Social Media : बहुसंख्यक समाज के मुंह पर थूकते हुए थप्पड़ मारने जैसा है !
आज-कल के कुछ चुनिंदा पोस्ट्स, ट्वीट्स, वीडियो, कमेंट्स, वायरल...20220706
...मुसलमानों की मानसिकता बिल्कुल स्पष्ट है, क्योंकि बंटवारे के बाद भी साजिश के तहत भारतवर्ष में रह गए मुसलमानों का उद्देश्य वही था... जो आज धरातल से लेकर टीवी डिबेट में साफ-साफ दिखाई दे रहा है
स्पष्ट है भारतवर्ष की सनातनी आस्था, धरोहर और सनातनी समाज के अस्तित्व को खत्म करके गजवा-ए-हिंद को सफल बनाने का कार्य कर रहे हैं 😠.., लेकिन भारतवर्ष का बहुसंख्यक हिंदू समाज की समाज मुसलमानों की कुटिल मानसिकता को पूर्ण रूप से समझ चुका है...
सुनें-
न कफ़न नसीब न कब्रिस्तान
-भारत के पहले गृहमंत्री सरदार पटेल ने 1947 में पाकिस्तान पर व्यंग्य कसते हुए कहा था कि जिन्ना पाकिस्तान को जन्नत बनाना चाहते हैं। ठीक है जब पश्चिम से हवा पूर्व की तरफ चलेगी तो जन्नत की थोड़ी सुगंध हमें भी मिल जाएगी !
सरदार पटेल जानते थे, कि पाकिस्तान जन्नत नहीं जहन्नुम बनने वाला है। इसीलिए उन्होंने व्यंग्य कसे था। आज एक तिहाई पाकिस्तान सैलाब के पानी में डूबा हुआ है और सारे कब्रिस्तान गीले हो गए हैं और मुसलमान मरे हुए लोगों को दफना भी नहीं पा रहे हैं
पाकिस्तान अपने कर्मों की बहुत बुरी सजा भुगत रहा है। शास्त्रों में लिखा है, जहां गाय का खून गिरता है, वो जगह पानी में डूब जाती है। आज एक तिहाई पाकिस्तान पानी में डूब चुका है ! दरअसल जो पानी नदियों के द्वारा मैदानी इलाकों में आया था, वह अभी भी नदियों में वापस नहीं गया है !
हालात ये है ,कि पाकिस्तानी मुसलमान बड़ी मुश्किल से अगर कब्र को खोदकर दलदली जमीन में किसी को दफन भी कर रहे हैं, तो उसके ऊपर एक बड़ा सा पत्थर रख रहे हैं कि कहीं अब्बा जान बाहर ना जाए !
आज से लगभग 8 साल पहले अखबारों में एक खबर छपी थी ! उसमें लिखा था- एक हिंदू मां पाकिस्तान के अंदर अपने बेटे का अंतिम संस्कार करने के लिए दर-दर भटक रही थी क्योंकि पाकिस्तान में हिंदुओं के लिए शमशान भी नहीं है। और देखिए आज कुदरत ने कैसा बदला लिया है ! आज पाकिस्तान में मुसलमान के पास न कफ़न है और न कब्रिस्तान !
अभी 1 महीने पहले खबर छपी थी, कि पाकिस्तान में एक नाबालिग हिंदू बाढ़ पीड़ित लड़की को राशन देने के बहाने कुछ मुसलमान बहला-फुसलाकर ले गए और उसके साथ गैंग रेप किया ! इससे ज्यादा जिंदगी और क्या हो सकती है ! आचार्य श्री धर्मेंद्र जी महाराज कहते थे- जिस लंका में एक सीता का अपमान हुआ, वो लंका जलकर भस्म हो गई। पाकिस्तान में तो न जाने कितनी सीता माताओं का अपमान हुआ है। पाकिस्तान का तो जल कर भस्म होना तय है।
सैलाब के बाद पाकिस्तान में मलेरिया और डेंगू का प्रकोप बढ़ गया है। अगली जनवरी तक पाकिस्तान में मलेरिया के केस बढ़कर 30 लाख होने वाले हैं। पाकिस्तान ने दया की भीख मांगते हुए भारत से 60 लाख मच्छरदानिया मांगी थी ! यहां भले ही भारत के मुसलमान मोदी जी को पानी पी पीकर गालियां देते हैं, लेकिन भारत सरकार ने पाकिस्तान को 60 लाख मछरदानी देने का फैसला किया है। ओवैसी को चाहिए, कि वह पाकिस्तान में मौजूद अपने रिश्तेदारों को फोन करके बता दे कि चिंता न करें मोदी जी मच्छरदानी भेज रहे हैं।
हिंदुओं से अपील है, कि 25 साल से पहले शादी करें और 30 साल से पहले तीन बच्चों के माता पिता बन जाएं... एक एक बच्चा पैदा करने की परंपरा चलाने वाले पारसी आज हिंदुस्तान में गिनती के रह गए हैं और विलुप्त होने की कगार पर हैं।
सरकारी मंदिरों में चंदा देने की आवश्यकता नहीं है। वहां केवल प्रसाद चढाओ और बाकी व्यवस्था की जिम्मेदारी सरकार को ही करने दो, क्योंकि वो सरकार ने खुद ही उसे लिया है। और जो पैसा बचता है, वो चंदे के रूप में अपने आस-पास के हिंदू संगठनों और हिंदू वीरों को तत्काल देना शुरू करो। इसके अलावा बचने का और कोई विकल्प नहीं है ।
पाकिस्तान मे हिंदुओं के साथ भाई चारा निभाते हुए मुल्ले👇👿🐖, अगर अभी नहीं होश आया तो फिर वो दिन दूर नहीं जब तुष्टिकरण करने वाले नेता लालच के चक्कर मे आपको मरवा देंगे
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बिरयानी से हिन्दुओं का मोह भंग, मुस्लिम ढाबों में भीड़ घटी
जो नासमझ बाहर का खाने के शौकिन है और मुंबई के मशहूर दिल्ली दरबार में और हल्द्वानी के शमा रेस्टोरेन्ट में सालों से खाना खाते आ रहे हैं, उन्हें अब विकल्प तलाशना होगा. तमिलनाडु में एक अदालती मामले में मुसलमानों ने तर्क दिया- "हलाल का अर्थ तब तक पूरा नहीं होता जब तक रसोइया उसमें थूकता नहीं है।"
इसलिए मुसलमानों द्वारा बनाया गया खाना बिना थूक के पूरा नहीं होता। एक अदालती मामले में उन्होंने स्वीकार किया कि-
तमिलनाडु सहित पूरे देश में थूकने से हलाल की पूर्ति होती है। इसका केरल और तमिलनाडु के होटलों और बिरयानी विक्रेताओं पर बड़ा असर पड़ा है।
हिंदुओं ने भी हलाल होटलों और बिरयानी विक्रेताओं के पास जाना बंद कर दिया है। तमिलनाडु और केरल में कई रेस्तरां, होटल और बेकरी हलाल स्टिकर और बोर्ड हटा रहे हैं। इन प्रतिष्ठानों से हिंदू ग्राहकों के भारी पलायन के बाद ऐसा हो रहा है, क्योंकि थूकने के अनगिनत वीडियो वायरल हो चुके हैं।
इससे पहले कि आप हलाल प्रक्रिया से बनी बिरयानी की अगली प्लेट को स्पर्श करें... ध्यान दें-
खाना हलाल तभी होता है, जब रसोइया उस पर थूकता है!
