#जनजातीय_गौरव_दिवस : बिरसा मुंडा व 12 नायक जिन्होंने अंग्रेजों व इस्लामी आक्रांताओं को सिखाया सबक, आज PM मोदी...


हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नामकरण गोंड शासक "रानी कमलापति" करेंगे
- हजारों जनजातीय पहुँच रहे हैं जम्बूरी मैदान भोपाल 
-
पढ़ें, देखें #सोशल_मीडिया में प्रतिक्रिया...
"यह भूमि हमारी है, इसकी रक्षा करना हमारा कर्तव्य है. हमें अपनी जनजाति संस्कृति की रक्षा करनी है (This is our land. This is our duty to protect it. We need to protect our Janjati culture.) -भगवन बिरसा मुंडा   
धर्म नगरी / DN News 
(W.app- 8109107075 -न्यूज़, कवरेज, विज्ञापन व सदस्यों हेतु)
भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को "जनजातीय गौरव दिवस" के रूप में मनाने का निर्णय PM नरेंद्र मोदी की सरकार ने लिया है, जिसे सोमवार (15 नवंबर, 2021) को इसे मनाया जा रहा है। मुख्य कार्यक्रम भोपाल के जम्बूरी मैदान में आयोजित हो रहा है, जिसमें सम्मिलित होने हजारों की संख्या में जनजातीय लोग भोपाल पहुँच रहे हैं। जिनके आने-जाने और खाने-पीने की व्यवस्था भी की गई है। दो लाख जनजातीय लोगों के भोजन की व्यवस्था है। केसर युक्त हलवा, बूंदी, दो सब्जियाँ, दाल और चावल बन रहे हैं। 

प्रधानमंत्री मोदी का कार्यक्रम-
दोपहर लगभग 12:30 बजे- विशेष विमान से भोपाल आगमन  
दोपहर 2:15 बजे- जम्बूरी मैदान में "जनजातीय गौरव दिवस" पर सम्बोधन 
दोपहर 3:10 बजे- रानी "कमलापति रेलवे स्टेशन" (हबीबगंज)  का उद्घाटन
शाम 4:20 बजे- राजा भोज एयरपोर्ट से दिल्ली के लिए प्रस्थान  

एयरफोर्स के विशेष विमान से पीएम मोदी भोपाल पहुँचेंगे। जंबूरी मैदान के कार्यक्रम के बाद पीएम हेलीकॉप्टर से बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी मैदान जाएँगे और यहाँ से सड़क मार्ग से रानी कमलापति रेलवे स्टेशन पहुँचेंगे। इस अवसर पर भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नामकरण गोंड शासक रानी कमलापति के नाम पर किया गया है।
------------------------------------------------
संबंधित समाचार (पढ़ें, देखें)-
प्रधानमंत्री के आगमन पर 15 को बदलेंगे मार्ग, आदिवासियों को ठहराने की अनेक स्थानों पर व्यवस्था
http://www.dharmnagari.com/2021/11/PM-Narendra-Modi-visit-Bhopal-15-November-Traffic-resctriction-diversion-in-the-city.html

आवश्यकता है- (संरक्षक / NRI चाहिए).. मैगजीन- सूचनात्मक व रोचक (factual & informative & interesting), साफ़-सुधरी, स्तरीय, राष्ट्रवादी समसामयिक साप्ताहिक मैगजीन का प्रकाशन शुरू हो रहा रहा इसके विस्तार हेतु हमें तुरंत राष्ट्रवादी विचारधारा के पार्टनर / इन्वेस्टर / "संरक्षक" की खोज है। साथ ही राज्यों की राजधानी में मार्केटिंग हेड चाहिए। संपर्क  9752404020, W.app- 8109107075 ट्वीटर / Koo- @DharmNagari 
कृपया, अपनी प्रतिक्रिया नीचे कमेंट बॉक्स में अवश्य दें, इस कवरेज / लेख को फारवर्ड करें, #RT करें... 
------------------------------------------------

PM to address "Janjatiya Gaurav Divas" in Bhopal 

"Janjatiya Gaurav Divas" celebrations will be led by the Prime Minister Narendra Modi on Monday (15 November). The government has decided to celebrate the birth anniversary of Bhagwan Birsa Munda, which falls on 15th November as Janjatiya Gaurav Divas. Birsa Munda is revered as Bhagwan by tribal communities across the country.


