#Social_Media : हिन्दू बनकर शादाब ने लड़की से दोस्ती की, फिर कैंसर बता मिलने लगा, फिर रेप, फिर अबॉर्शन, फिर...
आज के कुछ चुनिंदा पोस्ट्स, ट्वीट्स, वीडियो, कमेंट्स, वायरल...20230313
- भाईजान या शौहर (Husband) ?
- जिस हाल में आज पाकिस्तान हैं, ऐसी ही हाल में.... राजीव गाँधी...!
- सुख-शान्ति का आधार - संस्कार परम्परा
- यमराज का दरबार कहाँ, कैसा है, कौन-कौन वहाँ रहते हैं
धर्म नगरी / DN News
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झूठ बोला- मुझे कैंसर है
इंदौर के पास टिकमगढ़ की रहने वाली रीना (बदला हुआ नाम) नाम की लड़की पढ़ाई के सिलसिले कुछ सालों से इंदौर में अकेली रह रही थी। करीब डेढ़ साल पहले उसकी मुलाकात अपने एक दोस्त के जरिए शादाब से हुई, लेकिन शादाब ने अपना नाम कबीर बताया। दोनों की दोस्ती आगे बढ़नी लगी। इसी दौरान एक दिन शादाब उर्फ कबीर ने बताया, कि उसे कैंसर है। दरअसल ये उसकी चाल थी लड़की के और करीब जाने की। इसके बाद अक्सर ये दोनों मिलने लगे।
रेप के बाद धर्म बदलने की कोशिश
रीना ने आरोप लगाए हैं कि उसके बर्थडे के दिन कबीर ने उसे एक होटल में ले जाकर नशीली चीज पिलाई और फिर उसके साथ रेप किया। इतना ही नहीं उसने उसकी अश्लील तस्वीरों को भी कैमरे में कैद कर लिया। इसके बाद से वो लगातार रीना को धमकाने लगा। यहां तक कि उसका फ्लैट भी जबरदस्ती चेंज करवा दिया। वो उसके फ्लैट में अक्सर आता और उसके साथ जोर जबरदस्ती करता। कबीर उसे लगातार टॉर्चर कर रहा था।
शादाब ने नाम बदलकर की लड़की से दोस्ती
यहां तक की रीना दो बार प्रेग्नेंट भी हुई। शादाब ने दोनो बार उसका ऑबार्शन करवा दिया। डर के मारे पहले तो कई महिनों तक वो सबकुछ सहती रही और आखिरकार रीना ने अपने परिवार को सबकुछ सच बता दिया। इसी दौरान रीना के परिवार ने उसकी शादी भी तय की थी। उसकी सगाई तक हो गई थी, लेकिन शादाब ने वो सगाई भी तुड़वा दी।
अजमेर शरीफ ले जा धर्म बदलने की कोशिश
रीना के मुताबिक उसे जबरदस्ती अजमेर शरीफ के दरगाह पर ले जाया गया और वहां उससे कलमा पढ़वाया गया। शादाब ने उसका जबरदस्ती धर्म परिवर्तन करने की कोशिश की, जिसके बाद रीना को हकीकत पता चली। दरअसल तब तक वो शादाब को कबीर ही मान रही थी। उसे नहीं पता था कि वो मुस्लिम है। आखिरकार बुरी तरह से टॉर्चर हो चुकी रीना ने अपने परिवारवालों को पूरी सच्चाई बताई।
रेप, ब्लैकमेलिंग और लव जिहाद का केस दर्ज
शादाब उर्फ कबीर ने रीना के परिवार को धमकी दी-अगर उन्होंने मुंह खोला तो वो उसकी तस्वीरें वायरल कर देगा। इतना ही नहीं आरोपी ने रीना के परिवार से करीब 55 लाख रुपये भी डरा-धमाकर लूट लिए। अब जाकर परिवार ने आरोपी के खिलाफ पुलिस में शिकायत की है, जिसके बाद से वो फरार है। रीना के परिवार को डर है कि कही वो रीना की तस्वीरें वायरल न कर दे। आरोपी शादाब उर्फ कबीर खजराना का रहने वाला है। इंदौर के तिलक नगर थाने में लव जिहाद, रेप और ब्लैकमेलिंग का केस उसके खिलाफ दर्ज हो गया है और पुलिस उसकी तलाश में जुट गई है।
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भाईजान या शौहर हसबैंड ?
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Disclaimer : अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अंतर्गत हमारा संविधान हमे अपनी बात या पक्ष कहने की अनुमति देता है. इस कॉलम (आज के चुनिंदा पोस्ट्स, ट्वीट्स, कमेंट्स...) में अधिकांश कमेंट व पोस्ट SOCIAL MEDIA से ली गई है, यह जरूरी नहीं की सभी पोस्ट अक्षरशः सत्य हों, हम यथासम्भव हर पोस्ट की सत्यता परख कर इस कॉलम में लेते हैं, फिर भी हम सभी पोस्ट एवं उनकी सभी तथ्यों से पूर्ण सहमत नहीं हैं -सम्पादक
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क्या आपको श्रद्धा हत्याकांड की यह बात पता है ? श्रद्धा : बॉलीवुड का दिया सेक्युलरिज्म का कोढ़...
आओ, मुसलमानों से सीख लें ! "दिल्ली दंगों पर 25 बिंदुओं का गंभीर चिंतन" दिल्ली के मुसलमानों द्वारा☟http://www.dharmnagari.com/2021/01/Aaj-ke-selected-Posts-Tweets-Comments-Saturday-16-Jan-2021.html
1947 में मुसलमान अपने लिए एक पूरा देश पाकिस्तान ले चुके हैं, नेहरू-गाँधी की अदूरदर्शी नीति एवं हिन्दुओं के प्रति द्वेष व उपेक्षा के कारण लाखों निर्दोष हिन्दू, बच्चे, औरते मारी गई, उनकी अस्मिता लूटी गई। फिर भी, देश से पुरे मुस्लिम क्यों नहीं गए, किसने रोका ? आज उनकी आबादी भारत में कितनी और कैसे हो गई, ये हिन्दुओं को अपनी आने वाली पीढ़ी एवं राष्ट्र-रक्षा के लिए सोचना चाहिए...
इसपर आपका क्या कहना हैं, क्या आप भी इसकी माँग Social_Media के माध्यम से करेंगे ?------------------------------------------------
जिस हाल में आज पाकिस्तान हैं, ऐसी ही हाल में छोड़कर गए थे राजीव गाँधी भारत को...!
सोनिया ने पर्दे के पीछे किस कदर लूट की होगी ? सोचिये... तब 40 करोड़ के लिए सोना गिरवी रखा था... जबकि 64 करोड़ की दलाली तो सिर्फ बोफोर्स में खाई गयी थी...RBI गवर्नर रहे Y.V रेड्डी की पुस्तक ADVISE AND DECENT से साभार...
काँग्रेस के शासनकाल में सिर्फ 40 करोड़ रुपए के लिए हमें अपना 47 टन सोना गिरवी रखना पड़ा था ।ये स्थिति थी भारतीय इकॉनॉमी की ।मुझे याद हैं नब्बे के शुरुआती दशक में भारतीय अर्थव्यवस्था को, वो दिन भी देखना पड़ा था जब, भारत जैसे देश को भी अपना सोना विश्व बैंक में गिरवी रखना पड़ा था...
राजीव गाँधी के शासनकाल में देश की तिजोरी खाली हो चुकी थी । और तभी प्रधान मंत्री राजीव गाँधी की हत्या लिट्टे के आतंकियों ने कर दी थी...चन्द्रशेखर तब नए नए प्रधान मंत्री बने थे... तिजोरी खाली थी । वे घबरा गए । करें तो क्या करें ?Reddy अपने पुस्तक मे लिखते हैं कि पूरे देश में एक तरह का निराशा भरा माहौल था... राजीव गाँधी ने अपने शासनकाल में कोई रोज़गार नहीं दिया था।
नया उद्योग धन्धा नहीं... एक बिजनेस डालने जाओ तो पचास जगह से NOC लेकर आना पड़ता था।काँग्रेस द्वारा स्थापित लाइसेंस परमिट के उस दौर में, चारों तरफ बेरोज़गारी और हताशा क आलम था...
