त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर मुसलमानों ने की जबरन हरी चादर चढ़ाने की कोशिश की...


शिंदे सरकार ने दिया कड़ी कार्रवाई के आदेश, जांच के लिए SIT गठित की 

ब्रह्मा विष्णु और महेश तीनों एक साथ स्थापित हैं शिवलिंग में 
- "अभी त्र्यंबकेश्वर ही नहीं, भीमाशंकर की चोटी पर भी किसी को चढ़ाया जाएगा" NPC 

द्वादश ज्योतिर्लिंग में स्वयंभू त्र्यंबकेश्वर मंदिर (ऊपर), घटना का फुटेज (नीचे) @DharmNagari 

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-रा.पाठक अवैतनिक संपादक 

नासिक जिले (महाराष्ट्र) में स्थित द्वादश ज्योतिर्लिंग में स्वयंभू त्र्यंबकेश्वर मंदिर में मुस्लिम युवकों ने जबरन हरी चादर चढ़ाने की कोशिश की है। यद्यपि, मुस्लिमों के कुत्सित प्रयास को सतर्क सुरक्षा गार्ड्स ने असफल कर दिया। घटना के बाद से इलाके में तनाव व्याप्त हो गया। इसके बाद महाराष्ट्र की शिंदे सरकार ने मामले में स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) को घटना के हर पहलू की जांच के आदेश जारी किया है। 

आदेश राज्य के डिप्टी सीएम एवं गृह मंत्री देवेंद्र फडणवीस ने जारी किए हैं, जिसमें कहा, इस मामले SIT के गठन के साथ ही अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक स्तर के अधिकारी के नेतृत्व में पूरे मामले की जांच की जाएगी। इसके साथ ही दोषियों को भी उचित सजा दी जाएग। 
देखें-
मंदिर में घुसने की मुस्लिमों की इस हरकत को #सोशल_मीडिया में कुछ लोग 'लैंड जिहाद' तो अन्य आतंकी कोशिश भी बता रहा हैं 

रिपोर्ट्स के अनुसार, सुरक्षकर्मियों ने इन मुस्लिमों को मंदिर के भीतर घुसने से रोक दिया। जो मुस्लिम, भीतर घुसने की कोशिश कर रहे थे, वो अपने मजहबी कार्यक्रम उर्स में शामिल होने आए थे। घटना के बाद स्थिति को भी काबू कर लिया गया। वहीं, आरोपितों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की माँग की जा रही है। पुलिस द्वारा कार्रवाई न होने पर पुजारियों ने आंदोलन की चेतावनी दी है। इस संबंध में मंदिर प्रशासन ने स्थानीय पुलिस थाने को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की है। इसमें शनिवार (13 मई, 2023) को रात में 9:41 बजे हुई इस घटना के संबंध में विस्तार से जानकारी दी गई है।
मंदिर समिति द्वारा दी गई शिकायत में कहा गया है कि 10-12 लोग जबरन मंदिर में घुसे और उन्होंने वहां हरी चादर और फूल चढ़ाने की कोशिश की, जैसे मजार पर चढ़ाई जाती है। करीब आधे घंटे तक हंगामा चला। आरोपियों ने इसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। जिसे लेकर हिंदू संगठनों में नाराजगी है। 
क्या है पूरा प्रकरण 

13 मई की रात करीब पौने 11 बजे त्र्यंबकेश्वर मंदिर के गर्भ गृह बंद होने के बाद बड़ी संख्या में लोग जबरन मंदिर में घुसने की कोशिश कर रहे थे। जिसे मंदिर प्रशासन और स्थानीय पुलिस ने किसी तरह रोका। इस मामले में कार्रवाई को लेकर मंदिर प्रशासन ने पुलिस और राज्य सरकार से मांग की थी।  उल्लेखनीय है, बीते साल 2022 में भी गैर-हिन्दुओं ने त्र्यंबकेश्वर मंदिर में घुसने की कोशिश की थी, जिसे लेकर मंदिर प्रशासन की ओर से पुलिस में बकायदा शिकायत भी दर्ज कराई गई थी।  

SIT न केवल इस साल की घटना की जांच करेगी, बल्कि पिछले साल की घटना की भी जांच करेगी। बीते साल भी मई के महीने में इसी तरह की कोशिश की गई थी, जब एक विशेष समुदाय की भीड़ मुख्य प्रवेश द्वार के माध्यम से कथित तौर पर त्र्यंबकेश्वर मंदिर परिसर में प्रवेश कर गई थी।