Union Tribal Affairs Minister Arjun Munda said, the PM will first pay floral tributes to Birsa Munda at his statue at Parliament House and will virtually inaugurate the Birsa Munda Freedom Fighter Museum at Ranchi, Jharkhand. The museum has been built at the jail complex where Birsa Munda breathed his last during his incarceration. The PM will also inaugurate the Janjatiya Gaurav Diwas officially at Bhopal where over 2 lakh tribal people will join the function.

Birsa Munda, one of the earliest known tribal freedom fighters, was a true warrior who fought bravely against the exploitative system of British Colonial government in the late 19th century.

Tribal Pride Day Mahasammelan-
In Bhopal, PM will address the Tribal Pride Day Mahasammelan at Jamboori Maidan. Mahasammelan is being organised on the birth anniversary of Lord Birsa Munda. PM will also dedicate the country’s first PPP-built Rani Kamalapati railway station at Habibganj, Bhopal to the Nation.


Prime Minister will also launch Sickle Cell Eradication Mission and Ration Aapke Dwar Yojana in the state at the Mahasammelan. Programmes will be held in every tribal dominated gram panchayat of the state. Tributes will also be paid to tribal heroes for their contribution in the freedom struggle. 

All the tribes of the state like Gond, Baiga, Bhil, Korku, Sahariya, Kol etc. will participate in the programme. This programme will depict the traditional dress, culture, life values of the tribes. Products of Self-Help Groups of Tribal Community will be displayed on the vocal for local theme. About 2 lakh people from different tribes will participate while about one crore tribals will be connected to the programme through webcast.
-
बिरसा मुंडा व 12 नायक, जिन्होंने सिखाया आक्रांताओं को सबक
युवावस्था में ही बिरसा मुंडा अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह में नायक बन कर उभरे और जनजातीय समूह ने उन्हें अपने नेता माना। 25 से भी कम उम्र में इन्होंने देश के लिए बलिदान दे दिया। उनका जन्म छोटानागपुर पठार क्षेत्र में 1875 ईस्वी में हुआ था। ईसाईयों द्वारा संचालित एक विद्यालय में कुछ दिन पढ़ने के दौरान उन्हें अंग्रेजों द्वारा जनजातीय समूह के धर्मांतरण की षड्यंत्र का पता चला। फिर उन्होंने मुंडा और उराँव समुदाय को एकजुट किया। 1886-90 में वो चाईबासा के विद्रोह में शामिल रहे। 3 मार्च, 1900 को चन्द्रक्रधरपुर के जम्कोपाई जंगलों में जब ये अपने साथियों के साथ सो रहे थे, तभी अग्रेजों ने इन्हें गिरफ्तार कर लिया। उनके संघर्ष और दबाव का ही नतीजा था कि ब्रिटिश सरकार को जनजातीय समुदाय के जमीन के अधिकारों के संरक्षण के लिए कानून बनाना पड़ा। जिस लिहतू गाँव में उनका जन्म हुआ था, वो अब राँची जिले में पड़ता है।

1895 में भी उन्हें गिरफ्तार कर के हजारीबाग के कारागार में डाल दिया गया था। उनका गुनाह सिर्फ इतना था कि 1894 के काल के दौरान उन्होंने गरीबों का लगान माफ़ करने के लिए अंग्रेजों के विरुद्ध आंदोलन किया था। अकाल पीड़ित जनता की सहायता के लिए उन्हें ‘धरती बाबा’ की उपाधि लोगों ने दी। 1897-1900 के बीच अंग्रेजों से उनका समाज का कई बार युद्ध हुआ। 1897 में उन्होंने तीर-कमान और तलवार से लैस साथियों के साथ खूँटी थाने पर हमला किया था। 1898 में तांगा नदी के किनारे संघर्ष हुआ। 1900 में डोमबाड़ी पहाड़ी पर संघर्ष हुआ। इस दौरान अंग्रेजों ने काफी क्रूरता की।

