#ChardhamYatra : बाबा केदारनाथ और यमुनोत्री धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद


स्वयंभू ज्योतिर्लिंग केदारनाथ जी - यमुनोत्री जी 
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परंपरानुसार शुभ लग्न में आज (6 नवंबर) 
भैयादूज के पावन पर्व पर स्वयंभू ज्योतिर्लिंग केदारनाथ और यमुनोत्री धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो गए। बाबा केदार की डोली धाम से अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए प्रस्थान करते हुए रात्रि प्रवास के लिए रामपुर पहुंचेगी। जबकि 7 नवंबर को बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल में विराजमान होगी। जहां छह माह तक श्रद्धालु अपने आराध्य के दर्शन व पूजा-अर्चना कर सकेंगे।

विशेष पूजा-अर्चना हुई
ज्योतिर्लिंग बाबा केदारनाथ के मंदिर पट बंद करने से पूर्व सुबह 4 बजे से बाबा की विशेष पूजा-अर्चना शुरू हुई। मुख्य पुजारी बागेश लिंग द्वारा बाबा की विधि-विधान से अभिषेक कर आरती उतारी। साथ ही केदारनाथ ज्योतिर्लिंग को समाधि रूप देते हुए लिंग को भस्म से ढक दिया गया। इसके बाद ऊखीमठ के एसडीएम जितेंद्र वर्मा व देवस्थानम बोर्ड के अपर कार्याधिकारी की उपस्थिति में मंदिर के कपाट सुबह 8.00 बजे बंद कर दिए गए। मंदिर के कपाट की चाबी एसडीएम को सौंपा गया।
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इसके पश्चात परंपरानुसार बाबा की पंचमुखी मूर्ति का श्रृंगार कर "चल विग्रह उत्सव डोली" में विराजमान कर बाबा केदार की मूर्ति को मंदिर परिसर में भक्तों के दर्शनार्थ रखा गया। इसके बाद बाबा केदार की डोली मंदिर की तीन परिक्रमा करते हुए श्रद्धालुओं के जयकारों के बीच अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए प्रस्थान कर गई। 

डोली रुद्रा प्वाइंट, लिनचोली, रामबाड़ा, भीमबली, जंगलचट्टी, गौरीकुंड, सोनप्रयाग में भक्तों को आशीर्वाद देते हुए रात्रि प्रवास के लिए पहले पड़ाव रामपुर पहुंचेगी। 6 नवंबर को डोली रामपुर से प्रस्थान करते हुए रात्रि प्रवास के लिए विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी पहुंचेगी। 7 नवंबर को बाबा केदार की पंचमुखी भोग मूर्ति को विधि-विधान के साथ शीतकालीन पंचकेदार गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में विराजमान कर दिया जाएगा।

यमुनोत्री धाम के कपाट-

आज (शनिवार) दोपहर 12:30 बजे यमुनोत्री धाम के कपाट भी बंद हो गए। प्रातःकाल शीतकालीन पड़ाव खरसाली से समेश्वर देवता (शनि देव) की डोली अपनी बहन यमुना को लेने धाम पहुंची। पुरोहित प्यारेलाल उनियाल के अनुसार, खरसाली स्थित मां यमुना के मंदिर को सजाने के लिए फूल मंगाए गए हैं। मंदिर को भव्य तरीके से सजाया गया है। मां यमुना के शीतकालीन पड़ाव में खरशाली गांव में उत्सव का माहौल है। यहां शाम को मां यमुना के आगमन से पूर्व उनके स्वागत में तांदी नृत्य आदि कार्यक्रम आयोजित किए गए।

उल्लेखनीय है, कोविड के कारण प्रभावित चारधाम यात्रा इस बार 18 सितंबर से शुरू हुई थी। कल (5 नवंबर) लगभग 34 हजार श्रद्धालुओं ने मां यमुना के दर्शन किए। समिति के कोषाध्यक्ष प्यारे लाल उनियाल के अनुसार, कपाट बंद होने से एक दिन पहले यमुनोत्री मंदिर समिति ने प्रशासन की उपस्थिति में यमुनोत्री धाम में लगा दानपात्र खोला, जिसमें मंदिर समिति को 5.13 लाख रु की आय हुई है।

यमुना स्नान से मिलती है साढ़े साती से मुक्ति-
भैया दूज के दिन 
यमुना के भाई शनि देव जहां अपनी बहन यमुना को लेने यमुनोत्री धाम पहुंचते हैं। दूसरी तरफ यमराज भी उन्हें मिलने आते हैं। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा भी की जाती है, इसलिए इसे यम द्वितीया भी कहा जाता है। यमराज मां यमुना के भाई हैं। इस कारण इस दिन यमुना नदी में स्नान का विशेष महत्व है। पढ़ें संबधित लेख- Link वर्षभर में केवल चतुर्दशी को होती है यमराज की पूजा, महादेव ने दिया था यमराज को ये वरदान... http://www.dharmnagari.com/2021/10/Yamraj-ki-kewal-ek-din-Narak-Chaturdashi-ko-hoti-hai-Puja-why-Yamraj-puja-only-on-Chaturdashi.html

 मान्यता है, जो भी इस दिन यमुना नदी में स्नान करते हैं। उन्हें शनि की साढ़े साती के साथ यम यातनाओं से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही भाई-बहन रिश्ता मजबूत हो जाता है। साथ ही भाई-बहनों की मनोकामना भी पूर्ण होती है।

वहीं, गंगोत्री धाम के कपाट (शुक्रवार) बंद होने के बाद शनिवार को मां गंगा की डोली अपने मायके व शीतकालीन पड़ाव मुखबा (मुखीमठ) पहुंच गई। इससे पूर्व डोली यात्रा ने मार्कंडेयपुरी स्थित देवी मंदिर में रात्रि विश्राम किया।

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