72 वर्षीय प्रधानमंत्री ने सन्तों के सामने झुकाया शीश, साष्टांग दंडवत, हवन-पूजन कर 'सेंगोल' स्थापित कर नई संसद का किया उद्घाटन


96 वर्ष पश्चात देश को मिला नया संसद भवन  
- 971 करोड़ रु की लागत से हुई है तैयार
- हवन-पूजन, 'सेंगोल' स्थापना, सर्व-धर्म प्रार्थना सभा
नए संसद भवन के निर्माण में योगदान देने वाले श्रमजीवियों का का PM ने किया सम्मान
#सोशल_मीडिया में चुनिंदा प्रतिक्रिया...
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वैदिक मंत्र उच्चारण के साथ PM नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन में "सेंगोल" को किया स्थापित @DharmNagari 

धर्म नगरी
DN News (दिल्ली ब्यूरो)
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लगभग एक शताब्दी (96 वर्ष) के पश्चात रविवार (28 मई) को देश को नई संसद मिल गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद भवन को उद्घाटन कर इसे देश को समर्पित कर दिया। देशवासियों को इस विशेष दिन की प्रतीक्षा उत्सुकता से थी। प्रधानमंत्री सुबह भारतीय पारंपरिक परिधान में नए संसद परिसर पहुंचे। यहां पहुंचने के बाद उन्होंने सबसे पहले मोहनदास करमचंद गांधी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किए। फिर वहां बनाए गए पंडाल में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच हवन-पूजन में भाग लिया।

विशेष अवसरों पर प्रधानमंत्री विशेष परिधान में दीखते रहे हैं। आज का दिन भी विशेष था। आज जब वः संसद परिसर पहुंचे, तो वह धोती-कुर्ता और सदरी पहने हुए थे। धोती में पीएम अब तक कम दिखें हैं। इस पारंपरिक भारतीय परिधान में उनका उत्साह एवं आत्मविश्वास अद्भुत था। पैदल चलते हुए गांधीजी की प्रतिमा तक पहुचें, 
वहां पहले से उपस्थित लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने पीएम का स्वागत किया।  
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पंडाल में की पूजा-अर्चना

पीएम मोदी जब पंडाल पहुचें, वहां पर तमिलनाडु से आए अधीनम एवं पुजारी पहले से उपस्थित थे। यहां फिर पीएम और बिरला पूजा की वेदी पर बैठे। फिर अधीनमों एवं पुजारियों ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच हवन संपन्न कराया। हवन संपन्न होने के बाद अधीनमों ने पीएम को 'सेंगोल' भेंट की। 'सेंगोल' (राजदंड) धारण करने से पहले प्रधानमंत्री ने उसे दंडवत प्रणाम किया। संतों का आशीर्वाद प्राप्त किया। फिर 'सेंगोल' को लेकर वह लोकसभा की तरफ बढ़े।

लोकसभा में स्थापित किया 'सेंगोल'
'सेंगोल' को लेकर पीएम लोकसभा में स्पीकर के आसन तक धीरे-धीरे बढ़े। उनके पीछे ओम बिरला भी थे। फिर पीएम स्पीकर के आसन तक गए और वहां 'सेंगोल' को स्थापित किया। राजदंड की स्थापना के समय पीएम के साथ लोकसभा स्पीकर बिरला भी रहे। यहां प्रधानमंत्री ने नई संसद के निर्माण में योगदान देने वाले श्रमिकों एवं शिल्पकारों को सम्मानित किया और कुछ देर उनके साथ बातचीत भी की।
'सेंगोल' की स्थापना के बाद वहां सर्व धर्म प्रार्थना सभा शुरू हुई। प्रार्थना सभा के समय केंद्रीय मंत्री, राज्यों के मुख्यमंत्री, विभागों के सचिव एवं अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित थे। यहां एक-एक कर सभी धर्माचार्यों ने अपनी प्रार्थना की और नई संसद को अपना आशीर्वाद दिया।
एक 72 वर्षीय व्यक्ति (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) का प्रत्येक संत के सामने का झुकना अधिकार नहीं बल्कि विनम्रता है, जो एक व्यक्ति को एक महान इंसान बनाती है... For a 72-year old PM to bow before each seer is not authority but self-deprecating humility that makes an individual a great human being, let alone Narendra Modi. He did this with respect after installing the Sengol inside the new Parliament.