दूसरी तरफ देश में मंडल और कमंडल की लड़ाई छेड़ी हुई थी...1980 से 1990 के दशक तक देश में काँग्रेस ने Economy को ख़त्म कर दिया था... उसी दौरान बोफोर्स तोपों में दलाली का मामला सामने आया...
किताब में Reddy लिखते हैं- गाँधी परिवार की अथाह लूट ने, देश की अर्थ व्यवस्था को रसातल में पहुँचा दिया था। आगे किताब में लिखते हैं- उन दिनों भारत का विदेशी मुद्रा भंडार इतना कम हो गया था कि रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने अपना सोना विश्व बैंको में गिरवी रखने का फैसला किया... हालात ये हो गए थे कि देश के पास तब केवल 15 दिनों का आयात करने लायक ही पैसा था।
तब तत्कालीन प्रधान मंत्री चन्द्रशेखर के आदेश से, भारत ने 47 टन सोना बैंक ऑफ़ इंग्लैंड में गिरवी रखा था...उस समय एक दिलचस्प और भारतीय जनमानस को शर्म सार करने वाली घटना घटी... RBI को बैंक ऑफ़ इंग्लैंड में 47 टन सोना पहुँचाना था। ये वो दौर था जब मोबाइल तो होते नहीं थे और लैंड लाइन भी सीमित मात्रा में हुआ करती थी।
नयी दिल्ली स्थित RBI का इतना बुरा हाल था की बिल्डिंग से 47 टन सोना नयी दिल्ली एयर पोर्ट पर एक वैन द्वारा पहुँचाया जाना था. वहां से ये सोना इंग्लैंड जाने वाले जहाज पर लादा जाना था, खैर बड़ी मशक्कत के बाद ये 47 टन सोना इंग्लैंड पहुँचा और ब्रिटेन ने भारत को 40.05 करोड़ रुपये कर्ज़ दिये।
भारतीय अर्थ व्यवस्था से जुडी इस पुरानी तथा मन को दुःखी करने वाली घटना का उदाहरण मैंने इसलिए दिया ताकि, लोगों को पता चले कि काँग्रेस के जो बेशर्म नेता और समर्थक, मोदीजी के ऊपर, देश की अर्थ व्यवस्था चौपट करने का इल्जाम लगाते हैं, उस कमअक्ल लुटेरे गाँधी परिवार की लापरवाही की वजह से ही, देश को अपना सोना महज़ 40 करोड़ का कर्ज पाने के लिए गिरवी रखना पड़ा था ।
किसी देश के लिए इससे ज्यादा अपमान और शर्म की बात क्या हो सकती हैं। मुझे बेहद हँसी, हैरानी और गुस्सा आता हैं जब, देश को महज़ 40 करोड़ रुपये के लिए गिरवी रखने वाले लोग कहते हैं कि, मोदीजी ने भारत की अर्थ व्यवस्था को बर्बाद कर दिया.श्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के समय, एक मशहूर कम्पनी, एनरॉन नें, महाराष्ट्र के दाभोल में कारखाना लगाने की प्लानिंग की ..!!
लेकिन, यह स्थानीय लोगों के प्रतिरोध के कारण, हो न सका !!फलस्वरूप, बदलती विषम परिस्थितियों से नाराज एनरॉन नें, भारत सरकार पर ₹38,000 करोड़ के नुकसान की भरपाई का मुकदमा दायर कर दिया ..।।
वाजपेयी सरकार ने हरीश सालवे (सालवे जी नें, कुलभूषण जाधव का मुकदमा इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में लड़ कर जीता ..) को भारत सरकार का वकील नियुक्त किया ..।।पर आप जान कर चोंक जाएंगे कि, एनरॉन के वकील पी. चिदंबरम बनें ..!! यानी, पी चिदंबरम भारत के विरुद्ध ..।।
समय बीतता चला गया ..!! बादमें 'यूपीए' सरकार बनी ..!! कैबिनेट मंत्री चिदंबरम, एनरॉन की तरफ से मुकदमा नहीं लड़ सकते थे ..!! पर वो कानूनी सलाहकार बने रहे और, वो मुकदमे को एनरॉन के पक्ष में करने में सक्षम थे ..।।
😠 अगला खुलासा और चौकानें वाला है !
चिदंबरम ने तुरंत हरीश सालवे को एनरॉन केस से हटा दिया। हरीश साल्वे की जगह, खबर कुरेशी को नियुक्त किया गया। आप ठीक समझे, ये वही पाकिस्तानी वकील है जिसनें, कुलभूषण जाधव केस में, पाकिस्तान सरकार का मुकदमा लड़ा !
कांग्रेस ने भारत सरकार कि तरफ से, पाकिस्तानी वकील को ₹1400/- करोड़ दिये वकील कि फीस के रुप में ..। अंततः भारत मुकदमा हार गया और भारत सरकार को ₹38,000/- करोड़ का भारी भरकम मुआवजा देना पड़ा, ..।। लुटीयन मिडिया ने ये खबर या तो गोल दी या सरसरी तौर पर नहीं दिखाई !!
अब सोचिए कि ₹38000/- करोड़ का मुकदमा लडने के लिए फीस कितनी ली होगी ..?? जो पाठक किसी क्लेम के केस मे वकील कि फीस तय करते है उन्हें पता होगा कि, वकील केस देखकर दस प्रतिशत से लेकर साठ प्रतिशत तक फीस लेता है। सोचिए इस पर कोई हंगामा नही हुआ ..?? अगर ये केस मोदी के समय मे होता, और भारत सरकार कोर्ट में हार जाती तो ..?? चमचो की छोड़िए, भक्त भी डंडा लेकर मोदी के पीछे दोड़ते ..।।और एक मजेदार बात .. जिन कम्पनियों का एनरॉन मे निवेश करके यह प्रोजेक्ट केवल फाईल किया था उनका निवेश महज मात्र 300 मिलियन डालर .. याने उस वक्त कि डालर रुपया विनियम दर के हिसाब से, महज ₹1530/- करोड़ था, और वह भी बैठे बिठाये ..।। महज सात साल मे ₹38,000/- करोड़ का फायदा ..!! वो भी एक युनिट बिजली का संयंत्र लगाये बिना ..?
कांग्रेस हमारी सोचने की क्षमता से भी ज्यादा विनाशकारी है !! (यह थी 'विश्व प्रसिद्ध' अर्थशास्त्री, अनुभवी और पढे लिखे लुटेरो की सरकार ..!!) जिस किसी को भी कोई शंका हो वो गूगल में जाकर देख सकता है।
🔥जन जागरण अभियान के लिए जारी किया गया।आज जितने भी लोग मोदीजी को और उनकी सरकार को बदनाम करने की साजिश कर रहे हैं उस समय सब मौन धारण करे हुए थे वो सब ये बात जानते थे कि कांग्रेस क्या कुछ कर सकती है।अगर आज ऐसे लोग सुरक्षित हैं तो केवल मोदीजी के हिंदुत्व के कारण, आज भारत का विदेशी मुद्रा भंडार विश्व में चौथे स्थान पर है मगर ग़ुलाम कहते हैं कि Modi ने किया ही क्या है।
आदरणीय बन्धुओ कांग्रेस नें जो गद्दारी देश के साथ की है , इनके कुकर्मो का ढिंढोरा सोशल मीडिया पर खूब वायरल करना चाहिए, जिससे हमारी युवा पीढ़ी को भी जानकारी होनी चाहिए, कि देश अन्य देशों से इन 70 सालों में पीछे कैसे रह गया. हम लोग इतना तो कर ही सकते है साभार #सोशल_मीडिया से
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न्यायमूर्ति की तब मनमानी नियुक्ति और अब विरोध जूनियर न्यायमूर्ति को इंदिरा गाँधी ने CJI बनाया, रिटायरमेंट के बाद नेशनल हेराल्ड अखबार
1973 में इंदिरा गाँधी ने न्यायमूर्ति A.N. रे को भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में बैठा दिया वो भी तब जब उनसे वरिष्ठ न्यायधीशों की लिस्ट जैसे न्यायमूर्ति JM शेलात, KS हेगड़े और AN ग्रोवर सामने थी। अंततः हुआ यह कि नाराज़गी के रूप में इन तीनों न्यायधीशों ने इस्तीफा दे दिया.
