ज्योतिष पीठ पर शंकराचार्य के पद को लेकर ब्रह्मलीन स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती और स्वामी वासुदेवानंद के मध्य जारी...



कानूनी लड़ाई के प्रकरण पर 18 अक्तूबर को सुनवाई होनी है
- पट्टाभिषेक पर सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद केदारनाथ पहुंचे 
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती काशी कोर्रिडोर निर्माण हेतु (के पूर्व 2 मई 2018 को) स्थानीय प्राचीन मंदिरों को लेकर विरोध करते (फोटो साभार ट्विटर) 

अखाड़ा परिषद का अभिनंदन समारोह का बहिष्कार 
धर्म नगरी / DN News 
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पट्टाभिषेक पर सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद आज (16 अक्टूबर) को शंकराचार्य नवनियुक्त ज्योतिष्पीठ पीठाधीश्वर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती केदारनाथ पहुंचे। केदारनाथ धाम के दर्शन के बाद तीनों पीठ के शंकराचार्य जोशीमठ लौट गए। वहीं ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के अभिनंदन समारोह का अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (निरंजनी) ने बहिष्कार किया है।

नवनियुक्त ज्योतिष्पीठ पीठाधीश्वर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती रविवार को केदारनाथ धाम पहुंचे। इस बीच स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के अभिनंदन समारोह का अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (निरंजनी) ने बहिष्कार का समाचार है। 17 अक्टूबर को जोशीमठ में होने वाले धर्म महासम्मेलन के लिए स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती, दक्षिणाम्नाय शृंगेरी पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी विधुशेखर भारती और पश्चिमाम्नाय शारदा-द्वारका पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती शनिवार को बदरीनाथ पहुंचे थे।

ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती व श्रृंगेरी पीठ के शंकराचार्य विधु शेखर भारती रविवार को केदारनाथ पहुंचे।वहीं द्वारिका शारदा पीठ के शंकराचार्य सदानंद सरस्वती पैर दर्द के कारण केदारनाथ नहीं जा पाए।

सुप्रीम कोर्ट ने पट्टाभिषेक पर रोक लगाया-
उल्लेखनीय है, सुप्रीम कोर्ट ने ज्योतिष पीठ के पट्टाभिषेक पर रोक लगा दी है। कोर्ट के एक आदेश ने स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के खुद को ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य घोषित करने पर सवाल उठा दिए हैं।
ज्योतिष पीठ पर शंकराचार्य के पद को लेकर ब्रह्मलीन स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज और स्वामी वासुदेवानंद महाराज के बीच में कानूनी लड़ाई चल रही थी। इस मामले पर 18 अक्तूबर को सुनवाई होनी है।

सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने शनिवार को एक आदेश जारी करते हुए स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के शंकराचार्य पद पर पट्टाभिषेक की कार्यवाही को रोक दिया है। शीर्ष अदालत उस आवेदन पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती द्वारा ज्योतिष पीठ के उत्तराधिकारी के रूप में नियुक्त किए जाने का झूठा दावा किया था।

नए शंकराचार्य की नियुक्ति झूठी-
याचिका में कहा गया है, कि नए शंकराचार्य की नियुक्ति पूरी तरह से झूठी है क्योंकि यह नियुक्ति की स्वीकृत प्रक्रिया का पूर्ण उल्लंघन है। ज्योतिष और द्वारिकापीठाधीश्वर स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के निधन के बाद उनके शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने खुद को ज्योतिष पीठ का शंकराचार्य घोषित कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट में स्वामी वासुदेवानंद की ओर से बद्रिकाश्रम में आयोजित होने वाले पट्टाभिषेक कार्यक्रम पर रोक लगाने की याचिका 14 अक्तूबर को दी गई थी।

पुरी के शंकराचार्य ने भी उठाए थे सवाल-
पुरी पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने ट्वीट करके ज्योतिष पीठ और द्वारका पीठ के शंकराचार्य के तौर पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद और स्वामी सदानंद के शंकराचार्य घोषित करने पर सवाल उठाए थे। ट्वीट में कहा गया था कि स्वामी स्वरूपानंद ने अपने जीवन में कभी किसी उत्तराधिकारी की घोषणा नहीं की थी।

मौखिक रूप से लगाई थी रोक-
स्वामी वासुदेवानंद सरसती के प्रतिनिधि स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा, कि 21 सितंबर को ही सुप्रीम कोर्ट ने मौखिक रूप से स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के शंकराचार्य बनने की प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी, लेकिन हफ्ता भर बीत जाने के बाद भी श्रृंगेरी मठ और भारत धर्म मंडल के एफिडेविट स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद नहीं दे पाए। इसके बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने अभिषेक के कार्यक्रम पर रोक लगाने का आदेश दिया है।

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