भारतीय सीमा में घुसपैठ और जवानों से हाथापाई करके क्या चाहता है चीन ? कई चीनी सैनिकों के...
- राजीव गांधी फाउंडेशन द्वारा कानून के उल्लंघन से बचने कांग्रेस उठा रहा है भारत-चीन झड़प के मुद्दा उठा : अमित शाह
- चीन में गृह-युद्ध जैसे स्थिति से निपट रहा ऐसी घटनाओँ से चीनियों का ध्यान भटकाना चाहता है : रक्षा विशेषज्ञ
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने (13 दिसंबर को) संसद के दोनों सदनों में घटना की पूरी जानकारी दी और मौजूदा स्थिति के बारे में भी बताया। ये पहली बार नहीं है, जब चीन ने भारतीय सीमा में घुसपैठ की कोशिश की और भारतीय जवानों के साथ हाथापाई हुई है। इसके पहले भी कई बार चीनी सैनिक भारतीय सीमा में घुसपैठ करने की कोशिश कर चुके हैं और भारतीय जवानों के साथ हिंसक झड़प भी हो चुकी है।
नौ दिसंबर को क्या-क्या हुआ ?
रिपोर्ट्स के अनुसार, नौ दिसंबर को 300 से ज्यादा चीनी सैनिक अरुणाचल प्रदेश में तवांग के यंगस्टे में 17 हजार फीट की ऊंचाई पर भारतीय सीमा में घुसपैठ करने लगे। यहां भारतीय पोस्ट को हटाने के लिए चीनी सैनिक कंटीले लाठी डंडे और इलेक्ट्रिक बैटन लेकर आए थे। भारतीय सेना भी चीनी सैनिकों का मुकाबला करने के लिए पूरी तरह से तैयार थी। जैसे ही चीनी सैनिकों ने हमला किया, भारतीय जवानों ने भी जोरदार जवाब देना शुरू कर दिया। उस वक्त भारतीय पोस्ट पर 50 सैनिक ही थे, लेकिन सभी ने कंटीले लाठी-डंडों से चीनी सैनिकों को जवाब दिया। इसमें चीन के 19 से अधिक सैनिक बुरी तरह से घायल हो गए। कुछ की हड्डियां टूटी, तो कुछ के सिर फट गए।
जवाबी हमले के बाद भारतीय अफसरों ने तुरंत हस्तक्षेप किया और चीनी सैनिक अपनी लोकेशन पर वापस चले गए। 11 दिसंबर को दोनों देशों के लोकल कमांडर ने शांति व्यवस्था बहाल करने के लिए फ्लैग मीटिंग की और घटना के बारे में चर्चा की। दोनों देशों ने सीमा पर शांति व्यवस्था कायम रखने पर सहमति दी। भारत ने कूटनीतिक रूप पर भी इस मुद्दे को चीन के सामने उठाया है।
इससे पहले 15 जून 2020 को लद्दाख के गलवां घाटी में दोनों सेनाओं के बीच हुई झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे, जबकि चीन के 38 सैनिक मारे गए थे। हालांकि, चीन ने केवल चार सैनिक मारे जाने की बात ही कबूली थी। गलवां के बाद ये दूसरी बड़ी झड़प है। तवांग सेक्टर की बात करें तो इससे पहले यहां 1975 में भी विवाद हो चुका है। तब भी दोनों देशों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। इसमें चार भारतीय जवान शहीद हुए थे।
ऐसा बार-बार क्यों कर रहा है चीन ?
