संकष्टी चतुर्थी : संतान व जीवन में आने वाली समस्याएं, वैवाहिक जीवन के तनाव दूर होते है व्रत-पूजन से
संकष्टी चतुर्थी में है बिगड़े काम बनाने, आने वाली बाधा दूर करने का निदान
धर्म नगरी / DN News
(W.app- 8109107075 -न्यूज़, कवरेज, विज्ञापन व सदस्यता हेतु)
वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी रविवार (9 अप्रैल 2023) को है, जिसे विकट संकष्टी चतुर्थी कहते हैं। इस दिन विघ्नहर्ता गणेशजी की पूजा विधिपूर्वक करते हैं। उनकी कृपा से सुख, सौभाग्य, शुभता, बुद्धि, धन-सम्पत्ति आदि में वृद्धि होती है। गणेश जी प्रथम पूज्य हैं, उनके आशीर्वाद के बिना आपको कोई कार्य सफल नहीं हो सकता है। उनके आशीर्वाद से तो बिगड़े काम भी बन जाते हैं और संकट दूर हो जाते हैं। कार्यों में आने वाली विघ्न बाधाएं पल भर में दूर हो जाती हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान गणेश की उपासना करने से श्रद्धालुओं-साधकों के संतान पर आने वाले समस्त कष्ट दूर होते हैं, वैवाहिक जीवन में तनाव खत्म होता है, बल बुद्धि और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है, घर में कारोबार की वृद्धि होती है समस्याओं से मुक्ति मिलती है। वहीं, रुके हुए मांगलिक कार्य संपन्न होते हैं। अर्थात जीवन में आ रही समस्याएं दूर होने और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद भगवन गणेश की श्रद्धा-विश्वासपूर्वक पूजा-उपासना करने से मिलता है।
संकष्टी चतुर्थी तिथि एवं मुहूर्त
वैशाख कृष्ण चतुर्थी तिथि का शुभारंभ- रविवार 9 अप्रैल, 2023
वैशाख कृष्ण चतुर्थी तिथि का शुभारंभ- रविवार 9 अप्रैल, 2023
चतुर्थी तिथि-
प्रारम्भ - 9:35 प्रातः, 9 अप्रैल 2023
समाप्त - 08:37 प्रातः, 10 अप्रैल 2023
व्रत एवं पूजा विधि
समाप्त - 08:37 प्रातः, 10 अप्रैल 2023
व्रत एवं पूजा विधि
संकष्टि चतुर्थी व्रत के दिन भगवान गणेश और माता चौथ की पूजा की जाती है। ऐसा करने से संतान के जीवन में आने वाली सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं और वैवाहिक जीवन में बढ़ रहा तनाव भी खत्म हो जाता है। साथ ही उपवास का पालन करने से घर और कारोबार में आ रही समस्याएं भी दूर हो जाती है। मान्यता है कि चतुर्थी व्रत के दिन चंद्रमा को अर्घ्य प्रदान करने से मानसिक व आत्मिक तनाव दूर हो जाता है। माना यह भी जाता है विकट संकष्टी चतुर्थी के दिन उपवास रखने से साधक को बल, बुद्धि, आरोग्य और सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है।
------------------------------------------------
पाठकों से- "धर्म नगरी" की प्रति आश्रम, मठ / अपने घर, कार्यालय मंगवाने (सदस्यता हेतु) अथवा आगामी अंक में सहयोग कर अपने नाम से प्रतियाँ देशभर में भिजवाने हेतु कृपया सम्पर्क करें- मो. 6261868110, मो./वाट्सएप- 8109107075 अथवा ट्वीटर- www.twitter.com/DharmNagari या ईमेल- dharm.nagari@gmail.com पर सम्पर्क करें
------------------------------------------------
