जगन्नाथ मन्दिर पुरी से जुड़े है अनेक चमत्कार, विशेषताएं एवं अद्भुत रहस्य...
भगवान का हृदय आज भी धड़क रहा है मूर्ति में !
- अद्भुत रहस्यमय चमत्कारिक है मंदिरधर्म नगरी / DN News
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सनातन हिंदू धर्म के अनुसार चार धाम- बदरीनाथ, द्वारिका, रामेश्वरम और पुरी है। प्राचीन काल से मान्यता है, कि भगवान विष्णु जब चारों धाम पर बसे, तो सबसे पहले बदरीनाथ गए। वहां स्नान किया। इसके बाद वो गुजरात के द्वारिका गए। वहां कपड़े बदले। द्वारिका के बाद ओडिशा के पुरी में उन्होंने भोजन किया। अंत में तमिलनाडु के रामेश्वरम में विश्राम किया।
मंदिर से जुड़ी एक मान्यता है, जब भगवान कृष्ण ने अपनी देह का त्याग किया, उनका अंतिम संस्कार किया गया, तो शरीर के एक हिस्से को छोड़कर उनकी पूरी देह पंचतत्व में विलीन हो गई। सदियों से मान्यता है, भगवान कृष्ण का हृदय एक जीवित व्यक्ति की भांति धड़कता रहा। वही हृदय आज भी सुरक्षित है और भगवान जगन्नाथ की लकड़ी की मूर्ति के अंदर है।
तब मंदिर के चारों ओर नहीं होती थी CRPF की तैनाती और शहर में बिजली-
पुजारी की आंखों पर भी पट्टी बांधी जाती है. हाथों में ग्लव्स पहनाए जाते हैं. इसके बाद मूर्तियां बदलने की प्रक्रिया शुरू होती है. पुरानी मूर्तियों की जगह नई मूर्तियां लगा दी जाती हैं, लेकिन एक ऐसी चीज है जो कभी नहीं बदली जाती, ये है ब्रह्म पदार्थ. ब्रह्म पदार्थ को पुरानी मूर्ति से निकालकर नई मूर्ति में लगा दिया जाता है।
पुरानी मूर्ति से निकालकर नई मूर्ति में लगाते हैं ब्रह्म पदार्थ-
ये ब्रह्म पदार्थ क्या है, इसके बारे में आजतक कोई जानकारी किसी के पास नहीं है. बस कुछ किस्से हैं जो मूर्ति बदलने वाले पुजारियों से सुनने को मिले हैं. ये ब्रह्म पदार्थ हर 12 साल में पुरानी मूर्ति से नई मूर्ति में बदल दिया जाता है, लेकिन मूर्ति बदलने वाले पुजारी को भी नहीं पता होता है कि वो क्या है. मान्यता ये है कि इस ब्रह्म पदार्थ को अगर किसी ने देख लिया तो उसकी मौत हो जाएगी. कहा ये भी जाता है कि अगर इस पदार्थ को किसी ने देख लिया तो सामने वाले के शरीर के चीथड़े उड़ जाएंगे.
किवदंती या मान्यता है, कि इस ब्रह्म पदार्थ का संबंध श्रीकृष्ण से है मूर्ति बदलने वाले कुछ पुजारियों ने बताया है कि जब ब्रह्म पदार्थ पुरानी मूर्ति से निकालकर नई मूर्ति में डालते हैं तो हाथों से ही ऐसा किया जाता है, उस वक्त ऐसा लगता है कि हाथों में कुछ उछल रहा है, जैसे खरगोश उछल रहा हो, कोई ऐसी चीज है जिसमें जान है. क्योंकि हाथों में दस्ताने होते हैं इसलिए उस पदार्थ के बारे में ज्यादा एहसास नहीं हो पाता है. यानी ब्रह्म पदार्थ के किसी जीवित पदार्थ होने की कहानियां जरूर हैं, लेकिन इसकी हकीकत क्या है, ये कोई नहीं जानता.
समुद्र की लहरों की ध्वनि सिंहद्वार से-
जगन्नाथ पुरी मंदिर समंदर किनारे पर है. मंदिर में एक सिंहद्वार है. कहा जाता है कि जब तक सिंहद्वार में कदम अंदर नहीं जाता तब तक समंदर की लहरों की आवाज सुनाई देती है, लेकिन जैसे ही सिंहद्वार के अंदर कदम जाता है लहरों की आवाज गुम हो जाती है. इसी तरह सिंहद्वार से निकलते वक्त वापसी में जैसे ही पहला कदम बाहर निकलता है, समंदर की लहरों की आवाज फिर आने लगती है.