भारत को उकसाने की कोशिश- ये चीन की बड़ी साजिश है। चीन जानता है कि भारत पहले चीन पर हमला नहीं करेगा। इसलिए अपने सैनिकों के जरिए वह बार-बार भारत को उकसाने की कोशिश कर रहा है। इसके जरिए वह भारत को अस्थिर करने की कोशिश करता है। ऐसा होने से भारत में आंतरिक राजनीतिक हलचल बढ़ जाती है। सरकार पर सवाल खड़े होने लगते हैं।
चीन में आंतरिक समस्याओं से ध्यान भटकाने का तरीका- इस समय चीन में गृह-युद्ध जैसे स्थिति से निपट रहा है। चीन के अंदर मौजूद शी जिनपिंग सरकार के खिलाफ विद्रोह के स्वर उठने लगे हैं। ताइवान और हॉन्गकॉन्ग में भी चीन को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। ऐसे में अब वह आंतरिक कलह से दुनिया का ध्यान भटकाने के लिए भारतीय सीमा पर इस तरह की कोशिशें कर रहा है। चीन की कोशिश है कि ऐसा करके अंतरराष्ट्रीय मीडिया को भारत-चीन सीमा विवाद को लेकर बात करने के लिए मजबूर कर देंगे और लोग चीन की आंतरिक मुद्दों पर चर्चा नहीं करेंगे।
भारतीय सेना का बयान
भारतीय सेना के अनुसार, अरुणाचल प्रदेश में तवांग सेक्टर में एलएसी के साथ कुछ क्षेत्रों में अलग-अलग सेक्टर के क्षेत्र हैं, जहां दोनों पक्ष अपने दावे की सीमा तक क्षेत्र में गश्त करते हैं। यह व्यवस्था यहां साल 2006 से चल रही है। 9 दिसंबर को पीएलए के सैनिकों ने तवांग सेक्टर में एलएसी को टच किया, जिसका भारत के सैनिकों ने दृढ़ता से मुकाबला किया। इस आमने-सामने की लड़ाई में दोनों पक्षों के कुछ कर्मियों को मामूली चोटें आईं। हालांकि, इसके बाद दोनों पक्ष तुरंत क्षेत्र से हट गए। घटना की अनुवर्ती कार्रवाई के रूप में, क्षेत्र में देश के कमांडर ने शांति बहाली के लिए अपने समकक्ष के साथ एक फ्लैग मीटिंग की।
रक्षा मंत्री ने बुलाई उच्च स्तरीय बैठक
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 9 दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में LAC पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प को लेकर नई दिल्ली में एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई। इसमें
विदेश मंत्री एस जयशंकर, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) अनिल चौहान, तीनों सेनाओं के प्रमुख- वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी, नौ सेनाध्यक्ष एडमिरल आर हरि कुमार, थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे) बैठक में सम्मिलित रहे। इनके अलावा विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा और रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने भी बैठक में उपस्थित रहे।
धर्म नगरी / DN News
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देखें और सुनें- (क्या हुआ था 9 दिसंबर 2022 को)-
समझी साजिश के तहत 300 सैनिकों के साथ यांगत्से इलाके (तवांग सेक्टर) में भारतीय पोस्ट को हटाने पहुंचे थे। चीनी सैनिकों के पास कंटीली लाठी और डंडे भी थे, लेकिन भारतीय जवानों ने तुरंत मोर्चा संभाल लिया। इससे तवांग सेक्टर (अरुणाचल प्रदेश) में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच खूनी झड़प हुई। आमने-सामने की लड़ाई में छह भारतीय सैनिक घायल हो गए, जिन्हें इलाज के लिए गुवाहाटी के बशिष्ठ में 151 बेस अस्पताल ले जाया गया। जबकि चीन के 19 से ज्यादा सैनिकों को गंभीर चोटें लगी।
समझी साजिश के तहत 300 सैनिकों के साथ यांगत्से इलाके (तवांग सेक्टर) में भारतीय पोस्ट को हटाने पहुंचे थे। चीनी सैनिकों के पास कंटीली लाठी और डंडे भी थे, लेकिन भारतीय जवानों ने तुरंत मोर्चा संभाल लिया। इससे तवांग सेक्टर (अरुणाचल प्रदेश) में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच खूनी झड़प हुई। आमने-सामने की लड़ाई में छह भारतीय सैनिक घायल हो गए, जिन्हें इलाज के लिए गुवाहाटी के बशिष्ठ में 151 बेस अस्पताल ले जाया गया। जबकि चीन के 19 से ज्यादा सैनिकों को गंभीर चोटें लगी।
रिपोर्ट्स के अनुसार, कई चीनी सैनिकों के हाथ और पैर की हड्डियां टूटी। कई के सिर फट गए। भारतीय जवानों को भारी पड़ता देख चीनी सैनिक पीछे हट गए। घटना नौ दिसंबर की है। ऐसे में प्रश्न उठना स्वाभाविक है, आखिर इस तरह से भारतीय सीमा में घुसपैठ करने की कोशिश करके और भारतीय जवानों के साथ हाथापाई करके चीन क्या संदेश देना चाहते है ?
