#Social_Media : मुझे गांधी क्यों नापसंद है ?


क्यों गांधी से अधिकाँश राष्ट्रवादी और हिन्दू घृणा करते हैं ?

सबसे पहली बात, मोहनदास करमचंद गांधी से गांधी वास्तव में राष्ट्रपिता नहीं हैं। यह तथ्य इतिहास की उन हजारों झूठे और फर्जी तथ्य / घटनाओं में एक है, जिसे हिन्दुओं को मूर्ख या बेवकूफ बनाने के लिए देश किया जाता रहा है। ये कौन करता रहा है, हिन्दू-विरोधी राजनितिक पार्टी, उसके नेता, जिन्होंने केवल हिन्दू विरोधी कानून (मंदिर एक्ट, हिन्दू मैरिज एक्ट से लेकर वफ्फ कानून ) बनाया, जिससे केवल हिन्दुओं के अधिकार छीने गए, हिन्दुओं को अपने ही देश में लगातार अपमानित होना पड़ रहा है। गांधीजी को जबरिया राष्ट्रपिता मुस्लिम-तुष्टिकरण करने वाली पार्टी ने सबसे पहले फैलाया। संयोग से कांग्रेस के केंद्र में शासनकल में लखनऊ की एक छात्रा ऐश्वर्या द्वारा केंद्र सरकार को लगाए RTI के उत्तर में सरकार ने माना, ऐसा कोई प्रमाण नहीं है, जिसके आधार पर गाँधी को राष्ट्रपिता कहा जाए। ऐसा कहीं कोई सरकारी अभिलेख, गजेट आदि नहीं हैं, जिससे प्रमाणित या जानकारी हो, कि गांधी राष्ट्रपिता है।

अरे भाई ! भारत देश किसी नेता के बाप का नहीं, जो किसी हिन्दू-द्रोही और मुस्लिमपरस्त को राष्ट्रपिता बोलकर हम हिन्दुओं को हमारे देश भारत में, जो हिन्दुओं और गैर-मुसलमानों के को दिया गया, पूरा पाकिस्तान मुसलमानों को 1947 के बटवारे में देने के बाद। राष्ट्रपिता शब्द उतना ही फर्जी है, जितना "जमुनी-संस्कृति" का थोपा गया फर्जी "धार्मिक सद्भावना" के रूप में तमाम नेता, राजनितिक पार्टियां दशकों हिन्दुओं को मूर्ख बनाने और भ्रमित करने के लिए करते आ रहे हैं, जिससे मजहबी उन्मादियों के कुकर्मों को छुपाया / दबाया जा सकें, बावजूद इसके कि नेहरू-गांधी ने मुसलमानों के लिए पूरा पाकिस्तान देश बनाकर दे दिया। पाकिस्तान में इस्लामिक एस्टेट बन गया, लेकिन भारत अब तक हिन्दू राष्ट्र नहीं बन सका....
अब सवाल है, गांधी ने सदैव अपनी मनमर्जी क्यों की, क्यों हमेशा हिन्दुओं को दबाया या हिन्दुओं का विरोध करते हुए हतोत्साहित किया, जिसमें उन्होंने नेहरू की हरेक गलत / अविवेकपूर्ण / पक्षपातपूर्ण बातें "मुक्ति मिलने तक" मानते रहे, जिसमें सरदार वल्लभ भाई पटेल को प्रधानमंत्री नहीं बनने दिया, जबकि तत्कालीन 15 में से 14 राज्यों के कांग्रेस अध्यक्ष भी चाहते थे, कि सरदार पटेल ही प्रधानमंत्री बने... ये तो सोशल मीडिया है, जिसके कारण सबसे कुकर्म और हिन्दुओं के प्रति अन्याय व अत्याचार करने वालों को expose कर दिया, उसको नंगा करके रख दिया
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पढ़ें / सुनें-
"हनुमानजी की शपथ, हमारे पास कोई सिद्धि, साधना, मंत्र-विधान नहीं, केवल राम नाम जप है" : धीरेन्द्र शास्त्री शास्त्री (बागेश्वर धाम)
http://www.dharmnagari.com/2022/06/Aaj-ke-selected-Posts-Tweets-Comments-day-14-June.html 
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1. अमृतसर के जलियाँवाला बाग़ गोली काण्ड (1919) से समस्त देशवासी आक्रोश में
थे तथा चाहते थे कि इस नरसंहार के खलनायक जनरल डायर पर अभियोग चलाया जाए।
गांधी ने भारतवासियों के इस आग्रह को समर्थन देने से मना कर दिया।

