भौमवती अमावस्या (21 मार्च) : पितरों का पिंडदान व दान-पुण्य का दिन, इस दिन करें ये पाठ और उपाय


मंगलवार का दिन होने से इस अमावस्या को भौमवती कहते हैं 


धर्म नगरी / 
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अमावस्या माह में एक बार ही आती है,अमावस्या तिथि के स्वामी पितृदेव है।धार्मिक दृष्टिकोण से चैत्र अमावस्या के दिन पितरों का पिंडदान और अन्य दान-पुण्य संबंधी कार्य किये जाते हैं, मनुष्य इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करेगा उसे हर तरह से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होगी। उसे सभी प्रकार के रोग और दुखों से मुक्ति प्राप्त होगी। 

चैत्र कृष्ण पक्ष अमावस्या तिथि 20 मार्च रात्रि 01:48 बजे शुरू होकर 21 मार्च मंगलवार रात्रि 10:53 मिनट तक रहेगी। सूर्य उदय व्यापनी चैत्र अमावस्या 21 मार्च मंगलवार को होगी। इस दिन पितरों के निमित्त श्राद्ध, तर्पण एवं पवित्र नदियों में स्नान,दान आदि करना चाहिए। अमावस्या के दिन नदी या तालाब में जाकर मछली को आटे की गोलियां खिलाना भी बड़ा ही फलदायी बताया जाता है। मंगलवार अमावस्या आने के कारण इस अमावस्या को भौमवती कहा जाता हैं।

अमावस्या पर करे ये उपाय-
अमावस्या पर पितरों की शांति के लिए उपवास रखने से न केवल पितृगण बल्कि ब्रह्मा, इंद्र, सूर्य, अग्नि, वायु, ऋषि, पशु-पक्षी समेत भूत प्राणी भी तृप्त होकर प्रसन्न होते हैं। अमावस्या को शास्त्र में बहुत शुभ दिन माना जाता है। इस दिन कुछ उपाय करने से 
आपको शुभ फल प्राप्त होता है एवं आपके सौभाग्य में वृद्धि होती है-  

अमावस्या तिथि के दिन सूर्योदय काल में पवित्र नदियों या सरोवरों में स्नान करने तथा साम‌र्थ्य के अनुसार दान करने से सभी पाप क्षय हो जाते हैं तथा पुण्य कि प्राप्ति होती है।

तिल, दूध और तिल से बनी मिठाइयों का दान दरिद्रता मिटाने वाला है।

प्रत्येक अमावस्या के दिन अपने पितरों का ध्यान करें। ध्यान के साथ पीपल के पेड़ पर कच्ची लस्सी, थोड़ा गंगाजल, काले तिल, चीनी, चावल, जल तथा पुष्प अर्पित करें। इस क्रिया को करते समय ॐ पितृभ्य: नम: मंत्र का जाप करें। उसके बाद पितृसूक्त का पाठ करना शुभ फल प्रदान करता है।

अमावस्या के दिन सूर्य देव को ताम्र बर्तन में लाल चंदन, गंगा जल और शुद्ध जल मिलाकर 3 बार अर्घ्य दें। अर्घ्य देते समय 'ॐ पितृभ्य: नम:' का बीज मंत्र का जाप करें।

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अमावस्या को पीपल के पेड़ के नीचे दीया जलाने से पितृ और देवता प्रसन्न होते हैं। इस दिन सुबह-शाम घर के मंदिर और तुलसी पर दीया लगाने से कलह और दरिद्रता मिटती है। प्रत्येक अमावस्या को घर की सफाई कर सभी प्रकार का कबाड़ घर से निकाल दें, इससे रुके काम बनते हैं, बाधाएं दूर होती हैं और घर में धन-धान्य की कोई भी कमी नहीं रहती। 

नियम से प्रत्येक अमावस्या को गौमाता को 5 फल भी नियमपूर्वक खिलाने चाहिए। घर में शुभता एवं हर्ष का वातावरण बना रहता है। अमावस्या की तिथि को कोई भी नया कार्य, यात्रा, क्रय-विक्रय तथा समस्त शुभ कर्मों को निषेध कहा गया है इसलिए इस दिन इन कार्यों को नहीं करना चाहिए।
 
अमावस्या के दिन एक किसी ब्राह्मण, याचक या निर्धन को भोजन अवश्य ही कराएं। भोजन में दूध की बनी वस्तु अवश्य हो। यह पितरों को प्रसन्न करता है और शुभ कार्यों में अड़चनें नहीं आतीं।

अमावस्या पर करे ये करें- 
अमावस्या पर नीलकंठ स्तोत्र का पाठ, सर्पसूक्त पाठ, श्रीनारायण कवच का पाठ करने के बाद ब्राह्मणों को अपनी सामर्थ्य के अनुसार दिवंगत के रूचि (पसंद) की मिठाई तथा दक्षिणा सहित भोजन कराना चाहिए।

