र-जप, ग्रहण काल, राशियों पर प्रभाव, क्या करें क्या नहीं...
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-रा.पाठक अवैतनिक संपादक
साल का दूसरा चंद्र-ग्रहण 19 नवंबर, 2021 (शुक्रवार) को वृष राशि और कृतिका नक्षत्र में में लग रहा है। सनातन हिंदू पंचांग के अनुसार चंद्र-ग्रहण (Lunar Eclipse) सदैव पूर्णिमा तिथि पर ही लगता है। इस बार यह चंद्र-ग्रहण कार्तिक शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि (19 नवंबर) को लगेगा।
यह ग्रहण खंडग्रास अर्थात आंशिक चंद्र ग्रहण होगा। यद्यपि सनातन हिंदू धर्म में अनुसार इस घटना को शुभ नहीं मानते हैं। अधिकांश ज्योतिषियों के अनुसार, भारत में आंशिक चंद्र ग्रहण होगा, जिसके कारण सूतक काल नहीं लगेगा। चंद्र-ग्रहण में सूतक काल ग्रहण के पांच घंटे पहले से ही आरंभ हो जाता है। ज्योतिषियों के अनुसार, इस ग्रहण का कुछ राशियों पर अच्छा तो कुछ पर नकारात्मक प्रभाव भी दिख सकता है। उल्लेखनीय है, वर्ष का पहला चंद्र ग्रहण 26 मई को लगा था और यह साल का दूसरा और अंतिम चंद्र ग्रहण है।
चंद्र ग्रहण का समय-
भारतीय समयानुसार 19 नवम्बर को चंद्र ग्रहण सुबह 11:34 मिनट से शुरू कर शाम 05:33 मिनट पर समाप्त होगा। आचार्य नित्यानंद गिरी (वृन्दावन) के अनुसार, इस प्रकार यह चंद्र-ग्रहण लंबे समय तक रहेगा और ग्रहण काल की कुल अवधि लगभग 5 घंटे 59 मिनट तक होगी। भारत में ये ग्रहण समाप्ति के दौरान आंशिक तौर पर देखा जा सकेगा। आंशिक होने के कारण इस ग्रहण का सूतक मान्य नहीं होगा। अर्थात पूजा-पाठ संबंधित किसी प्रकार की निषेध (restriction) मान्य नहीं होंगी।
क्या है आंशिक चंद्र ग्रहण ?
आंशिक चंद्र ग्रहण तब होता है, जब सूर्य और चन्द्रमा के बीच पृथ्वी घूमते हुए आती है, परन्तु ये तीनों (सूर्य, चन्द्रमा, पृथ्वी) एक सीधी रेखा में नहीं होते। ऐसी स्थिति में चन्द्रमा की छोटी सी सतह पर पृथ्वी के बीच के भाग या हिस्से की छाया पड़ती है, जिसे अंब्र (Umbra) कहते हैं। चंद्रमा के शेष भाग में पृथ्वी के बाहरी भाग की छाया पड़ती है, जिसे पिनम्ब्र (Penumbra) कहते हैं। इस काल में चन्द्रमा का एक बड़ा भाग हमें पृथ्वी की छाया जैसा दीखने लगता है।
कहां-कहां दिखेगा चंद्र ग्रहण ?