नई संसद भवन का लोकार्पण
सर्व धर्म प्रार्थना-सभा के पश्चात प्रधानमंत्री मोदी अपनी जगह से उठे और फिर नई संसद की पट्टिका का अनावरण कर देश को इसे समर्पित किया। उद्घाटन के अवसर पर लोकसभा स्पीकर उनके साथ रहे। उपस्थित सभी अतिथियों ने ताली बजाकर उद्घाटन का स्वागत किया। इसके साथ ही 96 साल बाद देश को नई संसद मिल गई।

श्रमिकों को सम्मानित किया
'सेंगोल' को स्थापित करने के बाद प्रधानमंत्री ने संसद के निर्माण में योगदान देने वाले श्रमिकों सम्मानित किया, उनके साथ बातचीत की। उन्होंने शिल्पकारों को भी सम्मानित किया। उद्घाटन समारोह में सम्मिलित होने के लिए भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री सहित अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित थे। सर्व धर्म प्रार्थना सभा समाप्त होने के बाद पीएम मोदी ने नए संसद भवन का उद्घाटन किया।  
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नई संसद से तीन गुना अधिक में बना पुराना संसद
पुरानी संसद का खर्च आज के हिसाब से बनता 2686.5 करोड़ रु। जबकि नई संसद बनकर तैयार हुई है 971 करोड़ रु में। यानी पुरानी संसद पर नई संसद से करीब 3 गुना ज्यादा पैसा खर्च हुआ था।

पुरानी व नई संसद में तुलना
पुरानी संसद (Old Parliament Building) 1927 में बनकर तैयार हुई। इसको बनाने का काम 1921 में आरंभ हुआ। वहीं, नई संसद को बनाने में 971 करोड़ रु का खर्च आया है। पुरानी संसद को बनाने में 83 लाख रु खर्च हुए थे। 
1927 के के 83 लाख रु आज के 2686.5 करोड़ रु के बराबर हैं। 1927 में सोने का प्रति तोला (10 ग्राम) केवल 18.37 रु था, जबकि आज उसी सोने की कीमत 59,460 रु है। अर्थात बीते 96 सालों में सोने का मूल्य 3226.27 गुना बढ़ा है। इस प्रकार अगर 83 लाख को भी 3226.27 गुना कर दें, तो ये राशि 2686.5 करोड़ रु होगी। अर्थात पुरानी संसद की लागत आज के अनुसार 2686.5 करोड़ रु होता। जबकि नई संसद बनकर 971 करोड़ रु में तैयार हुई है। यानी पुरानी संसद पर नई संसद से करीब 3 गुना ज्यादा पैसा खर्च हुआ था।

पुराने संसद में 793, जबकि नए में 1272 सीट
नई संसद को बनाने में लोकसभा और राज्यसभा दोनों ने संसद के लिए एक नए भवन बनाने के प्रस्ताव को पारित किया। निर्धारित प्रक्रिया के बाद पीएम मोदी ने 10 दिसंबर, 2020 को नए भवन का शिलान्यास किया, जिसका उन्होंने उद्घाटन किया है। पुराने भवन में लोकसभा में 543 और राज्यसभा में 250 सदस्य बैठ सकते थे। नए संसद भवन में लोकसभा में 888 सदस्यों और राज्यसभा में 384 सदस्यों के लिए जगह होगी।

नवनिर्मित संसद में बोलते हुए PM मोदी
हर देश की विकास यात्रा में कुछ तारीखें इतिहास का अमिट हस्ताक्षर बन जाती हैं। अमृतकाल में 28 मई, 2023 का आज का यह दिन ऐसा ही एक शुभ अवसर है, जब भारत के लोगों ने अपने लोकतंत्र को संसद के नए भवन का उपहार दिया है। (4:30 PM · May 28, 2023)
 
