साल का अंतिम अमावस्या, इस दिन श्रद्धापूर्वक व्रत करने से पितर प्रसन्न होते हैं, कुंडली में पितृदोष या संतानहीन योग होता है, उन्हें...
पौष अमावस्या को व्रत कथा करने से मिलता है सुख-समृद्धि का आशीर्वाद
पौष अमावस्या के दिन स्नान-दान के साथ व्रत करने की परंपरा है। कहते हैं, इस दिन विधि-विधान के साथ पितरों का तर्पण करने से पितरों या पूर्वजों (Ancestors) का आशीर्वाद मिलता है।
पौष अमावस्या के दिन स्नान-दान के साथ व्रत करने की परंपरा है। कहते हैं, इस दिन विधि-विधान के साथ पितरों का तर्पण करने से पितरों या पूर्वजों (Ancestors) का आशीर्वाद मिलता है।
धर्म नगरी / DN News
सनातन हिन्दू धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व है। वेदों में पौष माह में पड़ने वाली अमावस्या को विशेष स्थान दिया गया है। मान्यता है, पौष अमावस्या की तिथि को दान-पुण्य और तर्पण करने का कई गुणा फल मिलता है। इस दिन कई धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजित किए जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार, जिन लोगों पर कालसर्प दोष का साया होता है उसका निवारण भी पौष अमावस्या के दिन किया जाता है।
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मान्यता ये भी है, पौष माह में आने वाली अमावस्या को "पौष अमावस्या" कि पौष अमावस्या के दिन पितृों का तृपण किया जाए, तो कई गुणा फल की प्राप्ति होती है। इस दिन पितरों की शांति के लिए उपवास रखने से पितृगण के साथ ही ब्रह्मा, इंद्र, सूर्य, अग्नि, वायु, ऋषि, पशु-पक्षी भी तृप्त होते हैं। अतः, पौष अमावस्या के दिन विधि-विधान के साथ पितरों का तर्पण किया जाए, तो वह प्रसन्न होकर अपना आशीर्वाद देते हैं। वर्ष-2022 का अंतिम अमावस्या (पौष अमावस्या) 23 दिसंबर 2022, शुक्रवार को पड़ेगा।
पौष अमावस्या का महत्व
हिंदू पंचांग के अनुसार पौष माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली "पौष अमावस्या" के दिन अगर श्राद्ध व पिंडदान किया जाए, तो पितरों को स्वर्ग की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान सूर्य की पूजा करने का भी विशेष महत्व है। पौष अमावस्या के दिन सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र नदी में स्नान करने के बाद सूर्यदेव जल अर्पित करें और व्रत भी करें. ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और पितरों को शांति मिलती है।
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पौष अमावस्या के दिन पितृों के तर्पण के लिए नदी या कुंड में स्नान करने के पश्चात तांबे के पात्र में जल, लाल चंदन, फूल डालकर सूर्यदेव को अर्पित करें। इसके बाद पितरों के तर्पण के लिए प्रार्थना करें। ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और मोनकामनाएं पूर्ण होती हैं। मान्यता है, कि जिनकी कुंडली में पितृदोष या संतानहीन योग होता है, उन्हें पौष अमावस्या के दिन उपवास जरूर रखना चाहिए।
पौष अमावस्या के दिन सुबह गंगा या किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान करने की परंपरा है. यदि ऐसा संभव न हो तो पानी में गंगाजल की कुछ बूंदे मिलाकर घर पर ही स्नान करें. इसके बाद उगते सूर्य को जल अर्पित करें और उनकी पूजा करें. फिर विधि-विधान के साथ पितरों का श्राद्ध करें. ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है. अमावस्या के दिन पीपल में जल अर्पित करना भी शुभ माना जाता है. इस दिन सुबह और शाम दोनों समय पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना भी फलदायी होता है।
व्रत कथा, मिलता है सुख-समृद्धि का आशीर्वाद
पौष अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान, दान करने करने की परंपरा है। इस दिन लोग पितरों का तर्पण करते हैं। मान्यता है, ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है. इसके अलावा अमावस्या के दिन श्रद्धापूर्वक व्रत-उपवास की भी परंपरा है। इस दिन विधि-विधान के साथ व्रत करने से घर में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है। मान्यतानुसार, व्रत के बाद कथा अवश्य पढ़नी चाहिए, क्योंकि कोई भी व्रत बिना कथा के अधूरा माना जाता है।