इसके बाद कांग्रेस ने पार्लियामेंट में जवाब दिया- "यह सरकार का काम है कि किसे मुख्य न्यायधीश रखें और किसको नहीं और हम उसी को बिठाएंगे जो हमारी विचारधारा के पास हो।" और आज वही लोग न्यायाधीशों की आज़ादी की बात करते हैं ?
1975 में न्यायाधीश जगमोहन सिंहा को एक फैसला सुनाना था। फैसला था राजनारायण बनाम इंदिरा गांधी के चुनावी भ्रष्टाचार के मामले का। उनको फ़ोन आता है जिसमें कहा जाता है- "अगर तुमने इंदिरा गाँधी के ख़िलाफ़ फैसला सुनाया, तो अपनी पत्नी से कह देना इस साल करवा चौथ का व्रत न रखे।" उस फोन कॉल का न्यायमूर्ति सिंहा ने आराम से जवाब देते हुए कहा- "किस्मत से मेरी पत्नी का देहांत 2 महीने पहले ही हो चुका है।" इसके बाद न्यायमूर्ति सिंहा ने एक ऐतिहासिक निर्णय दिया जो आज भी मिसाल के रूप में जाना जाता है। इसने कांग्रेस सरकार की चूलें हिला दी और इसी से बचने के लिए इंदिरा गाँधी और कांग्रेस द्वारा 'इमरजेंसी' जनता पर थोप दी गयी। देश को नहीं, इंदिरा गाँधी को बचाना था।
1976 में A.N. रे ने इंदिरा गाँधी द्वारा खुद पर किये गए एहसान का बदला चुकाया शिवकांत शुक्ला बनाम ADM जबलपुर के केस में। उनके द्वारा बैठाई गयी पीठ ने उनके सभी मौलिक अधिकारों को खत्म कर दिया।
उस पूरी पीठ में मात्र एक बहादुर न्यायाधीश थे, जिनका नाम था न्यायमूर्ति एचआर खन्ना, जिन्होंने आपमें साथी मुख्य न्यायधीश को कहा- "क्या आप खुद को आईने में आँख मिलाकर देख सकते हैं ?"
इस पीठ में न्यायाधीश AN रे, एचआर खन्ना, एमएच बेग, YV चंद्रचूड़ और PN भगवती शामिल थे। यह सब मुख्य न्यायाधीशों की लिस्ट में आये केवल एक न्यायधीश को छोड़कर, जिनका नाम था न्यायधीश एचआर खन्ना जी। खन्ना जी को इंदिरा गाँधी की सरकार ने दण्डित किया और अनुभव तथा वरिष्ठता में उनसे नीचे बैठे न्यायधीश MH बेग को देश का मुख्य न्यायाधीश बना दिया गया।
यह था भारत के लोकतंत्र का हाल कांग्रेस के राज में ! यही न्यायाधीश MH बेग रिटायरमेंट के बाद नेशनल हेराल्ड के डायरेक्टर बना दिये गए। यह नेशनल हेराल्ड अखबार वही अखबार है, जिसके घोटाले में आज सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी ज़मानत पर छूटे हुए हैं। यह पूरी तरह से कांग्रेस का अखबार था और एक प्रकार से कांग्रेस के मुखपत्र की तरह काम करता था। आश्चर्यजनक रूप से न्यायाधीश बेग ने अपॉइंटमेंट स्वीकार कर लिया।
राहुल गाँधी का 'संविधान को खतरा'वाले सवाल पर उनके मुँह पर यह जानकारियां मारी जानी चाहिए और उनसे पूछना चाहिए कि क्या इस प्रकार से ही बचाना चाहते हो लोकतंत्र को ? बात यहीं खत्म नहीं हुई बल्कि 1980 में इंदिरा गाँधी सरकार में वापस आयी और इसी MH बेग को अल्पसंख्यक कमीशन का चैयरमैन नियुक्त कर दिया गया। वह इस पद पर 1988 तक रहे और उनको 'पद्म विभूषण' से राजीव गाँधी की सरकार द्वारा सम्मानित भी किया गया था ?
1962 में न्यायाधीश बेहरुल इस्लाम का एक और नया केस सामने आया जो आपको जानना अति आवश्यक है। श्रीमान इस्लाम कांग्रेस के राज्य सभा के MP थें 1962 के दौरान ही और उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा का चुनाव भी लड़ा था. हार गए थे। वो दोबारा 1968 में राज्य सभा के MP बनाये गए. कांग्रेस की ही तरफ से (सीधी सी बात है.)
उन्होंने 1972 में राज्य सभा से इस्तीफा दे दिया और उनको गुवाहाटी हाई कोर्ट का न्यायाधीश बना दिया गया। 1980 में वो सेवानिवृत्त हो गए। परंतु जब इंदिरा गाँधी 1980 में दोबारा वापस आयी तो इन्हीं श्रीमान इस्लाम को 'न्यायाधीश बेहरुल इस्लाम' की उपाधि वापस दी गयी और सीधे सुप्रीम कोर्ट का न्यायधीश बना दिया गया।
गुवाहाटी हाई कोर्ट से सेवानिवृत्त होने के 9 महीने बाद का यह मामला है भाई साहब ? इंदिरा गांधी पूरी तरह से यह चाहती थी कि सभी न्यायालयों पर उनका 'कंट्रोल' हो। उस समय इमरजेंसी के दौरान इंदिरा गांधी और कांग्रेस पर लगे आरोपों की सुनवाई विभिन्न न्यायालयों में हो रही थी.
वो इंदिरा गाँधी के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध हुए और साफ तौर पर कांग्रेस के लिए भी.
'न्यायाधीश' इस्लाम ने एक महीने बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया और फिर एक बार असम के बारपेटा से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े.
लोकतंत्र का इससे बड़ा मज़ाक क्या होगा ? जिस चुनाव में वो खड़े होने वाले थे, उस साल चुनाव नहीं हो पाए। अतः उनको एकबार फिर से कांग्रेस की तरफ से राज्य सभा का MP बना दिया गया.
लोकतंत्र के लिए जिस प्रकार से कांग्रेस आज झूठी छाती पीट रही है, क्या उसी कांग्रेस ने लोकतंत्र का गला सबसे ज़्यादा बार नहीं घोंटा है ? अपना मत / प्रतिक्रिया नीचे कमेंट बॉक्स में लिखें।
सोशल मीडिया में ये प्रतिक्रिया आज (13 मार्च 2023 पढ़ने को मिली)-कांग्रेस व अन्य विपक्षी वो नागिन हैजिसने भारत को छह अंडे दिए
पहला भ्रष्टाचार
दूसरा जातिवाद
तीसरा घोटाले
चौथा घुसपैठ
पांचवां संस्कृति का नाश
छठा धर्म परिवर्तन की बीमारी #सोशल_मीडिया से ------------------------------------------------
सुख-शान्ति का आधार - संस्कार परम्परासंस्कारों से ओत-प्रोत पुत्रवधू के व्यवहार ने अपने पति और अपने ससुर को बदल दिया। घर में स्वर्गीय वातावरण का सृजन हेतु ऐसी ही बहू या पुत्रवधू की जरूरत होती है, जो विपरीत परिस्थिति में भी अपने संस्कारों को ना भूले!!