2. भगत सिंह व उसके साथियों के मृत्युदण्ड के निर्णय से सारा देश क्षुब्ध था व
गांधी की ओर देख रहा था कि वह हस्तक्षेप कर इन देशभक्तों को मृत्यु से बचाएं,
किन्तु गान्धी ने भगत सिंह की हिंसा को अनुचित ठहराते हुए जनसामान्य की इस माँग
को अस्वीकार कर दिया। क्या आश्चर्य कि आज भी भगत सिंह वे अन्य क्रांतिकारियों
को आतंकवादी कहा जाता है।

3. 6 मई 1946 को समाजवादी कार्यकर्ताओं को अपने संबोधन में गांधी ने मुस्लिम
लीग की हिंसा के समक्ष अपनी आहुति देने की प्रेरणा दी।

4.मोहम्मद अली जिन्ना आदि राष्ट्रवादी मुस्लिम नेताओं के विरोध को अनदेखा करते
हुए 1921 में गांधी ने खिलाफत आन्दोलन को समर्थन देने की घोषणा की। तो भी
केरल के मोपला में मुसलमानों द्वारा वहाँ के हिन्दुओं की मारकाट की जिसमें लगभग
1500 हिन्दू मारे गए व 2000 से अधिक को मुसलमान बना लिया गया। गांधी ने इस
हिंसा का विरोध नहीं किया, वरन् खुदा के बहादुर बन्दों की बहादुरी के रूप में
वर्णन किया।

5.1926 में आर्य समाज द्वारा चलाए गए शुद्धि आन्दोलन में लगे स्वामी
श्रद्धानन्द जी की हत्या अब्दुल रशीद नामक एक मुस्लिम युवक ने कर दी, इसकी
प्रतिक्रिया स्वरूप गांधी ने अब्दुल रशीद को अपना भाई कह कर उसके इस कृत्य को
उचित ठहराया व शुद्धि आन्दोलन को अनर्गल राष्ट्र-विरोधी तथा हिन्दू-मुस्लिम
एकता के लिए अहितकारी घोषित किया।

6.गांधी ने अनेक अवसरों पर छत्रपति शिवाजी, महाराणा प्रताप व गुरू गोविन्द
सिंह जी को पथभ्रष्ट देशभक्त कहा।

7.गांधी ने जहाँ एक ओर काश्मीर के हिन्दू राजा हरि सिंह को काश्मीर मुस्लिम
बहुल होने से शासन छोड़ने व काशी जाकर प्रायश्चित करने का परामर्श दिया, वहीं
दूसरी ओर हैदराबाद के निजाम के शासन का हिन्दू बहुल हैदराबाद में समर्थन किया।

8. यह गान्धी ही था जिसने मोहम्मद अली जिन्ना को कायदे-आज़म की उपाधि दी।

9. कांग्रेस के ध्वज निर्धारण के लिए बनी समिति (1931) ने सर्वसम्मति से चरखा
अंकित भगवा वस्त्र पर निर्णय लिया किन्तु गांधी की जिद के कारण उसे तिरंगा कर
दिया गया।

10. कांग्रेस के त्रिपुरा अधिवेशन में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को बहुमत से
कांग्रेस अध्यक्ष चुन लिया गया किन्तु गान्धी पट्टाभि सीतारमैया का समर्थन कर
रहा था, अत: सुभाष बाबू ने निरन्तर विरोध व असहयोग के कारण पदत्याग कर दिया।

11. लाहोर कॉंग्रेस में वल्लभभाई पटेल का बहुमत से चुनाव सम्पन्न हुआ किन्तु
गान्धी की जिद के कारण यह पद जवाहरलाल नेहरू को दिया गया।

12. 14-15 जून, 1947 को दिल्ली में आयोजित अखिल भारतीय कांग्रेस समिति की बैठक
में भारत विभाजन का प्रस्ताव अस्वीकृत होने वाला था, किन्तु गान्धी ने वहाँ
पहुंच प्रस्ताव का समर्थन करवाया। यह भी तब जबकि उन्होंने स्वयं ही यह कहा था
कि देश का विभाजन उनकी लाश पर होगा।

