क्या भाजपा पर शनि की साढ़े साती है ? कर्नाटक चुनाव का एग्ज़िट पोल कितने सही होंगे, कहना कठिन है !
सारे ओपिनियन पोल ग़लत साबित हुए
धर्म नगरी / DN News (दिल्ली ब्यूरो)
कर्नाटक चुनाव के परिणामों को लेकर अन्तिम समय तक कहना कठिन है, बाज़ी कांग्रेस जीतेगी या बीजेपी। अभी यह कहना मुश्किल है, एग्ज़िट पोल कितने सही साबित होंगे ! जब किसी चुनाव में कांटे की टक्कर होती है, तो किसी के लिए भी अनुमान लगाना कठिन होता है। 2018 में भी कर्नाटक में कांटे की टक्कर थी, किसी को बहुमत नहीं मिला था। सारे ओपिनियन पोल ग़लत साबित हुए थे. इस बार भी ऐसा हो, तो हैरानी नहीं होनी चाहिए।
अब कर्नाटक में 10 मई को मतदान हुआ और 13 मई को रिजल्ट आना है। चार का अंक राहु का अंक है और शनि उसका दोस्त ग्रह है। ऐसे में कहीं ऐसा न हो, कि अब भाजपा का राज योग खत्म हो जाए। अभी कर्नाटक चुनाव को लेकर लगभग सभी एक्जेक्ट पोल ने कांग्रेस की जीत का ऐलान कर दिया। इधर दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के राज्यपाल के अधिकारों पर अंकुश लगाते हुए केजरीवाल सरकार के अधिकारों से उसे बेदखल कर दिया। उधर महाराष्ट्र में सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा के क्रियाकलापों को गलत करार दे दिया।
कर्नाटक के लिए जैसा कि पहले से ही हवाएं कांग्रेस की जीत का दावा कर रही थी, अब एक्जेक्ट पोल भी यही कह रहे हैं कि इस बार कर्नाटक में कांग्रेस बहुमत से जीतेगी। एक नहीं, दो नहीं, लगभग सभी पोल यही कह रहे हैं। मैं एक सप्ताह पूर्व भी लिख चुका हूं कि कर्नाटक में इस बा। भाजपा की हालत ठीक नहीं है,अब एक्जेक्ट पोल जो कह रहे हैं। अगर वह सच हो गया तो अब शेष जहां भी चुनाव होने हैं वहां के सारे समीकरण बदल जाएंगे। भाजपा का चेहरा बदल जाएगा, दिल्ली का तख्तो-ताज हिल जाएगा, अमित शाह की गुर्राहट को ब्रेक लग जाएगा और भाजपा की तमाम दिशाओं में भूचाल आ जाएगा।
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हालांकि, इस बार के चुनाव में कुछ बातें नई हैं. एक तो पहले JD (S) बड़ा फैक्टर होती थी, मुकाबले त्रिकोणीय होते थे, इस बार वो इतना बड़ा फैक्टर नहीं है. इस बार ज़्यादातर सीटों पर BJP और कांग्रेस की टक्कर है.पिछली बार के मुक़ाबले, कांग्रेस में इस बार बदलाव दिखाई दिया. इस चुनाव में कांग्रेस ने अपने नेताओं की आपसी लड़ाई को ठीक से मैनेज किया, लेकिन, BJP इस बार अपने नेताओं को मैनेज नहीं कर पाई. उसकी लड़ाई खुलकर सामने आई. दूसरी बात, कांग्रेस का नज़रिया पहले ही दिन से साफ था कि स्थानीय मुद्दों पर चुनाव लड़ना है।
कांग्रेस में शुरुआती दौर में कोई भ्रम नहीं था, लेकिन बाद के दौर में बीजेपी ने बाज़ी पलटी। जैसे ही कांग्रेस ने PFI और बजरंग दल को एक ही तराजू में तोलने की ग़लती की, चुनाव में बजरंग बली की एंट्री हुई और कांग्रेस बुरी तरह कनफ्यूज़ हुई। चुनाव का मुख्य मुद्दा बदल गया। कांग्रेस की दूसरी बड़ी समस्य़ा ये है, कि उसके पास न तो नरेंद्र मोदी जैसा कैंपेनर है, न उनके जैसा करिश्मा।
जब मोदी चुनाव प्रचार में उतरते हैं, तो रैली करें या रोड शो, वह हवा बदल देते हैं. मोदी ने इस चुनाव में भी जी-तोड़ मेहनत की, लेकिन कांग्रेस के मुख्य कैंपेनर राहुल गांधी, अनिच्छुक नज़र आए. इसीलिए कोई नहीं कह सकता कि ऊंट किस करवट बैठेगा। 13 मई का इंतजार करें।
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क्या भाजपा पर शनि की साढ़े साती ?
जब दशा, दिशा बदलती है,
हर चाल उल्टी पड़ती है।
डूबती दिखती नाव सभी को,
पल में किनारे लगती है।
ऐसा लगता है कि भाजपा पर शनि की साढ़े साती शुरू हो गई है ।अभी 10 मई को कर्नाटक में हुए मतदान के पहले और बाद में लगभग सभी एक्जेक्ट पोल ने कांग्रेस की जीत का दावा कर दिया, सट्टा बाजार ने भी कर्नाटक में कांग्रेस को 130 सीटें मिलने का ऐलान कर दिया। इधर दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के राज्यपाल की शक्तियों पर अंकुश लगाते हुए केजरीवाल सरकार के अधिकारों में इजाफा का आदेश दे दिया। उधर महाराष्ट्र के सत्ता के केस में भी सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल कोशियारी की होशियारी को लपक लिया और उनके आदेश को गलत करार दे दिया और कहा- कि राज्यपाल का उद्धव को फ्लोर टेस्ट के लिए कहना भी राज्यपाल के क्षेत्राधिकार में नहीं आता, यहां राज्यपाल सरासर गलत हैं।
क्या भाजपा पर शनि की साढ़े साती ?