रघुनाथ शाह एवं शंकर शाह- 
मध्य प्रदेश का वर्तमान जबलपुर पहले गोंडवाना के नाम से जाना जाता है, जहाँ राजा शंकर शाह और उनके बेटे कुँवर रघुनाथ शाह ने अंग्रेजों से लड़ते हुए बलिदान दिया था। सितंबर 2021 में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने इन जनजातीय नायकों के सम्मान में ‘जनजातीय गौरव समारोह’ में सम्मिलित हुए थे। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजी हुकूमत ने दोनों को तोपों से बाँधकर उनकी निर्मम हत्या कर दी थी। दोनों ने अपने आसपास के राजाओं को अंग्रेजों के खिलाफ एकजुट किया था। उनकी कविताओं ने शहरवासियों में विद्रोह की अग्नि सुलगा दी थी। हालाँकि, एक गद्दार के कारण इन दोनों को अंग्रेजों ने पकड़ लिया था।
खाज्या नायक: ये जनजातीय नायक गुमा नायक नाम के एक चौकीदार के बेटे थे। अंग्रेजों से लोहा लेते हुए ये बलिदान हुए थे। अंग्रेजों की भील-गोंड पलटन में सिपाही रहे खाज्या नायक सेंधवा-जामली चौकी से सिरपुर तक 24 मील लम्बे मार्ग की निगरानी का कार्य सौंपा गया था। 1831-51 तक नौकरी के बाद उन्होंने एक लुटेरे को एक व्यक्ति को लूटते देखा तो उस पर हमला किया। उसकी मौत हो गई तो इन्हें नौकरी से निकाल कर जेल भेज दिया गया। 1857 के युद्ध में उन्हें वापस बुलाया गया, लेकिन कैप्टन बर्च नाम के एक अंग्रेज अधिकारी ने उनके जाति-समुदाय और रंग-रूप पर भद्दी टिप्पणियाँ की। उन्होंने अपने साथियों के साथ अंग्रेजों को लूटा और कइयों को मार गिराया। बाद में 1860 में एक मुठभेड़ में वो बलिदान हुए। बड़वानी में उनका बड़ा प्रभाव था।

सीताराम कँवर
प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन- 1857 की क्रांति के दौरान उन्होंने बड़वानी राज्य के नर्मदा पार के क्षेत्र (जिनमें आज का निमाड़ क्षेत्र सम्मिलित है) में ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक बड़े विद्रोह का नेतृत्व किया था। सतपुरा श्रेणी के भीलों में उन्होंने आज़ादी की अलख जगाई। तांत्या टोपे के साथ उनके संपर्क थे। 9 अक्टूबर, 1958 को उनका बलिदान हुआ था। उन्होंने एक साथ कई जगहों पर विद्रोह किया। होल्कर के राजा ने अंग्रेजों के साथ मिल कर इन्हें मारने का कुचक्र रचा। दिलशेर खान को एक बड़ी सेना के साथ भेजा गया था। गाँव वालों को बचाने के लिए ये अंग्रेजी सेना से भिड़ गए। उस युद्ध में 20 जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी बलिदान हुए थे।

