आज के चुनिंदा भाषण, बयान न्यूज : "अगर गलती से कांग्रेस की सरकार आई, प्रदेश हो जाएगा दंगा ग्रस्त"
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"...कर्नाटक की जनता के लिए एक तरफ डबल इंजन की सरकार है तो दूसरी तरफ रिवर्स इंजन की सरकार है। अगर कांग्रेस आ गई तो सबसे बड़ा भ्रष्टाचार, तुष्टिकरण, परिवारवाद होगा और कर्नाटक राज्य दंगे से ग्रस्त हो जाएगा। लेकिन अगर बीजेपी की डबल इंजन की सरकार प्रदेश की सत्ता में फिर से आती है तो राज्य सुरक्षित हाथों में विकास और उन्नति की राह पर आगे बढ़ेगा...
...केंद्र की नरेंद्र मोदी की सरकार ने 9 साल से कर्नाटक को केंद्र से कई सारी योजनाएं देने का काम किया है। आने वाले चुनाव में मोदी जी के नेतृत्व में डबल इंजन की सरकार बनाइए। ये हमारे प्रत्याशी को विधायक बनाने का चुनाव नहीं है, ये कर्नाटक के भविष्य को मोदी जी के हाथ में देने का चुनाव है, ये राज्य को संपूर्ण विकसित बनाने का चुनाव है...।" - अमित शाह : केंद्रीय गृह मंत्री (उत्तर कर्नाटक क्षेत्र के तेरदाल में जनसभा को संबोधित करते हुए, 25 अप्रैल 2023)
"जनता बीजेपी को जिताकर नहीं करेगी गलती" - कांग्रेस
बीजेपी की सरकार पिछले 3 वर्षों में प्रदेश को बर्बाद कर दिया। यहां की सरकार ने राज्य को जमकर लूटा और इसमें केंद्र सरकार का भी समर्थन रहा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने कर्नाटक के साथ हमेशा सौतेला व्यवहार किया है और इस बार कर्नाटक के लोग गलती नहीं करेंगे और कांग्रेस को पूर्ण बहुमत से चुनाव में जिताएंगे। -सिद्धारमैया : कांग्रेस नेता और पूर्व CM (अमित शाह की जनसभा के बाद भाजपार्टी पर पलटवार करते हुए)
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नीतीश के पास ‘लंगड़ी सरकार’ है, बिहार की करें चिंता
...केंद्र की नरेंद्र मोदी की सरकार ने 9 साल से कर्नाटक को केंद्र से कई सारी योजनाएं देने का काम किया है। आने वाले चुनाव में मोदी जी के नेतृत्व में डबल इंजन की सरकार बनाइए। ये हमारे प्रत्याशी को विधायक बनाने का चुनाव नहीं है, ये कर्नाटक के भविष्य को मोदी जी के हाथ में देने का चुनाव है, ये राज्य को संपूर्ण विकसित बनाने का चुनाव है...।" - अमित शाह : केंद्रीय गृह मंत्री (उत्तर कर्नाटक क्षेत्र के तेरदाल में जनसभा को संबोधित करते हुए, 25 अप्रैल 2023)
"जनता बीजेपी को जिताकर नहीं करेगी गलती" - कांग्रेस
बीजेपी की सरकार पिछले 3 वर्षों में प्रदेश को बर्बाद कर दिया। यहां की सरकार ने राज्य को जमकर लूटा और इसमें केंद्र सरकार का भी समर्थन रहा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने कर्नाटक के साथ हमेशा सौतेला व्यवहार किया है और इस बार कर्नाटक के लोग गलती नहीं करेंगे और कांग्रेस को पूर्ण बहुमत से चुनाव में जिताएंगे। -सिद्धारमैया : कांग्रेस नेता और पूर्व CM (अमित शाह की जनसभा के बाद भाजपार्टी पर पलटवार करते हुए)
कृष्णराजनगर (कर्नाटक) में रोड शो मेंप्रियंका गाँधी को देखने उमड़े समर्थक। |
नीतीश के पास ‘लंगड़ी सरकार’ है, बिहार की करें चिंता
...जिनका खुद का ठिकाना नहीं है और देश में विपक्ष को जोड़ने की बात कह रहे हैं. नीतीश कुमार वही कोशिश कर रहे हैं, जो आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी का मुकाबला करने के लिए किया था.... नीतीश कुमार के पास ‘लंगड़ी सरकार’ है और उन्हें बिहार की चिंता करनी चाहिए...।
...बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव की एकमात्र साख यह है, कि वह पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव के बेटे हैं. महागठबंधन सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में तेजस्वी के 10 लाख नौकरियां देने के वादे का जिक्र किया था... अगर तेजस्वी, लालू प्रसाद यादव के बेटे नहीं होते, तो उन्हें देश में क्या नौकरी मिलती ?