यह अदालत में किए गए प्रस्तुतीकरण के अनुसार है।
अतः आपसे अनुरोध है कि-
आप किसी भी हलाल होटल या बिरयानी की गाड़ी में खाने से पहले सोच लें, जिसका बचा हुआ खाना आप खाने जा रहे हैं।
#बॉयकॉट_हलाल🙏
नागपुर में 20 मंजिला रेलवे स्टेशन !
लोकार्पण नितिन गडकरी ने किया....
इसमे मेट्रो 4, 5, 6ठी मंजिल पर है, हम सोच भी नहीं सकते कि भारत मे इतनी उन्नत तकनीक और शिल्प का उन्नयन हो चुका है।
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“मेरा असहमति का अधिकार”
क्या न्यायपालिका देश पर अपनी तानाशाही थोपना चाहती है ?
फिर कैसे संविधान से देश चलेगा -
कानून मंत्री श्री किरेन रिजिजू ने कल अहमदाबाद में RSS के “साबरमती संवाद” के दौरान कहा कि चीफ जस्टिस ने उन्हें एक पत्र भेज कर कहा है कि सोशल मीडिया पर जजों की नियुक्ति और जुडिशरी के कामों को लेकर टिप्पणी करने वालों के खिलाफ सख्त एक्शन लेने की जरूरत पर जोर दिया है -
कानून मंत्री ने कहा कि फिलहाल उन्होंने इस पर कोई जवाब नहीं दिया है, वह सोच समझ कर जवाब देंगे क्योंकि अगर जवाब देंगे तो आगे बढ़ना पड़ेगा और आगे बढ़ेंगे तो फिर देश के लिए क्या होगा उसका चिंतन मंथन होगा - उन्होंने कहा कि 1993 से पहले किसी जज पर कोई ऊँगली नहीं उठती थी क्योंकि तब जज लोगों का जजों की नियुक्ति में कोई रोल नहीं होता था लेकिन अब आलोचना हो रही है जो मुझे भी (किरेन जी को) अच्छा नहीं लगता कि जुडिशरी पर सवाल उठें -
कानून मंत्री ने बताया कि NJAC रद्द करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सरकार खुश नहीं थी और कई वर्तमान और सेवानिवृत्त जज मुझे और सरकार को बताते हैं कि NJAC अच्छा विकल्प था और सरकार को इसे वापस लाने के लिए काम करना चाहिए - रिजिजू ने कहा कि मैं कोई निश्चित शब्द नहीं दे सकता क्योंकि ये बहुत संवेदनशील मुद्दा है मगर सरकार निश्चित रूप से समय आने पर न्यायपालिका और राष्ट्र के हित में किसी भी कदम पर विचार करेगी -
कानून मंत्री रिजिजू ने बहुत संतुलित तरीके से अपनी बात रखी है -मगर चीफ जस्टिस द्वारा सोशल मीडिया पर जजों की नियुक्ति और कामों पर टिप्पणी करने वालों पर एक्शन लेने की बात कहना हास्यास्पद है -
देश के संविधान के अनुसार देश चलाने के लिए 3 प्रमुख अंग हैं, विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका और तीनों के पास अपनी अपनी शक्तियां हैं - कहने को कोई किसी के कार्य में हस्तक्षेप नहीं करता मगर कुछ वर्षो से न्यायपालिका, विधायिका और सरकार के हर काम में दखल दे रही है -
न्यायपालिका यह तो अनुमति देती है कि “अभिव्यक्ति की आज़ादी” के अधिकार का सहारा लेकर कोई भी कहीं भी सरकार के खिलाफ “असीमित समय के लिए” आंदोलन कर देश को कितना भी नुकसान पहुंचा सकता है; इस आज़ादी का सहारा लेकर देश विरोधी काम भी कर सकता है और प्रधानमंत्री को कुछ भी अपशब्द बोल सकता है या उसकी जान लेने के फतवे जारी कर सकता है और बहुसंख्यक हिन्दू समाज को प्रताड़ित कर सकता है, उसके भगवानों का अपमान कर सकता है -
अगर सरकार भी यह कानून बना दे कि उसकी आलोचना करने वालों पर एक्शन होगा तो निश्चित ही ऐसे कदम को “तानाशाही” कहा जायेगा - फिर ऐसा कैसे हो सकता है कि न्यायपालिका की सकारात्मक आलोचना न हो - अगर आप चाहते हैं कि आपकी आलोचना करना ही अपराध घोषित हो जाए तो इससे बड़ी तानाशाही हो नहीं सकती -
सबसे बड़ी आलोचना तो न्यायपालिका की जजों की कॉलेजियम के जरिए नियुक्ति की होती है जबकि कॉलेजियम एक ऐसा प्रावधान है जिसका संविधान में कहीं उल्लेख नहीं है और इसका मतलब यही निकलता है कि जज अपनी नियुक्तियां अपने आप ही गैर संवैधानिक तरीके से करते आ रहे हैं -
न्यायपालिका के फैसलों से जरूरी नहीं है हर कोई सहमत हो और इसलिए ऐसे फैसलों की सकारात्मक आलोचना होनी ही चाहिए जो जजों को अपने को सुधारने का अवसर दे सकती है, ऐसे अनेक फैसले होते हैं जो न कानून सम्मत होते हैं और न्याय सम्मत जिनकी आलोचना होना होना गलत नहीं है -
कानून मंत्री को भेजा गया अपना पत्र चीफ जस्टिस को वापस लेना चाहिए और आलोचनाओं का स्वागत करना चाहिए जो स्वस्थ लोकतंत्र के लिए एक बेहतरीन टॉनिक है
जो नासमझ बाहर का खाने के शौकिन है और मुंबई के मशहूर दिल्ली दरबार में और हल्द्वानी के शमा रेस्टोरेन्ट में सालों से खाना खाते आ रहे हैं, उन्हें अब विकल्प तलाशना होगा. तमिलनाडु में एक अदालती मामले में मुसलमानों ने तर्क दिया- "हलाल का अर्थ तब तक पूरा नहीं होता जब तक रसोइया उसमें थूकता नहीं है।"
इसलिए मुसलमानों द्वारा बनाया गया खाना बिना थूक के पूरा नहीं होता। एक अदालती मामले में उन्होंने स्वीकार किया कि-
तमिलनाडु सहित पूरे देश में थूकने से हलाल की पूर्ति होती है। इसका केरल और तमिलनाडु के होटलों और बिरयानी विक्रेताओं पर बड़ा असर पड़ा है।
हिंदुओं ने भी हलाल होटलों और बिरयानी विक्रेताओं के पास जाना बंद कर दिया है। तमिलनाडु और केरल में कई रेस्तरां, होटल और बेकरी हलाल स्टिकर और बोर्ड हटा रहे हैं। इन प्रतिष्ठानों से हिंदू ग्राहकों के भारी पलायन के बाद ऐसा हो रहा है, क्योंकि थूकने के अनगिनत वीडियो वायरल हो चुके हैं।
इससे पहले कि आप हलाल प्रक्रिया से बनी बिरयानी की अगली प्लेट को स्पर्श करें... ध्यान दें-
खाना हलाल तभी होता है, जब रसोइया उस पर थूकता है!