भारत में यह चंद्र ग्रहण उपछाया के रूप में दिखाई देगा। भारत में ये ग्रहण केवल अरुणाचल प्रदेश और देश के पूर्वी सीमांत क्षेत्रों में दिखाई देगा, जिससे अगरतला, आइजोल, कोलकाता, चेरापूंजी, कूचबिहार, डायमंड हार्बर, दीघा, गुवाहाटी, इंफाल, ईटानगर, कोहिमा, लामडिंग, मालदा, उत्तरी लखीमपुर, पासीघाट, पोर्ट ब्लेयर, पुरी, शिलांग, सिबसागर और सिलचर में दिखाई देगा। राजधानी दिल्ली में ये चंद्र ग्रहण नहीं दिखेगा। वहीं विदेशों में यह चंद्र-ग्रहण युरोप, अमेरिका, पश्चिमी अफ्रीका, इंडोनेशिया, रूस, चीन, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन में स्पष्ट रूप देखा जा सकेगा।
इन राशि के जातक रहें सावधान-
साल का अंतिम चंद्र ग्रहण वृष राशि में लग रहा है, इसलिए वृष राशि के जातकों ग्रहण-काल के समय सर्वाधिक सावधान रहें। वृन्दावन के ज्योतिषाचार्य आचार्य नीरज पराशर के अनुसार, सिंह राशि, वृश्चिक राशि और मेष राशि के जातक भी ग्रहण-काल के समय स्वास्थ को लेकर अत्यधिक सावधान रहें। इन राशियों को कुछ आर्थिक हानि भी उठानी पड़ सकती है। ग्रहण काल के समय किसी भी तरह के निवेश से बचना चाहिए, अन्यथा आपको भारी हानि हो सकता है।
तुला, कुंभ और मीन के लिए लाभप्रद-
ज्योतिषियों के अनुसार तुला, कुंभ और मीन राशि वालों के लिए यह चंद्र-ग्रहण सर्वाधिक अनुकूल होगा, उनके कार्यों में सफलता मिलेगी और करियर में आ रही बाधाएं दूर होंगी, सफलता मिलने की संभावना बढ़ सकती है। नौकरी और व्यापर में अच्छे परिणाम मिलेंगे, बाधाएं कम आएंगी। इसके अलावा धन लाभ के भी संकेत हैं। वहीं, मेष, वृषभ, सिंह और वृश्चिक राशि वालों पर चंद्र ग्रहण की वजह से छुट-पुट समस्याएं बढ़ सकती हैं।
चंद्र ग्रहण पर करें ये उपाय-
चंद्र ग्रहण के दिन एक ताला खरीदें। रात को चन्द्रमा के प्रकाश (रोशनी) में रख दें। सुबह उठकर ताले को मंदिर में जाकर रख दें। इस उपाय को अपनाने से आर्थिक समस्या एवं ऋण से भी मुक्ति का निदान होगा।
साल का दूसरा चंद्र-ग्रहण 19 नवंबर, 2021 (शुक्रवार) को वृष राशि और कृतिका नक्षत्र में में लग रहा है। सनातन हिंदू पंचांग के अनुसार चंद्र-ग्रहण (Lunar Eclipse) सदैव पूर्णिमा तिथि पर ही लगता है। इस बार यह चंद्र-ग्रहण कार्तिक शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि (19 नवंबर) को लगेगा।
यह ग्रहण खंडग्रास अर्थात आंशिक चंद्र ग्रहण होगा। यद्यपि सनातन हिंदू धर्म में अनुसार इस घटना को शुभ नहीं मानते हैं। अधिकांश ज्योतिषियों के अनुसार, भारत में आंशिक चंद्र ग्रहण होगा, जिसके कारण सूतक काल नहीं लगेगा। चंद्र-ग्रहण में सूतक काल ग्रहण के पांच घंटे पहले से ही आरंभ हो जाता है। ज्योतिषियों के अनुसार, इस ग्रहण का कुछ राशियों पर अच्छा तो कुछ पर नकारात्मक प्रभाव भी दिख सकता है। उल्लेखनीय है, वर्ष का पहला चंद्र ग्रहण 26 मई को लगा था और यह साल का दूसरा और अंतिम चंद्र ग्रहण है।
चंद्र ग्रहण का समय-
भारतीय समयानुसार 19 नवम्बर को चंद्र ग्रहण सुबह 11:34 मिनट से शुरू कर शाम 05:33 मिनट पर समाप्त होगा। आचार्य नित्यानंद गिरी (वृन्दावन) के अनुसार, इस प्रकार यह चंद्र-ग्रहण लंबे समय तक रहेगा और ग्रहण काल की कुल अवधि लगभग 5 घंटे 59 मिनट तक होगी। भारत में ये ग्रहण समाप्ति के दौरान आंशिक तौर पर देखा जा सकेगा। आंशिक होने के कारण इस ग्रहण का सूतक मान्य नहीं होगा। अर्थात पूजा-पाठ संबंधित किसी प्रकार की निषेध (restriction) मान्य नहीं होंगी।
क्या है आंशिक चंद्र ग्रहण ?