ऐसा कहा जाता है, सिंहद्वार में कदम रखने से पहले आसपास जलाई जाने वाली चिताओं की गंध भी आती है, लेकिन जैसे ही कदम सिंहद्वार के अंदर जाता है ये गंध भी समाप्त हो जाती है. सिंहद्वार के ये रहस्य भी अब तक रहस्य ही बने हैं।
नहीं दीखते पक्षी-
प्रायः मंदिर, किसी सार्वजनिक भवन आदि पर पक्षियों को बैठे हुए देखा जाता है, परन्तु जगन्नाथ मंदिर पर कभी किसी पक्षी को उड़ते हुए नहीं देखा गया. कोई पक्षी मंदिर परिसर में बैठे हुए दिखाई नहीं दिया. यही वजह है कि मंदिर के ऊपर से हवाई जहाज, हेलिकॉप्टर के उड़ने पर भी मनाही है.
मंदिर की छाया नहीं, उलटी दिशा में उड़ता है झंडा-
जगन्नाथ मंदिर करीब चार लाख वर्ग फीट एरिया में है. इसकी ऊंचाई 214 फीट है. आमतौर पर दिन में किसी वक्त किसी भी इमारत या चीज या इंसान की परछाई जमीन दिखाई देती है लेकिन जगन्नाथ मंदिर की परछाई कभी किसी ने नहीं देखी. इसके अलावा मंदिर के शिखर पर जो झंडा लगा है, उसे लेकर भी बड़ा रहस्य है. इस झंडे को हर रोज बदलने का नियम है. मान्यता है कि अगर किसी दिन झंडे को नहीं बदला गया तो शायद मंदिर अगले 18 सालों के लिए बंद हो जाएगा. इसके अलावा ये झंडा हमेशा हवा की विपरीत दिशा में उड़ता है. मंदिर के शिखर पर एक सुदर्शन चक्र भी है. कहा जाता है कि पुरी के किसी भी कोने से अगर इस सुदर्शन चक्र को देखा जाए तो उसका मुंह आपकी तरफ ही नजर आता है।
अद्भुत रहस्य है मंदिर की रसोई का-
भगवन जगन्नाथ मंदिर में दुनिया की सबसे बड़ी रसोई है. इस रसोई में 500 रसोइये और 300 उनके सहयोगी काम करते हैं. इस रसोई से जुड़ा एक रहस्य ये है कि यहां चाहे लाखों भक्त आ जाएं कभी प्रसाद कम नहीं पड़ा. लेकिन जैसे ही मंदिर का गेट बंद होने का वक्त आता है प्रसाद अपने आप खत्म हो जाता है. यानी यहां प्रसाद कभी व्यर्थ नहीं होता है।
मंदिर में जो प्रसाद बनता है, वो लकड़ी के चूल्हे पर बनाया जाता है. ये प्रसाद सात बर्तनों में बनाया जाता है. सातों बर्तन को एक-के ऊपर एक करके एक-साथ रखा जाता है. यानी सातों बर्तन चूल्हे पर एक सीढ़ी की तरह रखे होते हैं. सबसे आश्चर्यजनक ये है, कि जो बर्तन सबसे ऊपर अर्थात सातवें नंबर का बर्तन होता है उसमें सबसे पहले प्रसाद बनकर तैयार होता है. इसके बाद छठे, पांचवे, चौथे, तीसरे, दूसरे और पहले यानी सबसे नीचे के बर्तन का प्रसाद तैयार होता है।
- राजेश पाठक अवैतनिक सम्पादक
सनातन हिंदू धर्म के अनुसार चार धाम- बदरीनाथ, द्वारिका, रामेश्वरम और पुरी है। प्राचीन काल से मान्यता है, कि भगवान विष्णु जब चारों धाम पर बसे, तो सबसे पहले बदरीनाथ गए। वहां स्नान किया। इसके बाद वो गुजरात के द्वारिका गए। वहां कपड़े बदले। द्वारिका के बाद ओडिशा के पुरी में उन्होंने भोजन किया। अंत में तमिलनाडु के रामेश्वरम में विश्राम किया।
पुरी में भगवान श्री जगन्नाथ का मंदिर है। मंदिर में भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बालभद्र और बहन सुभद्रा की काठ (लकड़ी) की मूर्तियां हैं। लकड़ी की मूर्तियों वाला ये देश का अद्भुत मंदिर है। जगन्नाथ मंदिर की ऐसी अनेक विशेषताएं एवं चमत्कार हैं, मंदिर से जुड़ी ऐसी कई कहानियां हैं जो सदियों से रहस्य बनी हुई हैं।