यह अदालत में किए गए प्रस्तुतीकरण के अनुसार है।
अतः आपसे अनुरोध है कि-
आप किसी भी हलाल होटल या बिरयानी की गाड़ी में खाने से पहले सोच लें, जिसका बचा हुआ खाना आप खाने जा रहे हैं।
#बॉयकॉट_हलाल🙏
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सरकारी कार्यालय Vs नया संसद
पी. चिदम्बरम 10 साल तक मंत्री रहते हुए जिस घर में रहते थे, वह बंगला उन्होंने अपनी पत्नी के नाम लिया था। दोनों उसी में रहते थे, लेकिन भारत सरकार से "पत्नी को मकान मालिक" दिखाकर 20 लाख रू हर महीना किराया लेते थे।"😡
दूसरा नया संसद भवन बन रहा है..."विस्टा"
भारत सरकार के 30-40 मंत्रालय किराये की बिल्डिंग में चलते हैं। एक मंत्रालय का किराया एक साल का 20-25 करोड़ रु. हैं और सारे मंत्रालय के मकान मालिक केवल कांग्रेसी व बामपंथी हैं।
इसीलिए नया संसद बनने का विरोध कर रहे हैं, क्योंकि जब नये संसद में सारे मंत्रालय शिफ्ट हो जायेगे, तो "कांगेसियो व बामपंथियों" को "किराया" मिलना बंद हो जायेगा। नये "संसद भवन" के निर्माण में कुल 975 करोड़ रु का खर्चा आएगा। जबकि आज 30-40 मंत्रालय का पूरे एक साल का किराया लगभग 500 करोड़ हैं। यानि केवल 2 साल के किराये से नया संसद भवन तैयार हो जाएगा"।👌💪😊
इसीलिए कांग्रेसी सेंट्रल विस्टा का निर्माण रुकवाने के लिए सुप्रिम कोर्ट चले गये।
कल- याचिकाकर्ता को सुप्रीम कोर्ट ने 1 लाख रु जुर्माना व कड़ी फटकार लगाकर, याचिका खारिज कर दी।😡
😊 मोदी ने सुप्रिम कोर्ट को यही सब बता दिया था।
😡अब हमें और आपको यह -सोचने की जरूरत है, कि देश का असली हितैषी कौन है ?
इस पोस्ट / संदेश को देशहित लगे है , तो कृपया फॉरवर्ड करे, क्यूकि सच्चाई जानना जनता का अधिकार है। 💪✅👍
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मोल-भाव केवल गरीब से ही क्यों ?
----------------------------------------------खरीददारी हिंदुओं से ही हो।
जब आप मंहगे खाने, पहनावे एवं रोजमर्रा की वस्तुएं लेते समय बड़े-बड़े स्टोरों पर मोल भाव नहीं कर सकते...तो सिर्फ गरीब से मोल भाव क्यों ? विचार करें... इस दिवाली से अपनी रोजमर्रा की खरीददारी गरीब हिन्दू वाले से, दुकानदार से ही करें,ताकि उसके घर भी सुख की दिवाली मन सके।
जब आप मंहगे खाने, पहनावे एवं रोजमर्रा की वस्तुएं लेते समय बड़े-बड़े स्टोरों पर मोल भाव नहीं कर सकते...तो सिर्फ गरीब से मोल भाव क्यों ? विचार करें... इस दिवाली से अपनी रोजमर्रा की खरीददारी गरीब हिन्दू वाले से, दुकानदार से ही करें,ताकि उसके घर भी सुख की दिवाली मन सके।
विशेष बात यहां ये है, अगर गरीब हिन्दू भाई-बहन से, ठेले, फुटपाथ पर दूकान लगाने वाले दुकानदार से सामान खरीदेंगे, तो वह भी थोड़ा अच्छी तरह दीपावली मनाएगा और आपके लिए हर हृदय से मंगल की कामना भी करेगा। ध्यान रखें, जो आपको शुभ दीपावली कहे, उसी से सामान खरीदें।
🚨कृपया ज्यादा से ज्यादा शेयर करें, एवं प्रण करें...इस दीपावली आप केवल हिन्दू से ही सभी खरीददारी करें, उनसे बिल्कुल नहीं, जो हिन्दुओं को लुटते हैं, मारते हैं, हिन्दुओं के देश में (1947 के बटवारे में मुसलमानों ने अपने लिए पकिस्तान लेने के बावजूद हिन्दुओं को त्यौहार मनाने नहीं देते (पाकिस्तान बंगलादेश की क्या बात करें)... मामला गंभीर है, देखें और सुनें -
तेलंगाना का यह वीडियो
देश के बहुसंख्यक समाज के मुंह पर थूकते हुए थप्पड़ मारने जैसा है ये😡
😡😡 इस वीडियो को देखने के बाद नीचे अपनी प्रतिक्रिया दें, वीडियो को शेयर और Retweet अवश्य करें...😡😡.. शायद नपुंसकता की पराकाष्ठा को पार कर चुके हिंदू समाज का स्वाभिमान अपने अस्तित्व को पहचानते हुए उसकी वास्तविकता से परिचित हो सके 😡😡
शेयर रुकना नहीं चाहिए 😡😡🔥
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लोकार्पण नितिन गडकरी ने किया....
