#Social_Media : दास्तां है तीन अम्माओं की...! एक निठल्ला चिंतन..., हिन्दू बच्चियों को बुर्का पहना 40 डिग्री में खड़ा कर...
भारतीय सेना के खूंखार फोर्स के कमांडो पर केस की रक्षा मंत्रालय ने नहीं दी अनुमति
- हिन्दुओं सावधान हो जाओ...
- PM या राष्ट्रपति के अंगरक्षक के साथ ब्रीफकेस...
- एक निठल्ला चिंतन्...
-
आज के कुछ चुनिंदा पोस्ट्स, ट्वीट्स, वीडियो, कमेंट्स, वायरल...20230421
धर्म नगरी / DN News
(W.app- 8109107075 -न्यूज़, कवरेज, विज्ञापन व सदस्यता हेतु)
दास्तां है तीन अम्माओं की !
बल्कि यह किस्सा है एक माता और दो वालिदाओं का। इनमें सर्वप्रथम परखें बेगम खुशनुदा को। उन्हें हार्दिक सलाम ! अपने बेटे गुलाम मोहम्मद की लाश लेने से उन्होंने साफ इनकार कर दिया। माफिया अतीक अहमद का गुलाम मोहम्मद शूटर था। उसी ने प्रयागराज में उमेश पाल को भून दिया था। जैसी करनी, वैसी भरनी, मानकर रसूलाबाद से झांसी अम्मी खुशनुदा बेगम नहीं गईं। नतीजन लावारिस लाश को पुलिस ने ठिकाने लगाया। खुशनुदा ने योगी शासन की तारीफ की। कहा : "बिल्कुल सही काम किया। नेक भी।" लेकिन उनका दिल तो मां का है। एक पुरानी यहूदी कहावत है कि भगवान हर जगह उपस्थित नहीं रह सकता है। अतः उसने माताओं की सृष्टि की है। बालक गुलाम मोहम्मद से अम्मी खुशनुदा बड़ा प्यार करती थी। सिखाया था कि स्कूल से एक पेंसिल भी उठा मत लाना। मगर उन्हें नहीं पता था कि बड़ा होकर यही बेटा पाकिस्तान से आयात आधुनिकतम आग्नेय शस्त्रों से खेलेगा।
कितना विलक्षण है कि शूटर गुलाम का भाई राहिल सत्तारूढ़ भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा का प्रयागराज में जिलाध्यक्ष रहा। उमेश पाल हत्याकांड के बाद राहिल हसन को भी पुलिस ने हिरासत में लिया था। करीब 14 दिन तक पूछताछ के बाद उसे छोड़ दिया। लगते-जिगर गुलाम मोहम्मद को खुशनुदा बेगम सुधार नहीं पाई। माफिया अतीक का जादू भारी पड़ा था।
अब गौर करें बेगम शाइस्ता परवीन अतीक पर ! आज लेडी डॉन बन बैठी है। अरबों रुपयों की मालकिन है। रोकड़ा और जायदाद में। फोन पर धमकी देती है, वसूली करती है। शौहर और एक बेटा मार दिया गया। बाकी जेल में हैं। यह खातून अपने नाम के एकदम विपरीत है। फारसी शब्द शाइस्ता के अर्थ हैं- सभ्य, शिष्ट, काबिल, योग्य, उत्तम, श्रेष्ठ, उम्दा आदि। सब इस महिला डॉन पर उल्टे पड़ते हैं। लेकिन वह इतनी निर्मम है, कि न अपने पति (अतीक अहमद) और न अपने बेटे (असद अहमद) के आखिरी रुसूम में शामिल हुई। मानों कोई लेना देना ही नही उनसे ? बीवी और वालिदा हैं। फिर भी इतनी पाषाण-हृदया ?
बल्कि यह किस्सा है एक माता और दो वालिदाओं का। इनमें सर्वप्रथम परखें बेगम खुशनुदा को। उन्हें हार्दिक सलाम ! अपने बेटे गुलाम मोहम्मद की लाश लेने से उन्होंने साफ इनकार कर दिया। माफिया अतीक अहमद का गुलाम मोहम्मद शूटर था। उसी ने प्रयागराज में उमेश पाल को भून दिया था। जैसी करनी, वैसी भरनी, मानकर रसूलाबाद से झांसी अम्मी खुशनुदा बेगम नहीं गईं। नतीजन लावारिस लाश को पुलिस ने ठिकाने लगाया। खुशनुदा ने योगी शासन की तारीफ की। कहा : "बिल्कुल सही काम किया। नेक भी।" लेकिन उनका दिल तो मां का है। एक पुरानी यहूदी कहावत है कि भगवान हर जगह उपस्थित नहीं रह सकता है। अतः उसने माताओं की सृष्टि की है। बालक गुलाम मोहम्मद से अम्मी खुशनुदा बड़ा प्यार करती थी। सिखाया था कि स्कूल से एक पेंसिल भी उठा मत लाना। मगर उन्हें नहीं पता था कि बड़ा होकर यही बेटा पाकिस्तान से आयात आधुनिकतम आग्नेय शस्त्रों से खेलेगा।
कितना विलक्षण है कि शूटर गुलाम का भाई राहिल सत्तारूढ़ भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा का प्रयागराज में जिलाध्यक्ष रहा। उमेश पाल हत्याकांड के बाद राहिल हसन को भी पुलिस ने हिरासत में लिया था। करीब 14 दिन तक पूछताछ के बाद उसे छोड़ दिया। लगते-जिगर गुलाम मोहम्मद को खुशनुदा बेगम सुधार नहीं पाई। माफिया अतीक का जादू भारी पड़ा था।
अब गौर करें बेगम शाइस्ता परवीन अतीक पर ! आज लेडी डॉन बन बैठी है। अरबों रुपयों की मालकिन है। रोकड़ा और जायदाद में। फोन पर धमकी देती है, वसूली करती है। शौहर और एक बेटा मार दिया गया। बाकी जेल में हैं। यह खातून अपने नाम के एकदम विपरीत है। फारसी शब्द शाइस्ता के अर्थ हैं- सभ्य, शिष्ट, काबिल, योग्य, उत्तम, श्रेष्ठ, उम्दा आदि। सब इस महिला डॉन पर उल्टे पड़ते हैं। लेकिन वह इतनी निर्मम है, कि न अपने पति (अतीक अहमद) और न अपने बेटे (असद अहमद) के आखिरी रुसूम में शामिल हुई। मानों कोई लेना देना ही नही उनसे ? बीवी और वालिदा हैं। फिर भी इतनी पाषाण-हृदया ?
एक हिंदुस्तानी मुसलमान का दु:ख...