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सेंगोल का ऊपरी भाग 
राजदंड सेंगोल

हर किसी को जो सवाल पूछना चाहिए वह है-
1947 से इसे क्यों छुपाया गया ?
बाद में परंपरा का पालन क्यों नहीं किया जाता है ?
इसे गायब किसने किया ?
क्या यह विशेष पंथों को खुश करने के लिए है ?
ऐसी और कितनी बातें छिपी हैं और क्यों ?
सेंगोल को एक पवित्र हिंदू समारोह में नेहरू को सौंप दिया गया था। सेंगोल पर अंकित (खुदा) तमिल में यह कविता है-
 यह हमारा आदेश है कि भगवान (शिव) के अनुयायी, राजा, स्वर्ग में शासन करेंगे। इस प्रकार, 15 अगस्त 1947 को सत्ता एक हिंदू 'राजा' को स्थानांतरित कर दी गई, जिसे एक जैसा शासन करने का आदेश दिया गया था।
तमिल में कविता अब सनातन सभ्यता में वापस आ रही है
यह सनातन सभ्यता की पुनर्स्थापना नहीं तो और क्या है ?
अब आप समझ गए होंगे, कि सभी इस्लामिक पार्टियां उद्घाटन समारोह का बहिष्कार क्यों किया !
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#सोशल_मीडिया में चुनिंदा प्रतिक्रिया...
Meet 97-year-old Vummidi Ethirajulu.
He crafted the sacred #Sengol under Thiruvavadurai Adheenam's orders.
PM Narendra Modi Ji met Ethirajulu on the eve of the new Parliament Building inauguration.
Historic. -@PCMohanMP
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For a 72-year old Prime Minister to bow before each seer is not authority but self-deprecating humility that makes an individual a great human being, let alone Narendra Modi. He did this with respect after installing the Sengol inside the new Parliament.
Blessings vs Opposition  -@rohanduaT02
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India, the mother of all democracies, exemplifies its time-honored values and illustrious heritage through the magnificent inauguration of the new Parliament building. -@nitin_gadkari -Union Minister
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“अपनी सियासत की नाकाम हसरतों का जनाज़ा नफ़रत के ताबूत में दिखाने के आगे कई मौक़े विपक्ष को मिलने वाले थे”
परंतु दुख की बात है इस ऐतिहासिक अवसर का साक्षी बनने से वे वंचित रह गए।
इतिहास में लिख गया है कि ग़ुलामी के ब्रिटिश काल की संसद के वाइसराय इरविन के द्वारा किए गए उद्घाटन के समय मोतीलाल नेहरू जी उपस्थित थे और 21 वीं सदी के स्वतंत्र और स्वाभिमानी भारत की भव्य संसद के प्रधानमंत्री श्री @narendramodi  के द्वारा उद्घाटन के समय उन्हीं के परिवार के लोग बहिष्कार कर रहे थे।
राम चरित मानस में लिखा है- 
“सकल पदारथ है जग माहीं। कर्म हीन नर पावत नाहीं॥”
#MyParliamentMyPride -@SudhanshuTrived
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लालू प्रसाद यादव की पार्टी- राष्ट्रीय जनता दल @RJDforIndia ने (8:49 AM · May 28, 2023) नवनिर्मित संसद के चित्र के साथ ताबूत का चित्र पोस्ट करते हुए लिखा है-
ये क्या है ?
उक्त पोस्ट  कैसे जवाब देशवासियों ने दिए, पढ़ें...
पहला फोटो - तुम्हारे पार्टी का
भविष्य दूसरा फोटो - भारत का भविष्य -@garg_trupti
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जैसा खाया अन्न वैसी पाई बुद्धि
बाप ने चारा घोटाले के पैसे बेटों को खिलाये
तो बेटों की बुद्धि जानवरों से भी बदतर हो गयी -@Anand_seervi9
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हे प्रभु क्या हुआ लालू जी को ??
वह स्वस्थ तो है ??
कुछ तो गड़बड़ है वरना आरजेडी ताबूत की फोटो क्यों लगाएगी ?? -@manishgarg9999
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A man from Gujarat. 
Opening new Parliament in Delhi. 
Doing Shashtang Pranaam to Sengol,
Amidst chanting of mantras in Tamil.
There is Rahul Gandhi who says India is not a nation.
Then there is Narendra Modi who demonstrates the unbroken civilisational unity of Bharat. -@amishra77
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लोकतंत्र का गृह प्रवेश हो रहा है, लोकतंत्र के मंदिर का उद्घाटन हो रहा है, साधु-संतों का जमावड़ा लगा हुआ है, वैदिक मंत्रोच्चार हो रहे हैं, हवन पूजा हो रही है,प्रधानमंत्री साष्टांग प्रणाम कर रहे हैं,संतों का आशीर्वाद ले रहे हैं,यह दिन इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अच्छरों में दर्ज  -@koushalaggarwal
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स्वतंत्र वीर सावरकर जी की जयंती 28 मई को भारतीय द्वारा, भारतीयों के महन्त के पैसे से, भारतीय सनातनी परम्पराओं , मान्यताओं, आस्थाओं, सरोकारों से ओतप्रोत नये संसद भवन का उद्घाटन होगा इससे बेहतर कोई और दिवस हो ही नहीं सकता था, स्वतंत्र वीर सावरकर अमर रहें -@Pushpendraamu
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साष्टांग या दंडवत प्रणाम
प्रणाम कई तरह से किया जाता है जिसमें अष्टांग, साष्टांग ,पंचांग, दंडवत, नमस्कार और अभिनंदन को मुख्य माना जाता है। इन सभी में से महिलाओं को साष्टांग प्रणाम करने की मनाही होती है। 