नि:संतानों की कुंडली में संतान प्राप्ति के योग बन जाते हैं। राहू नीच रूप में यदि किसी के भाग्‍य वाले स्‍थान पर बैठा हो, तो इस दिन किया गया व्रत इसके दुष्‍प्रभाव को नष्‍ट कर देता है।

शाम के समय घर के ईशान कोण में गाय के घी का दीपक लगाएं। बत्ती में लाल रंग के धागे का उपयोग करें।

गरीबी दूर करने, संतान की प्राप्ति के लिए, व्यवसाय में उन्नति के लिए चांदी का छोटा सा पीपल बनाकर दान करें।

अमावस्या के दिन कालसर्प दोष वालों को सुबह स्नान कर के चांदी के नाग-नागिन की पूजा करनी चाहिए। उजले फूल के साथ इसे फिर किसी बहते पानी में प्रवाहित करें।

भगवान विष्णु के मन्दिर में ध्वज या झंडा लगाएं, मां लक्ष्मी को खीर मेवा डाल कर प्रसाद भोग लगाएं माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होगी।

ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा को मन का देवता माना जाता है। अमावस्या के दिन चन्द्रमा नहीं दिखाई देता, इसलिए इसका प्रभाव सबसे अधिक उन्ही लोगों पर पड़ता है जो बहुत भावुक होते है। लड़कियों का मन सबसे अधिक भावुक होता है। इस दिन चंद्रमा नहीं दिखाई देता जिसके कारण हमारे शरीर में हलचल होने लगती है और जो व्यक्ति नकारात्मक सोच वाले होते है, उन्हें नकरात्मक शक्ति प्रभाव में ले लेती है।

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अमावस्या के दिन इनका रखें विशेष ध्यान- 
अमावस्या के दिन किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए,ब्रम्चार्य का पालन करना चाहिए,इन दिनों में शराब आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए, व्रत रखने वालों को इस व्रत के दौरान दाढ़ी-मूंछ और बाल नाखून नहीं काटने चाहिए, व्रत करने वालों को पूजा के दौरान बेल्ट, चप्पल-जूते या फिर चमड़े की बनी चीजें नहीं पहननी चाहिए,काले रंग के कपड़े पहनने से बचना चाहिए,किसी का दिल दुखाना सबसे बड़ी हिंसा मानी जाती है। गलत काम करने से आपके शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम होते है।

अमावस्या को अपनी राश‍ि के अनुसार करें दान- 
अमावस्या के दिन आपके द्वारा किया जाने वाला दान आपकी राशि से जुड़ा हो। राशि के अनुसार आपके लिए कौन सा दान फलदायी साबित होगा,यहां जानें-

मेष- इस राशि के लोगों को गुड़, मूंगफली, तिल,तांबा की वस्तु, दही का दान देना चाहिए।
वृषभ- इस राशि के लोगों के लिए सफेद कपड़े, चांदी और तिल का दान करना उपयुक्त रहेगा।
मिथुन- मिथुन राशि के लोग मूंग दाल, चावल, पीला वस्त्र, गुड़ और कंबल का दान करें।

कर्क- कर्क राशि के जातकचांदी, चावल,सफेद ऊन, तिल और सफेद वस्त्र का दान करें।
सिंह-  सिंह राशि के लोगों को तांबा,गुड़, गेंहू,गौमाता का घी, सोने और मोती दान करने चाहिए।
कन्या- जिनकी राशि हैं, उनको चावल, हरे मूंग या हरे कपड़े का दान देना चाहिए।

तुला- इस राशि के जातकों को हीरे, चीनी या कंबल,गुड़, सात तरह के अनाज का देना चाहिए।
वृश्चिक- इस राशि के जातक मूंगा, लाल कपड़ा,लाल वस्त्र, दही और तिल दान करें।
धनु- धनु राशि वालों को वस्‍त्र, चावल, तिल,पीला वस्त्र और गुड़ का दान करना चाहिए।

मकर- इस राशि के लोगों को गुड़,चावल,कंबल, गुड़ और तिल दान करने चाहिए।
कुंभ- कुंभ राशि के जातक काला कपड़ा, काली उड़द, खिचड़ी,कंबल, घी और तिल का दान करें।
मीन- इस राशि के लोगों को रेशमी कपड़ा, चने की दाल, चावल,चना दाल और तिल दान देने चाहिए।

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"काश ! उस रात केवल 1% लोग अपनी आत्मरक्षा  हथियार उठा लेते...
 
http://www.dharmnagari.com/2021/01/Aaj-ke-selected-Posts-Tweets-Comments-Tuesday-19-Jan-2021.html

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