इसमे मेट्रो 4, 5, 6ठी मंजिल पर है, हम सोच भी नहीं सकते कि भारत मे इतनी उन्नत तकनीक और शिल्प का उन्नयन हो चुका है।
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ऐसे मनचले को चाहे वो कोई हो, सबक सिखाने के लिए मातृ शक्ति को जागना होगा। आज सनातन धर्म की महिलाओं को अपनी शक्ति जागृत करें, अपने बच्चों के लिए,आने वाली अपनी पीढ़ियों के लिए...
आप हम सब राजनीति के शिकार हो गए क्योंकि हमें राजनीति ने मोमबत्ती पकड़ा ना सिखा दिया बाकी नारी शक्ति के आन बान शान हमारा स्वाभिमान सम्मान में तलवार अस्त्र शास्त्र ही न्याय करते थे !
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सत्य सनातन धर्म की रक्षा करने वालों की जय हो...
जेहादीयो का नाश हो...
🚩 🕉🔴🕉 🚩
तेरह बीबी भोग के, पाया था मुमताज !
बच्चे चौदह जन दिये, पूर्ण हुआ ना काज !!
शाहजंहा का हरम भी, रहा सदा गुलजार !
मरने पर मुमताज के, साली का उद्धार !!
ऐसी कामी वासना, को कहते हो प्यार !
लज्जा में डूबो मियाँ, तुमको है धिक्कार !!
नाम रहा तेजोमहल, शिव शंकर का धाम !
कब्र बना कर दे दिया, ताज महल का नाम !!
इस से बढ़कर विश्व में, दूजा ना परिहास !
महिमा मंडित क्रूरता, लिख झूठा इतिहास !!
अब तो लगनी चाहिये, इस पर कड़ी नकेल !
इस क्रूर इतिहास का, बंद करो अब खेल !!
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Disclaimer : अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अंतर्गत हमारा संविधान हमे अपनी बात या पक्ष कहने की अनुमति देता है। इस कॉलम "आज-कल के चुनिंदा/वायरल पोस्ट्स, ट्वीट्स, कमेंट्स..." में कमेंट व पोस्ट SOCIAL MEDIA से ली गई है, यह जरूरी नहीं की सभी पोस्ट या पोस्ट की जानकारी अक्षरशः सत्य हों, हम यथासंभव हर पोस्ट की सत्यता परख कर इस कॉलम में लेते हैं, फिर भी हम सभी पोस्ट एवं उनकी सभी तथ्यों से पूर्ण सहमत नहीं हैं -सम्पादक
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राहुल गांधी ने कहा है- कांग्रेस का अध्यक्ष पद केवल संगठन या पार्टी का अध्यक्ष पद नहीं है, बल्कि यह हमारी पार्टी की विचारधारा का अध्यक्ष पद है !
ठीक कहा है आपने, बिल्कुल सही कहा है क्योंकि ऐसा कहकर आपने भारत के प्रति अपनी घृणा और इसे बर्बाद करने की अपनी पतित योजना का भी प्रदर्शन कर दिया है।
भारत जोड़ो यात्रा में पाकिस्तान जिन्दाबाद के नारे लगाने वाली लड़की को गले लगाना,
"भारत तेरे टुकड़े होंगे" जैसे नारे लगाने वाले कन्हैया कुमार को हमेशा साथ रखना,
लाल किले को जलाने का प्रयास करने वाले योगेन्द्र यादव को यात्रा का अविभाज्य अंग बनाना,
भारत माता को एक बीमारी कहने वाले ईसाई फादर पुनैय्या से भेंट कर उसका सम्मान करना,
सर से पाँव तक हिजाब में बन्द एक बहुत ही छोटी बच्ची को भविष्य के भारत की तस्वीर बताना
और 14 सितम्बर हिन्दी दिवस के दिन अपने प्रवक्ताओं को टीवी चैनलों पर हिन्दी का जोरदार विरोध करने के लिए भेजना,
लेकिन इस यात्रा का नाम 'भारत जोड़ो' हिन्दी में रखने का पाखंड कर लोगों की आँखों में धूल झोंकना आदि पूरी तरह से वाड्रा कांग्रेस की विचारधारा को ही तो प्रकट कर रहे हैं !
पहले यह बात ढकी-छिपी थी, पर अब यह खुलेआम सामने आ गयी है कि कांग्रेस वस्तुतः मुस्लिम लीग का ही एक और राष्ट्रद्रोही संस्करण है !
वैसे भारत को एक राष्ट्र न मानने का गलीज बयान तो वह पहले ही दे चुके हैं। इसी तरह यदि सत्ता में वापस आये तो जम्मू-कश्मीर में 370 धारा फिर से लागू करने का वादा भी कांग्रेस कर ही चुकी है, और इसे दुहराती भी रहती है।
लादेन, हाफिज सईद और जाकिर नायक जैसों का महिमामंडन करने से लेकर आतंकवादी के लिए आधी रात में कोर्ट खुलवाने तक जैसे कुकृत्यों से कांग्रेस पार्टी की भारतविरोधी विचारधारा का पर्दाफाश पहले ही हो चुका है।
भारत-विभाजन से शुरू कर डोकलाम तक, और वक्फ बोर्ड की संपत्ति के अधिकार से शुरू कर संसाधनों पर मुसलमानों के प्रथम अधिकार तक, जैसी बातों से आपका चरित्र पूरी तरह से उजागर हो चुका है। इसी तरह जीप घोटाला से लेकर, कॉमनवेल्थ घोटाला, स्पेक्ट्रम घोटाला, बोफोर्स घोटाला, एंडरसन घोटाला, चीनी घोटाला, आदर्श फ्लैट घोटाला, नेशनल हेराल्ड घोटाला आदि के द्वारा घोटालों का पहाड़ खड़ा कर आप विचारधारा के चमकते कीर्तिस्तम्भ तो स्थापित कर ही चुके हैं। और पतन से भी पतित तो आप तब हो गये, जब कोर्ट में लिखकर दे आये कि भगवान राम का कोई अस्तित्व ही नहीं था, उनका होना तो एक मिथ्या धारणा है, झूठ है !