अपने नाम के अनुसार ही संकष्टी चतुर्थी का व्रत है। यानी इसे सभी कष्टों का हरण करने वाला माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश की आराधना और व्रत करने से सभी तरह के कष्टों से मुक्ति मिलती है। संकष्टी चतुर्थी व्रत विवाहित महिलाएं पति की लंबी आयु और सौभाग्य की कामना से करती हैं। वही, कुंवारी कन्याएं भी अच्छा पति पाने के लिए दिन भर व्रत रखकर शाम को भगवान गणेश की पूजा करती हैं।
- संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ वस्त्र पहन लें। फिर पूजा स्थान को साफ करके एक चौकी पर पीले वस्त्र बिछाकर गणेश जी की स्थापना करें।
- हाथ में जल, अक्षत्, फूल आदि लेकर विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत एवं पूजा का संकल्प करें।
- पूजा के शुभ मुहूर्त में ॐ गं गणपतये नमः मंत्र का उच्चारण करते हुए गणपति को लाल फूल, फल, दूर्वा, मोदक, अक्षत्, धूप, दीप, गंध, माला, लड्डू, चंदन, कुमकुम, रोली आदि अर्पित करें।
- अब आप गणेश चालीसा एवं चतुर्थी व्रत कथा का पाठ करें। पूजा के अंत में घी के दीपक या फिर कपूर से गणेश जी की विधिपूर्वक आरती करें।
- दिनभर फलाहार पर रहें. रात्रि के समय में चंद्रमा को जल में दूध, अक्षत्, शक्कर आदि मिलाकर अर्पित करें। चंद्र देव की प्रार्थना करें।
- चंद्रमा की पूजा के बिना संकष्टी चतुर्थी का व्रत पूर्ण नहीं होता है, इसलिए आज के दिन चंद्रमा के उदय की प्रतीक्षा करना लंबा होता है।
- पूजा के बाद आप अन्न, वस्त्र, फल-मिठाई आदि का दान करें। उसके बाद पारण करके व्रत को पूरा करें।'
(डिस्क्लेमर- उक्त उपाय ज्योतिर्विदों, कर्मकांडी विद्वानों, ग्रंथों पर आधारित हैं।)
स्मरण रहे-
कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी
और
शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं।
संकष्टी चतुर्थी के दिन करें उपाय
- अपने परिवार में सुख-शांति बनाये रखने के लिए संकष्टी चतुर्थी पर अपने दोनों हाथों में लाल फूल लेकर गणेश भगवान को अर्पित करें। साथ ही फूल चढ़ाते समय 'ऊँ गं गणपतये नम:' मंत्र का जप करें। ऐसा करने से आपके परिवार में सुख-शांति बनी रहेगी।
- अपने बच्चे की प्रगति व उसके मान-सम्मान में बढ़ोतरी हेतु आज अपने बच्चे के हाथों से मंदिर में तिल दान करवाएं। साथ ही गणेश जी का आशीर्वाद प्राप्त करें। ऐसा करने से आपके बच्चे की तरक्की सुनिश्चित होगी और उसके मान-सम्मान में भी बढ़ोतरी होगी।
- अपनी इच्छाओं की पूर्ति करना चाहते हैं, तो आज भगवान गणेश को रोली और चंदन का तिलक लगाएं। साथ ही गणेश जी के मंत्र का 11 बार जप करें। मंत्र है - 'वक्रतुण्ड महाकाय कोटिसूर्य समप्रभ: निर्विघ्नं कुरूमें देव सर्व कार्येषु सर्वदा' ऐसा करने से आपकी सभी इच्छाओं की पूर्ति होगी।
- अगर आप नौकरी में उच्च पद की प्राप्ति करना चाहते हैं, तो आज के दिन आठ मुखी रुद्राक्ष की विधिवत पूजा करके गले में धारण करें। ऐसा करने से आपको नौकरी में उच्च पद की प्राप्ति होगी।