-प्रशांत किशोर चुनावी रणनीतिकार (2016 में नीतीश कुमार के सलाहकार के रूप में काम किया। बाद में जनता दल-U के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाए गए। 2020 में नीतीश ने पार्टी से हटा दिया।) नीतीश कुमार द्वारा 24 अप्रैल 2023 को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और पश्चिम बंगाल की CM ममता बनर्जी के साथ अलग-अलग बैठकें कर विपक्ष को एकजुट करने के लिए मुलाकात करने पर प्रतिक्रिया करते हुए)
...बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव की एकमात्र साख यह है, कि वह पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव के बेटे हैं. महागठबंधन सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में तेजस्वी के 10 लाख नौकरियां देने के वादे का जिक्र किया था... अगर तेजस्वी, लालू प्रसाद यादव के बेटे नहीं होते, तो उन्हें देश में क्या नौकरी मिलती ?
-प्रशांत किशोर चुनावी रणनीतिकार (2016 में नीतीश कुमार के सलाहकार के रूप में काम किया। बाद में जनता दल-U के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाए गए। 2020 में नीतीश ने पार्टी से हटा दिया।) नीतीश कुमार द्वारा 24 अप्रैल 2023 को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और पश्चिम बंगाल की CM ममता बनर्जी के साथ अलग-अलग बैठकें कर विपक्ष को एकजुट करने के लिए मुलाकात करने पर प्रतिक्रिया करते हुए)
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सजा माफी के लिए हाईकोर्ट पहुंचे राहुल गांधी
- मानहानि मामले में निचली अदालत के निर्णय को दी चुनौती
लोकसभा चुनाव-2019 के दौरान कोलार (कर्नाटक) की एक रैली में राहुल गांधी ने कहा था- "कैसे सभी चोरों का उपनाम मोदी है ?" इसे लेकर भाजपा विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया। उनका आरोप था, राहुल ने अपनी इस टिप्पणी से समूचे मोदी समुदाय की मानहानि की है। राहुल के खिलाफ आईपीसी की धारा-499 और 500 (मानहानि) के तहत मामला दर्ज किया गया था।
उसी टिप्पड़ी पर 23 मार्च को सूरत की कोर्ट ने निर्णय सुनाते हुए उन्हें धारा-504 के तहत दो साल की सजा सुनाई थी। हालांकि, कोर्ट ने निर्णय पर अमल के लिए कुछ दिन की छूट भी देते हुए उन्हें तुरंत जमानत भी दे दी थी। राहुल ने सूरत की कोर्ट में याचिकाएं भी दाखिल की, जिनमें एक को कोर्ट ने खारिज कर दिया था और दूसरी पर तीन मई को सुनवाई होनी है।
सजा सुनाते समय कोर्ट ने क्या कहा था ?
सूरत की अदालत ने 168 पन्ने के अपने निर्णय में कहा था- राहुल गांधी अपनी टिप्पणी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, नीरव मोदी, विजय माल्या, मेहुल चौकसी और अनिल अंबानी तक सीमित रख सकते थे, लेकिन उन्होंने ‘जानबूझकर’ ऐसा बयान दिया, जिससे ‘मोदी उपनाम’ रखने वाले लोगों की भावनाएं आहत हुईं और इसलिए यह आपराधिक मानहानि है। ...आरोपी के अपराध की गंभीरता इसलिए बढ़ जाती है, क्योंकि सांसद द्वारा दिए गए बयान का ‘जनता पर व्यापक प्रभाव हुआ है।’
राहत नहीं मिली तो क्या होगा ?