यही आपकी वह भारत विरोधी विचारधारा है जिसमें नक्सल तो हैं, बगदादी, जेहादी, फसादी, आतंकवादी, टुकड़े-टुकड़े गैंग और सारे टूलकिट तो हैं, चीन और पाकिस्तान तो हैं, लेकिन भगवान राम ही नहीं हैं ! आपके राजनीतिक दर्शन में न तो देश है न देशभक्ति है, बस है तो सिर्फ कुर्सी है, चापलूसी है, मक्कारी है और मातृभूमि के साथ गद्दारी है !
आपको भारत और भारत की हर एक उपलब्धि से चिढ़ है। भारत की भाषा, विशेषकर संस्कृत, हमारी संस्कृति, हमारी विरासत और हमारे श्रद्धेय पात्रों इन सबसे आपको एलर्जी है।
ऐसा लगता है जैसे कोई विदेशी हमारे देश में पिकनिक मनाने आ गया हो !
आपकी यह विचारधारा, विचारधारा नहीं विषाक्तधारा है !
पुरानी कांग्रेस के जो कुछ भी संस्कार बचे थे, उनकी जड़ों में मट्ठा डाल-डालकर आपके परिवार के परिवारवाद ने उसे निष्प्राण और निर्मूल करने का भरपूर और सफल प्रयास किया !
फलतः जो देशभक्त और दल का भला चाहनेवाले लोग थे वे असहाय हो मौन और गौण हो गये।
और लीटर में आटा तौलनेवाले आप तथा किलो में अंडा बेचनेवाले आपके चापलूस जैसे लोग डॉन हो गये !
भाजपा कांग्रेस-मुक्त भारत नहीं कर रही है, कर भी नहीं सकती है, लेकिन जब आप ही आत्महत्या करने की ठान चुके हैं तो कोई क्या कर सकता है ! कारण कि आपने Indian National Congress को अब Anti National Congress बना डाला है, जिसमें न India है न Nation है !!
भारत माता की जय ! वंदे मातरम
#साभार
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करोना काल मे मोदी की दाढ़ी देख कर चमचे कहते थे- ये रबीन्द्रनाथ टैगोर बनना चाहते है पर मै ये नही कहूंगा कि दाढ़ी "सद्दाम Hussain " से मिलती है। 😛😝
सुबह 7:30 बजे की घटना है, एक फोन कॉल आया "महोदय आप भूखे है ?"
मैंने कहा- जी हाँ !
दरअसल मैंने सुबह का नाश्ता किया नहीं था, तो मैं भूखा ही था।😂
मैंने पूछा आप क्यों पूछ रहे हो ?
सामने वाले ने कहा- हम लोग भारत के लिए ग्लोबल हंगर इंडेक्स निकाल रहे है।
आपने बढ़िया फीड बैक दिया !!
हंगर इंडेक्स वालों जान लो...
भारत में अधिकतर हिन्दू रोज एक रोटी गाय की निकालते हैं और ये इतनी होती हैं की पुरा पाकिस्तान इस पर पल जाएगा... 🤣
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‘देश सर्वोपरि, भारत माता की जय’“मेरा असहमति का अधिकार”
क्या न्यायपालिका देश पर अपनी तानाशाही थोपना चाहती है ?
फिर कैसे संविधान से देश चलेगा -
कानून मंत्री श्री किरेन रिजिजू ने कल अहमदाबाद में RSS के “साबरमती संवाद” के दौरान कहा कि चीफ जस्टिस ने उन्हें एक पत्र भेज कर कहा है कि सोशल मीडिया पर जजों की नियुक्ति और जुडिशरी के कामों को लेकर टिप्पणी करने वालों के खिलाफ सख्त एक्शन लेने की जरूरत पर जोर दिया है -
कानून मंत्री ने कहा कि फिलहाल उन्होंने इस पर कोई जवाब नहीं दिया है, वह सोच समझ कर जवाब देंगे क्योंकि अगर जवाब देंगे तो आगे बढ़ना पड़ेगा और आगे बढ़ेंगे तो फिर देश के लिए क्या होगा उसका चिंतन मंथन होगा - उन्होंने कहा कि 1993 से पहले किसी जज पर कोई ऊँगली नहीं उठती थी क्योंकि तब जज लोगों का जजों की नियुक्ति में कोई रोल नहीं होता था लेकिन अब आलोचना हो रही है जो मुझे भी (किरेन जी को) अच्छा नहीं लगता कि जुडिशरी पर सवाल उठें -
कानून मंत्री ने बताया कि NJAC रद्द करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सरकार खुश नहीं थी और कई वर्तमान और सेवानिवृत्त जज मुझे और सरकार को बताते हैं कि NJAC अच्छा विकल्प था और सरकार को इसे वापस लाने के लिए काम करना चाहिए - रिजिजू ने कहा कि मैं कोई निश्चित शब्द नहीं दे सकता क्योंकि ये बहुत संवेदनशील मुद्दा है मगर सरकार निश्चित रूप से समय आने पर न्यायपालिका और राष्ट्र के हित में किसी भी कदम पर विचार करेगी -
कानून मंत्री रिजिजू ने बहुत संतुलित तरीके से अपनी बात रखी है -मगर चीफ जस्टिस द्वारा सोशल मीडिया पर जजों की नियुक्ति और कामों पर टिप्पणी करने वालों पर एक्शन लेने की बात कहना हास्यास्पद है -
देश के संविधान के अनुसार देश चलाने के लिए 3 प्रमुख अंग हैं, विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका और तीनों के पास अपनी अपनी शक्तियां हैं - कहने को कोई किसी के कार्य में हस्तक्षेप नहीं करता मगर कुछ वर्षो से न्यायपालिका, विधायिका और सरकार के हर काम में दखल दे रही है -
न्यायपालिका यह तो अनुमति देती है कि “अभिव्यक्ति की आज़ादी” के अधिकार का सहारा लेकर कोई भी कहीं भी सरकार के खिलाफ “असीमित समय के लिए” आंदोलन कर देश को कितना भी नुकसान पहुंचा सकता है; इस आज़ादी का सहारा लेकर देश विरोधी काम भी कर सकता है और प्रधानमंत्री को कुछ भी अपशब्द बोल सकता है या उसकी जान लेने के फतवे जारी कर सकता है और बहुसंख्यक हिन्दू समाज को प्रताड़ित कर सकता है, उसके भगवानों का अपमान कर सकता है -
