#Social_Media : ED... मोदी की तरकश के तीर हैं ! ...अरे ! ये तो प्रलय हो गया...

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कौन हैं ED, जिनके लिए राष्ट्रहित में मोदी ने नहीं मन कोर्ट का आदेश !
- प्रलय हो गया ये तो...
- हिन्दू एकता की अनुकरणीय उदाहरण केरल के जैन समाज ने दिया 
चीन पर मनोवैज्ञानिक दबाव की रणनीति...
- ये बोलने का अधिकार इनको किसने दिया ?
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आज के कुछ चुनिंदा पोस्ट्स, ट्वीट्स, वीडियो, कमेंट्स, वायरल...20230424
     
ED संजय कुमार मिश्रा
मोदी की तरकश के तीर हैं ED !
- जिनके लिए सरकार ने एक्ट तक में बदलाव कर दिया !
- जिनके लिए सरकार ने बदल दिए सारे नियम !
- जिसे हटाने के लिए पूरा विपक्ष और दुनिया के सबसे ताकतवर एनजीओ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए 
- जिसने अकेले ही भारत में वामपंथी पारिस्थितिकी तंत्र को नष्ट कर दिया।
- जानते हैं इन महानुभाव संजय कुमार मिश्रा ई.डी. के निदेशक हैं ये।

यूपी के रहने वाले एस.के. मिश्रा 1984 में भारतीय राजस्व सेवा (IRS) में चुने गए। उस समय वह सबसे कम आयु के IRS अधिकारी थे। उन्होंने अपना अधिकांश करियर आयकर विभाग में बिताया। वह अपने तेज दिमाग, ईमानदारी और कड़ी मेहनत के लिए प्रसिद्ध थे।

वह जानते थे  कि....  भारत के विकास में सबसे बड़ी बाधा भारत विरोधी ताकतों, विदेशी वित्त पोषित गैर सरकारी संगठनों, भ्रष्ट भारतीय राजनेताओं की सांठ-गांठ है और उनका ईंधन काला धन है। वे मनी लॉन्ड्रिंग के लिए एनजीओ, कॉरपोरेट्स, शेल कंपनियों का इस्तेमाल करते हैं और उस पैसे का इस्तेमाल देश विरोधी गतिविधियों के लिए किया जाता है।

2014 में जब मोदी पी.एम बने, तो उन्होंने भ्रष्ट भारत के विकास को रोकने के लिए नए भारत के निर्माण पर काम करना शुरू कर दिया।

अगर आपको मोदी और राजनाथ सिंह के पहले 2-3 साल याद हों, तो एनजीओ, शेल कंपनियों पर भारी कार्रवाई की, लेकिन बाद में महसूस किया कि सांठ-गांठ बहुत बड़ी है और उन्हें इन वित्तीय अपराधों से निपटने के लिए एक समान रूप से सक्षम टीम का निर्माण करना है, और तब आते हैं... संजय कुमार मिश्रा।

मोदी उनसे बहुत प्रभावित हुए और उन्हें अपना दृष्टिकोण बताया और उन्हें 2018 में ईडी का प्रमुख बनने के लिए कहा। उन्हें पहली बार 19 नवंबर, 2018 को ईडी के प्रधान सचिव और ईडी के पूर्णकालिक निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया था। उस समय ED बहुत कम ज्ञात विभागों में से एक था। ED मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामलों की जांच करता है।

जो नहीं जानते कि मनी लॉन्ड्रिंग क्या है- यह विदेशी निर्देश पर स्थानीय रूप से धन का आदान-प्रदान करने के लिए एक सरल शब्द है। जैसे मैं भारत में एक मित्र से आपको 100 रुपये देने के लिए कहता हूं और बदले में मैं यूएस में मित्र रिश्तेदार को 1 डॉलर का भुगतान करता हूं। कपड़े धोने का मतलब है  गंदे कपड़े साफ करने के लिए; मनी लॉन्ड्रिंग - काले धन को साफ करने के लिए वैध धन।)

मैं मोदी का पुराना वीडियो खोज रहा था जिसमें उन्होंने कहा था- "जितने भी लोग भर्ती करने पड़े, मैं करूंगा पर 70 सालों में जितना देश को लूटा है मैं सबका पता लगा लूंगा।"

एस. के. मिश्रा ने ई. डी. का पुनःनिर्माण का काम शुरू किया। उनसे पहले केवल 23 वरिष्ठ अधिकारी थे, अब 100 से अधिक वरिष्ठ अधिकारी हैं।  ईडी के अब पूरे भारत में कार्यालय हैं।