13. मोहम्मद अली जिन्ना ने गांधी से विभाजन के समय हिन्दु मुस्लिम जनसँख्या की
सम्पूर्ण अदला बदली का आग्रह किया था जिसे गांधी ने अस्वीकार कर दिया।

14. जवाहरलाल की अध्यक्षता में मन्त्री-मण्डल ने सोमनाथ मन्दिर का सरकारी व्यय
पर पुनर्निर्माण का प्रस्ताव पारित किया, किन्तु गान्धी जो कि मन्त्रीमण्डल के
सदस्य भी नहीं थे ने सोमनाथ मन्दिर पर सरकारी व्यय के प्रस्ताव को निरस्त
करवाया और 13 जनवरी 1948 को आमरण अनशन के माध्यम से सरकार पर दिल्ली की
मस्जिदों का सरकारी खर्चे से पुनर्निर्माण कराने के लिए दबाव डाला।

15. पाकिस्तान से आए विस्थापित हिन्दुओं ने दिल्ली की खाली मस्जिदों में जब
अस्थाई शरण ली तो गांधी ने उन उजड़े हिन्दुओं को जिनमें वृद्ध, स्त्रियाँ व
बालक अधिक थे मस्जिदों से से खदेड़ बाहर ठिठुरते शीत में रात बिताने पर मजबूर
किया गया।

16. 22 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तान ने काश्मीर पर आक्रमण कर दिया, उससे पूर्व
माउंटबेटन ने भारत सरकार से पाकिस्तान सरकार को 55 करोड़ रुपए की राशि देने का
परामर्श दिया था। केन्द्रीय मन्त्रीमण्डल ने आक्रमण के दृष्टिगत यह राशि देने
को टालने का निर्णय लिया किन्तु गान्धी ने उसी समय यह राशि तुरन्त दिलवाने के
लिए आमरण अनशन किया- फलस्वरूप यह राशि पाकिस्तान को भारत के हितों के विपरीत दे
दी गयी।

17.गांधी ने गौ-हत्या पर प्रतिबंध लगाने का विरोध किया

18. द्वितीया विश्वा युध मे गांधी ने भारतीय सैनिकों को ब्रिटेन का लिए हथियार
उठा कर लड़ने के लिए प्रेरित किया, जबकि वो हमेशा अहिंसा की पीपनी बजाते है

.19. क्या ५०,००० हिंदू की जान से बढ़कर थी मुसलमान की ५ टाइम की नमाज़ ?
विभाजन के बाद दिल्ली की जामा मस्जिद मे पानी और ठंड से बचने के लिए ५००० हिंदू
ने जामा मस्जिद में पनाह ले रखी थी…मुसलमानो ने इसका विरोध किया पर हिंदू को ५
टाइम नमाज़ से ज़यादा कीमती अपनी जान लगी.. इसलिए उस ने माना कर दिया. .. उस
समय गांधी नाम का वो शैतान बरसते पानी मे बैठ गया धरने पर की जब तक हिंदू को
मस्जिद से भगाया नहीं जाता तब तक गांधी यहां से नहीं जाएगा। फिर पुलिस ने मजबूर
हो कर उन हिंदू को मार मार कर बरसते पानी मे भगाया…. और वो हिंदू - गाँधी
मरता है तो मरने दो - के नारे लगा कर वहां से भीगते हुए गये थे…,
रिपोर्ट - जस्टिस कपूर सुप्रीम कोर्ट….. फॉर गाँधी वध क्यों ?

२०. भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को 24 मार्च 1931 को फांसी लगाई जानी थी, सुबह
करीब 8 बजे। लेकिन 23 मार्च 1931 को ही इन तीनों को देर शाम करीब सात बजे फांसी
लगा दी गई और शव रिश्तेदारों को न देकर रातों रात ले जाकर ब्यास नदी के किनारे
जला दिए गए। असल में मुकदमे की पूरी कार्यवाही के दौरान भगत सिंह ने जिस तरह
अपने विचार सबके सामने रखे थे और अखबारों ने जिस तरह इन विचारों को तवज्जो दी
थी, उससे ये तीनों, खासकर भगत सिंह हिंदुस्तानी अवाम के नायक बन गए थे। उनकी
लोकप्रियता से राजनीतिक लोभियों को समस्या होने लगी थी।