आंशिक चंद्र ग्रहण तब होता है, जब सूर्य और चन्द्रमा के बीच पृथ्वी घूमते हुए आती है, परन्तु ये तीनों (सूर्य, चन्द्रमा, पृथ्वी) एक सीधी रेखा में नहीं होते। ऐसी स्थिति में चन्द्रमा की छोटी सी सतह पर पृथ्वी के बीच के भाग या हिस्से की छाया पड़ती है, जिसे अंब्र (Umbra) कहते हैं। चंद्रमा के शेष भाग में पृथ्वी के बाहरी भाग की छाया पड़ती है, जिसे पिनम्ब्र (Penumbra) कहते हैं। इस काल में चन्द्रमा का एक बड़ा भाग हमें पृथ्वी की छाया जैसा दीखने लगता है।
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भारत में यह चंद्र ग्रहण उपछाया के रूप में दिखाई देगा। भारत में ये ग्रहण केवल अरुणाचल प्रदेश और देश के पूर्वी सीमांत क्षेत्रों में दिखाई देगा, जिससे अगरतला, आइजोल, कोलकाता, चेरापूंजी, कूचबिहार, डायमंड हार्बर, दीघा, गुवाहाटी, इंफाल, ईटानगर, कोहिमा, लामडिंग, मालदा, उत्तरी लखीमपुर, पासीघाट, पोर्ट ब्लेयर, पुरी, शिलांग, सिबसागर और सिलचर में दिखाई देगा। राजधानी दिल्ली में ये चंद्र ग्रहण नहीं दिखेगा। वहीं विदेशों में यह चंद्र-ग्रहण युरोप, अमेरिका, पश्चिमी अफ्रीका, इंडोनेशिया, रूस, चीन, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन में स्पष्ट रूप देखा जा सकेगा।
इन राशि के जातक रहें सावधान-
साल का अंतिम चंद्र ग्रहण वृष राशि में लग रहा है, इसलिए वृष राशि के जातकों ग्रहण-काल के समय सर्वाधिक सावधान रहें। वृन्दावन के ज्योतिषाचार्य आचार्य नीरज पराशर के अनुसार, सिंह राशि, वृश्चिक राशि और मेष राशि के जातक भी ग्रहण-काल के समय स्वास्थ को लेकर अत्यधिक सावधान रहें। इन राशियों को कुछ आर्थिक हानि भी उठानी पड़ सकती है। ग्रहण काल के समय किसी भी तरह के निवेश से बचना चाहिए, अन्यथा आपको भारी हानि हो सकता है।
तुला, कुंभ और मीन के लिए लाभप्रद-
ज्योतिषियों के अनुसार तुला, कुंभ और मीन राशि वालों के लिए यह चंद्र-ग्रहण सर्वाधिक अनुकूल होगा, उनके कार्यों में सफलता मिलेगी और करियर में आ रही बाधाएं दूर होंगी, सफलता मिलने की संभावना बढ़ सकती है। नौकरी और व्यापर में अच्छे परिणाम मिलेंगे, बाधाएं कम आएंगी। इसके अलावा धन लाभ के भी संकेत हैं। वहीं, मेष, वृषभ, सिंह और वृश्चिक राशि वालों पर चंद्र ग्रहण की वजह से छुट-पुट समस्याएं बढ़ सकती हैं।
चंद्र ग्रहण पर करें ये उपाय-
चंद्र ग्रहण के दिन एक ताला खरीदें। रात को चन्द्रमा के प्रकाश (रोशनी) में रख दें। सुबह उठकर ताले को मंदिर में जाकर रख दें। इस उपाय को अपनाने से आर्थिक समस्या एवं ऋण से भी मुक्ति का निदान होगा।
- नौकरी खोज रहे लोग चंद्र ग्रहण पर मीठे चावल बनाकर कौवों को खिला दें। इस उपाय से आपको जल्दी नौकरी मिल सकती है। साथ ही ऑफिस से संबंधित समस्याएं भी दूर हो जाएंगी। शास्त्रों के अनुसार इस उपाय से घर की दरिद्रता भी दूर होती है।