गलवान में हुई थी भारत-चीन के सैनिकों के बीच झड़प। (फाइल फोटो)
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने आरोप लगाया है, कि विपक्ष राजीव गांधी फाउंडेशन द्वारा विदेशी अंशदान नियमन कानून के उल्लंघन के सवाल से बचने के लिए भारत-चीन झड़प का मुद्दा उठा रहा है। उन्होंने कहा कि राजीव गांधी फाउंडेशन को 2005 से 2007 के दौरान चीनी दूतावास से एक करोड़ 35 लाख रुपए का अनुदान मिला था। उन्होंने कहा, कि लोकसभा में इस बारे में एक प्रश्न सूचीबद्ध था लेकिन कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों ने सदन की कार्यवाही में बाधा पहुंचाई। इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि दोनों मुद्दों में कोई संबंध नहीं है।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने आरोप लगाया है, कि विपक्ष राजीव गांधी फाउंडेशन द्वारा विदेशी अंशदान नियमन कानून के उल्लंघन के सवाल से बचने के लिए भारत-चीन झड़प का मुद्दा उठा रहा है। उन्होंने कहा कि राजीव गांधी फाउंडेशन को 2005 से 2007 के दौरान चीनी दूतावास से एक करोड़ 35 लाख रुपए का अनुदान मिला था। उन्होंने कहा, कि लोकसभा में इस बारे में एक प्रश्न सूचीबद्ध था लेकिन कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों ने सदन की कार्यवाही में बाधा पहुंचाई। इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि दोनों मुद्दों में कोई संबंध नहीं है।
ट्वीट में उन्होंने कहा-
- नेहरू जी के कारण सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता की बलि चढ़ गई।
- 1962 में भारत की हजारों हेक्टेयर भूमि चीन ने हड़प ली।
- 2006 में भारत में चीन के दूतावास ने पूरे अरुणाचल और नेफा पर दावा कर दिया था।
अब देश में मोदी सरकार है, हमारी एक इंच भूमि भी कोई नहीं ले सकता।
कांग्रेस जवाब दे कि वर्ष 2005-07 के बीच राजीव गाँधी फाउंडेशन ने चीनी दूतावास से जो 1 करोड़ 35 लाख रुपये प्राप्त किये उनसे क्या किया ?
कांग्रेस देश को बताये कि राजीव गाँधी चैरिटेबल ट्रस्ट ने जाकिर नाइक की संस्था से बिना अनुमति के FCRA खाते में जुलाई 2011 को 50 लाख रुपये क्यों लिए ?
सुनें-
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने (13 दिसंबर को) संसद के दोनों सदनों में घटना की पूरी जानकारी दी और मौजूदा स्थिति के बारे में भी बताया। ये पहली बार नहीं है, जब चीन ने भारतीय सीमा में घुसपैठ की कोशिश की और भारतीय जवानों के साथ हाथापाई हुई है। इसके पहले भी कई बार चीनी सैनिक भारतीय सीमा में घुसपैठ करने की कोशिश कर चुके हैं और भारतीय जवानों के साथ हिंसक झड़प भी हो चुकी है।
चीन-भारत के बीच हिंसक हुई झड़प-
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धर्म नगरी सूचना केंद्र हेल्प-लाइन : प्रयागराज माघ मेला में आयोजित हो रहे शिविर के क्रम में "धर्म नगरी" द्वारा सूचना केंद्र हेल्प-लाइन प्रयागराज माघ मेला-2023 लगाया जा रहा है। श्रद्धालुओं एवं तीर्थयात्रियों की सुविधा हेतु शिविर की सेवा में आप भी "धर्म नगरी" के बैंक खाते में सीधे आर्थिक सहयोग देकर हमसे पूंछे- मेरा सहयोग कहाँ लगा? सम्पर्क करें- वाट्सएप- 8109107075 मो. 9752404020 ईमेल- dharm.nagari@gmail.com हेल्प-लाइन नंबर-8109107075 (पूर्ववत ही है)।
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रिपोर्ट्स के अनुसार, नौ दिसंबर को 300 से ज्यादा चीनी सैनिक अरुणाचल प्रदेश में तवांग के यंगस्टे में 17 हजार फीट की ऊंचाई पर भारतीय सीमा में घुसपैठ करने लगे। यहां भारतीय पोस्ट को हटाने के लिए चीनी सैनिक कंटीले लाठी डंडे और इलेक्ट्रिक बैटन लेकर आए थे। भारतीय सेना भी चीनी सैनिकों का मुकाबला करने के लिए पूरी तरह से तैयार थी। जैसे ही चीनी सैनिकों ने हमला किया, भारतीय जवानों ने भी जोरदार जवाब देना शुरू कर दिया। उस वक्त भारतीय पोस्ट पर 50 सैनिक ही थे, लेकिन सभी ने कंटीले लाठी-डंडों से चीनी सैनिकों को जवाब दिया। इसमें चीन के 19 से अधिक सैनिक बुरी तरह से घायल हो गए। कुछ की हड्डियां टूटी, तो कुछ के सिर फट गए।
जवाबी हमले के बाद भारतीय अफसरों ने तुरंत हस्तक्षेप किया और चीनी सैनिक अपनी लोकेशन पर वापस चले गए। 11 दिसंबर को दोनों देशों के लोकल कमांडर ने शांति व्यवस्था बहाल करने के लिए फ्लैग मीटिंग की और घटना के बारे में चर्चा की। दोनों देशों ने सीमा पर शांति व्यवस्था कायम रखने पर सहमति दी। भारत ने कूटनीतिक रूप पर भी इस मुद्दे को चीन के सामने उठाया है।
इससे पहले 15 जून 2020 को लद्दाख के गलवां घाटी में दोनों सेनाओं के बीच हुई झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे, जबकि चीन के 38 सैनिक मारे गए थे। हालांकि, चीन ने केवल चार सैनिक मारे जाने की बात ही कबूली थी। गलवां के बाद ये दूसरी बड़ी झड़प है। तवांग सेक्टर की बात करें तो इससे पहले यहां 1975 में भी विवाद हो चुका है। तब भी दोनों देशों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। इसमें चार भारतीय जवान शहीद हुए थे।
ऐसा बार-बार क्यों कर रहा है चीन ?
