धर्म को बचाते पाकिस्तान में सताये, भारत में भी प्रताड़ित ये पाकिस्तानी हिन्दू...
आत्मापराध वृक्षस्य फलान्येतानि देहिनाम्।
दारिद्र रोग दुःखानि बन्धन व्यसनानि च।
अर्थात, निर्धनता, रोग, दुःख, बन्धन और बुरी आदतें सब कुछ मनुष्य के कर्मो के ही फल होते हैं। जो जैसा बोता है, उसे वैसा ही फल भी मिलता है, इसलिए सदा अच्छे कर्म करने चाहिए।
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धर्म नगरी / DN News
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18 फीट ऊँचे अद्धभुत अंजनेयार स्वामी, नमक्कल अंजनेयार मंदिर, नमक्कल शहर (तमिलनाडु) में स्थित भगवान हनुमान को समर्पित है। आइए मंगल दिवस शुभारंभ करें प्रभु श्री राम भक्त हनुमान जी की दिव्य अलौकिक आरती से!
अंजनेयार स्वामी ( रामभक्त हनुमानजी)-
देखें-
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श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण कार्य प्रगति दर्शाते कुछ चित्र (1 मई 2023)
Some pictures showing progress of Shri Ram Janmabhoomi Mandir construction.
चित्र को निकट से देखने ज़ूम करें-
...और 22 अप्रैल 2023 को-
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण कार्य-देखें-
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🙏 सुविचार 🙏
कर्म करो तो, फल मिलेगा
आज नहीं तो, कल मिलेगा
कर्म ही पूजा, कर्म ही अपना
कर्म के जैसा, कोई न दूजा
कर्म बिना सब, सूना -सूना
बिना कर्म के, कैसा जीना
श्रेष्ठ तभी, बन पाओगे तुम
जब अच्छे कर्म, कर पाओगे तुम
दिल सच्चा, कर्म अच्छा ,
बाकी सब, प्रभु इच्छा...
रंगोली से थाली पर हनुमानजी...
देखें-
रामचंद्र भील ने जीवन भर की कमाई लगाकर जोधपुर के चोखा गाँव में एक घर बनाया। लेकिन अब वे बेघर हैं। चारपाई की छत के नीचे उनका परिवार रहता है। पीने का पानी नहीं है, क्योंकि प्रशासन ने पानी की टंकी भी तोड़ दी।
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भाव से मिलते हैं गोपाल
एक ब्राह्मण था जो भगवान को भोग लगाये बिना खुद कभी भी भोजन नहीं करता था।
हर दिन पहले गोपाल जी के लिए खुद प्रसाद बनाता था और भोग लगा कर फिर स्वयं व उसकी पत्नी व एक छोटा बेटा था यह तीनों ही गोपाल जी का प्रसाद पाते थे।
बेटा पिता जी को हर रोज ठाकुर जी की सेवा और उनको भोग आदि लगाने की पूरी क्रिया को बड़े ही मनोयोग से देखता था।
देखता था कि पिताजी किस प्रकार भोग गोपाल जी को निवेदन करते हैं– लाला प्रसाद पाओ और पर्दा लगा कर बाहर आ जाते हैं।
एक दिन ब्राह्मण को किसी काम से शहर की तरफ पत्नी के साथ जाना था सो उसने अपने बेटे से कहा–'आज तुम ठाकुर जी का ख्याल रखना और जैसे भी हो ठाकुर जी को कुछ बना कर खिला देना।'
बेटा बोला–'ठीक है पिता जी मैं जैसा आप कह रहे हैं वेसा ही करूंगा।' माता पिता शहर की तरफ चले गये।
बेटे ने कभी कुछ न बनाया न उसे कुछ बनाना आता है। उसने जल्दी-जल्दी से स्नान आदि करके दाल और चावल मिला कर कुछ कच्ची सब्जी उसमें डाल कर अंगीठी पर बिठा दिया और ठाकुर जी को स्नान करा कर पोशाक आदि बदल कर आरती कर दी, फिर बर्तन से गरम-गरम खिचड़ी निकाली और ठाकुर जी के सामने एक थाली में सजा कर परोस दी और पर्दा लगा दिया।