अगर तुम मोदी योगी को गाली नहीं देते
हिन्दुओं को गाली नहीं देते
उनकी भावनाओं को आहत नहीं करते
उनके तीज त्योहारों पर पत्थरबाजी नहीं करते
तो तुम पक्के मुसलमान नहीं हो सकते,
लेकिन
तुमसे अच्छे पाकिस्तानी मुसलमान हैं जो अपने दीन के लिए जीते हैं।
अगर तुम मोदी योगी को गाली नहीं देते
हिन्दुओं को गाली नहीं देते
उनकी भावनाओं को आहत नहीं करते
उनके तीज त्योहारों पर पत्थरबाजी नहीं करते
तो तुम पक्के मुसलमान नहीं हो सकते,
लेकिन
तुमसे अच्छे पाकिस्तानी मुसलमान हैं जो अपने दीन के लिए जीते हैं।
--------------------------------------
साधारण पुलिस सिपाही मियां मोहम्मद हारून की बड़ी बेटी, शाइस्ता बाल्यकाल से ही पुलिस क्वार्टर में रहती थी। खाकी की सारी जानकारी मिली थी। बड़ी होकर माफिया सरगना से निकाह हो जाने पर कानून के शत्रुओं से साबका हुआ। वे ही एकमात्र ऐसी सियासती व्यक्ति है जिसका निजी संपर्क अंबेडकरवादी, लोहियावादी और कट्टर जिन्नावादी से हुआ। वह हैदराबादी मियां असदुद्दीन ओवैसी की मजलिसे इत्तिहादे मुसलमीन (सितम्बर 2021) के साथ थी। फिर अकील के मार्फत मुलायम सिंह के संपर्क में आई। इसी जनवरी में बहुजन समाज पार्टी की बहन कुमारी सुश्री मायावती के पाले में आ गई। प्रयागराज के मेयर की प्रत्याशी बनने जा रही थी। उमेश पाल की हत्या से न चमकती तो शाइस्ता महापौर बन जाती। तब संगम नगरी को अधिक पुनीत, पतित पावन बना देती। शौहर अतीक अहमद प्रयागराज का नवाब बन जाता। आज उसकी बीवी शाइस्ता के सिर पर पचास हजार रुपए का इनाम है।
अतीक के रसूख का एक और उदाहरण। भारत सरकार की नियंत्रिका रहीं सोनिया गांधी के देवर रुस्तम गांधी की संपत्ति (इलाहाबाद के सिविल लाइंस में पैलेस कोर्ट के पीछे) एक महंगे भूभाग पर अतीक ने कब्जा कर लिया था। तब सत्तासीन सोनिया गांधी को राज्य पार्टी मुखिया रीता बहुगुणा जोशी की मार्फत राजीव गांधी के चचेरे भाई रुस्तम की जमीन छुड़ानी पड़ी थी।
यहां इतना तो अपेक्षित है योगी सरकार से कि वे प्रधानमंत्री के गृहराज्य गुजरात के भाजपाई मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल से आग्रह कर जांच कराये कि साबरमती जेल में पति से मिलकर शाइस्ता ने किस प्रकार उमेश पाल की हत्या की साजिश रची। मोबाइल फोन जेल में पति को कैसे दिलवा दिया ?
यूं गुजरात की जेलों में मुट्ठी गर्म कर कैदी कुछ भी करा सकता है। मुझे भी साबरमती जेल का तनिक अनुभव है। तब इंदिरा गांधी का आपातकाल था। बड़ौदा जेल ले जाने के पूर्व मैंने भी साबरमती के दर्शन किए थे। हालांकि बड़ौदा जेल में हम राजनीतिक कैदियों पर कठोरता अधिक थी। मुझ संवाददाता को दैनिक समाचार पत्र नहीं मिलते थे। तन्हा कोठरी में बंद था। एक दिन जेल अधीक्षक मोहम्मद मलिक से मैंने निवेदन किया था। शीघ्र दैनिक पत्र रोज भिजवाना शुरू कर दिया था। बाद में बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यालय में सूचना भिजवा दी थी। फिर एक युवक पहुंचाने लगा था। उस बाइस-वर्षीय स्वयंसेवक का नाम था नरेंद्र दामोदरदास मोदी।
अब कुछ तीसरी माताजी के विषय में। वे हैं पंडिताइन आशा यज्ञदत्त तिवारी, बांदा की। उनके सुपुत्र शूटर लवलेश तिवारी दो साथियों के साथ अभी प्रतापगढ़ जेल में हैं। नैनी मे थे। उस रात उनकी हरकत को टीवी पर देखकर तिवारी-दंपत्ति के घर चूल्हा नहीं जला था। मां कहती है कि पुत्र निर्दोष है। पर कुपुत्र की वारदातों से पिता अवगत था। अतः खामोश है।
तो यह है संपूर्ण गाथा उन कपूतों के अम्मीजानों की, जिन्होंने भारत के अपराध इतिहास में नया अध्याय जुड़वाया। कहते हैं कि हर मां अपनी खुशी अपनी संतानों में देखती है। कितनी प्रमुदित हो रही होंगी ये तीनों अम्मायें !! -के. विक्रम राव
अतीक के रसूख का एक और उदाहरण। भारत सरकार की नियंत्रिका रहीं सोनिया गांधी के देवर रुस्तम गांधी की संपत्ति (इलाहाबाद के सिविल लाइंस में पैलेस कोर्ट के पीछे) एक महंगे भूभाग पर अतीक ने कब्जा कर लिया था। तब सत्तासीन सोनिया गांधी को राज्य पार्टी मुखिया रीता बहुगुणा जोशी की मार्फत राजीव गांधी के चचेरे भाई रुस्तम की जमीन छुड़ानी पड़ी थी।
यहां इतना तो अपेक्षित है योगी सरकार से कि वे प्रधानमंत्री के गृहराज्य गुजरात के भाजपाई मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल से आग्रह कर जांच कराये कि साबरमती जेल में पति से मिलकर शाइस्ता ने किस प्रकार उमेश पाल की हत्या की साजिश रची। मोबाइल फोन जेल में पति को कैसे दिलवा दिया ?