भीमा नायक 
‘निमाड़ का रॉबिनहुड’ के नाम से भीमा नायक प्रसिद्ध हैं। PM मोदी ने 2019 लोकसभा चुनाव के समय कहा था- जैसे मेरठ में मंगल पांडेय थे, वैसे ही मध्य प्रदेश में भीमा नायक। जनजातीय लोगों को एकजुट कर 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों से भिड़ने वाले भीमा नायक की कोई तस्वीर/स्केच तक अंग्रेजों के हाथ नहीं लग पाई। बड़वानी रियासत से लेकर महाराष्ट्र के खानदेश तक उनका प्रभाव था। 1857 के अम्बापानी युद्ध में उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई थी। तात्या टोपे ने निमाड़ में उनसे मुलाकात की थी। 29 दिसम्बर, 1876 को पोर्टब्लेयर में उन्होंने अंतिम साँस ली। एक गद्दार की मुखबिरी के कारण उन्हें पकड़ा गया था।
रघुनाथ सिंह मंडलोई: ये खरगोन के जनजातीय समाज के ग्राम टांडाबरुड़ के रहने वाले थे। वो भिलाला जनजाति के नायक थे। अक्टूबर 1858 में बीजागढ़ के किले में अंग्रेजों ने उन्हें घेर लिया था। इसी दौरान उन्हें बंदी भी बना लिया गया था। उन्होंने अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह का बिगुल फूँका हुआ था।

सुरेंद्र साय
मात्र 18 वर्ष की उम्र से ही इन्होने अंग्रेजों के विरुद्ध हथियार उठा लिया था। इनका जन्म 23 जनवरी, 1809 को संभलपुर के पास खिंडा में हुआ था। उन्होंने गोंड और बिंझल जनजातीय समुदाय के लोगों के हक़ की आवाज़ उठाई। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में उन्होंने देश के लिए योगदान दिया। इसके 5 वर्षों बाद उन्हें अंग्रेजों ने पकड़ लिया। मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले के असीरगढ़ किले में उन्हें कैद कर के रखा गया था। 23 मई, 1884 को उनका निधन हुआ। ये जनजातीय राजवंश के थे, लेकिन अंग्रेजों ने इन्हें नज़रअंदाज़ कर के राजा के निधन के बाद रानी को सत्ता सौंप दी और रिमोट से शासन चलाने लगे। डेबरीगढ़ में भी उन पर अग्रेजों ने जानलेवा हमला किया था, लेकिन वो वहाँ से किसी तरह बच निकले थे।

टंट्या भील
टंट्या भील को अंग्रेज इन्हें डकैत मानते थे, लेकिन वास्तव में ये एक स्वतंत्रता सेनानी थे। वो अंग्रेजों का धन लूट लेते थे और इसे गरीबों में बाँट देते थे। 19 अक्टूबर, 1889 को इन्हें अंग्रेजों ने मौत की सज़ा दे दी थी। इन्हें फाँसी से लटका दिया गया था। इनका जन्म बरदा तहसीन के पंधाना में 1840 के करीब में हुआ था। अंग्रेजों ने इनका साथ छल किया था। इन्हें माफ़ी देने के नाम पर पकड़ लिया गया था। 12 वर्षों तक इन्होने आक्रांता अग्रेजों की नाक में दम कर रखा था। जनता भी इनका साथ देती थी। सभी उम्र के लोग प्यार से उन्हें ‘मामा’ कहते थे। गुरिल्ला युद्ध में पारंगत रहे टंट्या भील ने कई बार जेल तोड़ डाली थी। उनकी बहन के पति ने ही गद्दारी कर के उन्हें पकड़वा दिया था।

मंशु ओझा
जनजातीय योद्धाओं की कुछ पीढ़ी आगे के नायक मंशु ओझा हैं। 1942 के ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के दौरान इन्होने अंग्रेजों की नाक में दम किया था। नवंबर 1942 में अंग्रेजों ने इन्हें गिरफ्तार कर लिया था। नरसिंहपुर जेल में इन्हें कैद कर दिया गया। कड़ी यातनाएँ दी गईं। लेकिन, इन्होंने अपने सपनों का आज़ाद भारत देखा। 28 अगस्त, 1981 को इनका निधन हुआ। रातामाटी में इनका जन्म हुआ था, लेकिन परिवार बाद में घोड़ाडोंगरी के बैतूल में रहने लगा। निर्धनता थी ही, शिक्षा-दीक्षा भी नहीं हो पाई थी। देशभक्ति गीत गाते हुए इन्होंने अपने साथियों के साथ मिल कर रेल की पटरियाँ उखाड़ी थीं। इनके पिता का नाम उमराव ओझा था।