- आर्थिक कष्टों से मुक्ति पाने चंद्र ग्रहण के दिन सुबह स्नान करके भगवान का ध्यान करें, फिर सफेद वस्त्र धारण करें। फिर उत्तर दिशा की ओर मुंख करके बैठ जाएं। चमेली के तेल का दीपक जलाएं और सीधे हाथ में रुद्राक्ष की माला लें और उल्टे हाथ में गोमती चक्र लें। इसके बाद ‘ॐ क्लीं क्लीं स्वाहा’ का 54 बार जाप करें। बाद में गोमती चक्र को एक डिब्बे में बंद करके रख दें। फिर मूंग और हकीक के पांच-पांच दाने लेकर इसी मंत्र का 54 बार पुनः से जाप करें। इसके बाद दीपक के सामने हाथ जोड़कर, उसके तेल को डिब्बे में भर दें। फिर इस डिब्बे को अपने कार्य स्थल पर रख लें। इस उपाय को अपनाने से आपको शुभ परिणाम मिलेंगे।
- आर्थिक कष्टों से मुक्ति पाने चंद्र ग्रहण के दिन सुबह स्नान करके भगवान का ध्यान करें, फिर सफेद वस्त्र धारण करें। फिर उत्तर दिशा की ओर मुंख करके बैठ जाएं। चमेली के तेल का दीपक जलाएं और सीधे हाथ में रुद्राक्ष की माला लें और उल्टे हाथ में गोमती चक्र लें। इसके बाद ‘ॐ क्लीं क्लीं स्वाहा’ का 54 बार जाप करें। बाद में गोमती चक्र को एक डिब्बे में बंद करके रख दें। फिर मूंग और हकीक के पांच-पांच दाने लेकर इसी मंत्र का 54 बार पुनः से जाप करें। इसके बाद दीपक के सामने हाथ जोड़कर, उसके तेल को डिब्बे में भर दें। फिर इस डिब्बे को अपने कार्य स्थल पर रख लें। इस उपाय को अपनाने से आपको शुभ परिणाम मिलेंगे।
चंद्र ग्रहण पर मंत्रों के जप-
भगवान् शिव का मंत्र-
भगवान् शिव का मंत्र-
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्रः प्रचोदयात
ॐ हौं जूं स: ॐ भूर्भुव: स्व: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्व: भुव: भू: ॐ स: जूं हौं ॐ
ॐ नमः शिवाय
गर्भवती स्त्रियों हेतु-
ॐ हौं जूं स: ॐ भूर्भुव: स्व: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्व: भुव: भू: ॐ स: जूं हौं ॐ
ॐ नमः शिवाय
गर्भवती स्त्रियों हेतु-
ॐ क्लीं देवकीसुत गोविंद वासुदेव जगत्पते
देहि मे तनयं कृष्णं त्वामहं शरणं गतः क्लीं ॐ
शत्रुओं पर विजय हेतु-
ॐ ह्रीं बगलामुखी देव्यै सर्व दुष्टानाम वाचं मुखं पदम् स्तम्भय जिह्वाम कीलय कीलय कीलय बुद्धि विनाशाय ह्रीं ॐ स्वाहा
देहि मे तनयं कृष्णं त्वामहं शरणं गतः क्लीं ॐ
शत्रुओं पर विजय हेतु-
ॐ ह्रीं बगलामुखी देव्यै सर्व दुष्टानाम वाचं मुखं पदम् स्तम्भय जिह्वाम कीलय कीलय कीलय बुद्धि विनाशाय ह्रीं ॐ स्वाहा
वाक् सिद्धि हेतु-
ॐ ह्रीं दूं दूर्गाय: नम:
लक्ष्मी प्राप्ति हेतु मंत्र-
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं ॐ स्वाहा:
नौकरी एवं व्यापार में वृद्धि हेतु-
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम:
ग्रहण काल में क्या करें, क्या नहीं ?