उल्लेखनीय है, मंदिर के उत्तरी द्वार से कुछ ही दूरी पर उर्स (मुस्लिम द्वारा आयोजित) चल रहा है। वहीं से कुछ मुस्लिमों ने मंदिर में घुसने का प्रयास किया। पुलिस प्रशासन को दिए पत्र में मंदिर प्रशासन लिखा है- सदियों से ये परंपरा चली आ रही है कि मंदिर में केवल हिन्दुओं को ही प्रवेश देने की अनुमति रही है, जिनकी हिन्दू धर्म में आस्था नहीं है, उन्हें अंदर नहीं आने दिया जाता। ...इस घटना से सामाजिक तानेबाने को भी क्षति पहुँच सकती है। आगे इस प्रकार की घटना न हो, इसके लिए व्यवस्था करने के लिए भी अपील की गई है। देवस्थान ट्रस्ट ने पुलिस से इस मामले में छानबीन शुरू कर कड़ी कार्रवाई करने को कहा है। 

क्या आदेश दिया डिप्टी सीएम ने ?
महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम और गृह मंत्री देवेंद्र फडणवीस ने नासिक के त्र्यंबकेश्वर मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार पर भीड़ जमा होने की 13 मई की कथित घटना पर FIR दर्ज कर कड़ी कार्रवाई करने का आदेश दिया है। फडणवीस ने घटना की जांच के लिए अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक रैंक के अधिकारियों की अध्यक्षता में एक SIT के गठन का आदेश दिया है।

NCP नेता बयान सामने आया
एनसीपी नेता जितेंद्र आव्हाड ने कहा, 'अभी त्र्यंबकेश्वर ही नहीं, भीमाशंकर की चोटी पर भी किसी को चढ़ाया जाएगा। आपको समझ में आता है, कि किसकी लापरवाही है। हमारे मुंह से क्यों सुनना है। मैंने तो पहले ही बोला था, तब लोगों ने कहा कि यह क्या बोल रहा है आव्हाड ? आप समझिए कि हम पागल नहीं हैं। यह तो सिर्फ 2 जिलों में हुआ है। जीतने की गुंजाइश ही नहीं है ना, एक ही तो रास्ता है जीतने का, वो है दंगे।'  

मंदिर में गैर-हिन्दुओं का प्रवेश वर्जित है, यह त्रंबकेश्वर मंदिर के प्रवेश द्वार पर स्पष्ट लिखा है। #सोशल_मीडिया में वायरल वीडियो में दिख रहा है, कि मन्दिर के इस "उत्तर महाद्वार" से मुसलमान अंदर घुस गए। There is an ancient plaque on the wall of the temple with the notice "No entry except Hindus" 

इस ज्योतिर्लिंग मंदिर को भी औरंगजेब ने...  
त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग का यह मंदिर नीलगिरि, ब्रह्मगिरि और कलागिरि की पहाड़ियों के बीच में स्थित है। मंदिर में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतिनिधित्व करते हुए तीन लिंग हैं। मुग़ल बादशाह औरंगजेब द्वारा ध्वस्त किए जाने के बाद पेशवा बालाजी बाजीराव द्वारा इसका पुनर्निर्माण करवाया गया था।
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Dy CM देवेंद्र फडणवीस के कार्यालय द्वारा आज 16 मई, 2023 सुबह 10:07 किए ट्वीट में लिखा है-
त्र्यंबकेश्वर मंदिरात प्रवेश करण्यासाठी एक विशिष्ट जमाव मंदिराच्या मुख्य प्रवेशद्वारावर एकत्र झाल्याच्या कथित घटनेसंदर्भात एफआयआर नोंदवून अत्यंत कडक कारवाई करण्याचे आदेश उपमुख्यमंत्री आणि गृहमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी दिले आहेत.
या घटनेची चौकशी करण्यासाठी उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी अतिरिक्त पोलिस महासंचालक दर्जाच्या अधिकाऱ्यांच्या अध्यक्षतेत एसआयटी स्थापन करण्याचे सुद्धा आदेश दिले आहेत.
ही एसआयटी केवळ यावर्षीच्या घटनेची चौकशी करणार नाही, तर गेल्यावर्षीच्या घटनेचीही चौकशी करेल, ज्यावेळी एक विशिष्ट जमाव त्र्यंबकेश्वर मंदिर परिसरात मुख्य प्रवेशद्वारातून आतमध्ये शिरल्याची कथित घटना घडली होती. (Dy CM Devendra Fadnavis has ordered strict action by registering an FIR on the alleged incident of a certain mob gathering at the main entrance of the Trimbakeshwar temple.
Dy CM has also ordered the formation of an SIT under the chairmanship of officers of the rank of Additional Director General of Police to investigate the incident. The SIT will not only probe this year's incident, but also last year's incident, when a certain mob allegedly entered the Trimbakeshwar temple premises through the main entrance.) 
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to be updated soon 
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ब्रह्मा विष्णु और महेश तीनों एक साथ स्थापित हैं शिवलिंग में 