एक पिता-पुत्र व्यापार धंधा करते थे। पुत्र को पिता के साथ कार्य करते हुए वर्षों बीत गये। उसकी उम्र भी चालीस को छूने लगी। फिर भी पुत्र को पिता न तो व्यापार की स्वतन्त्रता देते थे और न ही तिजोरी की चाबी। पुत्र के मन में सदैव यह बात खटकती। वह सोचता- "यदि पिता जी का यही व्यवहार रहा तो मुझे व्यापार में कुछ नया करने का कोई अवसर नहीं मिलेगा। पुत्र के मन में छुपा क्षोभ एक दिन फूट पड़ा। दोनों के बीच झगड़ा हुआ और सम्पदा का बँटवारा हो गया।
अब पिता पुत्र दोनों अलग हो गये। पुत्र अपनी पत्नी,बच्चों के साथ रहने लगा। पिता अकेले थे, उनकी पत्नी का देहांत हो चुका था। उन्होंने किसी दूसरे को सेवा के लिए नहीं रखा, क्योंकि उन्हें किसी पर विश्वास नहीं था। वे स्वयं ही रूखा-सूखा भोजन बनाकर खा लेते या कभी चने आदि खाकर ही रह जाते, तो कभी भूखे ही सो जाते थे। उनकी पुत्रवधु बचपन से ही सत्संगी थी। जब उसे अपने ससुर की ऐसी हालत का पता चला, तो उसे बड़ा दुःख हुआ, आत्मग्लानि भी हुई। उसमें बाल्यकाल से ही धर्म के संस्कार थे,बड़ों के प्रति आदर व सेवा का भाव था। उसने अपने पति को मनाने का प्रयास किया परंतु वे न माने।
पिता के प्रति पुत्र के मन में सदभाव नहीं था। अब पुत्रवधु ने एक विचार अपने मन में दृढ़ कर उसे कार्यान्वित किया। वह पहले पति व पुत्र को भोजन कराकर क्रमशः दुकान और विद्यालय भेज देती, बाद में स्वयं ससुर के घर जाती। भोजन बनाकर उन्हें खिलाती और रात्रि के लिए भी भोजन बनाकर रख देती। कुछ दिनों तक ऐसा ही चलता रहा।
जब उसके पति को पता चला तो उसने पत्नी को ऐसा करने से रोकते हुए कहा- "ऐसा क्यों करती हो ? बीमार पड़ जाओगी। तुम्हारा शरीर इतना परिश्रम नहीं सह पायेगा।" पत्नी बोली "मेरे आदरणीय ससुरजी भूखे रहें कष्ट में रहें और हम लोग आराम से खायें-पियें, यह मैं नहीं देख सकती। मेरा धर्म है बड़ों की सेवा करना,इसके बिना मुझे संतोष नहीं होता। उनमें भी तो मेरे भगवान का वास है। मैं उन्हें खिलाये बिना नहीं खा सकती। भोजन के समय उनकी याद आने पर मेरी आँखों में आँसू आ जाते हैं। उन्होंने ही तो आपको पाल-पोसकर बड़ा किया है, तभी आप मुझे पति के रूप में मिले हैं। आपके मन में कृतज्ञता का भाव नहीं है, तो क्या हुआ,मैं उनके प्रति कैसे कृतघ्न कैसे हो सकती हूँ।
पत्नी के सुंदर संस्कारों ने, सदभाव ने पति की बुद्धि पलट दी। उन्होंने जाकर अपने पिता के चरण छुए, क्षमा माँगी और उन्हें अपने घर ले आये। पति-पत्नी दोनों मिलकर पिता की सेवा करने लगे। पिता ने व्यापार का सारा भार पुत्र पर छोड़ दिया। मेरे प्यारे / प्यारी परिवार के किसी भी व्यक्ति में सच्चा सदभाव है, मानवीय संवेदनाएँ हैं, सुसंस्कार हैं तो वह सबके मन को जोड़ सकता है,घर-परिवार में सुख शांति बनी रह सकती है। यह तभी सम्भव है जब जीवन में सत्संग हो, भारतीय संस्कृति के उच्च संस्कार हों। धर्म का सेवन हो। जीवन का ऐसा कौन-सा क्षेत्र है जहाँ सत्संग की आवश्कता नहीं है ! सत्संग जीवन की अत्यावश्यक माँग है क्योंकि सच्चा सुख जीवन की माँग है और वह सत्संग से ही मिल सकता है...-अंत में...यमराज का दरबार कहाँ, कैसा है, कौन-कौन वहाँ रहते हैं एकबार कश्यप ऋषि के पुत्र पक्षीराज गरुड़ ने श्रीहरि विष्णु से पूछा- इस ब्रह्मांड में ऐसी कौन सी जगह है, जहां पर मनुष्य कभी बूढ़ा नहीं होता ? जहां पर मनुष्य को कभी भूख नहीं लगती ? जहां पर मनुष्य को किसी भी प्रकार का रोग नहीं होता ? जहां पर मनुष्य सदैव प्रसन्न रहता है ?
जगत के आधार, सभी कारणों के कारण, पापी आत्माओं को भी शरणागत देने वाले श्रीहरि विष्णु हरि ने पक्षीराज गरुड़ को बताया, इस ब्रह्मांड में यमपुरी ही एक ऐसी जगह है जहां पर मनुष्य कभी बूढ़ा नहीं होता। जहां पर मनुष्य को कभी भूख नहीं लगती। जहां पर मनुष्य को किसी भी प्रकार का रोग नहीं लगता। देवलोक और मनुष्यलोक में जितने भी सुख सुविधाएं हैं उस प्रकार की सभी सुख-सुविधाएं यमपुरी में उपलब्ध हैं। वहां सभी प्रकार के रसों से परिपूर्ण सामग्री उपलब्ध होती है।
यमराज के दरबार में कौन-कौन सभासद, निर्णय लेने में यमराज की सहायता करते हैं तथा कौन यमराज के दरबार में जा सकता है ? यमपुरी मृत्युलोक से 86 हजार योजन दूर है। यमराज का महल 200 योजन लंबा 200 योजन चौड़ा तथा 50 योजन ऊंचा है। यमराज की सभा 100 योजन लंबी और चौड़ी है। यमपुरी में ना गर्मी है और ना ठंड है। यमपुरी में बुढ़ापे की चिंता नहीं सताती है और मौसम सदैव सुहावना रहता है। यमराज का महल सोने का बना हुआ है और हीरों की फर्श पर चित्रकारी है, खिड़कियों में हीरों के रोशनदान बने हुए हैं।
यमराज के दरबार में निम्नलिखित सभासद है, जो शास्त्रों का अध्ययन कर कर उचित निर्णय लेने में यमराज की सहायता करते हैं- अत्रि, वशिष्ठ मुनि, पुलह, दक्ष, क्रतु, अंगिरा, परशुराम, पुलत्स्य, अगस्त्य, नारद। यह सभी यमराज जी के सभासद हैं जिनके नामों और कर्मों की गणना नहीं की जा सकती। यह सभी धर्मशास्त्रों की व्याख्या करके यथावत निर्णय देते हैं और ब्रह्मा की आज्ञा अनुसार सभी यमराज की सेवा करते हैं। इस सभा में सूर्यवंश और चंद्रवंश के अन्य बहुत से धर्मात्मा राजा यमराज की सेवा करते हैं। मनु, दिलीप, सगर, भागीरथ, दुष्यंत, शांतनु, पांडू, मुचुकुंन्द, अनरण्य, अम्बरीष, भरत, नल, शिवि, निमि, पुरू, ययाति और सहस्त्रार्जुन यह सभी पुण्यात्मा और बहुत से प्रख्यात राजा अश्वमेध यज्ञ करने फलस्वरूप यमराज के सभासद बने हैं।
यमराज की सभा में धर्म की प्रवृत्ति होती है। न वहां पक्षपात होता है, न वहां झूठ बोला जाता और न ही किसी के प्रति मात्सर्यभाव रखा जाता है। सभी सभासद शास्त्रविद और धर्मपरायण हैं, वह सदा सभा में वैवस्वत यम की उपासना करते हैं।
यमपुरी में दक्षिणी द्वार से प्रवेश करने वाले कभी भी यमराज की सभा में नहीं जा सकते, केवल पुण्यात्मा, सन्यासी, धर्मात्मा और हमेशा परमात्मा का नाम जपने वाले ही यमराज की सभा में जा सकते हैं। दक्षिणी द्वार से प्रवेश करने वालों को 100 सालों तक यमपुरी में प्रवेश करने के लिए प्रतीक्षा करना पड़ता है, क्योंकि यमपुरी में दक्षिणी द्वार से प्रवेश करने वाले सभी पापी लोग होते हैं और 100 सालों तक यम के दूत ऐसी पापी आत्माओं को कई प्रकार की यातनाएं देते हैं।
धर्मात्मा और सन्यासी लोगों की यमराज के दरबार में उचित देखभाल की जाती है। अप्सराएं धर्मात्मा और सन्यासी लोगों की सेवा में लगी रहती हैं। धर्मात्मा और सन्यासी लोगों को यमराज के दरबार में उचित मान सम्मान दिया जाता है।इसलिए मृत्यु लोक के प्राणियों से विशेष प्रार्थना है अपने कर्मों को सुधारो ताकि यमराज के दरबार में उचित मान सम्मान मिल सके तथा यमराज के दरबार में सभासद के रूप में सेवा करने का मौका मिल सके।
यस्मिन् श्रुतिपथं प्राप्तेदृष्टे स्मृतिमुपागते।आनन्दं यान्ति भूतानिजीवितं तस्य शोभते।। -योगवासिष्ठ
अर्थात, जिसका वृत्तान्त सुनकर तथा जिसका स्मरण करने पर प्राणियों को आनन्द होता है, उसी का जीवन शोभा देता है।
परिमाग्ने दुश्चरिताद्बाधस्वा मा सुचरिते भज।उदायुषा स्वायुषोदस्थाममृतां गुं अनु।। यजुर्वेद 4/28
हम चरित्रवान हों-दुराचरण से दूर रहें। जीवन मुक्त तथा दीर्घायु पुरुषों से उत्तम आदर्श ग्रहण करें, सदाचारी बनें, उत्तम जीवन तथा पूर्ण आयु प्राप्त करें।-
क्या आपको श्रद्धा हत्याकांड की यह बात पता है ? श्रद्धा : बॉलीवुड का दिया सेक्युलरिज्म का कोढ़...
