"ये स्वीकार नहीं..." : जजों की नियुक्ति में देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को कहा, सरकार से जताई नाराजगी
‘हम वास्तव में इसे समझ पाने या इसका मूल्यांकन करने में असमर्थ हैं’-SC
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न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति अभय एस. ओका की पीठ ने कहा, ‘‘नामों को बेवजह लंबित रखना स्वीकार्य नहीं है।’’ पीठ ने कहा, अगर हम विचार के लिए लंबित मामलों की स्थिति को देखें, तो सरकार के पास ऐसे 11 मामले लंबित हैं, जिन्हें कॉलेजियम ने स्वीकृति दे दी थी और अभी तक उनकी नियुक्ति की प्रतीक्षा की जा रही है।
‘असाधारण देरी’ का मुद्दा उठाया-
एडवोकेट्स एसोसिएशन, बेंगलुरु द्वारा अधिवक्ता पई अमित के माध्यम से दायर याचिका में उच्चतर न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति में ‘‘असाधारण देरी’ का मुद्दा उठाया है। इसने 11 नामों का उल्लेख किया है, जिनकी अनुशंसा की गई थी और बाद में ये नाम दोबारा भी भेजे जा चुके हैं।
पीठ ने कहा, कॉलेजियम द्वारा दोबारा भेजे गए नामों सहित अनुशंसित नामों को स्वीकृति देने में देरी के कारण कुछ लोगों ने अपनी सहमति वापस ले ली है और (न्यायिक) तंत्र ने पीठ में एक प्रतिष्ठित व्यक्ति के शामिल होने का अवसर खो दिया है। याचिकाकर्ता के वकील की इस बात का भी संज्ञान लिया गया, कि जिन व्यक्तियों का नाम दोबारा भेजे जाने के बाद भी लंबित था, उनमें से एक का निधन हो गया है।
शीर्ष अदालत ने कहा, कि वह वर्तमान सचिव (न्याय) और सचिव (प्रशासन और नियुक्ति) को फिलहाल ‘‘सामान्य नोटिस’’ जारी कर रही है। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 28 नवंबर की तारीख तय की है।
पीठ ने कहा- नामों पर कोई निर्णय न लेना ऐसा तरीका बनता जा रहा है, कि उन लोगों को अपनी सहमति वापस लेने को मजबूर किया जाए, जिनके नामों की सिफारिश उच्चतर न्यायपालिका में बतौर न्यायाधीश नियुक्ति के लिए की गई है।
शीर्ष अदालत ने कहा, हम पाते हैं कि नामों को रोककर रखने का तरीका इन लोगों को अपना नाम वापस लेने के लिए मजबूर करने का एक तरीका बन गया है, ऐसा हुआ भी है।
पीठ ने कहा, ‘हम वास्तव में इसे समझ पाने या इसका मूल्यांकन करने में असमर्थ हैं।’
पीठ ने केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय के सचिव (न्याय) को नोटिस जारी करके शीर्ष अदालत के 20 अप्रैल 2021 के आदेश के अनुरूप समय पर नियुक्ति के लिए निर्धारित समय सीमा की ‘‘जानबूझकर अवज्ञा’’ करने के आरोप वाली याचिका पर जवाब मांगा।
पीठ ने इस बात का भी संज्ञान लिया कि सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने शीर्ष अदालत के समक्ष दलील दी है, कि शीर्ष अदालत में नियुक्ति के लिए पांच सप्ताह से अधिक समय पहले की गई सिफारिश आज भी लंबित है।
‘असाधारण देरी’ का मुद्दा उठाया-
एडवोकेट्स एसोसिएशन, बेंगलुरु द्वारा अधिवक्ता पई अमित के माध्यम से दायर याचिका में उच्चतर न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति में ‘‘असाधारण देरी’ का मुद्दा उठाया है। इसने 11 नामों का उल्लेख किया है, जिनकी अनुशंसा की गई थी और बाद में ये नाम दोबारा भी भेजे जा चुके हैं।
पीठ ने कहा, कॉलेजियम द्वारा दोबारा भेजे गए नामों सहित अनुशंसित नामों को स्वीकृति देने में देरी के कारण कुछ लोगों ने अपनी सहमति वापस ले ली है और (न्यायिक) तंत्र ने पीठ में एक प्रतिष्ठित व्यक्ति के शामिल होने का अवसर खो दिया है। याचिकाकर्ता के वकील की इस बात का भी संज्ञान लिया गया, कि जिन व्यक्तियों का नाम दोबारा भेजे जाने के बाद भी लंबित था, उनमें से एक का निधन हो गया है।
शीर्ष अदालत ने कहा, कि वह वर्तमान सचिव (न्याय) और सचिव (प्रशासन और नियुक्ति) को फिलहाल ‘‘सामान्य नोटिस’’ जारी कर रही है। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 28 नवंबर की तारीख तय की है।
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