अब वह कुछ देर बाद बार-बार जाकर पर्दा हटा कर देखता कि गोपाल जी खा रहे हैं या नहीं मगर वह देखता है कि गोपाल जी ने तो उसकी बनाई हुई खिचड़ी को छुआ तक नहीं।
प्रसाद को काफी देर देखने के बाद छोटे से बच्चे को बहुत गुस्सा आया और वह गोपाल जी से बोला–'पिता जी खिलाते हैं सो खा लेते हो क्योंकि वह स्वादिष्ट व्यंजन जो बनाते हैं। आज मैंने बनाया है मुझे खाना बनाना आता नहीं है और मैंने बेकार सा भोजन बनाया है इसलिये नहीं खा रहे हो।'
बालक ने गोपाल जी से काफी विनती की–'आज जैसा भी बना है खा लो मुझे भी भूख लगी है तुम खा लो तो मैं भी प्रसाद पाऊँगा।' मगर गोपाल जी तो उसकी सुन ही नहीं रहे थे।
जब उस बच्चे का धैर्य जबाव दे गया और उससे रहा नहीं गया तो वह बाहर से एक बड़ा सा सोटा लेकर आ गया और जोर-जोर से चिल्लाने लगा–'खाते हो या अभी इस सोटे से लगा दूँ दो-चार।' यह कह कर वह फिर पर्दा लगा कर बाहर जाकर बैठ जाता है कि शायद इस बार गोपाल जी खा लेंगे।
अबकी बार वह फिर झांक कर देखता है कि उसके द्वारा परोसी गई सारी खिचड़ी तो गोपाल जी खा गये है।
अब एक समस्या यह हो गयी कि अब सारी खिचड़ी तो गोपाल जी खा गये अब वह क्या खायेगा व माता पिता को क्या खाने को देगा ?
ऐसा मन में विचार लिए वह थाली में जो थोड़ी बहुत खिचड़ी लगी थी, उसी को किसी तरह से चाट कर खा गया और फिर वहीं पर सो गया।
जब शाम को माता पिता हारे थके घर वापस आये तो उन्होंने बच्चे को उठाकर पूछा–'बेटा आज क्या बनाया था गोपाल जी के लिए ?'
बेटा बोला–'पिता जी मैंने वैसे ही किया जैसे आप हर रोज पूजा सेवा करते हैं मगर आज गोपाल ने मेरी बनाई सारी की सारी खिचड़ी खा ली मैं भी भूखा रह गया।' पिता को अपने बेटे की बात पर विश्वास नहीं हुआ।
फिर पिता ने बेटे से कहा–'हमें बड़ी जोर से भूख लगी है गोपाल जी का भोग प्रसाद हमें भी तो दो हम भी कुछ खा लें सुबह से कुछ खाया भी नहीं है।'
ऐसा सुन कर बच्चा रोते हुए बोला–'पिता जी आज गोपाल ने मेरे लिए भी कुछ नहीं छोड़ा, मैं भी भूखा रह गया कुछ भी नहीं खा पाया। जो थाली में लगा रह गया था वही खाया और मुझे नींद आ गयी और मैं सो गया।'
ब्राह्मण ने और उनकी पत्नी ने पहले तो सोचा कि शायद यह कुछ बना ही नहीं पाया होगा। फिर जब उन्होंने थाली की तरफ देखा तो लगा कि कुछ बनाया तो है मगर शायद खुद ही खा कर सो गया होगा और हमसे झूठ बोल रहा है।
ब्राह्मण ने सोचा–'ऐसा कैसे हो सकता है कि मैं इतने वर्षों से रोजाना नाना प्रकार के व्यंजन बना कर गोपाल जी के सामने रखता हूँ पर गोपाल जी ने कभी भी मेरी थाली से एक तिनका भी नहीं खाया आज पुत्र के हाथ से गोपाल ने खा लिया।'
ब्राह्मण को पुत्र की बात का विश्वास नहीं हुआ और ब्राह्मण ने देखने के लिए पर्दा हटाया तो देखा कि गोपाल के मुख में वह खिचड़ी लगी हुई है। फिर जब पुत्र से पूरी घटना सुनी तो ब्राह्मण खुशी से पागल हो गया कि मैं न सही मैरे पुत्र ने तो साक्षात् गोपाल को पा लिया है।
कथा का आशय यह है कि हमारी जो पूजा-सेवा है भोग-राग है यह सब भाव की है मन में जो भाव रखता है उसे भगवान निश्चय ही किसी न किसी रूप में मिल ही जाते हैं..!!