शास्त्रों में दंडवत प्रणाम को साष्टांग प्रणाम भी कहा जाता है। दरअसल बांस को दंड भी कहा जाता है। जब इसे धरती पर रखा जाए, तो उस मुद्रा को दंडवत कहा जाता है। इसी प्रकार जब हम धरती पर लेटकर नमन करते हैं, तो उस मुद्रा को दंडवत प्रणाम कहते हैं। साष्‍टांग इसल‍िए कहते हैं, क्‍योंक‍ि दंडवत करते समय शरीर के छह महत्‍वपूर्ण अंगों का स्‍पर्श सीधा भूम‍ि से होता है

दंडवत प्रणाम का अर्थ
दंडवत प्रणाम करते समय व्‍यक्‍त‍ि अपना अहम त्‍याग कर अपने श्रद्धेय को समर्पित हो जाता है। इसकी एक कड़ी कछुए से जोड़ी जाती है। माना जाता है क‍ि दंडवत प्रणाम की मुद्रा में व्‍यक्‍त‍ि अपनी पांचों ज्ञानेंद्रियों और पांचों कर्मेद्रियों को कछुए की भां‍त‍ि समेट कर आत्‍म न‍िवेदन और मौन श्रद्धा के भाव में रहता है। इसका अर्थ है क‍ि उसने पूरी तरह अपने श्रद्धेय के सामने आत्‍म समर्पण कर द‍िया है।