यूं गुजरात की जेलों में मुट्ठी गर्म कर कैदी कुछ भी करा सकता है। मुझे भी साबरमती जेल का तनिक अनुभव है। तब इंदिरा गांधी का आपातकाल था। बड़ौदा जेल ले जाने के पूर्व मैंने भी साबरमती के दर्शन किए थे। हालांकि बड़ौदा जेल में हम राजनीतिक कैदियों पर कठोरता अधिक थी। मुझ संवाददाता को दैनिक समाचार पत्र नहीं मिलते थे। तन्हा कोठरी में बंद था। एक दिन जेल अधीक्षक मोहम्मद मलिक से मैंने निवेदन किया था। शीघ्र दैनिक पत्र रोज भिजवाना शुरू कर दिया था। बाद में बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यालय में सूचना भिजवा दी थी। फिर एक युवक पहुंचाने लगा था। उस बाइस-वर्षीय स्वयंसेवक का नाम था नरेंद्र दामोदरदास मोदी।
अब कुछ तीसरी माताजी के विषय में। वे हैं पंडिताइन आशा यज्ञदत्त तिवारी, बांदा की। उनके सुपुत्र शूटर लवलेश तिवारी दो साथियों के साथ अभी प्रतापगढ़ जेल में हैं। नैनी मे थे। उस रात उनकी हरकत को टीवी पर देखकर तिवारी-दंपत्ति के घर चूल्हा नहीं जला था। मां कहती है कि पुत्र निर्दोष है। पर कुपुत्र की वारदातों से पिता अवगत था। अतः खामोश है।
तो यह है संपूर्ण गाथा उन कपूतों के अम्मीजानों की, जिन्होंने भारत के अपराध इतिहास में नया अध्याय जुड़वाया। कहते हैं कि हर मां अपनी खुशी अपनी संतानों में देखती है। कितनी प्रमुदित हो रही होंगी ये तीनों अम्मायें !! -के. विक्रम राव
----------------------------------------------
हिन्दू बच्चियों को बुर्का पहना 40 डिग्री में खड़ा कर नमाज़ करवाई
जम्मू कश्मीर और गोवा के राज्यपाल रहते हुए सत्यपाल मलिक अपने बड़बोलेपन के लिए मशहूर हो गये थे। उस समय उनके बोलने पर जो लोग मजाक बनाते थे, आज वही उनके कहे को गंभीर मुद्दा मान रहे हैं।
राजनीति में कुछ लोग टूल्स के तौर पर इस्तेमाल होते हैं और कुछ लोग खुद को टूल्स के रूप में पेश कर इस्तेमाल किए जाने की दावत देते हैं। सत्यपाल मलिक दूसरी कैटेगरी में आते हैं। यह अलग बात है कि जो कीमत वे अपने लिए चाहते हैं, वह कोई दल देने को तैयार नहीं है। सपा, रालोद और कांग्रेस के लिए 2024 के आम चुनाव में प्रचार करने की स्वघोषणा के बाद भी कहीं से कोई तव्वजों नहीं मिली तो वे भाजपा और मोदी के खिलाफ मीडिया के टूल्स बनने के लिए तैयार हो गए। उनकी बातों को वही आज सबसे अधिक महत्व दे रहे हैं जो कभी उनके बड़बोलेपन का मजाक उड़ाते थे।
सत्यपाल मलिक जाट नेता रहे हैं, पर अब उनकी जगह वहां बनती नहीं। भाजपा के खिलाफ पश्चिमी उत्तर-प्रदेश में जो भी जाट राजनीति के अगुआ हैं उनको उनकी जरूरत नहीं। क्योंकि रालोद के नेता जयंत चौधरी अब अपनी पगड़ी खुद संभालने में लगे हैं और किसी को भी अपना नेता मानने के लिए तैयार नहीं होंगे। फिर जब यह तथ्य उनके सामने हो, कि यही सत्यपाल मलिक 2004 में उनके पिता चौधरी अजित सिंह के खिलाफ भाजपा की ओर से लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं तो फिर उनको लेकर उनकी राजनीतिक उबासी समझी जा सकती है। इसलिए मलिक छटपटाहट में है। सो उन्होंने जाट लैंड में अपनी जगह बनाने के लिए मोदी विरोध का रास्ता चुना है।
प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ उनके पास कोई तथ्य नहीं, इसलिए वे भी बहुतों की तरह परसेप्शन बिगाड़ने के खेल में लग गए हैं। एक अंग्रेजी वेबसाइट ने संभवतः मलिक को इंटरव्यू के लिए चुना ही इसलिए कि वे कुछ सनसनीखेज बातें करेंगे। जिस पत्रकार ने बात की, उसकी पहचान ही मोदी के खिलाफ एजेंडा चलाने की है। इंटरव्यू दो बातें मुख्य रूप से सत्यपाल मलिक ने कही और अपनी बातों में खुद को ही उलझा लिया। एक तो पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों पर पाकिस्तान द्वारा हमले कराए जाने को भारत सरकार की चूक बताने पर और दूसरे प्रधानमंत्री पर भ्रष्टाचार के मामले में मूक सहमत होने पर। सत्यपाल मलिक ने साक्षात्कार में यह कहा कि सीआरपीएफ को जवान ले जाने के लिए हवाई जहाज न देना हमारी चूक थी। इंटेलिजेंस का विफल होना भी हमारी कमी थी।*
पुलवामा की घटना उनके कश्मीर के राज्यपाल पद पर रहते हुई। राष्ट्रपति शासन के दौरान किसी राज्यपाल के पास वही अधिकार होते हैं जो एक मुख्यमंत्री को होते हैं। जाहिर है जम्मू कश्मीर की पुलिस और लोकल इंटेलिजेंस दोनों उनके हाथ में थी। यदि उनका यह दावा कि 'आरडीएक्स से लदी गाड़ी लेकर आतंकवादी कई दिनों से घूम रहा था' सही है, तो असफलता किसकी थी। स्थानीय पुलिस या स्थानीय खुफिया तंत्र की ओर से चूक हुई तो विफल कौन कहलाएगा? जो उनका नेतृत्व कर रहा होगा। यानी सीधे राज्यपाल सत्यपाल मलिक।
*जिस विश्वास और भरोसे से प्रधानमंत्री ने मलिक को कश्मीर में राज्यपाल बनाकर भेजा उस भरोसे को तोड़ा किसने? सत्यपाल मलिक ने। फिर उसी साक्षात्कार में वह कहते हैं कि बिना पाकिस्तान के शामिल हुए स्थानीय स्तर पर उतना विस्फोटक जमा ही नहीं हो सकता, जितना कि सीआरपीएफ काफिले को उड़ाने में किया गया। फिर इसकी जिम्मेदारी सत्यपाल मलिक को ही लेनी चाहिए कि उनके राज्यपाल रहते, शासन प्रशासन के सभी अधिकार संपन्न होने के बावजूद पाकिस्तान से विस्फोटक यहां पहुंच गया।*