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घर गया, पानी की टंकी गई…अब भीषण गर्मी में चारपाई ही छत
- जोधपुर के बुलडोजर पीड़ित पाकिस्तानी हिंदुओं का हाल
तेज धुप में कागज की झुग्गी और चारपाई के नीचे जोधपुर में पाकिस्तानी हिन्दू |
रामचंद्र भील ने जीवन भर की कमाई लगाकर जोधपुर के चोखा गाँव में एक घर बनाया। लेकिन अब वे बेघर हैं। चारपाई की छत के नीचे उनका परिवार रहता है। पीने का पानी नहीं है, क्योंकि प्रशासन ने पानी की टंकी भी तोड़ दी।
करीब चार महीने पहले 23 साल के रामचंद्र भील ने पाकिस्तान छोड़ा था। कई दिनों की यात्रा के बाद वे राजस्थान के जोधपुर के चोखा गाँव पहुँचे। जीवन भर की कमाई (70 हजार रुपए) देकर यहीं जमीन का एक टुकड़ा लिया। घर बनाया और रहने लगे। लेकिन अब भील बेघर हैं। इस गर्मी में चारपाई ही उनकी छत है। भील उन पाकिस्तानी हिंदुओं में से एक हैं, जिनके घरों पर 24 अप्रैल 2023 को जोधपुर विकास प्राधिकरण ने बुलडोजर चला दिया था।
बुलडोजर चलने के बाद यहाँ रह रहे लोगों के हालात बदतर हो गए हैं। भीषण गर्मी में भी वे खुले में रहने को मजबूर हैं। बच्चों को एक वक्त का खाना तो दूर पानी भी ढंग से नसीब नहीं हो पा रहा। घर टूटने के बाद सब कुछ अस्त-व्यस्त है। चारों ओर फटे हुए तिरपाल, खाली बर्तन और अन्य सामान बिखरे हुए हैं। पीड़ितों का कहना है कि उन्होंने जमीन खरीदकर घर बनाया था। वहीं, प्रशासन का कहना है कि इनके पास जमीन के कोई कागजात नहीं हैं।
प्रशासनिक कार्रवाई के बाद स्वराज्य की पत्रकार स्वाति गोयल शर्मा ने यहाँ जाकर पीड़ितों का हालात जाना। स्वराज्य को पाकिस्तान के सिंध प्रांत के संघार जिले से आए रामचंद्र भील ने बताया कि वे 4 महीने पहले यात्री वीजा पर भारत आए। अब लॉन्ग टर्म वीजा भी बनवा लिया है। लेकिन जीवन भर की कमाई से जो उन्होंने और उनकी पत्नी ने जो घर यहाँ बनाया वो अब नहीं है। इसके कारण रामचंद्र और और उनका परिवार भीषण गर्मी में चारपाई की छत के भरोसे जी रहे हैं। वे लकड़ी के सहारे चारपाई को तिरछा खड़ा देते हैं और पूरा परिवार उसकी छाया में दिन काटता है। उन्होंने बताया कि अब खाना तो दूर पानी भी नहीं मिल पा रहा है। यहाँ पानी के लिए सीमेंट की जो टंकी थी, उसे भी प्रशासन ने तोड़ दिया।
मजना राम भील तो साल 2013 में ही पाकिस्तान के सिंध प्रांत से भारत आ गए थे। अब पानी और भोजन के लिए उनके परिवार को कई किलोमीटर चलना पड़ रहा है। वे पूछते हैं कि हम यहाँ नहीं रहेंगे तो और कहाँ जाएँगे। सरकार हमें यहीं घर बनाने की अनुमति दे। बेघर होने के बाद कुछ लोग घर बनाने के लिए किसी दूसरी जगह की तलाश कर रहे हैं। वहीं, कुछ लोग पुरानी जगह पर ही फिर से घर बनाने की कोशिशों में जुटे हुए हैं। बुजुर्ग चौथराम बताते हैं कि जब पीने का पानी ही नहीं है तो लोग नहाना और दूसरी चीज़ों के बारे में सोच भी नहीं सकते।
स्वराज्य की रिपोर्ट की मानें तो इस जगह बुलडोजर चलने के बाद भी अधिकांश मुस्लिमों के पक्के घर बने हुए हैं। वहीं, पाकिस्तानी हिंदू हिंदू बाँस और तिरपाल के सहारे झुग्गी में रहने को मजबूर हैं। 24 अप्रैल को JDA की कार्रवाई के दौरान कुछ ग्रामीणों ने कथित तौर पर जेसीबी ड्राइवर और एक पत्रकार पर पथराव किया था। इसके बाद प्रवासी हिन्दुओं को उकसाने का आरोप में भाग चंद भील को गिरफ्तार किया गया है। भाग चंद की गिरफ्तारी को लेकर भी इन लोगों में गुस्सा है। लोगों का कहना है कि भाग चंद ने उन्हें बसाने में मदद की थी, क्या उसका यही अपराध था ?
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