रानी दुर्गावती
गोंड रानी दुर्गावती का जन्म 5 अक्टूबर, 1524 ईस्वी को हुआ था। मध्य प्रदेश के गोंडवाना में उनका शासन था। जिस गढ़मंडला राज्य पर उनका शासन था, उसका केंद्र जबलपुर में था। उनके पति गौड़ राजा दलपत शाह की असामयिक मृत्यु हो गई थी। रानी दुर्गावती ने अपने नाबालिग बेटे वीर नारायण को गद्दी पर बिठाया। हालाँकि, शासन और राजकाज वही संभाला करती थीं। इलाहाबाद के मुग़ल आक्रांता आसफ खान के साथ इनका युद्ध हुआ। इनका शसन 1550-1564 तक चला था। अकबर के आदेश पर जब मुगलों ने उन पर आक्रमण किया, तब उन्होंने होने दीवान से कहा था कि गुलाम रहने से बेहतर है युद्ध के मैदान में सम्मान से मरना। युद्ध में इन्होंने मैदान छोड़ने या दुश्मन के हाथों मरने से अच्छा खुद की जान लेना उचित समझा।

मुड्डे बाई
मध्य प्रदेश के जनजातीय लोगों के लिए 9 अक्टूबर का दिन अति विशेष होता है, क्योंकि इस दिन 1930 में अंग्रेजों के विरुद्ध 400 आदिवासियों ने मिल कर जंगल सत्याग्रह आरंभ किया था। ग्रामीणों के इस सत्याग्रह से बौखलाए अंग्रेजों द्वारा मुड्डे बाई, रेनो बाई, देभो बाई और बिरजू भोई की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस गोलीकांड ने अंग्रेजों की क्रूरता का नया अध्याय लिखा। अंग्रेजों ने जंगल पर जनजातीय लोगों के अधिकार को कुचलते हुए उनके लकड़ी काटने तक पर प्रतिबंध लगा रखा था।

विपक्षी दलों की राजनीति भी शुरू-
केंद्र सरकार की मोदी सरकार कोई निर्णय लें और उस पर राजनीति होना तय है। झारखंड की सत्ताधारी पार्टी JMM ने #जनजातीय_गौरव_दिवस के निर्णय का 
स्वागत तो किया, लेकिन इसे स्टंट भी बता दिया। झारखंड में ‘प्रदेश अनुसूचित जनजाति मोर्चा’ ने केंद्र सरकार को धन्यवाद दिया है। मोर्चा के अध्यक्ष शिव शंकर ओराँव ने कहा कि केंद्र तो तो साबित कर दिया, अब राज्य में हेमंत सोरेन की सरकार बताए कि उसने जनजातियों के लिए क्या किया है। मांडर विधायक बंधु तिर्की ने भी फैसले का स्वागत किया, लेकिन इसे केवल इवेंट न बनाने की हिदायत दे डाली।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भगवा बिरसा मुंडा की जयंती से पहले उन पर बनी एक फिल्म को भी रिलीज किया। इस कार्यक्रम में बीआर चोपड़ा की ‘महाभारत’ में श्रीकृष्ण का किरदार निभाने वाले नीतीश भरद्वाज भी उपस्थित थे। पद्म भूषण एवं पूर्व लोकसभा उपाध्यक्ष कड़िया मुंडा ने इस फिल्म को लिखा है। बिरसा मुंडा के कर्मक्षेत्र खूँटी में इसकी शूटिंग हुई है। अशोक शरण इसके निर्माता-निर्देशक हैं। ‘उलगुलान-एक क्रान्ति’ नाम की ये फिल्म उस आंदोलन पर आधारित है, जिसकी घोषणा बिरसा मुंडा ने दिसंबर 1898 में की थी।
-
#सोशल_मीडिया में प्रतिक्रिया... #जनजातीय_गौरव_दिवस
Reactions in #Social_Media ...
"भगवान बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान सह स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय के लिए पूरे देश के जनजातीय समाज, भारत के प्रत्येक नागरिक को बधाई देता हूं। ये संग्रहालय, स्वाधीनता संग्राम में आदिवासी नायक-नायिकाओं के योगदान का, विविधताओं से भरी हमारी आदिवासी संस्कृति का जीवंत अधिष्ठान बनेगा" - पीएम @narendramodi रांची में भगवान बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान और स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय का वर्चुअल उद्घाटन करते हुए (15 नवंबर)   