पौष अमावस्या व्रत कथा
कथा के अनुसार एक गरीब ब्राह्मण की सुंदर, गुणवान और संस्कारी बेटी थी, लेकिन उसका विवाह नहीं हो पा रहा था. एक दिन गरीब ब्राह्मण के घर पर एक साधु आए और उनकी सेवा से प्रसन्न होकर आशीर्वाद दिया. फिर उन साधुओं ने उस कन्या को विवाह के लिए उपाय बताते हुए कहा कि यहां से कुछ दूरी पर एक परिवार रहता है. यदि यह रोज जाकर उसकी पत्नी की सेवा करे तो इसके विवाह में आ रही अड़चन दूर हो जाएगी. अगले दिन सुबह उठकर कन्या उनके घर जाकर साफ सफाई कर अपने घर वापस लौटती है. उस घर में रहने वाली स्त्री यह देखकर हैरान हो जाती कि कौन उसके जागने से पहले घर सफाई करके चला जाता है।
कुछ दिन बाद स्त्री ने ब्राम्हण की पुत्री को ऐसा करते हुए देख लिया और पूछने लगी कि आप कौन हैं, तब कन्या ने उसे साधु द्वारा बताई गई सारी बातें बताई. उस स्त्री ने कन्या की सच्चाई और सेवा से खुश होकर उसे शीघ्र विवाह होने का आशीर्वाद दिया. लेकिन जैसे ही उन्होंने कन्या को आशीर्वाद उनके पति की मृत्यु हो गई. फिर भी उसने हार नहीं मानी और आंगन में लगे हुए पीपल के पेड़ की 108 परिक्रमा करके भगवान विष्णु से अपने पति का जीवन लौटाने की प्रार्थना की. उस दिन पौष अमावस्या थी. भगवान की कृपा से उसका पति फिर से जीवित हो गया. ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति इस पौष अमावस्या के दिन स्न्नान-दान करके पीपल की परिक्रमा करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
(Disclaimer- उक्त जानकारियां सामाजिक एवं धार्मिक आस्थाओं व परम्पराओं पर आधारित हैं। DharmNagari.com इसकी पुष्टि नहीं करता।)
व्रत कथा, मिलता है सुख-समृद्धि का आशीर्वाद
पौष अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान, दान करने करने की परंपरा है। इस दिन लोग पितरों का तर्पण करते हैं। मान्यता है, ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है. इसके अलावा अमावस्या के दिन श्रद्धापूर्वक व्रत-उपवास की भी परंपरा है। इस दिन विधि-विधान के साथ व्रत करने से घर में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है। मान्यतानुसार, व्रत के बाद कथा अवश्य पढ़नी चाहिए, क्योंकि कोई भी व्रत बिना कथा के अधूरा माना जाता है।
पौष अमावस्या व्रत कथा
कथा के अनुसार एक गरीब ब्राह्मण की सुंदर, गुणवान और संस्कारी बेटी थी, लेकिन उसका विवाह नहीं हो पा रहा था. एक दिन गरीब ब्राह्मण के घर पर एक साधु आए और उनकी सेवा से प्रसन्न होकर आशीर्वाद दिया. फिर उन साधुओं ने उस कन्या को विवाह के लिए उपाय बताते हुए कहा कि यहां से कुछ दूरी पर एक परिवार रहता है. यदि यह रोज जाकर उसकी पत्नी की सेवा करे तो इसके विवाह में आ रही अड़चन दूर हो जाएगी. अगले दिन सुबह उठकर कन्या उनके घर जाकर साफ सफाई कर अपने घर वापस लौटती है. उस घर में रहने वाली स्त्री यह देखकर हैरान हो जाती कि कौन उसके जागने से पहले घर सफाई करके चला जाता है।
कुछ दिन बाद स्त्री ने ब्राम्हण की पुत्री को ऐसा करते हुए देख लिया और पूछने लगी कि आप कौन हैं, तब कन्या ने उसे साधु द्वारा बताई गई सारी बातें बताई. उस स्त्री ने कन्या की सच्चाई और सेवा से खुश होकर उसे शीघ्र विवाह होने का आशीर्वाद दिया. लेकिन जैसे ही उन्होंने कन्या को आशीर्वाद उनके पति की मृत्यु हो गई. फिर भी उसने हार नहीं मानी और आंगन में लगे हुए पीपल के पेड़ की 108 परिक्रमा करके भगवान विष्णु से अपने पति का जीवन लौटाने की प्रार्थना की. उस दिन पौष अमावस्या थी. भगवान की कृपा से उसका पति फिर से जीवित हो गया. ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति इस पौष अमावस्या के दिन स्न्नान-दान करके पीपल की परिक्रमा करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
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