#कार्तिक_पूर्णिमा #देव_दीपावली : देवताओं के पृथ्वी पर आने का दिन, माँ लक्ष्मी की स्तुति, दान व दीपदान करने का दिन, क्या करें क्या नहीं...


दीपावली के 15 दिन बाद कार्तिक पूर्णिमा या देव-दीपावली को दिन चंद्र-ग्रहण भी है   
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-राजेशपाठक 
वर्ष में एक दिन देवगण इस पृथ्वी पर आते हैं, जिनके आगमन पर विशेषरूप से सनातन धर्म में आस्था रखने वाले आनंदित होकर दीपावली की भाँति दीप जलाते है। यह दिन कार्तिक पूर्णिमा का होता है, जिसे देवताओं के आगमन के कारण देव-दीपावली कहते हैं। देव-दीपावली इस वर्ष शुक्रवार (19 नवंबर) को है यद्यपि पूर्णिमा तिथि गुरुवार दोपहर से लग जाएगी शुक्रवार को दिन में चंद्र-ग्रहण भी लगेगा। इसी दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार के रूप में अवतार (जन्म) लिया था। मान्‍यता है,  इसी दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था, इसलिए इसे त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है।

देव कृपा पाने करें दीपदान-

दीपावली के ठीक 15 दिन पश्चात कार्तिक पूर्णिमा का दिन देवी-देवताओं को प्रसन्न करने का दिन होता है। यह दिन शास्त्रानुसार अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। देव-दीपावली को दीपदान करना अत्यंत पुण्यदायी होता है। इस दिन किसी नदी के घाटों या सरोवर के किनारे दीपदान अवश्य करना चाहिए। नदी, सरोवर, देव-स्थान (मंदिर), घर के अंदर-बाहर, द्वार पर जलाने की परंपरा है। यदि नदी या सरोवर पर नहीं जा सकते हैं, तो देव-स्थान पर जाकर दीपदान करें। इससे देवता प्रसन्न होते हैं। घर में धन-धान्य और सुख-शांति बनी रहती है।
देव दीपावली, वाराणसी (फाइल फोटो)
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धर्म-ग्रंथों एवं ज्‍योतिष के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्‍नान करके उगते सूर्य को अर्ध्‍य देने का विशेष महत्व है। इस दिन दान-पुण्‍य करने से कई तरह के पापों का क्षय होता है। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से, यदि कुंडली में चंद्रमा निर्बल कमजोर हो, तो कार्तिक पूर्णिमा के दिन चावल का दान करना चाहिए। इस दिन दीपदान और तुलसी पूजा अवश्य करनी चाहिए।

चंद्र-ग्रहण-

भारतीय समय के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा (19 नवंबर) की प्रातः 11:34 बजे से चंद्र ग्रहण पड़ेगा, जिका समापन सायं 5:33 बजे होगा। ग्रहणकाल की कुल अवधि- लगभग 5 घंटे 59 मिनट तक है। ज्योतिषियों व पंचांगों के अनुसार, इस चंद्र-ग्रहण से पहले इतने लंबे समय तक चंद्र-ग्रहण 19 फरवरी 1440 को लगा था। अर्थात, 580 वर्ष बाद इतनी लंबी अवधि का चंद्र-ग्रहण शुक्रवार (19 नवंबर 2021) को लगने जा रहा है। विस्तार से पढ़ें- चंद्र-ग्रहण के बारे Link
http://www.dharmnagari.com/2021/11/Chandra-Grahan-last-Lunar-Eclipse-of-2021-Kya-kare-Kya-nahi-Rashi-par-prabhav.html

स्‍नान का महत्व व मुहूर्त-
सनातन हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि पर पवित्र नदी में स्नान का विशेष महत्व माना गया है। मान्यतानुसार, कार्तिक पूर्णिमा को देव-गण पृथ्वी पर आकर गंगा में स्नान करते हैं। इसलिए इस दिन गंगा स्नान अवश्य करना चाहिए। गंगा स्नान के बाद नदी किनारे दीपदान करने से दस यज्ञों के बराबर पुण्य मिलता है।

पुराणों में गंगा स्नान का महत्व बताया गया है। इस दिन भगवान विष्णु का विशेष पूजन करने से श्रद्धालु को यश, धन-समृद्धि, सम्मान-सफलता और कीर्ति प्राप्त होती है। इस दिन जो लोग श्रीहरि विष्णु का ध्यान करते हुए मंदिरों, पीपल, चौराहे या नदी के किनारे पर बड़ा दीया जलाते हैं, उनका घर सुख-सौभाग्य से भर जाता है। यदि गंगा स्नान संभव न हो, तो पानी में गंगाजल डालकर स्नान करना चाहिए। कार्तिक पूर्णिमा पर स्‍नान करने का शुभ मुहूर्त 19 नवंबर 2021, शुक्रवार को ब्रम्‍ह मुहूर्त से दोपहर 2:29 बजे तक है। चूंकि, कार्तिक पूर्णिमा गुरुवार (18 नवंबर) दोपहर बाद आरंभ होगी, इसलिए हरिद्वार आदि गंगा तट वाले शहरों में देव दीपावली गुरुवार रात्रि ही मनायी जाएगी।