*यह मानते हुए कि आरडीएक्स, पाकिस्तान ने भेजा, यह जानते हुए कि जिस आतंकवादी ने विस्फोट किया उसका सीधा संपर्क पाकिस्तान से था, फिर जहाज देने या ना देने के फैसले पर कयासबाजी लगाकर सत्यपाल मलिक ने केंद्र को कठघरे में क्यों खड़ा किया? उनकी हालिया सोच और उनके खुद के गणित मे शायद यह ठीक बैठता है। उन्होंने यह तय कर लिया है कि अब वह कांग्रेस और सपा के बीच कोई राजनीतिक जमीन तलाश करेंगे और यह तभी संभव है कि इन दोनों पार्टियों के एजेंडे के साथ चल लें। कांग्रेस के राजनीतिक एजेंडे में मोदी की हर उपलब्धि को विवादास्पद बना देना पहले से शामिल है। पुलवामा पर राहुल गांधी से लेकर दिग्विजय सिंह तक वीर जवानों की शहादत पर सवाल खड़े करते रहे हैं। ऐसे में भाजपा और खासकर मोदी को घेरने के लिए एक मोहरा बनने को सत्यपाल मलिक तैयार बैठे हैं।*
*सत्यपाल मलिक खुद दावा करते हैं कि जब उन्होंने कथित भ्रष्टाचार की जानकारी प्रधानमंत्री को दी तो उन्होंने उनका साथ दिया और उनके फैसले में कोई दखलंदाजी नहीं की। यह प्रधानमंत्री मोदी के भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टोलरेंस की हामी थी। फिर भी सत्यपाल मलिक ने यह जुमला जोड़ दिया कि उनके अनुसार मोदी जी को भ्रष्टाचार से परहेज नहीं है। उनका यह कथ्य भी उसी इको सिस्टम का सहयोग है, जो पिछले कई सालों से मोदी पर तरह तरह के आरोप लगाता रहा है और अदालती परीक्षणों व जन विश्वासों में लगातार विफल भी होता रहा है। सत्यपाल मलिक के बयानों और दावों को कांग्रेस ने भी एक तड़के के रूप में लिया है और एक दिन की सामग्री मानकर उसे मीडिया के सामने परोस दिया है।*
*सत्यपाल मलिक भारतीय राजनीतिक ग्लोब की पूरी परिक्रमा कर चुके हैं। 1974 में चौधरी चरण सिंह की पार्टी भारतीय क्रांति दल से विधायक और फिर 1980 में उसी पार्टी से राज्यसभा पहुंचने के बाद 1984 में कांग्रेस की ओर सरक लिए। राजीव गांधी की तरफदारी में उन्हें 1986 में कांग्रस की ओर से राज्यसभा की सीट मिल गई। फिर जब देखा कि कांग्रेस बोफोर्स कांड में फंस रही है तो फौरन पाला बदल लिया। वीपी सिंह के साथ जनता दल में चले गए और अलीगढ़ लोकसभा का चुनाव जीतकर मंत्री भी बन गए। फिर 2004 के चुनाव से पहले वह भाजपा में शामिल हुए और बागपत से चौधरी अजित सिंह के खिलाफ लोकसभा का चुनाव लड़ लिए। हारने के बाद भी भाजपा ने उनका सम्मान किया। बिहार, जम्मू-कश्मीर और मेघालय का राज्यपाल बनाया। मलिक अब फिर से हवा का रूख भांपने में लगे हैं और अपने लिए माहौल बनाने की कवायद कर रहे हैं।*
*सियासतदान अपनी जानिब नादान नहीं होते। पर बिना सोचे समझे किए जाने वाले कृत्य कई बार देश के लिए महंगे साबित होते हैं। अपनी राजनीतिक महात्वाकांक्षा के लिए देश को दांव पर लगाने वाले किसके हितैषी हो सकते हेैं। यह सत्यपाल मलिक को भी सोचना चाहिए। जिस पुलवामा हमले पर पाकिस्तान पूरी दुनिया की नजर में आतंकवाद परस्त देश के रूप में पहचाना गया, जिसके लिए अमेरिका समेत तमाम बड़े देशों ने आगे आकर भारत की संप्रभुता और सुरक्षा के लिए भारतीय सेना द्वारा की गई कार्रवाई का समर्थन किया। उसी पाकिस्तान ने सत्यपाल मलिक का बयान उद्धृत कर भारत को प्रोपेंगेडा चलाने वाले देश के रूप में पेश करने की चेष्टा की है। खुद को प्रधानमंत्री से भी ज्यादा जानकार, उनसे ज्यादा कर्मठ और ईमानदार होने का सत्यपाल मलिक का स्वांग बड़ी नादानी ही सिद्ध होगा। #साभार- बिक्रम उपाध्याय
----------------------------------------------
छात्रों को 40 डिग्री तापमान में खड़ा कर के स्कूल में नमाज़ अदा करवाई गई और फ़ातिहा पढ़वाई गयी।
हिन्दू बच्चियों को बुर्का पहनाया गया, सभी से "अल्लाहु अकबर" के नारे लगवाए गए।
हाथरस के BLS स्कूल का मामला है ये। BLS स्कूल की मान्यता रद्द हो और प्रिंसिपल पर FIR हो
-
सबूत के साथ देखिए आतंकवाद का धर्म या मज़हब
अतीक अहमद से मिलीभगत के आरोप में 8 पुलिसवालों पर कार्यवाही हुई है,
अतीक अहमद से मिलीभगत के आरोप में 8 पुलिसवालों पर कार्यवाही हुई है,
जिनपर आरोप है कि ये लोग उमेश पाल हत्याकांड से जुड़ी पुलिस की जाँच और
कार्यवाही की पूर्व सूचना अतीक और उसके गैंग तक पहुँचाते थे-
इन आरोपियों के नाम हैं-
इंस्पेक्टर वजीरूल्ला,
दरोग़ा शमी आलम,
दरोग़ा उबेदुल्ला अंसारी,
दरोग़ा इब्ररार अहमद,
सिपाही फारूक अहमद ,
सिपाही बाबर अली,
सिपाही मुहम्मद महफ़ूज़ आलम और
सिपाही अयाज़ ख़ान !
इन आरोपियों के नाम हैं-
इंस्पेक्टर वजीरूल्ला,
दरोग़ा शमी आलम,
दरोग़ा उबेदुल्ला अंसारी,
दरोग़ा इब्ररार अहमद,
सिपाही फारूक अहमद ,
सिपाही बाबर अली,
सिपाही मुहम्मद महफ़ूज़ आलम और
सिपाही अयाज़ ख़ान !