- ग्रहण के समय रसोई से संबंधित कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही कुछ भी खाने से बचना चाहिए।
- ग्रहण के समय कुछ काटना, छीलना, छौंकना या बघारना भी नहीं चाहिए,
- ग्रहण के समय कुछ काटना, छीलना, छौंकना या बघारना भी नहीं चाहिए,
- ग्रहण की अवधि में चारों तरफ बहुत अधिक नकारात्मकता (negativity) फैल जाती है। इसलिए घर में सभी पानी के बर्तनों, दूध और दही आदि में कुश या तुलसी की पत्ती या दूब धोकर डालनी चाहिए। ग्रहण समाप्त होने के बाद दूब को निकालकर फेंक देना चाहिए।
- ग्रहण काल में घर में भगवान के मंदिर को ढक देना चाहिए, पूजा-पाठ करना चाहिए,
- ग्रहण जब आरंभ हो, थोड़ा-सा अनाज और कोई पुराना पहना हुआ कपड़ा निकालकर अलग रख दें।
- जब ग्रहण समाप्त हो जाए तब उस कपड़े और अनाज को आदर सहित किसी सफाई-कर्मचारी को दान कर दें। इससे आपको शुभ फल प्राप्त होंगे,
- सूतक काल में भी स्नान करना चाहिए और जब ग्रहण समाप्त हो जाए, तो भी नहाना आवश्यक होता है,
गर्भवती महिलाएं रहें विशेष सावधान-
इस काल में अपना विशेष ध्यान रखें एवं किसी भी प्रकार का काम न करें,
अपनी लंबाई के बराबर गर्भवती महिलाएं एक कुश लें। यदि कुश न हो, तो कोई सीधा डंडा लेकर उसे कोने में खड़ा कर दें। इससे यदि वह ग्रहण में बैठना या लेटना चाहें तो लेट सकेंगी।
गर्भवती महिलाओं के साथ अन्य लोगों को भी सुई में धागा नहीं डालना चाहिए।
घर से बाहर न जाएं, क्योंकि ग्रहण की पड़ने वाली प्रकाश बच्चे के स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है।
कैसा और किसलिए करें दान ?
धन-धान्य की प्राप्ति के लिए-
ज्योतिषियों के अनुसार चंद्र ग्रहण के दिन सफेद रंग की वस्तुओं का दान करना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से चंद्र दोष से मुक्ति मिलती है और धन-धान्य की प्राप्ति होती है। मान्यता है, चंद्र-ग्रहण के काल में चावल, चीनी, सफेद मिठाई या चांदी दान करना शुभ माना जाता है।
नौकरी में प्रगति के लिए-
चंद्र ग्रहण के बाद स्नान करके तिल या तिल से बने हुए समान का दान करने से नौकरी या कार्यक्षेत्र में बाधाएं दूर होती हैं और प्रगति (promotion) का मार्ग खुलता है।
जीवन में शांति के लिए-
अगर आपका जीवन कई तरह की परेशानियों या फिर समस्याओं से घिरा है, तो चंद्र ग्रहण के बाद मछलियों को आटे की गोलियां खिलाएं। एक मत के अनुसार, ग्रहण काल में घर से निकलना शुभ नहीं माना जाता है। इसलिए ग्रहण समाप्त होने के बाद घर के पास किसी नदी या तालाब में मछलियों को आटे की गोलिया खिलाएं।
रोग मुक्ति के लिए-
अगर कोई व्यक्ति लंबे समय से किसी रोग से पीड़ित है तो चंद्र ग्रहण के बाद एक चांदी का कटोरा लेकर उसमें चांदी का सिक्का रखें और अपनी छाया देखें. इसके बाद कटोरा और सिक्का दोनों का दान करें। कहते है, कि ऐसा करने से असाध्य रोग में भी सुधार होने लगेगा।
Disclaimer : इस लेख में दी गई जानकारियां धार्मिक ग्रंथों, ज्योतिर्विदों के मत, प्राचीन आस्था एवं मान्यताओं पर आधारित हैं, समस्त जानकारी शत प्रतिशत सत्य हों, प्रमाणित हों, इसकी पुष्टि हम नहीं करते।