अगर सरकार भी यह कानून बना दे कि उसकी आलोचना करने वालों पर एक्शन होगा तो निश्चित ही ऐसे कदम को “तानाशाही” कहा जायेगा - फिर ऐसा कैसे हो सकता है कि न्यायपालिका की सकारात्मक आलोचना न हो - अगर आप चाहते हैं कि आपकी आलोचना करना ही अपराध घोषित हो जाए तो इससे बड़ी तानाशाही हो नहीं सकती -
सबसे बड़ी आलोचना तो न्यायपालिका की जजों की कॉलेजियम के जरिए नियुक्ति की होती है जबकि कॉलेजियम एक ऐसा प्रावधान है जिसका संविधान में कहीं उल्लेख नहीं है और इसका मतलब यही निकलता है कि जज अपनी नियुक्तियां अपने आप ही गैर संवैधानिक तरीके से करते आ रहे हैं -
न्यायपालिका के फैसलों से जरूरी नहीं है हर कोई सहमत हो और इसलिए ऐसे फैसलों की सकारात्मक आलोचना होनी ही चाहिए जो जजों को अपने को सुधारने का अवसर दे सकती है, ऐसे अनेक फैसले होते हैं जो न कानून सम्मत होते हैं और न्याय सम्मत जिनकी आलोचना होना होना गलत नहीं है -
कानून मंत्री को भेजा गया अपना पत्र चीफ जस्टिस को वापस लेना चाहिए और आलोचनाओं का स्वागत करना चाहिए जो स्वस्थ लोकतंत्र के लिए एक बेहतरीन टॉनिक है
- (सुभाष चन्द्र)
"मैं वंशज श्री राम का"
18/10/2022
"मैं वंशज श्री राम का"
18/10/2022
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"धर्म नगरी" व DN News का विस्तार प्रत्येक जिले के ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में हो रहा है। प्रतियों को निशुल्क देशभर में धर्मनिष्ठ संतो आश्रम को भेजने हेतु हमें दानदाताओं की आवश्यकता है। साथ ही "धर्म नगरी" के विस्तार हेतु बिजनेस पार्टनर / प्रसार प्रबंधक की आवश्यकता है। -प्रबंध संपादक
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http://www.dharmnagari.com/2022/07/Social-Media-Few-selected-viral-posts-tweets-comments.html
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साधु संतो को अनपढ़ बेवक़ूफ़ समझने वालों के लिए एक और उदाहरण… IIT Delhi से B.Tech M.Tech करने के बाद सत्यपाल चौहान ने अमेरिका की नौकरी छोड़ कर सन्यास लिया और बाबा सत्यनारायण दास बन गए और संस्कृत भाषा से M.A Ph.D की…. ये है सनातन धर्म की सुंदरता
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सेक्यूलरिज्म, अफजल खान और छत्रपति शिवजी
अफजल खान भी शिवाजी महाराज की पीठ मे छुरा घोंपना चाहता था! किन्तु शिवाजी सेक्यूलर नही थे, उन्होने अफजल की अंतड़ियां निकाल दी थी!हिमालय में शिव बसे, अयोध्या में श्रीराम
सम्पूर्ण राष्ट्र में भगवा हो, ऐसा हो मेरा भारत महान
कुछ मूर्ख हिंदुओ को लगता है, कि भाजपा देश मे नफरत फैला रही हैl
हिंदू-मुस्लिम भाई भाई है।
अरे मूर्खों वो नफरत नही फैला रही, तुम सोये हुए कायरो को जगाने का प्रयास कर रही हैl उनके सपोर्ट मे ५० से अधिक देश है, तुम्हारे लिए एक भी नही है।
कितना भागोगे ? और कहा भागोगे ?
हाँ, जिसे वोट देते हो हिन्दुओं, उससे अपनी बात भी कहो, चुप मत रहो !
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शाम को रजिया जिस चटाई पे बैठ के गाय का मीट साफ कर रही थी... रात को जब केले बेंच के अब्दुल ठेला ले के घर लौटा तो उसी चटाई से केले ढंक दिया। दरवाजे पे ही संडास बना है... उसमें धोने के लिए एक टोटी वाला प्लास्टिक का लोटा रखा है।
अब्दुल का छोटा भाई सबेरे जब दीपावली के लिए सेब और अंगूर ठेली पर धर के निकलता है, तो उसी टोटी वाले लोटे से तीन चार लोटा पानी फलों पर छिड़कता है। ...और जब वही फल केले ले के दोनों भाई कालोनी में निकलते हैं, तो कालोनी की तमाम लोग पूजा के लिए खरीदने के लिए टूट पड़ते हैं।😢
अब कुछ नफरती टाइप के लोग कहेंगे इनसे फल नहीं लेने चाहिए ..!!🤦🏼♂️ क्यों नहीं लेने चाहिए भाई ..? 🤷🏼♂️ हम लोग गंगा जमुनी तहजीब वाले हैं .. और भाईचारे वाले भी हैं ..!😍
क्या हुआ अगर हम मीट लगा केला और संडास के पानी वाला अंगूर सेब व्रत में खा लेंगे ..? कौन सी आफत टूट पड़ेगी .?😢
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हाल ही में दिल्ली के पटेल नगर में हिंदू युवक नितेश की हत्या, म स्जिद से बुलाई गई थी भीड़ !
दिल्ली में बिजली फ्री है, पानी फ्री है, बस फ्री है, ऐसा दावा किया जाता है, लेकिन शायद दिल्ली में हिंदू की मौत भी फ्री है ?
#JusticeForNitesh
दिल्ली में नितेश की हत्या ठीक उसी प्रकार की गयी जैसे रिंकु शर्मा, ध्रुव त्यागी, अंकित, डॉक्टर नारंग, राहुल और अभी पिछले हफ़्ते मनीष की हत्या की गई। दिल्ली में कुछ ख़ास बस्तियों में हथियारों के जखीरे हैं और हमारे बेटे और भाइयों को कभी भी मार दिया जाता है...
बहुसंख्यक कब मुखर होंगे ? ऐसा क्यों लगने लगा है, हिन्दुओं का वोट लेने वाली क्यों wait & watch की नीति पर अधिक चल रही है ?