दान करना शुभ-
इस दिन क्षमतानुसार अन्न, वस्त्र का दान करना शुभ होता है। पूर्णिमा तिथि पर चावल का दान करना बहुत ही शुभ माना गया है. ज्योतिषीय मतानुसार, पूर्णिमा तिथि पर दान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति एवं घर में सुख-समृद्धि व लक्ष्मी का वास होता है।

तपस्विनियों का पूजन-
कार्तिक पूर्णिमा के दिन शिवा, सम्भूति, प्रीति, संतति, अनुसुइया समेत क्षमा नामक छह तपस्विनी कृतिकाओं के पूजन करने का भी विशेष महत्व है। सायंकाल को चंद्रमा निकलने पर इनका पूजन करना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इन्हें कार्तिक की माता माना गया है और इनकी पूजा करने वालों के घर में धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती।

ऋण से मुक्ति, मां लक्ष्मी की कृपा- 
कार्तिक पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में दीप प्रवाहित करने (दीपदान) से ऋण से मुक्ति मिलती है। घर में धन-समृद्धि हेतु भी दीपदान करते हैं। इससे माँ लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा मिलती है।कार्तिक पूर्णिमा के दिन श्राद्धपूर्वक मीठे जल में दूध मिलाकर पीपल के पेड़ पर चढ़ाने से भी मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है।  इस दिन गंगा या यमुना तट पर स्नान करके सूर्य को अर्घ्‍य देने से सभी तरह के संकट दूर होते हैं और धन समृद्धि के रास्ते खुलते हैं।

कार्तिक पूर्णिमा के दिन सायंकाल चन्द्रमा के निकलने के पश्चात खीर में मिश्री व गंगाजल मिलाकर मां लक्ष्मी को भोग लगाने से उनकी कृपा मिलती है। वहीं, इस दिन घर के द्वार पर वंदनवार लगाएं और उसे फूलों से सजाएं। मुख्य द्वार (देहरी) के दोनों ओर- दाएं और बाएं दीप जलाएं। मुख्यद्वार पर आम के पत्तों का तोरण बांधें। द्वार पर सुंदर सी रंगोली जरूर बनाएं। इससे विशेष समृद्धि के योग बनते हैं और नवग्रह प्रसन्न होते हैं।
 तुलसी के पौधे के सामने एक दीया जरूर जलाएं 

कार्तिक पूर्णिमा के दिन क्या करें- 
प्रातःकाल उठकर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें, यदि निकट गंगाजी हैं, तो वहां स्नान करें,
सुबह मिट्टी के दीपक में घी या तिल का तेल डालकर दीपदान करें,
- भगवान विष्णु की पूजा करें। विष्णु मंत्र- 
'नमो स्तवन अनंताय सहस्त्र मूर्तये, सहस्त्रपादाक्षि शिरोरु बाहवे।
सहस्त्र  नाम्ने  पुरुषाय  शाश्वते,  सहस्त्रकोटि युग धारिणे नम:।।'
- इस दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा और कथा भी आयोजित कर सकते हैं
- कार्तिक पूर्णिमा को श्री विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करें।
- घर में हवन या पूजन करें, घी, अन्न या खाने की कोई भी वस्तु दान करें।
- सायकल किसी मंदिर में दीपदान के साथ घर में तुलसीजी के सम्मुख एक दीया अवश्य जलाएं

कार्तिक पूर्णिमा या देव दीपावली को पितरों की आत्मा की शांति के लिए भी दीया जलाएं घर के पूर्व दिशा की ओर मुख करके दीया जलाएं इससे दीर्घायु और स्वस्थ जीवन की प्राप्ति होती है, घर में भी शांति रहती है