मंदिर से जुड़ी एक मान्यता है, जब भगवान कृष्ण ने अपनी देह का त्याग किया, उनका अंतिम संस्कार किया गया, तो शरीर के एक हिस्से को छोड़कर उनकी पूरी देह पंचतत्व में विलीन हो गई। सदियों से मान्यता है, भगवान कृष्ण का हृदय एक जीवित व्यक्ति की भांति धड़कता रहा। वही हृदय आज भी सुरक्षित है और भगवान जगन्नाथ की लकड़ी की मूर्ति के अंदर है।
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तब मंदिर के चारों ओर नहीं होती थी CRPF की तैनाती और शहर में बिजली-
मंदिर की तीनों मूर्तियां प्रत्येक 12 वर्ष में बदली जाती हैं। पुरानी मूर्तियों की जगह नई मूर्तियां स्थापित की जाती हैं। मूर्ति बदलने की इस प्रक्रिया से जुड़ा भी एक रोचक तथ्य या किस्सा है। जिस समय मूर्तियां बदली जाती हैं, तो पूरे शहर में बिजली काट दी जाती है। मंदिर के आसपास पूरी तरह अंधेरा कर दिया जाता है। मंदिर के बाहर सीआरपीएफ की सुरक्षा तैनात कर दी जाती है। मंदिर में किसी की भी प्रवेश पर पूर्ण प्रतिबन्ध होता है। केवल उसी पुजारी को मंदिर के अंदर जाने की अनुमति होती है। जिन्हें मूर्तियां बदलनी होती हैं।
पुजारी की आंखों पर भी पट्टी बांधी जाती है. हाथों में ग्लव्स पहनाए जाते हैं. इसके बाद मूर्तियां बदलने की प्रक्रिया शुरू होती है. पुरानी मूर्तियों की जगह नई मूर्तियां लगा दी जाती हैं, लेकिन एक ऐसी चीज है जो कभी नहीं बदली जाती, ये है ब्रह्म पदार्थ. ब्रह्म पदार्थ को पुरानी मूर्ति से निकालकर नई मूर्ति में लगा दिया जाता है।
पुरानी मूर्ति से निकालकर नई मूर्ति में लगाते हैं ब्रह्म पदार्थ-
ये ब्रह्म पदार्थ क्या है, इसके बारे में आजतक कोई जानकारी किसी के पास नहीं है. बस कुछ किस्से हैं जो मूर्ति बदलने वाले पुजारियों से सुनने को मिले हैं. ये ब्रह्म पदार्थ हर 12 साल में पुरानी मूर्ति से नई मूर्ति में बदल दिया जाता है, लेकिन मूर्ति बदलने वाले पुजारी को भी नहीं पता होता है कि वो क्या है. मान्यता ये है कि इस ब्रह्म पदार्थ को अगर किसी ने देख लिया तो उसकी मौत हो जाएगी. कहा ये भी जाता है कि अगर इस पदार्थ को किसी ने देख लिया तो सामने वाले के शरीर के चीथड़े उड़ जाएंगे.
किवदंती या मान्यता है, कि इस ब्रह्म पदार्थ का संबंध श्रीकृष्ण से है मूर्ति बदलने वाले कुछ पुजारियों ने बताया है कि जब ब्रह्म पदार्थ पुरानी मूर्ति से निकालकर नई मूर्ति में डालते हैं तो हाथों से ही ऐसा किया जाता है, उस वक्त ऐसा लगता है कि हाथों में कुछ उछल रहा है, जैसे खरगोश उछल रहा हो, कोई ऐसी चीज है जिसमें जान है. क्योंकि हाथों में दस्ताने होते हैं इसलिए उस पदार्थ के बारे में ज्यादा एहसास नहीं हो पाता है. यानी ब्रह्म पदार्थ के किसी जीवित पदार्थ होने की कहानियां जरूर हैं, लेकिन इसकी हकीकत क्या है, ये कोई नहीं जानता.