-
महान आदिवासी नेता एवं जननायक भगवान बिरसा मुंडा जी की जयंती पर शत शत नमन। #जनजातीय_गौरव_दिवस -@GovernorMP
-

-
-
-
-
Coloum to be updated 

------------------------------------------------

"धर्म नगरी" व DN News का विस्तार प्रत्येक जिले के ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में हो रहा है। प्रतियों को निशुल्क देशभर में धर्मनिष्ठ संतो आश्रम को भेजने हेतु हमें दानदाताओं की आवश्यकता है। साथ ही "धर्म नगरी" के विस्तार हेतु बिजनेस पार्टनर / प्रसार प्रबंधक की आवश्यकता है। संपर्क- 9752404020
नीचे कमेंट बॉक्स में लेख / कॉलम को लेकर अपनी प्रतिक्रिया व सुझाव अवश्य लिखें 
- वाट्सएप पर चुनिंदा व उपयोगी समाचार / कॉलम, राष्ट्रवादी लेख, सन्तों के सारगर्भित प्रवचन आदि तुरंत पाने हेतु हमारे वाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करें  
----------------------------------------------
इसे भी पढ़ें, देखें-
पहाड़ का पानी, पहाड़ की जवानी कभी पहाड़ के काम नहीं आती, हमने इसे बदला है : PM
http://www.dharmnagari.com/2021/11/PM-Modi-at-Kedarnath-Unveils-statue-of-Adi-Shankaracharya-Spoke-Jan-sabha-5-Nov-2021.html

मोदी का वो प्रण.. बोलिए... सियावररामचन्द्र की...  

http://www.dharmnagari.com/2020/08/ModispeechAyodhya5August.html 
रामलला के दर्शन करने वाले और हनुमान गढ़ी जाने वाले पहले प्रधानमंत्री-

------------------------------------------------
कृपया, अपनी प्रतिक्रिया नीचे कमेंट बॉक्स में अवश्य दें, इस कवरेज / लेख को फारवर्ड करें, #RT करें... 
------------------------------------------------
"धर्म नगरी" की सदस्यता, शुभकामना-विज्ञापन या दान देने अथवा अपने नाम (की सील के साथ) से
लेख/कॉलम/इंटरव्यू सहित "धर्म नगरी" की प्रतियां अपनों को देशभर में भिजवाने हेतु बैंक खाते का डिटेल।
 
----------------------------------------------------
कथा हेतु सम्पर्क करें- व्यासपीठ की गरिमा एवं मर्यादा के अनुसार श्रीराम कथा, वाल्मीकि रामायण, श्रीमद भागवत कथा, शिव महापुराण या अन्य पौराणिक कथा करवाने हेतु संपर्क करें। कथा आप अपने बजट या आर्थिक क्षमता के अनुसार शहरी या ग्रामीण क्षेत्र में अथवा विदेश में करवाएं, हमारा कथा के आयोजन की योजना, मीडिया-प्रचार आदि में सहयोग रहेगा। -प्रसार प्रबंधक "धर्म नगरी / DN News" मो.9752404020, 8109107075-वाट्सएप ट्वीटर / Koo / इंस्टाग्राम- @DharmNagari ईमेल- dharm.nagari@gmail.com यूट्यूब- #DharmNagari_News    

No comments