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http://www.dharmnagari.com/2022/11/Aaj-ke-selected-Posts-Tweets-Comments-Wednesday-16-Nov-2022.html
हिंदू का धर्मांतरण = राष्ट्रांतरण कैसे ?
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http://www.dharmnagari.com/2021/07/Aaj-ke-selected-Posts-Tweets-Comments-Saturay-2021703.html
श्रीमद गीता की विशेषता क्या है ? मैदाने-जंग से अमन की फसल पैदा करती है "गीता" -अनवर जलालपुरी
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http://www.dharmnagari.com/2021/07/Aaj-ke-selected-Posts-Tweets-Comments-Friday-2021702.html
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हिन्दू बेरोजगार क्यों हैं ?
हिन्दुओं में बेरोजगारी (unemployment) क्यों बढ़ती जा रही हैं ? किसने छीन लिया हिन्दुओं के सभी परंपरागत व्यवसाय, हुनर और काम ? -#राष्ट्रवादी पत्रकार संघ helphindu@gmail.com
कृपया गंभीरता से सुनें। अपने सामर्थ्य अनुसार जो भी कर सकते हों, आप करें। जैसे केवल हिन्दुओं से ही सामान लें, कोई भी काम या सर्विस केवल हिन्दुओं से ही करवाना। हिन्दुओं को स्वावलम्बी बनाने के लिए, अवश्य अपना योगदान दें।
Why Hindus are unemployed ? Which type of jobs / work Hindu youths can do or can't do ? Pls listen very seriously & do whatever you can. (Video : Social Media) Link-
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https://www.youtube.com/watch?v=0Fqxa2auevE
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1947 में मुसलमान अपने लिए एक पूरा देश पाकिस्तान ले चुके हैं, नेहरू-गाँधी की अदूरदर्शी नीति एवं हिन्दुओं के प्रति द्वेष व उपेक्षा के कारण लाखों निर्दोष हिन्दू, बच्चे, औरते मारी गई, उनकी अस्मिता लूटी गई। फिर भी, देश से पुरे मुस्लिम क्यों नहीं गए, किसने रोका ? आज उनकी आबादी भारत में कितनी और कैसे हो गई, ये हिन्दुओं को अपनी आने वाली पीढ़ी एवं राष्ट्र-रक्षा के लिए सोचना चाहिए...
इसपर आपका क्या कहना हैं, क्या आप भी इसकी माँग Social_Media के माध्यम से करेंगे ?------------------------------------------------
जिस हाल में आज पाकिस्तान हैं, ऐसी ही हाल में छोड़कर गए थे राजीव गाँधी भारत को...!
सोनिया ने पर्दे के पीछे किस कदर लूट की होगी ? सोचिये... तब 40 करोड़ के लिए सोना गिरवी रखा था... जबकि 64 करोड़ की दलाली तो सिर्फ बोफोर्स में खाई गयी थी...RBI गवर्नर रहे Y.V रेड्डी की पुस्तक ADVISE AND DECENT से साभार...
काँग्रेस के शासनकाल में सिर्फ 40 करोड़ रुपए के लिए हमें अपना 47 टन सोना गिरवी रखना पड़ा था ।ये स्थिति थी भारतीय इकॉनॉमी की ।मुझे याद हैं नब्बे के शुरुआती दशक में भारतीय अर्थव्यवस्था को, वो दिन भी देखना पड़ा था जब, भारत जैसे देश को भी अपना सोना विश्व बैंक में गिरवी रखना पड़ा था...
राजीव गाँधी के शासनकाल में देश की तिजोरी खाली हो चुकी थी । और तभी प्रधान मंत्री राजीव गाँधी की हत्या लिट्टे के आतंकियों ने कर दी थी...चन्द्रशेखर तब नए नए प्रधान मंत्री बने थे... तिजोरी खाली थी । वे घबरा गए । करें तो क्या करें ?Reddy अपने पुस्तक मे लिखते हैं कि पूरे देश में एक तरह का निराशा भरा माहौल था... राजीव गाँधी ने अपने शासनकाल में कोई रोज़गार नहीं दिया था।
नया उद्योग धन्धा नहीं... एक बिजनेस डालने जाओ तो पचास जगह से NOC लेकर आना पड़ता था।काँग्रेस द्वारा स्थापित लाइसेंस परमिट के उस दौर में, चारों तरफ बेरोज़गारी और हताशा क आलम था...
दूसरी तरफ देश में मंडल और कमंडल की लड़ाई छेड़ी हुई थी...1980 से 1990 के दशक तक देश में काँग्रेस ने Economy को ख़त्म कर दिया था... उसी दौरान बोफोर्स तोपों में दलाली का मामला सामने आया...
किताब में Reddy लिखते हैं- गाँधी परिवार की अथाह लूट ने, देश की अर्थ व्यवस्था को रसातल में पहुँचा दिया था। आगे किताब में लिखते हैं- उन दिनों भारत का विदेशी मुद्रा भंडार इतना कम हो गया था कि रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने अपना सोना विश्व बैंको में गिरवी रखने का फैसला किया... हालात ये हो गए थे कि देश के पास तब केवल 15 दिनों का आयात करने लायक ही पैसा था।
तब तत्कालीन प्रधान मंत्री चन्द्रशेखर के आदेश से, भारत ने 47 टन सोना बैंक ऑफ़ इंग्लैंड में गिरवी रखा था...उस समय एक दिलचस्प और भारतीय जनमानस को शर्म सार करने वाली घटना घटी... RBI को बैंक ऑफ़ इंग्लैंड में 47 टन सोना पहुँचाना था। ये वो दौर था जब मोबाइल तो होते नहीं थे और लैंड लाइन भी सीमित मात्रा में हुआ करती थी।
नयी दिल्ली स्थित RBI का इतना बुरा हाल था की बिल्डिंग से 47 टन सोना नयी दिल्ली एयर पोर्ट पर एक वैन द्वारा पहुँचाया जाना था. वहां से ये सोना इंग्लैंड जाने वाले जहाज पर लादा जाना था, खैर बड़ी मशक्कत के बाद ये 47 टन सोना इंग्लैंड पहुँचा और ब्रिटेन ने भारत को 40.05 करोड़ रुपये कर्ज़ दिये।
भारतीय अर्थ व्यवस्था से जुडी इस पुरानी तथा मन को दुःखी करने वाली घटना का उदाहरण मैंने इसलिए दिया ताकि, लोगों को पता चले कि काँग्रेस के जो बेशर्म नेता और समर्थक, मोदीजी के ऊपर, देश की अर्थ व्यवस्था चौपट करने का इल्जाम लगाते हैं, उस कमअक्ल लुटेरे गाँधी परिवार की लापरवाही की वजह से ही, देश को अपना सोना महज़ 40 करोड़ का कर्ज पाने के लिए गिरवी रखना पड़ा था ।
किसी देश के लिए इससे ज्यादा अपमान और शर्म की बात क्या हो सकती हैं। मुझे बेहद हँसी, हैरानी और गुस्सा आता हैं जब, देश को महज़ 40 करोड़ रुपये के लिए गिरवी रखने वाले लोग कहते हैं कि, मोदीजी ने भारत की अर्थ व्यवस्था को बर्बाद कर दिया.श्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के समय, एक मशहूर कम्पनी, एनरॉन नें, महाराष्ट्र के दाभोल में कारखाना लगाने की प्लानिंग की ..!!