- जीवन में आनंद प्राप्ति के लिए भगवान गणेश को बूंदी के लड्डुओं का भोग लगाएं। भोग लगाने के बाद बचे हुए लड्डूओं को छोटी कन्याओं में बांट दें और उनका आशीर्वाद लें। ऐसा करने से जीवन में छोटी-छोटी खुशियाँ भी आपको आनंदित कर देगी।
- अगर आप अपने बच्चों के जीवन की गति को बनाये रखना चाहते हैं, तो आज भगवान गणेश की पूजा के समय एक हल्दी की गांठ लें और उसे कलावे से बांधकर पूजा स्थल पर रख दें। पूजा समाप्त होने के बाद उस हल्दी की गांठ को पानी की सहायता से पीस लें और उससे बच्चे के मस्तक पर तिलक लगाएं। ऐसा करने से आपके बच्चों के जीवन की गति बनी रहेगी।
- आपके जीवन में यदि किसी प्रकार की समस्या चल रही है, तो इसके शीघ्र निदान के लिए तिल और गुड़ के लड्डू बनाएं और गणेश भगवान की विधि-विधान से श्रद्धा-विश्वासपूर्वक पूजा करके उन लड्डुओं से भोग लगाएं और बचे लड्डुओं को प्रसाद के रूप में परिवार के सब सदस्यों में बांट दें।
- स्वास्थ्य को बनाये रखना चाहते हैं, तो एक पान का पत्ता लें और उसके मध्य में रोली से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं। अब वह पान का पत्ता भगवान गणेश को अर्पित करें। साथ ही गणेश जी के मंत्र का 108 बार जप करें। मंत्र है- ॐ गं गणपतये नम: ऐसा करने से आपका स्वास्थ्य श्रेष्ठ बना रहेगा।
- अपने घर में धन-धान्य और सुख-समृद्धि को बनाए रखने या बढ़ाने हेतु विघ्नहर्ता गणेश भगवान को मोदक का भोग लगाएं। साथ ही उनके सामने घी का दीपक जलाएं। ऐसा करने से आपके घर में धन-धान्य और सुख-समृद्धि की बढ़ोतरी होगी।
-अपने कार्यक्षेत्र में मनवांछित सफलता प्राप्त करना चाहते हैं, तो गणेशजी को एक कपूर और 6 लौंग की आहुति दें। साथ ही एक कलावा का टुकड़ा लेकर गणेश भगवान के चरणों में रख दें और भगवान की पूजा करें। पूजा के बाद उस कलावे को अपने हाथ में बांध लें। ऐसा करने से आपको कार्यक्षेत्र में मनवांछित सफलता की प्राप्ति होगी।
- आपको लगता है कि आपके घर में नकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है, तो अपने घर के मंदिर में सफेद रंग के गणपति जी की मूर्ति की स्थापना करनी चाहिए। साथ ही भगवान की विधि-पूर्वक पूजा करके संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। ऐसा करने से आपके घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर होगी और सकारात्मक ऊर्जा का वास होगा।
- अपने दाम्पत्य जीवन को भरपूर सुख से भर देना चाहते हैं, तो आज दो बेसन के लड्डू, थोड़े-से तिल, चावल, मेवा और कोई एक फल अलग-अलग पांच पोटली में बांध लीजिये। अब भगवान गणेश के मंदिर जाकर मंत्र जप करते हुए सारी चीजों को एक-एक करके भगवान को अर्पित करें। मंत्र है- श्री गणेशाय नमः एक चीज चढ़ाएं और मंत्र बोलें- श्री गणेशाय नम: इसी प्रकार शेष बची चीजें भी मंत्र बोलते हुए चढ़ाएं। ऐसा करने से आपके दाम्पत्य जीवन सुख और साथ ही प्यार भी बना रहेगा।
वैशाख संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा
भगवान कृष्ण युधिष्ठिर को इस व्रत की महानता के बारे बताते हुए कहते हैं- प्राचीन काल में रंतिदेव नामक प्रतापी राजा थे। राजा की मित्रता यम, कुबेर और इन्द्रादि देवों से थी। उनके ही राज्य में धर्मकेतु नामक ज्ञानी ब्राह्मण रहते थे। उनकी दो पत्नियां थीं एक सुशीला और दूसरी चंचला। सुशीला कोई ना कई व्रत करती थी, जिससे उसका शरीर दुर्बल हो गया। वहीं चंचला कोई व्रत नहीं करती थी और भरपेट भोजन करती थी। कुछ दिनों बाद सुशीला को शुभ लक्षणों वाली एक कन्या हुई और चंचल को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। कन्या की शुभता देखकर चंचला सुशीला को ताना देने लगी।
अरे सुशीला! तुमने इतने व्रत और उपवास किए हैं, जिसकी वजह से तुम्हारा शरीर जर्जर हो गया, फिर भी एक कृशकाय कन्या को जन्म दिया। मुझे देख, मैं कभी व्रतादि के चक्कर में न पड़कर हष्ट-पुष्ट बनी हुई हूं और वैसे ही बालक को भी जन्म दिया है। चंचला की बातें सुशीला के हृदय में चुभने लगीं।
वैशाख चतुर्थी के दिन सुशीला ने पूरी भक्ति भाव के साथ संकटनाशक गणेश चतुर्थी का व्रत किया। व्रत से प्रसन्न होकर गणेशजी ने दर्शन दिए। गणेशजी ने आशीर्वाद देते हुए कहा कि हे सुशीला तेरी कन्या के मुख से मोती और मूंगा प्रवाहित होती रहेंगे और तुझे वेद शास्त्र वेत्ता एक पुत्र भी होगा। वरदान को देने के बाद गणेशजी अंतर्ध्यान हो गए।
वरदान के बाद कन्या के मुंह से मोती और मूंगा झड़ने लगे और कुछ दिनों बाद एक पुत्र की प्राप्ति भी हुई। उसके कुछ दिनों बाद ही धर्मकेतु का स्वर्गवास हो गया और उनकी मृत्यु के उपरांत चंचला घर का पूरा धन लेकर दूसरे घर में जाकर रहने लगी लेकिन सुशीला पति के घर में रहकर ही पुत्र और पुत्री का पालन पोषण करने लगी। कन्या की वजह से सुशीला के पास काफी धन एकत्रित हो गया। इस कारण चंचला सुशीला और उसके परिवार से ईर्ष्या करने लगी। एक दिन हत्या के उद्देश्य से चंचला ने सुशीला की कन्या को कुएं में धकेल दिया। कुंए में गणेशजी ने सुशीला की कन्या की रक्षा की और वापस माता के पास भेज दिया। कन्या को जीवित देखकर चंचल का मन उद्विग्न हो उठा। वह सोचने लगी कि जिसकी रक्षा स्वयं ईश्वर कर रहे हो, उसे कौन मार सकता है? इधर सुशीला अपनी पुत्री को पुनः प्राप्त कर प्रसन्न हो गई और गणेश भगवान को धन्यवाद कहा और प्रार्थना की।
चंचला सुशीला की कन्या के चरणों में नतमस्तक हो गई और अपने किए की माफी मांगने लगी। चंचला ने सुशीला से कहा कि सुशीला तुम बहुत दयावान हो और दोनों कुलों का उद्धार करें। जिसकी रक्षा स्वयं भगवान करते हों, उसका मनुष्य क्या बिगाड़ सकता है। इसके बाद चंचला ने भी वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का व्रत किया। गणेशजी की कृपा से दोनों परिवारों के बीच सब सही हो गया। जिस पर गणेशजी की कृपा होती है, उसके शत्रु भी मित्र बन जाते हैं। भगवान गणेश ने जिस प्रकार सुशीला की मदद की, उसी तरह वे सभी की मदद करें। जय गणेश भगवान।
----------------------------------------------
इसे भी पढ़ें / सुनें-
☟
http://www.dharmnagari.com/2020/12/Ganpati-Atharvashirsha-kare-dukho-ka-nash.html
चमत्कारी है "सिद्ध कुंजिका स्तोत्र", इसके पाठ से दूर होती हैं समस्याएं...