----------------------------------------------
Disclaimer : अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अंतर्गत हमारा संविधान हमे अपनी बात या पक्ष कहने की अनुमति देता है। इस कॉलम "आज के चुनिंदा पोस्ट्स, ट्वीट्स, कमेंट्स..." में कमेंट व पोस्ट SOCIAL MEDIA से ली गई है, यह जरूरी नहीं की सभी पोस्ट या पोस्ट की जानकारी अक्षरशः सत्य हों, हम यथासंभव हर पोस्ट की सत्यता परख कर इस कॉलम में लेते हैं, फिर भी हम सभी पोस्ट एवं उनकी सभी तथ्यों से पूर्ण सहमत नहीं हैं -सम्पादक
------------------------------------------------
--
बड़बोले सत्यपाल मलिक की (अ)सत्य वाणी...जम्मू कश्मीर और गोवा के राज्यपाल रहते हुए सत्यपाल मलिक अपने बड़बोलेपन के लिए मशहूर हो गये थे। उस समय उनके बोलने पर जो लोग मजाक बनाते थे, आज वही उनके कहे को गंभीर मुद्दा मान रहे हैं।
राजनीति में कुछ लोग टूल्स के तौर पर इस्तेमाल होते हैं और कुछ लोग खुद को टूल्स के रूप में पेश कर इस्तेमाल किए जाने की दावत देते हैं। सत्यपाल मलिक दूसरी कैटेगरी में आते हैं। यह अलग बात है कि जो कीमत वे अपने लिए चाहते हैं, वह कोई दल देने को तैयार नहीं है। सपा, रालोद और कांग्रेस के लिए 2024 के आम चुनाव में प्रचार करने की स्वघोषणा के बाद भी कहीं से कोई तव्वजों नहीं मिली तो वे भाजपा और मोदी के खिलाफ मीडिया के टूल्स बनने के लिए तैयार हो गए। उनकी बातों को वही आज सबसे अधिक महत्व दे रहे हैं जो कभी उनके बड़बोलेपन का मजाक उड़ाते थे।
सत्यपाल मलिक जाट नेता रहे हैं, पर अब उनकी जगह वहां बनती नहीं। भाजपा के खिलाफ पश्चिमी उत्तर-प्रदेश में जो भी जाट राजनीति के अगुआ हैं उनको उनकी जरूरत नहीं। क्योंकि रालोद के नेता जयंत चौधरी अब अपनी पगड़ी खुद संभालने में लगे हैं और किसी को भी अपना नेता मानने के लिए तैयार नहीं होंगे। फिर जब यह तथ्य उनके सामने हो, कि यही सत्यपाल मलिक 2004 में उनके पिता चौधरी अजित सिंह के खिलाफ भाजपा की ओर से लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं तो फिर उनको लेकर उनकी राजनीतिक उबासी समझी जा सकती है। इसलिए मलिक छटपटाहट में है। सो उन्होंने जाट लैंड में अपनी जगह बनाने के लिए मोदी विरोध का रास्ता चुना है।
प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ उनके पास कोई तथ्य नहीं, इसलिए वे भी बहुतों की तरह परसेप्शन बिगाड़ने के खेल में लग गए हैं। एक अंग्रेजी वेबसाइट ने संभवतः मलिक को इंटरव्यू के लिए चुना ही इसलिए कि वे कुछ सनसनीखेज बातें करेंगे। जिस पत्रकार ने बात की, उसकी पहचान ही मोदी के खिलाफ एजेंडा चलाने की है। इंटरव्यू दो बातें मुख्य रूप से सत्यपाल मलिक ने कही और अपनी बातों में खुद को ही उलझा लिया। एक तो पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों पर पाकिस्तान द्वारा हमले कराए जाने को भारत सरकार की चूक बताने पर और दूसरे प्रधानमंत्री पर भ्रष्टाचार के मामले में मूक सहमत होने पर। सत्यपाल मलिक ने साक्षात्कार में यह कहा कि सीआरपीएफ को जवान ले जाने के लिए हवाई जहाज न देना हमारी चूक थी। इंटेलिजेंस का विफल होना भी हमारी कमी थी।*
पुलवामा की घटना उनके कश्मीर के राज्यपाल पद पर रहते हुई। राष्ट्रपति शासन के दौरान किसी राज्यपाल के पास वही अधिकार होते हैं जो एक मुख्यमंत्री को होते हैं। जाहिर है जम्मू कश्मीर की पुलिस और लोकल इंटेलिजेंस दोनों उनके हाथ में थी। यदि उनका यह दावा कि 'आरडीएक्स से लदी गाड़ी लेकर आतंकवादी कई दिनों से घूम रहा था' सही है, तो असफलता किसकी थी। स्थानीय पुलिस या स्थानीय खुफिया तंत्र की ओर से चूक हुई तो विफल कौन कहलाएगा? जो उनका नेतृत्व कर रहा होगा। यानी सीधे राज्यपाल सत्यपाल मलिक।
*जिस विश्वास और भरोसे से प्रधानमंत्री ने मलिक को कश्मीर में राज्यपाल बनाकर भेजा उस भरोसे को तोड़ा किसने? सत्यपाल मलिक ने। फिर उसी साक्षात्कार में वह कहते हैं कि बिना पाकिस्तान के शामिल हुए स्थानीय स्तर पर उतना विस्फोटक जमा ही नहीं हो सकता, जितना कि सीआरपीएफ काफिले को उड़ाने में किया गया। फिर इसकी जिम्मेदारी सत्यपाल मलिक को ही लेनी चाहिए कि उनके राज्यपाल रहते, शासन प्रशासन के सभी अधिकार संपन्न होने के बावजूद पाकिस्तान से विस्फोटक यहां पहुंच गया।*
*यह मानते हुए कि आरडीएक्स, पाकिस्तान ने भेजा, यह जानते हुए कि जिस आतंकवादी ने विस्फोट किया उसका सीधा संपर्क पाकिस्तान से था, फिर जहाज देने या ना देने के फैसले पर कयासबाजी लगाकर सत्यपाल मलिक ने केंद्र को कठघरे में क्यों खड़ा किया? उनकी हालिया सोच और उनके खुद के गणित मे शायद यह ठीक बैठता है। उन्होंने यह तय कर लिया है कि अब वह कांग्रेस और सपा के बीच कोई राजनीतिक जमीन तलाश करेंगे और यह तभी संभव है कि इन दोनों पार्टियों के एजेंडे के साथ चल लें। कांग्रेस के राजनीतिक एजेंडे में मोदी की हर उपलब्धि को विवादास्पद बना देना पहले से शामिल है। पुलवामा पर राहुल गांधी से लेकर दिग्विजय सिंह तक वीर जवानों की शहादत पर सवाल खड़े करते रहे हैं। ऐसे में भाजपा और खासकर मोदी को घेरने के लिए एक मोहरा बनने को सत्यपाल मलिक तैयार बैठे हैं।*
*सत्यपाल मलिक खुद दावा करते हैं कि जब उन्होंने कथित भ्रष्टाचार की जानकारी प्रधानमंत्री को दी तो उन्होंने उनका साथ दिया और उनके फैसले में कोई दखलंदाजी नहीं की। यह प्रधानमंत्री मोदी के भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टोलरेंस की हामी थी। फिर भी सत्यपाल मलिक ने यह जुमला जोड़ दिया कि उनके अनुसार मोदी जी को भ्रष्टाचार से परहेज नहीं है। उनका यह कथ्य भी उसी इको सिस्टम का सहयोग है, जो पिछले कई सालों से मोदी पर तरह तरह के आरोप लगाता रहा है और अदालती परीक्षणों व जन विश्वासों में लगातार विफल भी होता रहा है। सत्यपाल मलिक के बयानों और दावों को कांग्रेस ने भी एक तड़के के रूप में लिया है और एक दिन की सामग्री मानकर उसे मीडिया के सामने परोस दिया है।*