ईडी के पास असीमित शक्ति है। वे कहीं भी कार्रवाई कर सकते हैं, इन शक्तियों का इस्तेमाल कर किसी को भी गिरफ्तार कर सकते हैं। एस. के. मिश्रा ने शुरू की भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई।

मोदी अप्रत्याशित हैं.... किसी ने नहीं सोचा था कि सरकार भ्रष्टाचार पर इस तरह की कार्रवाई करेगी... ; क्योंकि भ्रष्टाचार भारत में सामान्य नियम बन गया था।

ईडी ने चिदंबरम, कार्ति चिदंबरम, चंद्रा कोचर और अन्य लोगों को गिरफ्तार करना शुरू किया।

एसके मिश्रा की सेवानिवृत्ति मार्च 2020 को होने वाली थी। लेकिन उनका 2 साल का कार्यकाल नवंबर 2020 तक था क्योंकि भारत में सीबीआई निदेशकों और ईडी निदेशकों की नियुक्ति 2 साल या 60 वर्ष की आयु तक की जाती है, जो भी पहले हो।

एसके मिश्रा ने मार्च 2020 में अपने 60 साल पूरे कर लिए लेकिन केंद्र ने उन्हें चालू रखा। नवंबर 2020 में जब उनकी सेवानिवृत्ति होने वाली थी तब विपक्षी उनकी सेवानिवृत्ति का इंतजार कर रहे थे। सरकार राष्ट्रपति के पास गई और राष्ट्रपति के नवंबर 2018 के उनकी नियुक्ति के आदेश को पूर्वव्यापी प्रभाव से 2 साल से 3 साल के लिए संशोधित किया और उनका कार्यकाल नवंबर 2021 तक बढ़ा दिया।

अब विपक्ष ने अपना धैर्य ही खो दिया और एक एनजीओ कॉमन कॉज़ के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट गया जो उनके पारिस्थितिकी तंत्र का हिस्सा है।  सरकार ने SK मिश्रा के लिए SC में मजबूती से लड़ाई लड़ी और विपक्ष को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली....SC ने कहा कि सरकार के पास ED निदेशक के कार्यकाल को 2-3 साल से बढ़ाने की शक्ति है, लेकिन केवल दुर्लभ से दुर्लभ मामलों और उनके कार्यकाल में  नवंबर 2021 के बाद नहीं बढ़ाया जाएगा।

विपक्ष ने एसके मिश्रा की सेवानिवृत्ति के लिए नवंबर 2021 तक इंतजार करने के बारे में सोचा और नवंबर 2021 में उन्हें एक और झटका लगा :  सरकार ने सीवीसी अधिनियम में संशोधन के लिए एक अध्यादेश लाया और संजय कुमार मिश्रा का कार्यकाल नवंबर 2021 से बढ़ाकर नवंबर 2023 (3 साल से 5 साल) कर दिया।

संजय कुमार मिश्र इस अध्यादेश के भारतीय इतिहास के पहले लाभार्थी बने। बाद में सरकार ने उस संशोधन को संसद द्वारा पारित कर दिया।

अब विपक्षी दलों, गैर-सरकारी संगठनों ने सब्र खो दिया और सुप्रीम कोर्ट में उन्हें हटाने के लिए याचिकाओं की बाढ़ आ गई।

केस अभी भी चल रहा है, पिछली सुनवाई 3 सितंबर को हुई थी। सरकार ने SC को दिए जवाब में कहा कि ये सभी याचिकाकर्ता राजनीतिक दलों से हैं जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं।