उनकी लोकप्रियता गांधीजी को मात देने लगी। कांग्रेस तक में अंदरूनी 
दबाव था, कि इनकी फांसी की सजा कम से कम कुछ दिन बाद होने वाले पार्टी के सम्मेलन तक टलवा दी जाए। लेकिन "अड़ियल महात्मा" ने ऐसा नहीं होने दिया। चंद दिनों के भीतर ही ऐतिहासिक गांधी-इरविन समझौता हुआ जिसमें ब्रिटिश सरकार सभी राजनीतिक कैदियों को रिहा करने पर राजी हो गई। सोचिए, अगर गांधी ने दबाव बनाया होता, तो भगत सिंह भी रिहा हो सकते थे क्योंकि हिंदुस्तानी जनता सड़कों पर उतरकर उन्हें ज़रूर राजनीतिक कैदी मनवाने में कामयाब रहती। लेकिन गांधी दिल से ऐसा
नहीं चाहते थे, क्योंकि तब भगत सिंह के आगे इन्हें किनारे होना पड़ता
#Social_Media से...
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आप इस पार्टी का समर्थन क्यों करते हैं ?

किसने कहा है कि मैं कांग्रेस पार्टी का समर्थन करता हूं ?
क्या मैं उस कांग्रेस का समर्थन करूंगा जिसका नेता राहुल गांधी रोज नई-नई बेवकूफो जैसी हरकतें करता रहता है ?

क्या मैं उस कांग्रेस का समर्थन करूंगा जिसने राम मंदिर निर्माण को रोकने के लिए वकीलों की फौज सुप्रीम कोर्ट के सामने खड़ी कर दी थी ?

क्या मैं उस कांग्रेस का समर्थन करूंगा जो कि हिंदू विरोधी पार्टी है ?

भरी संसद में आँख मारना क्या यह किसी परिपक्व नेता का काम है ?
जब वे पुलवामा के शहीदों को श्रद्धांजलि देने गया था तो आधा घंटा भी फोन से दूर नहीं रह पाया व् ग़मगीन माहौल के बीच में ही अपना फ़ोन देख रहा था ?
वे आज दम भर रहे हैं कि उनकी सरकार होती तो पंद्रह मिनट में वे चीन को बाहर कर देते पर वे यह भूल जाते हैं कि उन्ही की सरकार के शासन के दौरान चीन ने भारत की हज़ारो किलोमीटर जगह हड़प ली और उनके परनाना जवाहर लाल नेहरू जी ने हमारी भारत की कितनी बड़ी जमीन यह कहते हुए चीन को दे दी कि वह बंज़र है?
देश के चुने हुए प्रधानमंत्री द्वारा पास किया हुआ विधेयक वे सरेआम फाड़ कर फेंक देते हैं जबकि वह प्रधानमंत्री भी उन्ही की पार्टी का था क्या आप बता सकते हैं ऐसा उन्होंने किस हैसियत से किया था क्या वे प्रधानमंत्री से ऊपर हैं ?
जब भारत और चीन के बीच तनाव का माहौल होता है तो वे चुपके से चीन के राजदूत से मिलते हैं क्या यह देशद्रोह नहीं है ?
वे सर्जिकल स्ट्राइक को फ़र्ज़ी बताते हैं और पकिस्तान उनके इस बयान को प्रमुखता से अपने टीवी पर दिखता है क्या यह देशद्रोह नहीं है ?
वे करोड़पति होते हुए भी अपने फ़टे कुर्ते की जेब गरीबों को दिखाते हैं जबकि उस समय जो जीन्स उन्होंने पहनी हुयी थी वही कई हज़ार कि रही होगी।
वे ज़बरदस्ती एटीएम में लाइन में लगते हैं और दो हज़ार निकालने का ड्रामा करते हैं जबकि मुझे नहीं लगता इसकी उन्हें आवश्यकता थी और जब ऐसा ही मोदी जी की माता जी के द्वारा किया जाता है तो उसे पब्लिसिटी स्टंट करार दिया जाता है ।
इस कांग्रेस ने हिंदुओं के लिए क्या किया है जबकि मुस्लिमों के लिए वक्फ बोर्ड सिखों के लिए गुरुद्वारा प्रबंध कमेटी यह सब बना रखे हैं हमारी मांग यह है
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