*सत्यपाल मलिक भारतीय राजनीतिक ग्लोब की पूरी परिक्रमा कर चुके हैं। 1974 में चौधरी चरण सिंह की पार्टी भारतीय क्रांति दल से विधायक और फिर 1980 में उसी पार्टी से राज्यसभा पहुंचने के बाद 1984 में कांग्रेस की ओर सरक लिए। राजीव गांधी की तरफदारी में उन्हें 1986 में कांग्रस की ओर से राज्यसभा की सीट मिल गई। फिर जब देखा कि कांग्रेस बोफोर्स कांड में फंस रही है तो फौरन पाला बदल लिया। वीपी सिंह के साथ जनता दल में चले गए और अलीगढ़ लोकसभा का चुनाव जीतकर मंत्री भी बन गए। फिर 2004 के चुनाव से पहले वह भाजपा में शामिल हुए और बागपत से चौधरी अजित सिंह के खिलाफ लोकसभा का चुनाव लड़ लिए। हारने के बाद भी भाजपा ने उनका सम्मान किया। बिहार, जम्मू-कश्मीर और मेघालय का राज्यपाल बनाया। मलिक अब फिर से हवा का रूख भांपने में लगे हैं और अपने लिए माहौल बनाने की कवायद कर रहे हैं।*
*सियासतदान अपनी जानिब नादान नहीं होते। पर बिना सोचे समझे किए जाने वाले कृत्य कई बार देश के लिए महंगे साबित होते हैं। अपनी राजनीतिक महात्वाकांक्षा के लिए देश को दांव पर लगाने वाले किसके हितैषी हो सकते हेैं। यह सत्यपाल मलिक को भी सोचना चाहिए। जिस पुलवामा हमले पर पाकिस्तान पूरी दुनिया की नजर में आतंकवाद परस्त देश के रूप में पहचाना गया, जिसके लिए अमेरिका समेत तमाम बड़े देशों ने आगे आकर भारत की संप्रभुता और सुरक्षा के लिए भारतीय सेना द्वारा की गई कार्रवाई का समर्थन किया। उसी पाकिस्तान ने सत्यपाल मलिक का बयान उद्धृत कर भारत को प्रोपेंगेडा चलाने वाले देश के रूप में पेश करने की चेष्टा की है। खुद को प्रधानमंत्री से भी ज्यादा जानकार, उनसे ज्यादा कर्मठ और ईमानदार होने का सत्यपाल मलिक का स्वांग बड़ी नादानी ही सिद्ध होगा। #साभार- बिक्रम उपाध्याय
----------------------------------------------
भारतीय सेना की वो खूंखार फोर्स, जिसके 30 कमांडो पर हत्या का केस चलाने की
रक्षा मंत्रालय ने नहीं दी स्वीकृति...
भारतीय सेना की सबसे खूंखार फोर्स "इलीट इंडियन आर्मी स्पेशल फोर्सेज" काफी चर्चा में हैं। दरअसल इस खूंखार फोर्स के 30 कमांडोज पर नागालैंड के 13 नागरिकों की हत्या का आरोप है। लेकिन रक्षा मंत्रालय की सैन्य मामलों के विभाग ने कमांड़ो पर मुकदमा चलाने की मंजूरी देने से इनकार कर दिया है, क्योंकि यह घटना जिस वक्त की थी उस वक्त कमांडों एक आतंकवाद विरोधी अभियान में जुटे हुए थे। इलीट इंडियन आर्मी स्पेशल फोर्सेज के पास क्या अधिकार हैं? यह किसके आदेश पर काम करती हैं? इनकी तैनाती कहां पर होती है? आइए आपने मन में उठ रहे सभी सवालों के जवाब देते हैं।
कहां होती है ट्रेनिंग ?
इलीट इंडियन आर्मी स्पेशल फोर्सेज के जवानों की ट्रेनिंग हिमाचल प्रदेश स्थित स्पेशल फोर्स ट्रेनिंग स्कूल में होती है। 21 स्पेशल फोर्स की बटालियन को लड़ने की नई तकनीक सिखाई जाती है, क्योंकि इन्हें किसी भी वक्त किसी भी बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है। सेना के विशेष दस्तों में शामिल होने वाले जवानों को मिजोरम में स्थित वॉरफेयर स्कूल में भी ट्रेनिंग लेनी होती है। सेना के हर विशेष दस्ते की तरह ये दस्ता भी विमान से कूद सकता है।
जमीन से आसमान तक लड़ते हैं
इलीट इंडियन आर्मी स्पेशल फोर्सेज के जवानों को जमीन से लेकर आसमान तक लड़ने का हुनर सिखाया जाता है। वैसे तो ये अपनी जंग आसमान से जमीन तक लड़ते हैं लेकिन इन्हें जमीन पर कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। '21 पैरा स्पेशल फोर्स' भारतीय सेना के इलीट स्पेशल फोर्स का हिस्सा होती है। इस यूनिट की शुरुआत मराठा लाइट इन्फेंट्री से हुई थी। 1995 में ये फोर्स पैराशूट बटालियन में तब्दील हो गई।
घने जंगलों में भी दुश्मनों को धूल चटाते हैं
स्पेशल फोर्स की यूनिट घने जंगलों में होने वाले वारफेयर से निपटने में सक्षम होती हैं। इस फोर्स के जवानों को सामान्यतः: देश की पूर्वोत्तर सीमा में तैनात किया जाता है, क्योंकि यहां ज्यादा विद्रोह की संभावना होती है। स्पेशल फोर्स के जवान नागालैंड और मिजोरम के घने जंगलों में कई दिनों तक बिना खाए पीए भी दुश्मनों से मुकाबला कर सकते हैं। इस फोर्स के जवान आसानी से पेड़ों पर चढ़ जाते हैं और जंगल की हर परिस्थितियों के अनुकूल खुद को ढालने की प्रतिभा रखते हैं। इस फोर्स के जवान मार्शल आर्ट का हुनर भी रखते हैं, बिना हथियार के भी ये दुश्मनों को ढेर कर सकते हैं।
चर्चा में क्यों है स्पेशल फोर्स ?
सेना की आतंकवाद रोधी इकाई की '21 पैरा स्पेशल फोर्सेज' के जवानों पर 4 दिसंबर, 2021 को 13 आम नागरिकों पर गोली चलाने का आरोप लगा था। नागालैंड पुलिस ने मोन जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में कहा है कि रक्षा मंत्रालय के सैन्य मामलों के विभाग ने ओटिंग में एक असफल आतंकवाद रोधी अभियान में 13 नागरिकों की हत्या के आरोपी भारतीय सेना के 30 कमांडो के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी देने से इनकार कर दिया है। सर्वोच्च न्यायालय ने आरोपी कर्मियों की पत्नियों की अपील के बाद 19 जुलाई, 2022 को राज्य पुलिस की ओर से इलीट इंडियन आर्मी स्पेशल फोर्स के कमांडो के खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगा दी थी।
रक्षा मंत्रालय ने नहीं दी स्वीकृति
नागालैंड पुलिस के बयान में कहा गया है कि आईपीसी की धारा-197 (2) और आर्म्ड फोर्सेज (स्पेशल पावर्स) एक्ट की धारा-6 के तहत जवानों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए रक्षा मंत्रालय की स्वीकृति आवश्यक जरूरी है। इसके बाद ही सैन्य अधिकारी और जवानों के खिलाफ उनके ओर से की गई कार्रवाई के लिए मुकदमा चलाया जा सकता है। लेकिन रक्षा मंत्रालय ने मंजूरी देने से इनकार कर दिया। #Social_Media
----------------------------------------------
क्या आपके समूह में भी कोई वामपंथी एजेंडे को चलाने वाले कट्टर झटर हिन्दू मौजूद है ?