☟
http://www.dharmnagari.com/2021/10/Swayam-Siddh-aur-Chamatkari-hai-Siddh-Kunjika-Srotra-Sri-Durga-Saptsati.html
संतान बाधा के कारण व करें उपाय…
☟
http://www.dharmnagari.com/2023/03/Santan-Badha-aur-Upay-Reasons-and-remedies-for-Child-obstruction.html
----------------------------------------------
अब "धर्म नगरी" की सदस्यता राशि, अपना शुभकामना संदेश या विज्ञापन प्रकाशित करवाकर अपनों को (अपने नाम से) प्रति भेजने के लिए Dharm Nagari के QR कोड को स्कैन कर सहयोग राशि भेजें और स्क्रीन शॉट हमे भेजें वाट्सएप-8109107075-
राष्ट्रहित व सनातन हित में "धर्म नगरी" / DN News के प्रसार, डिजिटल चैनल का प्रसार करना है। साथ ही एक तथ्यात्मक, सूचनात्मक, स्तरीय व रोचक (factual & informative & interesting), राष्ट्रवादी समसामयिक मैगजीन (उपलब्ध मैग्जीनों से सर्वथा भिन्न) भी निकालने जा रहे हैं। हमारे पास सीमित संसाधन हैं और धर्म से जुड़े प्रकाशन / चैनल / गतिविधि हेतु हमें पूंजी या निवेश की नितांत आवश्यकता है। इस हेतु सहयोग "संरक्षक" या इंवेस्टर या धर्मनिष्ठ उदार संत-धर्माचार्य चाहिए, क्योंकि हमारा प्रकाशन एवं सभी गतिविधियाँ अव्यावसायिक (non-commercial) हैं। यदि आप चाहें, तो निर्धारित अवधि हेतु ब्याज मुक्त निवेश कर सकते हैं, जानकारी हेतु संपर्क करें -प्रबंध संपादक 9752404020, 6261868110
----------------------------------------------
"धर्म नगरी" की सदस्यता, शुभकामना-विज्ञापन या दान देने अथवा अपने नाम (की सील के साथ) से लेख / कॉलम / इंटरव्यू सहित "धर्म नगरी" की प्रतियां अपनों को देशभर में भिजवाने हेतु है। ध्यान रखें, आपके सहयोग से हम आपके ही नाम से "धर्म नगरी" की प्रति आप जहाँ चाहते हैं, भिजवाते / बटवाते हैं। सहयोग हेतु हम किसी झूठ या फर्जी बातों का सहारा नहीं लेते, क्योंकि "धर्म नगरी" अव्यावसायिक रूप से जनवरी 2012 से प्रकाशित कर रहें है। हमें TV पर दिखने वाले अनेक संपन्न एवं भौतिकवादी संत-धर्माचार्य-कथावाचकों ने सहयोग का आश्वासन दिया, जिसे पूरा नहीं किया, जिसका हमें दुःख भी है। -प्रसार प्रबंधक |
----------------------------------------------
कथा हेतु- व्यासपीठ की गरिमा एवं मर्यादा के अनुसार श्रीराम कथा, वाल्मीकि रामायण, श्रीमद भागवत कथा, शिव महापुराण या अन्य पौराणिक कथा करवाने हेतु संपर्क करें। कथा आप अपने बजट या आर्थिक क्षमता के अनुसार शहरी या ग्रामीण क्षेत्र में अथवा विदेश में करवाएं, हमारा कथा के आयोजन की योजना, मीडिया-प्रचार आदि में सहयोग रहेगा। -प्रसार प्रबंधक "धर्म नगरी / DN News" मो.9752404020, 8109107075-वाट्सएप ट्वीटर / Koo / इंस्टाग्राम- @DharmNagari ईमेल- dharm.nagari@gmail.com यूट्यूब- #DharmNagari_News
Post a Comment