अगली सुनवाई 12 सितंबर 2022 को हुईं और मोदी जी जिस तरह से संजय मिश्रा के साथ मजबूती से खड़े हैं, एक बात पक्की है: जब तक अपराधी जेल नहीं जाते, विपक्ष उनसे छुटकारा पाने वाला नहीं है।
केस का नाम - अभियुक्त
आईएनएक्स मीडिया मामला - कार्ति और पी चिदंबरम
महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक मामला - शरद पवार और अजीत पवार
मनी लॉन्ड्रिंग केस - डीके शिवकुमार
जम्मू-कश्मीर क्रिकेट संघ मामला - फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती।
नेशनल हेराल्ड केस - सोनिया गांधी, राहुल गांधी
वीवीआईपी हेलिकॉप्टर घोटाला - रतुल पुरी (कमलनाथ के परिजन)
पंचकूला भूमि आवंटन मामला - भूपिंदर हुड्डा
आय से अधिक संपत्ति - आनंद कुमार (मायावती परिवार)
अवैध खनन मामला -  अखिलेश यादव
जमीन सौदे का मामला - रॉबर्ट वाड्रा
एयरसेल मैक्सिस डील - राजा, कनिमोझी, दयानिधि मारन
मनी लॉन्ड्रिंग - संजय राउत
स्टर्लिंग बायोटेक मामला - अहमद पटेल के बेटे
भूमि घोटाला - जगन रेड्डी
एम्बुलेंस मामला - अशोक गहलोत
शारदा चिट फंड - ममता बनर्जी
मनी लॉन्ड्रिंग - सतेंद्र जैन
दिल्ली शराब घोटाला -मनीष सिसोदिया
एनजीओ - एमनेस्टी इंटरनेशनल और अन्य
व्यापार ऋण/कर/घोटाले - चंद्र कोचर (आईसीआईसीआई), वेणुगोपाल धूत (वीडियोकॉन), मालविंदर सिंह (रेलिगेयर), संजय चंद्रा (यूनिटेक), नीरव मोदी, विजय माल्या, मेहुल चौकसे और कई अन्य

...और भी कई मामले हैं।  इन सभी मामलों का जिक्र करना संभव नहीं है। लेकिन अब आप समझ सकते हैं कि केवल एक आदमी के पीछे विपक्ष और वामपंथी तंत्र क्यों है ? और मोदी उसके साथ चट्टान की तरह क्यों खड़े हैं ?

संजय कुमार मिश्रा इन सबसे बेफिक्र हैं और ईडी को मजबूत करते रहें और इन भ्रष्टाचारियों पर नकेल कसते रहें। लोगों का कहना है कि व्यक्तिगत रूप से वे सभी मामलों का नेतृत्व करते हैं और रविवार को भी काम करते हैं।  वह बहुत लो प्रोफाइल हैं और नेट पर आपको उसकी बहुत सारी तस्वीरें नहीं मिलेंगी।

सदैव स्मरण रखें- आपके लिए केवल दो विकल्प हैं- कोई आपको लूटना चाहता है कोई आपको बचाना चाहता है।

मोदी ही आज का एकमात्र उत्तर है;  जो भारत को पुनर्स्थापित कर सकता है, अत: प्रत्येक भारतीय मतदाता ऱाष्ट्रहित में  बार-बार देशहित की  सोच वाली सरकार को ही चुनें।
#साभार- श्री घनश्याम अग्रवाल।
 🙏🏻🇮🇳🙏🏻
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अरे ! ये तो प्रलय हो गया...
तीन नौजवान उस परम शांत समुदाय के भी भटक गए, जो कभी भी भटकते ही नहीं थे, बस यही बताने के लिए आई हूं कि इसके लिए खबरदार कोई समस्त #हिंदू या #हिंदुत्व या #भारत को गाली ना दे ! #AtiqAhmad #AtiqAhmed #भटकाहुआनौजवान

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दक्षिण भारत में नेल्लोर में- 
हिन्दू एकता की अनुकरणीय उदाहरण केरल के जैन समाज ने दिया 
एक मुस्लिम युवक एक जैन लड़की को फुसलाकर भगा ले गया। सुबह की यह घटना का पता लगा और फिर दोपहर में जैन समाज की बैठक हुई। बैठक में बहुत ही गंभीर निर्णय लिया गया,
550 जैन दुकानों और फैक्टरीयों से मुस्लिमों को बोल दिया गया- तुम्हारी अभी से ही इस नौकरी से छुट्टी है ! आपको आज ही से आने की कोई जरूरत नहीं, आप लोग कोई और काम देख लो!