सन्त समाज के नाम पर कुछ हिन्दू विरोधी खुद को कट्टर झटर हिन्दू बता कांग्रेस और वामपंथी एजेंडे पर काम कर रहे है। यह लोग सन्त हितेषी, ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, दलित हितेषी बन मुस्लिम विरोधी होने का नाटक करते हुए हिन्दुओ के सर्वनाश का रास्ता तलाश रहे हैं।
यह हिन्दुओ में दीमक की तरह घुस कर ऐसे पोस्ट शेयर करते है कि लोगों के दिल मे इनके लिए सॉफ्ट कार्नर बने लेकिन मोदी के लिए नफरत।
उस नफरत का अंजाम यह होगा अगले चुनाव में बीजेपी को सभी हिन्दुओ के वोट नही मिलेंगे।*
अगर यह 1% वोट भी हिन्दुओ का ब्रेन वाश कर काटने में सफल रहे तो कांग्रेस या सेक्युलर दलों का सत्ता में आना तय है। बिहार, झारखण्ड इसका उदाहरण है।
*यह लोग बीजेपी मोदी को मुस्लिम तुष्टिकरण करता दिखाने में इतने अंधे हो चुके है कि पूरे विश्व मे जो हिंदुत्व की पताका आज लहरा रही है। सारी दुनिया मे हिंदुत्व एक ब्रांड और सनातन धर्म एक विश्व शक्ति की पहचान बन रहा वो नही दिख रही।*
*ऐसे फर्जी कट्टर झटर हिन्दुओ से सावधान रहें। यह लोग सिर्फ वोट काटने के लिए हिन्दू ग्रुपों में मौजूद है। यह कभी सन्त समाज के ठेकेदार बनते, कभी हिन्दू समाज के। पर इनको राजनीति, राष्ट्रनीति, विश्व व्यवस्था का अ भी पता नही होता है। इन्हें शक्ति कैसे बढ़ाते है और सही समय कैसे लाना है यह भी नही पता हैं। यह लोग विकल्प की बात तो करते है पर विकल्प के आने से पहले ही ऐसी शक्ति जो हिन्दू विरोधी है उनको सता में लाने के प्रयास में लगे रहते हैं।*
*ऐसे कट्टर झटर फर्जी हिन्दुओ को समय रहते पहचानना शुरू कर दें। क्योंकि यह वामपंथी वैश्विक एजेंडे को सफल बनाने में लगे है। वो है मोदी जी के खिलाफ नफरत फैलाना, उन्हें कमजोर दिखाना, उन्हें एन्टी हिन्दू, एन्टी नेशनलिस्ट, एन्टी मुस्लिम, एन्टी ब्राह्मण, एन्टी क्षत्रिय, एन्टी वैश्य, एन्टी दलित और एन्टी सन्त दिखाना है।*
यह लोग BBC के एजेंडे को अपनी अज्ञानता या फिर ज्ञान के साथ जानबूझकर आगे बढ़ाने में लगे है।
समय रहते इनसे दूरी भी बनाए और यदि आपके समूहों में यह है तो उन्हें सुधारने की चेतावनी भी दे दें।
नहीं तो सनातन हित और राष्ट्रहित में मन की शांति और अपने भरोसे को बचाने के लिए उन्हें न केवल बाहर निकाले बल्कि इनका तीव्र विरोध भी अवश्य करें।
यह वोट कटुए सिर्फ नफरत फैला रहे हैं। वोट कटेगा तो आखिर जीतेगा कौन ?
तो यह किस षड्यन्त्र को कट्टर झटर हिन्दू बन कर सफल बना रहे है।
आप सब झारखंड, बिहार, बंगाल, राजस्थान, मोदी तुझसे बैर नहीं, वसुंधरा तेरी खैर नहीं जैसे उदाहरणों से अपने आस पास देखिये और समझिये। इन हिन्दू विरोधी और वोट कटियो से सावधान रहिए। #साभार- कान्हा जी कड़वी कलम वाले।
-----------------------------------------------
इसे भी पढ़ें / देखें-
संतान बाधा के कारण व करें उपाय…
☟
http://www.dharmnagari.com/2023/03/Santan-Badha-aur-Upay-Reasons-and-remedies-for-Child-obstruction.html
#Social_Media : हिन्दू को बाटने, हिंदुत्व पर चोट पहुंचाने का कुप्रयास जारी है...
☟
http://www.dharmnagari.com/2021/12/Aaj-ke-selected-Posts-Tweets-Comments-Saturday-18-December.html
आओ, मुसलमानों से सीख लें ! "दिल्ली दंगों पर 25 बिंदुओं का गंभीर चिंतन" दिल्ली के मुसलमानों द्वारा☟http://www.dharmnagari.com/2021/01/Aaj-ke-selected-Posts-Tweets-Comments-Saturday-16-Jan-2021.html
बांग्लादेशी लूटते ही नहीं, रेप और मर्डर भी करते हैं
☟
http://www.dharmnagari.com/2021/10/Aaj-ke-selected-Posts-Tweets-Comments-Monday-20211018.html
जब अपने पति और बेटे का शव घर में, घर के फर्नीचर से जलाना पड़ा
☟
http://www.dharmnagari.com/ 2020/11/1984-me-Jab-Apane- Husband-Bete-ki-Body-ko-Ghar- me-Ghar-ke-Furniture-se- Jalaya.html
☟
http://www.dharmnagari.com/
क्या आपको श्रद्धा हत्याकांड की यह बात पता है ? श्रद्धा : बॉलीवुड का दिया सेक्युलरिज्म का कोढ़...
☟
http://www.dharmnagari.com/2022/11/Aaj-ke-selected-Posts-Tweets-Comments-Wednesday-16-Nov-2022.html
हिंदू का धर्मांतरण = राष्ट्रांतरण कैसे ?
☟
http://www.dharmnagari.com/2021/07/Aaj-ke-selected-Posts-Tweets-Comments-Saturay-2021703.html
श्रीमद गीता की विशेषता क्या है ? मैदाने-जंग से अमन की फसल पैदा करती है "गीता" -अनवर जलालपुरी
☟
http://www.dharmnagari.com/2021/07/Aaj-ke-selected-Posts-Tweets-Comments-Friday-2021702.html
----------------------------------------------
-----------------------------------------------
एक निठल्ला चिंतन्...