डोकलाम, गलवां और अब तवांग। ये तीन घटनाएं हैं, जिसकी जानकारी सभी के पास है, लेकिन ऐसा नहीं है कि केवल तीन बार ही चीनी सेना ने भारतीय सीमा में घुसपैठ की है और जवानों के साथ हाथापाई की है। कई ऐसे वीडियो सामने आ चुके हैं, जो 2020 और 2021 के बताए जा रहे हैं। मतलब साफ है, चीन इस तरह की कई बार हरकतें कर चुका है और हर बार भारतीय सेना ने उन्हें मुंहतोड़ जवाब दिया है। अब प्रश्न उठता है, चीन ऐसा कर क्यों रहा है ? रक्षा मामलों के जानकार इस साजिश के पीछे दो बड़े कारण मानते हैं-
भारत को उकसाने की कोशिश- ये चीन की बड़ी साजिश है। चीन जानता है कि भारत पहले चीन पर हमला नहीं करेगा। इसलिए अपने सैनिकों के जरिए वह बार-बार भारत को उकसाने की कोशिश कर रहा है। इसके जरिए वह भारत को अस्थिर करने की कोशिश करता है। ऐसा होने से भारत में आंतरिक राजनीतिक हलचल बढ़ जाती है। सरकार पर सवाल खड़े होने लगते हैं।
चीन में आंतरिक समस्याओं से ध्यान भटकाने का तरीका- इस समय चीन में गृह-युद्ध जैसे स्थिति से निपट रहा है। चीन के अंदर मौजूद शी जिनपिंग सरकार के खिलाफ विद्रोह के स्वर उठने लगे हैं। ताइवान और हॉन्गकॉन्ग में भी चीन को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। ऐसे में अब वह आंतरिक कलह से दुनिया का ध्यान भटकाने के लिए भारतीय सीमा पर इस तरह की कोशिशें कर रहा है। चीन की कोशिश है कि ऐसा करके अंतरराष्ट्रीय मीडिया को भारत-चीन सीमा विवाद को लेकर बात करने के लिए मजबूर कर देंगे और लोग चीन की आंतरिक मुद्दों पर चर्चा नहीं करेंगे।
भारतीय सेना के अनुसार, अरुणाचल प्रदेश में तवांग सेक्टर में एलएसी के साथ कुछ क्षेत्रों में अलग-अलग सेक्टर के क्षेत्र हैं, जहां दोनों पक्ष अपने दावे की सीमा तक क्षेत्र में गश्त करते हैं। यह व्यवस्था यहां साल 2006 से चल रही है। 9 दिसंबर को पीएलए के सैनिकों ने तवांग सेक्टर में एलएसी को टच किया, जिसका भारत के सैनिकों ने दृढ़ता से मुकाबला किया। इस आमने-सामने की लड़ाई में दोनों पक्षों के कुछ कर्मियों को मामूली चोटें आईं। हालांकि, इसके बाद दोनों पक्ष तुरंत क्षेत्र से हट गए। घटना की अनुवर्ती कार्रवाई के रूप में, क्षेत्र में देश के कमांडर ने शांति बहाली के लिए अपने समकक्ष के साथ एक फ्लैग मीटिंग की।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 9 दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में LAC पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प को लेकर नई दिल्ली में एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई। इसमें
विदेश मंत्री एस जयशंकर, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) अनिल चौहान, तीनों सेनाओं के प्रमुख- वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी, नौ सेनाध्यक्ष एडमिरल आर हरि कुमार, थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे) बैठक में सम्मिलित रहे। इनके अलावा विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा और रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने भी बैठक में उपस्थित रहे।
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