माँ लक्ष्मी की स्तु‍ति करें-
कार्तिक पूर्णिमा के दिन घर के मुख्य द्वार पर हल्दी मिश्रित जल डालकर हल्दी से स्वास्तिक बनाएं, इससे माँ लक्ष्मी घर में प्रवेश होता है, उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करने उनकी स्तु‍ति पढ़ना चाहिए। माँ लक्ष्मी के विभिन्न रूपों की स्तुति करने से माता प्रसन्ना होती हैं।ज्योतिषीय दृष्टिकोण से, जब किसी की जन्मकुंडली में शुक्र ग्रह शुभ स्थिति में न हों या अशुभ पहल दे रहा हो, तो उसे माँ महालक्ष्मी की स्तुति का पाठ अवश्य करना चाहिए। मान लक्ष्मी के विभिन्न रूप जैसे- आदि लक्ष्मी, संतान लक्ष्मी, विद्या लक्ष्मी, धन लक्ष्मी, धान्य लक्ष्मी, मेधा लक्ष्मी, गज लक्ष्मी, जय लक्ष्मी, भाग्य लक्ष्मी, कीर्ति लक्ष्मी, आरोग्य लक्ष्मी, सिद्ध लक्ष्मी, सौंदर्य लक्ष्मी एवं साम्राज्य लक्ष्मी की पूजा-स्तुति साधना करके अपनी मनोकामना माता से कह सकता है नियमित माता की स्तुति का पाठ करने या श्रवण करने से श्रद्धालु या साधक को उनकी कृपा मिलती है


कार्तिक पूर्णिमा  का दिन मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला माना गया है। अत: इस दिन महालक्ष्मी स्तुति का पाठ करें। 
स्तुति- 

आदि लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु परब्रह्म स्वरूपिणि।
यशो  देहि  धनं  देहि  सर्व  कामांश्च  देहि मे ।। 

सन्तान 
लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु पुत्र-पौत्र प्रदायिनि।
पुत्रां  देहि  धनं  देहि   सर्व   कामांश्च  देहि  मे।। 

विद्या 
लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु ब्रह्म विद्या स्वरूपिणि।
विद्यां  देहि  कलां  देहि   सर्व  कामांश्च  देहि  मे।। 

धन 
लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व दारिद्र्य नाशिनि।
धनं  देहि  श्रियं  देहि सर्व कामांश्च देहि  मे ।। 

धान्य 
लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वाभरण भूषिते।
धान्यं देहि  धनं देहि सर्व कामांश्च  देहि मे।। 

मेधा 
लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु कलि कल्मष नाशिनि।
प्रज्ञां  देहि   श्रियं  देहि  सर्व  कामांश्च  देहि  मे।। 

गज 
लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वदेव स्वरूपिणि।
अश्वांश गोकुलं देहि  सर्व कामांश्च देहि मे।। 

धीर 
लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु पराशक्ति स्वरूपिणि।
वीर्यं  देहि   बलं  देहि   सर्व कामांश्च  देहि  मे।। 

जय 
लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व कार्य जयप्रदे।
जयं देहि  शुभं देहि  सर्व कामांश्च देहि मे।। 

भाग्य 
लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सौमाङ्गल्य विवर्धिनि।
भाग्यं  देहि   श्रियं देहि    सर्व  कामांश्च  देहि  मे।। 

कीर्ति 
लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु विष्णुवक्ष स्थल स्थिते।
कीर्तिं  देहि   श्रियं  देहि   सर्व  कामांश्च  देहि मे।। 

आरोग्य 
लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व रोग निवारणि।
आयुर्देहि  श्रियं  देहि   सर्व कामांश्च  देहि  मे।। 

सिद्ध 
लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु  सर्व सिद्धि प्रदायिनि।
सिद्धिं  देहि   श्रियं देहि  सर्व  कामांश्च देहि मे।। 

सौन्दर्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वालङ्कार शोभिते।
रूपं   देहि    श्रियं   देहि    सर्व कामांश्च देहि मे।। 

साम्राज्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु भुक्ति मुक्ति प्रदायिनि।
मोक्षं  देहि    श्रियं देहि    सर्व  कामांश्च  देहि  मे।। 

मङ्गले  मङ्गलाधारे  माङ्गल्ये मङ्गल प्रदे।
मङ्गलार्थं मङ्गलेशि माङ्गल्यं देहि मे सदा।। 

सर्व मङ्गल माङ्गल्ये  शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्रयम्बके देवि नारायणि नमोऽस्तुते।। 
शुभं भवतु कल्याणी आयुरारोग्य सम्पदाम्।

।। इति श्री लक्ष्मी स्तुति संपूर्णम ।।

कार्तिक पूर्णिमा को ये न करें- 
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन किसी से बहस न करें साथ ही इस दिन किसी को अपशब्‍द भी न कहें, चाहे कोई भी कारण हो, स्वयं पर पूर्ण नियंत्रण (self-control) रखें, 
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन नॉनवेज और शराब का सेवन भूलकर से भी न करें। ऐसा करने से अनेक प्रकार के अशुभ फल मिलते हैं,
- इस दिन किसी असहाय या गरीब व्‍यक्ति अपमान न करें, क्योंकि इस दिन गरीबों और असहायों की सहायता करने, उन्हें दान देने से शुभ फल मिलते हैं,
- इस दिन नाखून और बाल नहीं काटें।

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