जनता अगर बुलडोजर चलने पर, एनकाउंटर होने पर खुश हो रही है तो इसका एक ही मतलब है की जनता को देश की न्याय व्यवस्था पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं है |
देश की न्याय व्यवस्था पर भरोसा सिर्फ नेता और पैसे वाले करते है , क्योंकि ये ही न्याय को खरीद पाते है
कोई भी आम नागरिक देश के सिस्टम, न्याय, संविधान पर भरोसा नहीं करता ये ही सच है
संजय दत्त को इतने बड़े अपराध की इतनी छोटी सजा मिली और वो भी पूरी पेरोल मे कट गई
लालू यादव मेडिकल ग्राउन्ड के नाम पर जेल से बाहर रहते है ,
सलमान खान की गाड़ी कोई नहीं चला रहा था वो अपने आप ही चाल रही थी
हिरण ने भी खुद आत्महत्या कर ली थी
राणा अयूब को कोर्ट ये कहकर छोड़ देता है, कि 12 करोड़ की रकम छोटी होती है इसके लिए महिला को जेल मे नहीं रख सकते
वही कोर्ट 50 रु की बात पर पोस्टमेंन को 10 साल जेल कटवा देता है
रवि तिवारी ने 25 साल जेल काटी उस अपराध के लिए जिसमे अधिकतम सजा 1 साल होती है
अट्रासिटी ऐक्ट, दहेज प्रताड़ना के 95% केस फर्जी होते है पर फिर भी एसे कानून है |
बेअंत सिंह के हत्यारों को फांसी नहीं दी 25 साल हो गए, क्योंकि वोट बैंक का मामला है
तमिलनाडु में राजीव गांधी की हत्या करने वालों को नहीं दी, वोट बैंक का मामला है
लाखों लोग जेलों में बंद है, अपनी सजा से 20 गुना ज्यादा तक सजा जेल मे काट चुके है, क्योंकि मिलॉर्ड से सुनवाई की तारीख नहीं मिल रही, क्योंकि जमानत के लिए पैसे नहीं है।
पार्टियों की कोर्ट में याचिका लगती है तो 1 दिन मे डेट मिल जाती है, आम आदमी को सालों में भी नहीं
आज बाहर कोई छेड़छाड़ कर रहा हो, गुंडाई कर रहा हो, दुर्घटना ग्रस्त हो
तो आम आदमी चाह कर भी मदद के लिए आगे नहीं आता, क्योंकि बाद मे कोर्ट मे उसका खून पी लिया जाएगा, जैसे आप ही अपराधी हो
आप पुलिस के पास जाएंगे, वहां प्रायः लूटा जाएगा, कोर्ट में जाएंगे वहां और लूटा जाएगा
संविधान संविधान कितना भी गा लो, सब कुछ प्रत्यक्ष है
संविधान बनाने वाले सब वकील थे , इसलिए न्याय का सिस्टम वकीलों की कमाई के लिए बना है न्याय देने के लिए नहीं
जुडिसियर एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के जैसे काम करती है
हम जानते है, हर गुंडा जेल से बहार आ जाता है, इसलिए हम खुश होते है एनकाउंटर होने पर
....और ये खुश होने से ज्यादा, देश के लोकतंत्र और संविधान पर शर्मिंदा होने की बात ज्यादा है...
-----------------------------------------------
अब "धर्म नगरी" की सदस्यता राशि, अपना शुभकामना संदेश या विज्ञापन प्रकाशित करवाकर अपनों को (अपने नाम से) प्रति भेजने के लिए Dharm Nagari के QR कोड को स्कैन कर सहयोग राशि भेजें और स्क्रीन शॉट हमे भेजें वाट्सएप-8109107075-
राष्ट्रहित व सनातन हित में "धर्म नगरी" / DN News के प्रसार, डिजिटल चैनल का प्रसार करना है। साथ ही एक तथ्यात्मक, सूचनात्मक, स्तरीय व रोचक (factual & informative & interesting), राष्ट्रवादी समसामयिक मैगजीन (उपलब्ध मैग्जीनों से सर्वथा भिन्न) भी निकालने जा रहे हैं। हमारे पास सीमित संसाधन हैं और धर्म से जुड़े प्रकाशन / चैनल / गतिविधि हेतु हमें पूंजी या निवेश की नितांत आवश्यकता है। इस हेतु सहयोग "संरक्षक" या इंवेस्टर या धर्मनिष्ठ उदार संत-धर्माचार्य चाहिए, क्योंकि हमारा प्रकाशन एवं सभी गतिविधियाँ अव्यावसायिक (non-commercial) हैं। यदि आप चाहें, तो निर्धारित अवधि हेतु ब्याज मुक्त निवेश कर सकते हैं, जानकारी हेतु संपर्क करें -प्रबंध संपादक 9752404020, 6261868110
----------------------------------------------
"धर्म नगरी" की सदस्यता, शुभकामना-विज्ञापन या दान देने अथवा अपने नाम (की सील के साथ) से लेख / कॉलम / इंटरव्यू सहित "धर्म नगरी" की प्रतियां अपनों को देशभर में भिजवाने हेतु है। ध्यान रखें, आपके सहयोग से हम आपके ही नाम से "धर्म नगरी" की प्रति आप जहाँ चाहते हैं, भिजवाते / बटवाते हैं। सहयोग हेतु हम किसी झूठ या फर्जी बातों का सहारा नहीं लेते, क्योंकि "धर्म नगरी" अव्यावसायिक रूप से जनवरी 2012 से प्रकाशित कर रहें है। हमें TV पर दिखने वाले अनेक संपन्न एवं भौतिकवादी संत-धर्माचार्य-कथावाचकों ने सहयोग का आश्वासन दिया, जिसे पूरा नहीं किया, जिसका हमें दुःख भी है। -प्रसार प्रबंधक |
----------------------------------------------
कथा हेतु- व्यासपीठ की गरिमा एवं मर्यादा के अनुसार श्रीराम कथा, वाल्मीकि रामायण, श्रीमद भागवत कथा, शिव महापुराण या अन्य पौराणिक कथा करवाने हेतु संपर्क करें। कथा आप अपने बजट या आर्थिक क्षमता के अनुसार शहरी या ग्रामीण क्षेत्र में अथवा विदेश में करवाएं, हमारा कथा के आयोजन की योजना, मीडिया-प्रचार आदि में सहयोग रहेगा। -प्रसार प्रबंधक "धर्म नगरी / DN News" मो.9752404020, 8109107075-वाट्सएप ट्वीटर / Koo / इंस्टाग्राम- @DharmNagari ईमेल- dharm.nagari@gmail.com यूट्यूब- #DharmNagari_News
Post a Comment