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जानबूझ कर हिंदू धर्म आस्था का मजाक
हिंदू धर्म संस्कृति को तोड़ मरोड़ कर पेश कर आमिर खान फिल्मों एवं विज्ञापन के माध्यम से जानबूझ कर हिंदू धर्म आस्था का मजाक उड़ा रहे हैं
हिंदुओं के प्रति नफरत फैलाने वाले आमिर खान को अपने मजहब में झाँकने की जरूरत है,हमारे धर्म में नहीं.......
हमारे यहां बेटी को लक्ष्मी तो, बहू को मालकिन का दर्जा दिया जाता है पूरे मान सम्मान के साथ पूरे जीवन भर.......
🙏🏼 सरकार का धन्यावाद एवं आभार🙏🏼
जो इनके इस विज्ञापन पर रोक लगाई अब इनकी फ़िल्में ही नहीं विज्ञापन भी देखना बंद करो....
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तेज़ी से घट रही ननों की संख्या
सच का खुलासा करने पर मिलती है प्रताड़ना
🚩चर्च में हो रहे भेदभाव के खिलाफ 56 वर्षीय सिस्टर लूसी कलाप्पुरा ने आमरण अनशन पर जाने का निर्णय लिया है। वो मंगलवार (27 सितंबर, 2022) से अनशन पर हैं। वो बिशप फ्रेन्को मुलक्कल के यौन उत्पीड़न मामले में उसके खिलाफ हुए प्रदर्शन में शामिल रही थी। अब चर्च उन्हें ‘अभिव्यक्ति’ की सज़ा दे रहा है। उन्होंने मनंतवाडी (वायनाड, केरल) के कॉन्वन्ट पर गंभीर आरोप लगाए हैं। सिस्टर लूसी का कहना है कि वहाँ उनके साथ भेद भाव किया जा रहा है।
🚩आरोप है कि उन्हें कॉन्वेंट के अंदर मूलभूत सुविधाओं से वंचित किया जा रहा है। वहाँ उन्हें लेकर ऐसा डर का माहौल बना दिया गया है कि पिछले 4 सालों से कोई उनसे बात नहीं करता। उन्हें कान्वेन्ट का फ्रीज इस्तेमाल नहीं करने दिया जाता। उन्हें कॉन्वेन्ट की दूसरी सिस्टर के साथ खाने की इजाजत नहीं है। उनका कसूर सिर्फ इतना है कि उन्होंने चर्च के अंदर चल रहे अधार्मिक गतिविधियों के खिलाफ आवाज बुलंद की है।
🚩बिशप और पादरियों द्वारा यौन उत्पीड़न की कहानी सिस्टर लूसी कलाप्पुरा की आत्मकथा ‘कार्ताविन्ते नामाथिल’ (ईश्वर के नाम पर) में भी पढ़ी जा सकती है। इसे पढ़कर स्पष्ट होता है कि यौन शोषण और उत्पीड़न चर्च के लिए कोई नया शब्द नहीं है। वह पहले भी लगातार चल रहा था, अब तक जारी है। सिस्टरल लूसी ने उस सच को समाज के सामने बेपर्दा कर दिया, जिसकी सजा उन्हें कॉवेन्ट के अंदर दी जा रही है।
🚩सिस्टर लूसी मानती हैं कि पहले और अब में फर्क सिर्फ इतना आया है कि पहले कोई मामला खुल जाता था। किसी नन के शोषण/ उत्पीड़न की बात सामने आ जाती थी तो चर्च के कार्डिनेल-बिशप सिस्टर का समर्थन करते थे लेकिन अब समय बदला है। अब वे आरोपितों के बचाव में लग जाते हैं। दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि क्रिश्चियन सभा फ्रांसिस्कन क्लैरिस्ट कॉन्ग्रेगेशन (एफसीसी) ने ड्राइविंग लायसेंस बनवाने जैसे कई बचकाने आरोप लगाकर सिस्टर लूसी कलाप्पुरा को सभा से निलंबित किया। सिस्टर लूसी कहती हैं कि बिशप और पादरियों के कारनामों के बारे में सब जानते हैं, बस कोई बोलता नहीं है।
ननों का यौन उत्पीड़न कोई नई बात नहीं
🚩पादरियों और बिशप्स द्वारा ननों का योन उत्पीड़न कोई नई बात नहीं है। इसी बढ़ते योन उत्पीड़न का परिणाम है कि दुनिया भर में जीसस को अपना पति मानकर जीवन समर्पित करने वाली ननों की संख्या कम होती जा रही है। केरल जैसे राज्य में तो यह संख्या गिरकर 25% तक रह गई है। इसी का परिणाम है कि चर्च अपने पाँव पूर्वोत्तर भारत में पसार रहा है और पूर्वोत्तर राज्यों समेत पंजाब, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, झारखंड, हिमाचल, ओडिशा जैसे राज्यों के गरीब परिवार की लड़कियों को चर्च में ला रहा है।
🚩60 के दशक में चर्च में ननों की भर्ती भारत में अचानक बहुत बढ़ गई थी, जो 1985 से फिर धीरे-धीरे कम होना शुरू हुई। पहले गरीब कन्वर्ट हुए क्रिश्चियन परिवारों से उनकी एक बेटी को जीसस का आदेश बताकर चर्च अपने कन्वेन्ट में रख लेता था। वहाँ उन्हें नर्स, शिक्षिका या फिर नन बनने के लिए प्रशिक्षित किया जाता था। चर्च को पता था कि शिक्षा और स्वास्थ्य के रास्ते ही वह भारत में घर-घर तक पहुँच सकता है। लेकिन, लड़कियों को नन बनाकर चर्च की चारदीवारी के अंदर होने वाली यौन शोषण की कहानियाँ जब बाहर आने लगीं, जिसके बाद क्रिश्चियन परिवारों ने अपनी बेटी चर्च को देने से इनकार करना प्रारम्भ कर दिया।
🚩ऐसा सिर्फ भारत में नहीं हो रहा था, पूरी दुनिया में चर्च को बेटी देने से इनकार करने वालों की संख्या बढ़ने लगी है। इसी का परिणाम था कि अमेरिका जहाँ 60 साल पहले 2 लाख के आसपास नन थीं, वहाँ अब ननों की संख्या 50,000 से भी कम हो गई हैं। इटली में जब पूर्व नन फेडरिका और इसाबेल ने 4 साल पहले एक समलैंगिक शादी की तो क्रिश्चियन समुदाय के बीच पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बनी। फेडरिका ने चर्च में ननों के बीच बनने वाले समलैंगिक संबंधों पर और चर्च परिसर में होने वाले बलात्कारों पर लिखा।