लेकिन, यह स्थानीय लोगों के प्रतिरोध के कारण, हो न सका !!फलस्वरूप, बदलती विषम परिस्थितियों से नाराज एनरॉन नें, भारत सरकार पर ₹38,000 करोड़ के नुकसान की भरपाई का मुकदमा दायर कर दिया ..।।
वाजपेयी सरकार ने हरीश सालवे (सालवे जी नें, कुलभूषण जाधव का मुकदमा इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में लड़ कर जीता ..) को भारत सरकार का वकील नियुक्त किया ..।।पर आप जान कर चोंक जाएंगे कि, एनरॉन के वकील पी. चिदंबरम बनें ..!! यानी, पी चिदंबरम भारत के विरुद्ध ..।।
समय बीतता चला गया ..!! बादमें 'यूपीए' सरकार बनी ..!! कैबिनेट मंत्री चिदंबरम, एनरॉन की तरफ से मुकदमा नहीं लड़ सकते थे ..!! पर वो कानूनी सलाहकार बने रहे और, वो मुकदमे को एनरॉन के पक्ष में करने में सक्षम थे ..।।
😠 अगला खुलासा और चौकानें वाला है !
चिदंबरम ने तुरंत हरीश सालवे को एनरॉन केस से हटा दिया। हरीश साल्वे की जगह, खबर कुरेशी को नियुक्त किया गया। आप ठीक समझे, ये वही पाकिस्तानी वकील है जिसनें, कुलभूषण जाधव केस में, पाकिस्तान सरकार का मुकदमा लड़ा !
कांग्रेस ने भारत सरकार कि तरफ से, पाकिस्तानी वकील को ₹1400/- करोड़ दिये वकील कि फीस के रुप में ..। अंततः भारत मुकदमा हार गया और भारत सरकार को ₹38,000/- करोड़ का भारी भरकम मुआवजा देना पड़ा, ..।। लुटीयन मिडिया ने ये खबर या तो गोल दी या सरसरी तौर पर नहीं दिखाई !!
अब सोचिए कि ₹38000/- करोड़ का मुकदमा लडने के लिए फीस कितनी ली होगी ..?? जो पाठक किसी क्लेम के केस मे वकील कि फीस तय करते है उन्हें पता होगा कि, वकील केस देखकर दस प्रतिशत से लेकर साठ प्रतिशत तक फीस लेता है। सोचिए इस पर कोई हंगामा नही हुआ ..?? अगर ये केस मोदी के समय मे होता, और भारत सरकार कोर्ट में हार जाती तो ..?? चमचो की छोड़िए, भक्त भी डंडा लेकर मोदी के पीछे दोड़ते ..।।और एक मजेदार बात .. जिन कम्पनियों का एनरॉन मे निवेश करके यह प्रोजेक्ट केवल फाईल किया था उनका निवेश महज मात्र 300 मिलियन डालर .. याने उस वक्त कि डालर रुपया विनियम दर के हिसाब से, महज ₹1530/- करोड़ था, और वह भी बैठे बिठाये ..।। महज सात साल मे ₹38,000/- करोड़ का फायदा ..!! वो भी एक युनिट बिजली का संयंत्र लगाये बिना ..?
कांग्रेस हमारी सोचने की क्षमता से भी ज्यादा विनाशकारी है !! (यह थी 'विश्व प्रसिद्ध' अर्थशास्त्री, अनुभवी और पढे लिखे लुटेरो की सरकार ..!!) जिस किसी को भी कोई शंका हो वो गूगल में जाकर देख सकता है।
🔥जन जागरण अभियान के लिए जारी किया गया।आज जितने भी लोग मोदीजी को और उनकी सरकार को बदनाम करने की साजिश कर रहे हैं उस समय सब मौन धारण करे हुए थे वो सब ये बात जानते थे कि कांग्रेस क्या कुछ कर सकती है।अगर आज ऐसे लोग सुरक्षित हैं तो केवल मोदीजी के हिंदुत्व के कारण, आज भारत का विदेशी मुद्रा भंडार विश्व में चौथे स्थान पर है मगर ग़ुलाम कहते हैं कि Modi ने किया ही क्या है।
आदरणीय बन्धुओ कांग्रेस नें जो गद्दारी देश के साथ की है , इनके कुकर्मो का ढिंढोरा सोशल मीडिया पर खूब वायरल करना चाहिए, जिससे हमारी युवा पीढ़ी को भी जानकारी होनी चाहिए, कि देश अन्य देशों से इन 70 सालों में पीछे कैसे रह गया. हम लोग इतना तो कर ही सकते है साभार #सोशल_मीडिया से
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न्यायमूर्ति की तब मनमानी नियुक्ति और अब विरोध जूनियर न्यायमूर्ति को इंदिरा गाँधी ने CJI बनाया, रिटायरमेंट के बाद नेशनल हेराल्ड अखबार
1973 में इंदिरा गाँधी ने न्यायमूर्ति A.N. रे को भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में बैठा दिया वो भी तब जब उनसे वरिष्ठ न्यायधीशों की लिस्ट जैसे न्यायमूर्ति JM शेलात, KS हेगड़े और AN ग्रोवर सामने थी। अंततः हुआ यह कि नाराज़गी के रूप में इन तीनों न्यायधीशों ने इस्तीफा दे दिया.
इसके बाद कांग्रेस ने पार्लियामेंट में जवाब दिया- "यह सरकार का काम है कि किसे मुख्य न्यायधीश रखें और किसको नहीं और हम उसी को बिठाएंगे जो हमारी विचारधारा के पास हो।" और आज वही लोग न्यायाधीशों की आज़ादी की बात करते हैं ?
1975 में न्यायाधीश जगमोहन सिंहा को एक फैसला सुनाना था। फैसला था राजनारायण बनाम इंदिरा गांधी के चुनावी भ्रष्टाचार के मामले का। उनको फ़ोन आता है जिसमें कहा जाता है- "अगर तुमने इंदिरा गाँधी के ख़िलाफ़ फैसला सुनाया, तो अपनी पत्नी से कह देना इस साल करवा चौथ का व्रत न रखे।" उस फोन कॉल का न्यायमूर्ति सिंहा ने आराम से जवाब देते हुए कहा- "किस्मत से मेरी पत्नी का देहांत 2 महीने पहले ही हो चुका है।" इसके बाद न्यायमूर्ति सिंहा ने एक ऐतिहासिक निर्णय दिया जो आज भी मिसाल के रूप में जाना जाता है। इसने कांग्रेस सरकार की चूलें हिला दी और इसी से बचने के लिए इंदिरा गाँधी और कांग्रेस द्वारा 'इमरजेंसी' जनता पर थोप दी गयी। देश को नहीं, इंदिरा गाँधी को बचाना था।
1976 में A.N. रे ने इंदिरा गाँधी द्वारा खुद पर किये गए एहसान का बदला चुकाया शिवकांत शुक्ला बनाम ADM जबलपुर के केस में। उनके द्वारा बैठाई गयी पीठ ने उनके सभी मौलिक अधिकारों को खत्म कर दिया।
उस पूरी पीठ में मात्र एक बहादुर न्यायाधीश थे, जिनका नाम था न्यायमूर्ति एचआर खन्ना, जिन्होंने आपमें साथी मुख्य न्यायधीश को कहा- "क्या आप खुद को आईने में आँख मिलाकर देख सकते हैं ?"