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- ग्रहण काल में घर में भगवान के मंदिर को ढक देना चाहिए, पूजा-पाठ करना चाहिए,
- ग्रहण जब आरंभ हो, थोड़ा-सा अनाज और कोई पुराना पहना हुआ कपड़ा निकालकर अलग रख दें।
- जब ग्रहण समाप्त हो जाए तब उस कपड़े और अनाज को आदर सहित किसी सफाई-कर्मचारी को दान कर दें। इससे आपको शुभ फल प्राप्त होंगे,
- सूतक काल में भी स्नान करना चाहिए और जब ग्रहण समाप्त हो जाए, तो भी नहाना आवश्यक होता है,
गर्भवती महिलाएं रहें विशेष सावधान-
इस काल में अपना विशेष ध्यान रखें एवं किसी भी प्रकार का काम न करें,
अपनी लंबाई के बराबर गर्भवती महिलाएं एक कुश लें। यदि कुश न हो, तो कोई सीधा डंडा लेकर उसे कोने में खड़ा कर दें। इससे यदि वह ग्रहण में बैठना या लेटना चाहें तो लेट सकेंगी।
गर्भवती महिलाओं के साथ अन्य लोगों को भी सुई में धागा नहीं डालना चाहिए।
घर से बाहर न जाएं, क्योंकि ग्रहण की पड़ने वाली प्रकाश बच्चे के स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है।
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धन-धान्य की प्राप्ति के लिए-
ज्योतिषियों के अनुसार चंद्र ग्रहण के दिन सफेद रंग की वस्तुओं का दान करना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से चंद्र दोष से मुक्ति मिलती है और धन-धान्य की प्राप्ति होती है। मान्यता है, चंद्र-ग्रहण के काल में चावल, चीनी, सफेद मिठाई या चांदी दान करना शुभ माना जाता है।
नौकरी में प्रगति के लिए-
चंद्र ग्रहण के बाद स्नान करके तिल या तिल से बने हुए समान का दान करने से नौकरी या कार्यक्षेत्र में बाधाएं दूर होती हैं और प्रगति (promotion) का मार्ग खुलता है।
जीवन में शांति के लिए-
अगर आपका जीवन कई तरह की परेशानियों या फिर समस्याओं से घिरा है, तो चंद्र ग्रहण के बाद मछलियों को आटे की गोलियां खिलाएं। एक मत के अनुसार, ग्रहण काल में घर से निकलना शुभ नहीं माना जाता है। इसलिए ग्रहण समाप्त होने के बाद घर के पास किसी नदी या तालाब में मछलियों को आटे की गोलिया खिलाएं।
रोग मुक्ति के लिए-
अगर कोई व्यक्ति लंबे समय से किसी रोग से पीड़ित है तो चंद्र ग्रहण के बाद एक चांदी का कटोरा लेकर उसमें चांदी का सिक्का रखें और अपनी छाया देखें. इसके बाद कटोरा और सिक्का दोनों का दान करें। कहते है, कि ऐसा करने से असाध्य रोग में भी सुधार होने लगेगा।
2025 में दिखेगा पूर्ण चंद्रग्रहण-
संपूर्ण चंद्र ग्रहण 7 सितंबर 2025 को दिखेगा। सामान्यतः एक वर्ष में 4 ग्रहण लगते हैं। इसमें दो सूर्य ग्रहण और दो चंद्रग्रहण, लेकिन कभी-कभी इससे ज्यादा भी ग्रहण पड़ जाते हैं। 2024 में तीन चंद्रग्रहण और दो सूर्य ग्रहण लगेंगे। ऐसे ही 2027 में भी ग्रहण पड़ेंगे। 2029 हमारे लिए विशेष होगा, तब 4 सूर्यग्रहण और दो चंद्रग्रहण दिखेगा।
------------------------------------------------Disclaimer : इस लेख में दी गई जानकारियां धार्मिक ग्रंथों, ज्योतिर्विदों के मत, प्राचीन आस्था एवं मान्यताओं पर आधारित हैं, समस्त जानकारी शत प्रतिशत सत्य हों, प्रमाणित हों, इसकी पुष्टि हम नहीं करते।
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