🚩जब उसने 3 साल संबंध में रहने के बाद पूर्व नन इसाबेल से शादी करने का निर्णय लिया, तो उसे कई समाचार पत्रों ने ‘बहिष्कृत नन’ लिखा। फेडरिका ने ही लिखा कि चर्च के अंदर कोई लोकतंत्र नहीं है। पादरियों का वर्चस्व है। नन वहाँ वासना का शिकार होने के लिए है। फेडरिका की बात को इस संदर्भ में परखा जा सकता है कि जहाँ एक तरफ चर्च में ननों की संख्या तेजी घट रही है, वहीं पादरियों की संख्या में वृद्धि दर्ज की गई है।
मुलक्कल मामला : चर्च का नारी विरोधी रवैया
🚩पिछले दिनों बिशप फ्रैंको मुलक्कल के मामले में भी चर्च के नारी विरोधी रवैया को हमने देखा। मुलक्कल पर चल रहे नन बलात्कार के मामले में उनके ख़िलाफ़ मुख्य गवाह फ़ादर कुरियाकोस कट्टूथारा का शव संदिग्ध हालत में उनके जालंधर स्थित घर से मिला था। कुरियाकोस के छोटे भाई जोस कुरियन ने केरल के तत्कालीन मुख्यमंत्री पीनराई विजयन को पत्र लिखकर भाई को जान से मारने की मिल रही धमकी के संबंध में बताया था।
🚩मुलक्कल के खिलाफ शिकायत जून 2018 में दर्ज की गई थी। शिकायत में नन ने आरोप लगाया था कि 2014 से 2016 के बीच बिशप मुलक्कल ने उसका यौन शोषण किया था। इस मामले में बिशप मुलक्कल नन को कैद में रखने, उसका बलात्कार करने, अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने और चुप रहने के लिए धमकाने के आरोप में गिरफ्तार हुआ था। मुलक्कल के खिलाफ गवाही देने वाली एक दूसरी नन ने भी उस पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। दूसरी नन के अनुसार, फ्रैंको मुलक्कल ने 2015 से 2017 के बीच उसका यौन उत्पीड़न किया था।
🚩बिशप पर आरोप लगने के बाद चर्च का पूरा नारी विरोधी तंत्र सक्रिय हो गया। सिस्टर लिसी इस मामले की प्रमुख गवाहों में से एक थी। लिसी के अनुसार फ्रैंको मुलक्कल के खिलाफ दिए गए बयान को बदलने के लिए उस पर लगातार दबाव डाला जा रहा था। उल्लेखनीय है कि आरोपित बिशप को नोटिस जारी करने के बाद केरल सरकार ने पुलिस के एक अधिकारी का तत्काल तबादला कर दिया था। उन 5 ननों में से 4 नन का ट्रांसफर भी बिशप मुलक्कल के मामले में हुआ, जो उसके खिलाफ प्रदर्शन कर रहीं थी।
🚩इन 4 नन को कोट्टायम जिला स्थित कॉन्वेंट छोड़ने का निर्देश मिला था। ये निर्देश रोम कैथोलिक चर्च के जालंधर डायसिस के तहत मिशनरीज ऑफ जीसस ने दिया था। इतना सब होने के बाद चर्च की बेशर्मी की हद ये है कि ‘कैथोलिक सभा’ के नए साल के कैलेंडर में मार्च पृष्ठ पर बिशप फ़्रैंको मुलक्कल की तस्वीर लगा दी गई। यह तस्वीर सीरो-मालाबार कैथोलिक चर्च के त्रिसूर आर्चडायसेस के वर्ष 2021 के नए आधिकारिक कैलेंडर में अन्य बिशप्स की तस्वीरों के साथ लगाई गई थी।
यौन शोषण पर बोलती रहीं सिस्टर जेस्मी
सिस्टर लूसी कलाप्पुरा की तरह कॉन्ग्रीनेशन ऑफ मदर ऑफ कार्मेल (सीएमसी) से निकलकर सिस्टर जेस्मी भी चुप नहीं रहीं। वह चर्च की खामियों और चर्च के परिसर के अंदर हो रहे यौन शोषण पर बोलती रहीं और लिखा भी। उनकी किताब ‘आमीन : एक नन की आत्मकथा’ बहुचर्चित पुस्तक है। यह किताब अब तक मलयालम, अंग्रेजी, तमिल और हिन्दी में उपलब्ध है। किताब में ननों का समलैंगिक आचरण से लेकर पादरियों द्वारा सहजता से उपलब्ध नन को विशेष सुख-सुविधा उपलब्ध कराने तक का उल्लेख है।
🚩जो नन पादरी को जितना खुश रखती, उसके लिए चर्च के अंदर उतनी अधिक सुविधाएँ उपलब्ध होती। मतलब चर्च के अंदर पादरी ही ‘प्रभु’ बने बैठे हैं, नन उनकी सेवा करें और सुविधाएँ पाएँ। समलैंगिक रिश्ते में गर्भवती होने की संभावना नहीं होती। ऐसे संबंध चर्च के अंदर बन रहे हैं, इसकी जानकारी भी बाहर नहीं जा पाती। इसलिए इसे सहज माना जाता है। वरिष्ठ नन समलैंगिक संबंध बनाने के लिए जबरदस्ती भी करती हैं। यह सारी बातें जेस्मी ने लिखी है और जो भी लिखा है, वह सुनी-सुनाई बात नहीं है। उनका भोगा हुआ यथार्थ है।
🚩पूरी दुनिया से मिशनरी (चर्च) गतिविधियों में योन उत्पीड़न की खबरे सामने आने की वजह से अब लोगों का विश्वास ईसाई शैक्षणिक संस्थानों से भी उठने लगा है। वे विद्या मंदिर, केन्द्रीय विद्यालय, दिल्ली पब्लिक स्कूल, दयानंद एंग्लो वैदिक स्कूल, नवोदय, नेतरहाट जैसे विद्यालयों पर अधिक विश्वास करने लगे हैं। सच्चाई तो यही है कि पादरियों द्वारा यौन उत्पीड़न से जुड़ी खबरों ने चर्च के प्रति समाज का विश्वास जड़ से हिला कर रख दिया है। #साभार आजादभारतडॉटओआरजी
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