सभी ऋषियों ने गौतम ऋषि पर गौहत्या का आरोप लगा दिया। सभी ऋषियों के कहने पर गौतम ऋषि को आश्रम छोड़ के जाना पड़ा। हालांकि ऋषियों ने उनका किसी जगह रहना दूभर कर दिया। 

देवाधिदेव महादेव के 12 ज्योतिर्लिंग का विशेष महत्व है, जिनमें से त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग नासिक (महाराष्ट्र) से 29 किलोमीटर दूर स्थित है। मंदिर के अंदर तीन छोटे-छोटे ज्योतिर्लिंग हैं, इसे ब्रह्मा, विष्णु और महेश के रूप में देखा जाता है। शिव की पूजा से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। मान्यता है, यहां स्थित शिवलिंग स्वयं प्रकट हुआ था। इसे किसी ने स्थापित नहीं किया है। यह मंदिर गोदावरी नदी के तट पर स्थित है। 

इस ज्योतिर्लिंग से जुड़ी प्रचलित कथा
प्राचीन समय में ब्रह्मगिरी पर्वत पर देवी अहिल्या अपने पति ऋषि गौतम के साथ रहती थीं। इसी तपोवन में कई और ऋषि पत्नियां भी रहती थीं। एक बार किसी बात पर सभी देवी अहिल्या से रुष्ट हो गईं। सभी ने अपने पतियों को देवी अहिल्या और ऋषि गौतम का अपकार करने के लिए प्रेरित किया। अन्य सभी ऋषियों ने मिलकर भगवान गणेश की तपस्या की। तपस्या से प्रसन्न भगवन गणेश ने वर मांगने को कहा। सभी ने मिलकर वर मांगा कि प्रभु आप ऋषि गौतम को यहां से निकाल दें।

गणेश जी इस बात के लिए तैयार नहीं हो रहे थे, लेकिन सबके आग्रह के आगे उनको झुकना पड़ा। तब गणेशजी ने एक दुर्बल गाय का रूप धारण कर लिया और ऋषि गौतम के खेत में चरने लगे। जैसे ही ऋषि गौतम ने गाय को पतली छड़ी से मारकर भगाना चाहा, वह वही गिरकर मर गई। सभी ऋषियों ने गौतम ऋषि पर गौहत्या का आरोप लगा दिया। सभी ऋषियों के कहने पर गौतम ऋषि को आश्रम छोड़ के जाना पड़ा। हालांकि ऋषियों ने उनका किसी जगह रहना दूभर कर दिया।
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कैसे पहुचें मंदिर  
स्वयंभू ज्योतिर्लिंग के दर्शन हेतु मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको नासिक पहुंचना होगा। नासिक वायु मार्ग, रेल मार्ग और सड़क मार्ग से सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा है। नासिक से त्र्यंबकेश्वर मंदिर करीब 29 किमी दूर है। यहां से मंदिर तक पहुंचने के लिए कई साधन मिल जाते हैं।
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सभी ऋषियों ने कहा, इस गो-हत्या के पाप से प्रायश्चित करने के लिए देवी गंगा को यहां लाना होगा। सभी की बात मानकर गौतम ऋषि ने शिवलिंग की स्थापना करके पूजा आरंभ कर दी। गौतम ऋषि की कठोर तपस्या और भक्ति से प्रसन्न होकर शिवजी और माता पार्वती प्रकट हुए। भगवान शिव ने इच्छा अनुसार, वरदान मांगने को कहा। महादेव की बात सुनकर ऋषि गौतम ने देवी गंगा को उस स्थान पर भेजने का वरदान मांगा। देवी गंगा ने कहा कि यदि शिवजी भी इस स्थान पर रहेंगे, तभी मैं भी यहां रहूंगी।

ऋषि गौतम के वरदान और गंगा के शर्त को मानकर शिवजी वहां त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में वास करने को तैयार हो गए। गंगा नदी गौतमी के रूप में वहां बहने लगीं। गौतमी नदी का एक नाम गोदवरी भी है। ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों एक साथ यहां स्थापित हैं।
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