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद से किसी भी कोर्ट में दोषी ठहराए जाते ही नेता की विधायकी-सासंदी चली जाती है। इसके साथ ही अगले छह साल के लिए वह व्यक्ति चुनाव लड़ने के अयोग्य हो जाता है। राहुल की सांसदी चली गई है। अगर कोर्ट से भी उन्हें राहत नहीं मिलती है, तो राहुल 2024 और 2029 का लोकसभा चुनाव भी नहीं लड़ सकेंगे।
नियम क्या कहते हैं ?
दरअसल, 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने लोक-प्रतिनिधि अधिनियम-1951 को लेकर ऐतिहासिक निर्णय सुनाया था। कोर्ट ने इस अधिनियम की धारा-8(4) को असंवैधानिक करार दे दिया था। इस प्रावधान के अनुसार, आपराधिक मामले में (2 साल या उससे अधिक सजा के प्रावधान वाली धाराओं के अंतर्गत) दोषी करार किसी निर्वाचित प्रतिनिधि को उस सूरत में अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता था, अगर उसकी ओर से ऊपरी न्यायालय में अपील दायर कर दी गई हो। यानी धारा-8(4) दोषी सांसद, विधायक को अदालत के निर्णय के खिलाफ अपील लंबित होने के दौरान पद पर बने रहने की छूट प्रदान करती थी।
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इसे भी पढ़ें / देखें-
"नो कर्फ्यू-नो दंगा, यूपी में सब ओर चंगा"☟
http://www.dharmnagari.com/2023/04/No-curfew-No-danga-UP-me-Sab-our-Changa.html
समलैंगिक शादियों को कानूनी मान्यता
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Supreme Court Same Sex Marriage
संसद को कानून बनाने का अधिकार, हम देखेंगे कि कोर्ट के दखल की क्या सीमा हो : SC
....संसद को शादी और तलाक से जुड़े मसलों पर कानून बनाने का अधिकार है. हमें ये देखना होगा कि हम किस हद तक दखल दे सकते हैं... -सर्वोच्च न्यायालय (समलैंगिक शादियों को कानूनी मान्यता दिए जाने की मांग पर सुनवाई करते हुए)
...सरकार ये दुहाई देकर याचिका सुने जाने का विरोध नहीं कर सकती कि ये संसद के अधिकार क्षेत्र का मामला है. जब किसी समुदाय के मूल अधिकारों का हनन हो रहा हो तो आर्टिकल 32 के तहत उन्हें कोर्ट आने का अधिकार बनता है... -वकील मेनका गुरुस्वामी (याचिकाकर्ताओं की ओर से बहस करते हुए)
...इस बात पर कोई विवाद ही नहीं कि संसद के पास इन याचिकाओं में उठाए गए विषयों में हस्तक्षेप करने की शक्तियां हैं. समवर्ती सूची की प्रविष्टि-5 विशेष रूप से विवाह और तलाक को कवर करती है. ऐसे में असली सवाल यह है, कि कौन सी ऐसी कमियां बाकी हैं, जिनमें यह अदालत हस्तक्षेप कर सकती है. सवाल वास्तव में यह भी है कि अदालत के हस्तक्षेप की क्या सीमा हो सकती है... -चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ : सर्वोच्च न्यायालय (संविधान पीठ की अगुआई कर रहे)
...जब हम विधायिका पर कानून बनाने के दायित्व की बात कर रहे हैं तो क्या आप पूर्वानुमान लगा सकते हैं कि कानून बनेगा? उन्होंने कहा, हमें नहीं लगता कि सरकार इसे लेकर कानून लाएगी. मेनका गुरुस्वामी ने इस टिप्पणी से सहमति जताई... -जस्टिस रविंद्र भट्ट : सर्वोच्च न्यायालय (बेंच के सदस्य)
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