जब दशा, दिशा बदलती है,
हर चाल उल्टी पड़ती है।
डूबती दिखती नाव सभी को,
पल में किनारे लगती है।
ऐसा लगता है कि भाजपा पर शनि की साढ़े साती शुरू हो गई है ।अभी 10 मई को कर्नाटक में हुए मतदान के पहले और बाद में लगभग सभी एक्जेक्ट पोल ने कांग्रेस की जीत का दावा कर दिया, सट्टा बाजार ने भी कर्नाटक में कांग्रेस को 130 सीटें मिलने का ऐलान कर दिया। इधर दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के राज्यपाल की शक्तियों पर अंकुश लगाते हुए केजरीवाल सरकार के अधिकारों में इजाफा का आदेश दे दिया। उधर महाराष्ट्र के सत्ता के केस में भी सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल कोशियारी की होशियारी को लपक लिया और उनके आदेश को गलत करार दे दिया और कहा- कि राज्यपाल का उद्धव को फ्लोर टेस्ट के लिए कहना भी राज्यपाल के क्षेत्राधिकार में नहीं आता, यहां राज्यपाल सरासर गलत हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर के निर्णय को भी गलत कहा तथा चुनाव आयोग के भी निर्णय को गलत ही ठहराया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि काश उद्धव ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट से पहले इस्तीफा न दिया होता तो आज वे पुनः सीएम पद के हकदार होते। केन्द्र नीति भाजपा सरकार के खिलाफ ये जो तीनों आहट हुई है, ये मोदी, शाह और नड्डा तीनों की सांस फुला देने वाली हैं। दिल्ली का राज्यपाल पद शुरू से ही केन्द्र सरकार के इशारे पर दिल्ली सरकार को परेशान करता रहा है।
पिछले साल सुप्रीम कोर्ट के जज चंद्रचूड़ ने भी कटाक्ष किया था कि यदि सारे अधिकार केन्द्र सरकार के पास हैंं तो अलग से दिल्ली सरकार की जरूरत ही क्या है? इधर महाराष्ट्र के सत्ता केस में भी सुप्रीम कोर्ट के जज चन्द्रचूड ने राज्यपाल, स्पीकर और चुनाव आयोग की भूमिका को असंवैधानिक बताया ।सुप्रीमकोर्ट ने साफ-साफ कहा कि महाराष्ट्र में यह जो कुछ हुआ यह बिल्कुल बाबरी मस्जिद वाले केस की तरह गलत हुआ है।
अब कर्नाटक में 10 मई को मतदान हुआ और 13 मई को रिजल्ट आना है। चार का अंक राहु का अंक है और शनि उसका दोस्त ग्रह है। ऐसे में कहीं ऐसा न हो, कि अब भाजपा का राज योग खत्म हो जाए। अभी कर्नाटक चुनाव को लेकर लगभग सभी एक्जेक्ट पोल ने कांग्रेस की जीत का ऐलान कर दिया। इधर दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के राज्यपाल के अधिकारों पर अंकुश लगाते हुए केजरीवाल सरकार के अधिकारों से उसे बेदखल कर दिया। उधर महाराष्ट्र में सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा के क्रियाकलापों को गलत करार दे दिया।
कर्नाटक के लिए जैसा कि पहले से ही हवाएं कांग्रेस की जीत का दावा कर रही थी, अब एक्जेक्ट पोल भी यही कह रहे हैं कि इस बार कर्नाटक में कांग्रेस बहुमत से जीतेगी। एक नहीं, दो नहीं, लगभग सभी पोल यही कह रहे हैं। मैं एक सप्ताह पूर्व भी लिख चुका हूं कि कर्नाटक में इस बा। भाजपा की हालत ठीक नहीं है,अब एक्जेक्ट पोल जो कह रहे हैं। अगर वह सच हो गया तो अब शेष जहां भी चुनाव होने हैं वहां के सारे समीकरण बदल जाएंगे। भाजपा का चेहरा बदल जाएगा, दिल्ली का तख्तो-ताज हिल जाएगा, अमित शाह की गुर्राहट को ब्रेक लग जाएगा और भाजपा की तमाम दिशाओं में भूचाल आ जाएगा।
अगर ऐसा हुआ, अगर कर्नाटक में कांग्रेस जीत गई तो। अपूर्व भारद्वाज का कहना है कि अगर ऐसा हुआ तो बीजेपी की साउथ में एन्ट्री बंद हो जाएगी, महाराष्ट्र में सरकार लडखडा जाएगी, अजीत पंवार फिर पलट जायेंगे, एमपी और छत्तीसगढ में कांग्रेस बीजेपी पर भारी पड़ जाएगी, महंगाई घट जाएगी, नई नौकरियों की बाढ आ जाएगी, सरकार का फोकस असली विकास पर आ जाएगा, गोदी मीडिया के गाल सूख जाएंगे और नेताओं की चर्बी घट जाएगी, अगर ऐसा हुआ तो, कर्नाटक में भाजपा हार गई तो।
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