क्‍यों है ये परंपरा
प्रधानमंत्री से पहले भी आपने कई पूजा स्‍थलों पर भक्‍तों को इस तरह अपने पूज्‍य के आगे दंडवत होते देखा होगा। इस परंपरा को बनाने का अर्थ यही है, क‍ि व्‍यक्‍त‍ि वहां उपस्थित सकारात्‍मक ऊर्जा को आत्‍मसात करे और अपने अंदर के तमाम दुर्गुणों का त्‍याग कर दे।
अयोध्या में रामलला के दर्शन के समय PM मोदी ने (5 अगस्त 2020) को साष्टांग दंडवत प्रणाम करते हुए। 
क्यों महिलाओं को साष्टांग प्रणाम है मना ?
प्रायः मंदिर में में देवी-देवता को अथवा अपने गुरु (जिससे दीक्षा ली हो) को साष्टांग प्रणाम करते दिखाई देते हैं। इनमें अधिकांश पुरुष होते हैं। यदि कोई महिला किसी को साष्टांग प्रणाम करती हैं, तो उसे तुंरत मना कर दिया जाता है, क्योंकि इसका कारण व वैज्ञानिक रहस्य है। ऐसा करना शास्त्रों में अच्छा नहीं है। हम में से ऐसे बहुत से लोग होंगे जो शास्त्रों की बातों की उपेक्षा करते हैं, लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए, क्योंकि सनातन हिंदू धर्म के ग्रंथों में जो बातें लिखी हैं, वो वैज्ञानिक  है,उसके पीछे कारण है,  जो हर व्यक्ति के लाभदायक होती हैं। 
शास्त्रों में साष्टांग प्रणाम से जुड़ा एक श्लोक-
पद्भ्यां  कराभ्यां  जानुभ्यामुरसा  शिरसतथा।
मनसा वचसा दृष्टया प्रणामोअष्टाड्ग मुच्यते॥
व्यक्ति किसी को यदि सिर, हाथ, पैर, हृदय, आंख, जांघ, वचन और मन इन आठों को मिलाकर सीधा ज़मीन पर लेट कर प्रणाम करे, तो उसे साष्टांग प्रणाम बोलते हैं। साष्टांग प्रणाम करने में ठुड्डी, छाती, दोनों हाथ, दोनों घुटने और पैर अर्थात व्यक्ति का पूरा शरीर पैरों से लेकर सिर तक जमीन का स्पर्श करता है। साष्टांग प्रणाम करते समय पेट का स्पर्श जमीन पर नहीं होना चाहिए।
1 सिर झुकाना, 
2 हाथ जोडऩा, 
3 दोनों, एक साथ सिर झुकाना और हाथ जोड़ना, 
4 हाथ जोड़ना और दोनों घुटने झुकाना, 
5 हाथ जोडऩा, दोनों घुटने झुकाना और सिर झुकाना या 
6 दंडवत प्रणाम अर्थात् साष्टांग प्रणाम इन 6 प्रकार के नमस्कारों से किया जाता है।

ये सभी प्रणाम व्यक्ति को धार्मिक बनाते हैं। ये 6 प्रकार के प्रणाम करने से व्यक्ति का जीवन सार्थक होता है, उसके कर्म सुधरते हैं परंतु साष्टांग प्रणाम महिलाओं को नहीं करना चाहिए, क्योंकि साष्टांग प्रणाम करने से स्त्री का शरीर ज़मीन को स्पर्श करेगा। जबकि स्त्री का गर्भ और उसके वक्ष कभी ज़मीन से स्पर्श नहीं होने चाहिए, क्योंकि उसका गर्भ एक जीवन को सहेजकर रखता है। उसके गर्भ से ही सृष्टि का चक्र चलता है। यहीं से मानव की उत्पत्ति होती है और उसके वक्ष से जीवन को पोषण मिलता है। बच्चे का शरीर गर्भ में बनता है और 9 माह तक गर्भ में ही उसका जीवन होता है। बाहर आने के पश्चात मां के दूध से उसका पालन होता है। इसी कारण महिलाओं को कभी साष्टांग प्रणाम नहीं करना चाहिए। - पुस्तक "क्यों ?" से साभार (लेखक/संकलनकर्ता- राजेश पाठक 9752404020) -अवैतनिक संपादक "धर्म नगरी" / DNNews  
पुस्तक शीघ्र प्रकाशित होगी (अपने नाम, अपनों को पुस्तक भेंट करने हेतु पुस्तक की बुकिंग कराएं और हिन्दू धर्म के सभी परंपरा, संस्कार, रीति-रिवाज में छिपे तथ्य, कारण एवं रहस्यों को अपने बच्चों को बताएं। सम्पर्क- 6261868110 ईमेल- dharm.nagari@gmail.com
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