इस पीठ में न्यायाधीश AN रे, एचआर खन्ना, एमएच बेग, YV चंद्रचूड़ और PN भगवती शामिल थे। यह सब मुख्य न्यायाधीशों की लिस्ट में आये केवल एक न्यायधीश को छोड़कर, जिनका नाम था न्यायधीश एचआर खन्ना जी। खन्ना जी को इंदिरा गाँधी की सरकार ने दण्डित किया और अनुभव तथा वरिष्ठता में उनसे नीचे बैठे न्यायधीश MH बेग को देश का मुख्य न्यायाधीश बना दिया गया।
यह था भारत के लोकतंत्र का हाल कांग्रेस के राज में ! यही न्यायाधीश MH बेग रिटायरमेंट के बाद नेशनल हेराल्ड के डायरेक्टर बना दिये गए। यह नेशनल हेराल्ड अखबार वही अखबार है, जिसके घोटाले में आज सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी ज़मानत पर छूटे हुए हैं। यह पूरी तरह से कांग्रेस का अखबार था और एक प्रकार से कांग्रेस के मुखपत्र की तरह काम करता था। आश्चर्यजनक रूप से न्यायाधीश बेग ने अपॉइंटमेंट स्वीकार कर लिया।
राहुल गाँधी का 'संविधान को खतरा'वाले सवाल पर उनके मुँह पर यह जानकारियां मारी जानी चाहिए और उनसे पूछना चाहिए कि क्या इस प्रकार से ही बचाना चाहते हो लोकतंत्र को ? बात यहीं खत्म नहीं हुई बल्कि 1980 में इंदिरा गाँधी सरकार में वापस आयी और इसी MH बेग को अल्पसंख्यक कमीशन का चैयरमैन नियुक्त कर दिया गया। वह इस पद पर 1988 तक रहे और उनको 'पद्म विभूषण' से राजीव गाँधी की सरकार द्वारा सम्मानित भी किया गया था ?
1962 में न्यायाधीश बेहरुल इस्लाम का एक और नया केस सामने आया जो आपको जानना अति आवश्यक है। श्रीमान इस्लाम कांग्रेस के राज्य सभा के MP थें 1962 के दौरान ही और उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा का चुनाव भी लड़ा था. हार गए थे। वो दोबारा 1968 में राज्य सभा के MP बनाये गए. कांग्रेस की ही तरफ से (सीधी सी बात है.)
उन्होंने 1972 में राज्य सभा से इस्तीफा दे दिया और उनको गुवाहाटी हाई कोर्ट का न्यायाधीश बना दिया गया। 1980 में वो सेवानिवृत्त हो गए। परंतु जब इंदिरा गाँधी 1980 में दोबारा वापस आयी तो इन्हीं श्रीमान इस्लाम को 'न्यायाधीश बेहरुल इस्लाम' की उपाधि वापस दी गयी और सीधे सुप्रीम कोर्ट का न्यायधीश बना दिया गया।
गुवाहाटी हाई कोर्ट से सेवानिवृत्त होने के 9 महीने बाद का यह मामला है भाई साहब ? इंदिरा गांधी पूरी तरह से यह चाहती थी कि सभी न्यायालयों पर उनका 'कंट्रोल' हो। उस समय इमरजेंसी के दौरान इंदिरा गांधी और कांग्रेस पर लगे आरोपों की सुनवाई विभिन्न न्यायालयों में हो रही थी.
वो इंदिरा गाँधी के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध हुए और साफ तौर पर कांग्रेस के लिए भी.
'न्यायाधीश' इस्लाम ने एक महीने बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया और फिर एक बार असम के बारपेटा से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े.
लोकतंत्र का इससे बड़ा मज़ाक क्या होगा ? जिस चुनाव में वो खड़े होने वाले थे, उस साल चुनाव नहीं हो पाए। अतः उनको एकबार फिर से कांग्रेस की तरफ से राज्य सभा का MP बना दिया गया.
लोकतंत्र के लिए जिस प्रकार से कांग्रेस आज झूठी छाती पीट रही है, क्या उसी कांग्रेस ने लोकतंत्र का गला सबसे ज़्यादा बार नहीं घोंटा है ? अपना मत / प्रतिक्रिया नीचे कमेंट बॉक्स में लिखें।
सोशल मीडिया में ये प्रतिक्रिया आज (13 मार्च 2023 पढ़ने को मिली)-कांग्रेस व अन्य विपक्षी वो नागिन हैजिसने भारत को छह अंडे दिए
पहला भ्रष्टाचार
दूसरा जातिवाद
तीसरा घोटाले
चौथा घुसपैठ
पांचवां संस्कृति का नाश
छठा धर्म परिवर्तन की बीमारी #सोशल_मीडिया से ------------------------------------------------
सुख-शान्ति का आधार - संस्कार परम्परासंस्कारों से ओत-प्रोत पुत्रवधू के व्यवहार ने अपने पति और अपने ससुर को बदल दिया। घर में स्वर्गीय वातावरण का सृजन हेतु ऐसी ही बहू या पुत्रवधू की जरूरत होती है, जो विपरीत परिस्थिति में भी अपने संस्कारों को ना भूले!!