थोड़ी देर बाद समाज के और लोगों ने एक के बाद एक जैन समाज को सहयोग व समर्थन दिया। शाम तक कुल 1800 मुसलमानों की नौकरियों पे नोबत आ गई, तो वो मुस्लिम समाज वाले उस लड़की को खुद ढ़ूंढ़कर सिर्फ 9 घण्टे के अंदर उसके घर सही सलामत छोड़कर आये, और अपने मुस्लिम लड़कों को सख्त हिदायत भी दी- कि गलती से भी इस इलाके के जैन और हिन्दू समाज की लड़की की तरफ ना देखें....
भाइयों ! ये होती है एकता की ताकत...🙏🏻
हिन्दू एकता की अनुकरणीय उदाहरण... समस्त हिन्दुओं सहित दुनिया के लिए।
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Disclaimer : अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अंतर्गत हमारा संविधान हमे अपनी बात या पक्ष कहने की अनुमति देता है इस कॉलम "आज के चुनिंदा पोस्ट्स, ट्वीट्स, कमेंट्स..." में कमेंट व पोस्ट SOCIAL MEDIA से ली गई है, यह जरूरी नहीं की सभी पोस्ट या पोस्ट की जानकारी अक्षरशः सत्य हों, हम यथासंभव हर पोस्ट की सत्यता परख कर इस कॉलम में लेते हैं, फिर भी हम सभी पोस्ट एवं उनकी सभी तथ्यों से पूर्ण सहमत नहीं हैं -सम्पादक 
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चीन पर मनोवैज्ञानिक दबाव की रणनीति...
भारतीय सेना व वायुसेना ने पिछले दिनों एलएसी पर सफल संयुक्त युद्धाभ्यास करके चीन को संदेश देने का प्रयास किया कि भारत अपनी सीमाओं को मिलने वाली किसी भी चुनौती का मुकाबला करने में सक्षम है।

निस्संदेह, ऊंची व जटिल भौगोलिक परिस्थितियों में युद्ध करने का भारतीय सेना का अनुभव समृद्ध रहा है। लेकिन जिस तरह चीन ने पिछले दिनों लद्दाख व अरुणाचल में भारतीय संप्रभुता को चुनौती देने का प्रयास किया, उसके मद्देनजर युद्धाभ्यास के जरिये चीन को चेताना जरूरी हो गया था।

*यह तथ्य किसी से छिपा नहीं है कि दुनिया में नंबर एक महाशक्ति बनने का सपना देख रहा चीन लगातार अपने साम्राज्यवादी मंसूबों को विस्तार देता रहा है। इसी कड़ी में वह भारत के आसपास के छोटे देशों में धनबल-छलबल से अपने कूटनीतिक हितों का विस्तार करता रहा है। नेपाल की राजनीति में दखल के अलावा उसने श्रीलंका की विषम आर्थिक परिस्थितियों का लाभ उठाकर उसके एक महत्वाकांक्षी बंदरगाह तक का अधिग्रहण कर लिया है। जिसके तट पर खुफिया समुद्री जहाज के रुकने का भारत ने कड़ा प्रतिवाद किया था।* 

*दशकों से चीन के पिट्ठू रहे पाकिस्तान में बन रहे महत्वाकांक्षी आर्थिक गलियारे के जरिये भी चीन भारत के लिये नई चुनौती पैदा कर रहा है। उसकी महत्वाकांक्षाओं का अंत यहीं नहीं हुआ, अब वह भारत के इलाके में दखल बनाने के मकसद से दशकों से भारत के अभिन्न मित्र रहे भूटान पर दबाव बना रहा है ताकि भारत की दृष्टि से संवेदनशील इलाकों पर कब्जा कर सके।* 

*इन परिस्थितियों के आलोक में चीन सीमा पर भारतीय सेना व वायुसेना द्वारा किया गया युद्धाभ्यास वक्त की जरूरत ही था। एलएसी पर कई वर्षों से जारी गतिरोध के बीच हुए इस युद्धाभ्यास में भारत के बड़े जहाज ग्लोबमास्टर व चिनूक हेलीकॉप्टर आदि ने भाग लिया। चीन द्वारा सिक्किम, पूर्वी लद्दाख व हाल में अरुणाचल के शहरों के चीनी नाम रखने के चलते उत्पन्न हालात में इस तरह के सैन्य अभ्यास अपरिहार्य ही हैं।*

*दरअसल, 1962 के भारत-चीन युद्ध में वायुसेना का समय पर इस्तेमाल न करने की चूक से मिली शिकस्त से सबक लेते हुए भारत ने पूर्वी क्षेत्र में साझे रूप से सामरिक एयरलिफ्ट का अभ्यास किया। विमानों व मारक हेलीकॉप्टरों के जरिये जटिल पहाड़ी इलाकों में लैंडिंग और ड्रॉपिंग का अभ्यास किया गया। दरअसल इस अभ्यास का मकसद अधिक ऊंचाई वाले पहाड़ी इलाकों में सेना व वायुसेना के तालमेल का मूल्यांकन करना था। ताकि युद्ध की स्थिति में विशेष सैन्य बल तीव्र गति के साथ हमला कर सकें।* 

*सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, सेना के विभिन्न अंगों ने युद्ध जैसी स्थिति बनाकर लैंडिंग जोन को सुरक्षित करने तथा दुश्मन पर सटीकता से हमला करके उसे तेजी से उलझाने का अभ्यास किया। जिसको वायुसेना के सी-17 ग्लोबमास्टर विमानों व युद्धक हेलीकॉप्टरों चिनूक ने सटीकता से अंजाम दिया। ये सुरक्षित निर्दिष्ट लैंडिंग क्षेत्रों में सफलतापूर्वक प्रवेश कर गये। इसके साथ ही पचासवीं पैराशूट ब्रिगेड यानी शत्रुजीत ब्रिगेड के पैराट्रूपर्स ने कल्पित शत्रु के इलाके में तीव्रता से पूरी क्षमता के पैरा-ब्रिगेड व पूर्वी कमान के सैनिकों के साथ तालमेल बनाकर लक्ष्यों को साधा। ये अभ्यास पारंपरिक व अपरंपरागत सैन्य कार्रवाइयों के मिश्रित रूप में थे। जिन्हें विशेष रूप से नामित, चयनित, प्रशिक्षित व आधुनिक हथियारों से सुसज्जित इकाइयों द्वारा सफलता से अंजाम दिया गया।* 

*दरअसल, हाल में भूटान के प्रधानमंत्री द्वारा भारतीय हितों को ताक पर रखकर डोकलाम पठार पर चीनी प्रभुत्व के बाबत की गई टिप्पणी ने भारत को सजग किया है।* 

*यही वजह है कि पिछले दिनों चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ जनरल अनिल चौहान ने पश्चिम बंगाल के उत्तरी इलाकों व सिक्किम में अग्रिम क्षेत्रों का दौरा करके बुनियादी ढांचे के विकास, परिचालन व रसद तैयारियों की समीक्षा की थी। भारत सजग हुआ कि यदि भूटान अपने उत्तरी क्षेत्रों को बनाये रखने के लिये डोकलाम पठार पर चीन के अधिकार को स्वीकारता है तो इससे उत्तरी बंगाल में संवेदनशील सिलीगुड़ी कॉरिडोर के लिये चुनौती पैदा होगी, जो उत्तर-पूर्वी राज्यों को भारत की मुख्यभूमि से जोड़ता है। साथ ही डोकलाम में भारत के सामरिक वर्चस्व को भी मुश्किल में डाला जा सकता है।
साभार- दै.ट्रिब्यून 
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ये बोलने का अधिकार इनको किसने दिया ?
जब मजहब और धर्म के आधार पर मुसलमानों ने 1947 ने अपने लिए पूरा पाकिस्तान ले लिया, फिर भारत में रहने का उनको कोई हक नहीं था।  लेकिन नेहरू और (फर्जी राष्ट्रपिता) गाँधीजी के लगातार हिन्दुओं के खिलाफत और मुस्लिम-तुष्टीकरण के कारण दोनों ने मनमानी किया। नेहरू-गाँधी ने करीब पौने 3 करोड़ मुसलमानों को जबरन हिंदुस्तान में रोक लिया। उसी तरह इंदिरा गाँधी "मैमुना बेगम" ने अपने प्रधानमंत्री होने का नाजायज फायदा उठाते हुए और मुस्लिम-प्रेम के चलते 1971 बांग्लादेश बनने पर पांच करोड़ मुसलमानों को बांग्लादेश जाने से रोक लिया और हम हिन्दुओं के देश भारत में बसा दिया। इसी के चलने आज भारत का सर्वांगीण विकास रुक गया है।  करीब 35 करोड़ तो अवैध मुसलमान, घुसपैठिये, रोहिंग्या मुसलमान भारत में रहते है, जिससे आज भारत की जनसंख्या दुनिया में सबसे अधिक हो गई है, चीन की आबादी भी पीछे रह गई...
देश के खिलाफ, हमारे नेताओं के खिलाफ अनाब-शनाब बोलने वाले, बकवास करने वाले हम हिन्दुओं के दिए टैक्स पर FREE अनाज से लेकर बैंक खातों में रुपया ले रहे है। हिन्दू लगातार चुप है, सहिष्णु बना हुआ है, इसीलिए ये मुस्लिम हमारे ही देश में हमारे देश का खाते हुए ये सब करते जा रहे हैं,  क्या हिन्दुओ को इतिहास से कोई सीख नहीं लेना ? क्या अपने बच्चों और आने वाली पीढ़ियों को लुटने-मरने के लिए छोड़ जाएंगे ? 
Fb- Rajeshanand     
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