एक पिता-पुत्र व्यापार धंधा करते थे। पुत्र को पिता के साथ कार्य करते हुए वर्षों बीत गये। उसकी उम्र भी चालीस को छूने लगी। फिर भी पुत्र को पिता न तो व्यापार की स्वतन्त्रता देते थे और न ही तिजोरी की चाबी। पुत्र के मन में सदैव यह बात खटकती। वह सोचता- "यदि पिता जी का यही व्यवहार रहा तो मुझे व्यापार में कुछ नया करने का कोई अवसर नहीं मिलेगा। पुत्र के मन में छुपा क्षोभ एक दिन फूट पड़ा। दोनों के बीच झगड़ा हुआ और सम्पदा का बँटवारा हो गया।
अब पिता पुत्र दोनों अलग हो गये। पुत्र अपनी पत्नी,बच्चों के साथ रहने लगा। पिता अकेले थे, उनकी पत्नी का देहांत हो चुका था। उन्होंने किसी दूसरे को सेवा के लिए नहीं रखा, क्योंकि उन्हें किसी पर विश्वास नहीं था। वे स्वयं ही रूखा-सूखा भोजन बनाकर खा लेते या कभी चने आदि खाकर ही रह जाते, तो कभी भूखे ही सो जाते थे। उनकी पुत्रवधु बचपन से ही सत्संगी थी। जब उसे अपने ससुर की ऐसी हालत का पता चला, तो उसे बड़ा दुःख हुआ, आत्मग्लानि भी हुई। उसमें बाल्यकाल से ही धर्म के संस्कार थे,बड़ों के प्रति आदर व सेवा का भाव था। उसने अपने पति को मनाने का प्रयास किया परंतु वे न माने।
पिता के प्रति पुत्र के मन में सदभाव नहीं था। अब पुत्रवधु ने एक विचार अपने मन में दृढ़ कर उसे कार्यान्वित किया। वह पहले पति व पुत्र को भोजन कराकर क्रमशः दुकान और विद्यालय भेज देती, बाद में स्वयं ससुर के घर जाती। भोजन बनाकर उन्हें खिलाती और रात्रि के लिए भी भोजन बनाकर रख देती। कुछ दिनों तक ऐसा ही चलता रहा।
जब उसके पति को पता चला तो उसने पत्नी को ऐसा करने से रोकते हुए कहा- "ऐसा क्यों करती हो ? बीमार पड़ जाओगी। तुम्हारा शरीर इतना परिश्रम नहीं सह पायेगा।" पत्नी बोली "मेरे आदरणीय ससुरजी भूखे रहें कष्ट में रहें और हम लोग आराम से खायें-पियें, यह मैं नहीं देख सकती। मेरा धर्म है बड़ों की सेवा करना,इसके बिना मुझे संतोष नहीं होता। उनमें भी तो मेरे भगवान का वास है। मैं उन्हें खिलाये बिना नहीं खा सकती। भोजन के समय उनकी याद आने पर मेरी आँखों में आँसू आ जाते हैं। उन्होंने ही तो आपको पाल-पोसकर बड़ा किया है, तभी आप मुझे पति के रूप में मिले हैं। आपके मन में कृतज्ञता का भाव नहीं है, तो क्या हुआ,मैं उनके प्रति कैसे कृतघ्न कैसे हो सकती हूँ।
पत्नी के सुंदर संस्कारों ने, सदभाव ने पति की बुद्धि पलट दी। उन्होंने जाकर अपने पिता के चरण छुए, क्षमा माँगी और उन्हें अपने घर ले आये। पति-पत्नी दोनों मिलकर पिता की सेवा करने लगे। पिता ने व्यापार का सारा भार पुत्र पर छोड़ दिया। मेरे प्यारे / प्यारी परिवार के किसी भी व्यक्ति में सच्चा सदभाव है, मानवीय संवेदनाएँ हैं, सुसंस्कार हैं तो वह सबके मन को जोड़ सकता है,घर-परिवार में सुख शांति बनी रह सकती है। यह तभी सम्भव है जब जीवन में सत्संग हो, भारतीय संस्कृति के उच्च संस्कार हों। धर्म का सेवन हो। जीवन का ऐसा कौन-सा क्षेत्र है जहाँ सत्संग की आवश्कता नहीं है ! सत्संग जीवन की अत्यावश्यक माँग है क्योंकि सच्चा सुख जीवन की माँग है और वह सत्संग से ही मिल सकता है...-अंत में...यमराज का दरबार कहाँ, कैसा है, कौन-कौन वहाँ रहते हैं एकबार कश्यप ऋषि के पुत्र पक्षीराज गरुड़ ने श्रीहरि विष्णु से पूछा- इस ब्रह्मांड में ऐसी कौन सी जगह है, जहां पर मनुष्य कभी बूढ़ा नहीं होता ? जहां पर मनुष्य को कभी भूख नहीं लगती ? जहां पर मनुष्य को किसी भी प्रकार का रोग नहीं होता ? जहां पर मनुष्य सदैव प्रसन्न रहता है ?
जगत के आधार, सभी कारणों के कारण, पापी आत्माओं को भी शरणागत देने वाले श्रीहरि विष्णु हरि ने पक्षीराज गरुड़ को बताया, इस ब्रह्मांड में यमपुरी ही एक ऐसी जगह है जहां पर मनुष्य कभी बूढ़ा नहीं होता। जहां पर मनुष्य को कभी भूख नहीं लगती। जहां पर मनुष्य को किसी भी प्रकार का रोग नहीं लगता। देवलोक और मनुष्यलोक में जितने भी सुख सुविधाएं हैं उस प्रकार की सभी सुख-सुविधाएं यमपुरी में उपलब्ध हैं। वहां सभी प्रकार के रसों से परिपूर्ण सामग्री उपलब्ध होती है।
यमराज के दरबार में कौन-कौन सभासद, निर्णय लेने में यमराज की सहायता करते हैं तथा कौन यमराज के दरबार में जा सकता है ? यमपुरी मृत्युलोक से 86 हजार योजन दूर है। यमराज का महल 200 योजन लंबा 200 योजन चौड़ा तथा 50 योजन ऊंचा है। यमराज की सभा 100 योजन लंबी और चौड़ी है। यमपुरी में ना गर्मी है और ना ठंड है। यमपुरी में बुढ़ापे की चिंता नहीं सताती है और मौसम सदैव सुहावना रहता है। यमराज का महल सोने का बना हुआ है और हीरों की फर्श पर चित्रकारी है, खिड़कियों में हीरों के रोशनदान बने हुए हैं।
यमराज के दरबार में निम्नलिखित सभासद है, जो शास्त्रों का अध्ययन कर कर उचित निर्णय लेने में यमराज की सहायता करते हैं- अत्रि, वशिष्ठ मुनि, पुलह, दक्ष, क्रतु, अंगिरा, परशुराम, पुलत्स्य, अगस्त्य, नारद। यह सभी यमराज जी के सभासद हैं जिनके नामों और कर्मों की गणना नहीं की जा सकती। यह सभी धर्मशास्त्रों की व्याख्या करके यथावत निर्णय देते हैं और ब्रह्मा की आज्ञा अनुसार सभी यमराज की सेवा करते हैं। इस सभा में सूर्यवंश और चंद्रवंश के अन्य बहुत से धर्मात्मा राजा यमराज की सेवा करते हैं। मनु, दिलीप, सगर, भागीरथ, दुष्यंत, शांतनु, पांडू, मुचुकुंन्द, अनरण्य, अम्बरीष, भरत, नल, शिवि, निमि, पुरू, ययाति और सहस्त्रार्जुन यह सभी पुण्यात्मा और बहुत से प्रख्यात राजा अश्वमेध यज्ञ करने फलस्वरूप यमराज के सभासद बने हैं।
यमराज की सभा में धर्म की प्रवृत्ति होती है। न वहां पक्षपात होता है, न वहां झूठ बोला जाता और न ही किसी के प्रति मात्सर्यभाव रखा जाता है। सभी सभासद शास्त्रविद और धर्मपरायण हैं, वह सदा सभा में वैवस्वत यम की उपासना करते हैं।
यमपुरी में दक्षिणी द्वार से प्रवेश करने वाले कभी भी यमराज की सभा में नहीं जा सकते, केवल पुण्यात्मा, सन्यासी, धर्मात्मा और हमेशा परमात्मा का नाम जपने वाले ही यमराज की सभा में जा सकते हैं। दक्षिणी द्वार से प्रवेश करने वालों को 100 सालों तक यमपुरी में प्रवेश करने के लिए प्रतीक्षा करना पड़ता है, क्योंकि यमपुरी में दक्षिणी द्वार से प्रवेश करने वाले सभी पापी लोग होते हैं और 100 सालों तक यम के दूत ऐसी पापी आत्माओं को कई प्रकार की यातनाएं देते हैं।
धर्मात्मा और सन्यासी लोगों की यमराज के दरबार में उचित देखभाल की जाती है। अप्सराएं धर्मात्मा और सन्यासी लोगों की सेवा में लगी रहती हैं। धर्मात्मा और सन्यासी लोगों को यमराज के दरबार में उचित मान सम्मान दिया जाता है।इसलिए मृत्यु लोक के प्राणियों से विशेष प्रार्थना है अपने कर्मों को सुधारो ताकि यमराज के दरबार में उचित मान सम्मान मिल सके तथा यमराज के दरबार में सभासद के रूप में सेवा करने का मौका मिल सके।
यस्मिन् श्रुतिपथं प्राप्तेदृष्टे स्मृतिमुपागते।आनन्दं यान्ति भूतानिजीवितं तस्य शोभते।। -योगवासिष्ठ
अर्थात, जिसका वृत्तान्त सुनकर तथा जिसका स्मरण करने पर प्राणियों को आनन्द होता है, उसी का जीवन शोभा देता है।
परिमाग्ने दुश्चरिताद्बाधस्वा मा सुचरिते भज।उदायुषा स्वायुषोदस्थाममृतां गुं अनु।। यजुर्वेद 4/28
हम चरित्रवान हों-दुराचरण से दूर रहें। जीवन मुक्त तथा दीर्घायु पुरुषों से उत्तम आदर्श ग्रहण करें, सदाचारी बनें, उत्तम जीवन तथा पूर्ण आयु प्राप्त करें।-
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