समुद्र की लहरों की ध्वनि सिंहद्वार से-
जगन्नाथ पुरी मंदिर समंदर किनारे पर है. मंदिर में एक सिंहद्वार है. कहा जाता है कि जब तक सिंहद्वार में कदम अंदर नहीं जाता तब तक समंदर की लहरों की आवाज सुनाई देती है, लेकिन जैसे ही सिंहद्वार के अंदर कदम जाता है लहरों की आवाज गुम हो जाती है. इसी तरह सिंहद्वार से निकलते वक्त वापसी में जैसे ही पहला कदम बाहर निकलता है, समंदर की लहरों की आवाज फिर आने लगती है.
ऐसा कहा जाता है, सिंहद्वार में कदम रखने से पहले आसपास जलाई जाने वाली चिताओं की गंध भी आती है, लेकिन जैसे ही कदम सिंहद्वार के अंदर जाता है ये गंध भी समाप्त हो जाती है. सिंहद्वार के ये रहस्य भी अब तक रहस्य ही बने हैं।
नहीं दीखते पक्षी-
प्रायः मंदिर, किसी सार्वजनिक भवन आदि पर पक्षियों को बैठे हुए देखा जाता है, परन्तु जगन्नाथ मंदिर पर कभी किसी पक्षी को उड़ते हुए नहीं देखा गया. कोई पक्षी मंदिर परिसर में बैठे हुए दिखाई नहीं दिया. यही वजह है कि मंदिर के ऊपर से हवाई जहाज, हेलिकॉप्टर के उड़ने पर भी मनाही है.
मंदिर की छाया नहीं, उलटी दिशा में उड़ता है झंडा-
जगन्नाथ मंदिर करीब चार लाख वर्ग फीट एरिया में है. इसकी ऊंचाई 214 फीट है. आमतौर पर दिन में किसी वक्त किसी भी इमारत या चीज या इंसान की परछाई जमीन दिखाई देती है लेकिन जगन्नाथ मंदिर की परछाई कभी किसी ने नहीं देखी. इसके अलावा मंदिर के शिखर पर जो झंडा लगा है, उसे लेकर भी बड़ा रहस्य है. इस झंडे को हर रोज बदलने का नियम है. मान्यता है कि अगर किसी दिन झंडे को नहीं बदला गया तो शायद मंदिर अगले 18 सालों के लिए बंद हो जाएगा. इसके अलावा ये झंडा हमेशा हवा की विपरीत दिशा में उड़ता है. मंदिर के शिखर पर एक सुदर्शन चक्र भी है. कहा जाता है कि पुरी के किसी भी कोने से अगर इस सुदर्शन चक्र को देखा जाए तो उसका मुंह आपकी तरफ ही नजर आता है।
अद्भुत रहस्य है मंदिर की रसोई का-
भगवन जगन्नाथ मंदिर में दुनिया की सबसे बड़ी रसोई है. इस रसोई में 500 रसोइये और 300 उनके सहयोगी काम करते हैं. इस रसोई से जुड़ा एक रहस्य ये है कि यहां चाहे लाखों भक्त आ जाएं कभी प्रसाद कम नहीं पड़ा. लेकिन जैसे ही मंदिर का गेट बंद होने का वक्त आता है प्रसाद अपने आप खत्म हो जाता है. यानी यहां प्रसाद कभी व्यर्थ नहीं होता है।
मंदिर में जो प्रसाद बनता है, वो लकड़ी के चूल्हे पर बनाया जाता है. ये प्रसाद सात बर्तनों में बनाया जाता है. सातों बर्तन को एक-के ऊपर एक करके एक-साथ रखा जाता है. यानी सातों बर्तन चूल्हे पर एक सीढ़ी की तरह रखे होते हैं. सबसे आश्चर्यजनक ये है, कि जो बर्तन सबसे ऊपर अर्थात सातवें नंबर का बर्तन होता है उसमें सबसे पहले प्रसाद बनकर तैयार होता है. इसके बाद छठे, पांचवे, चौथे, तीसरे, दूसरे और पहले यानी सबसे नीचे के बर्तन का प्रसाद तैयार होता है।
जगन्नाथपुरी में प्रतिदिन सुबह भगवान जगन्नाथ की आरती शिखर पर ले जाना मंदिर के पुजारी द्वारा, बड़ा ही जोखिम भरा काम है, परन्तु भगवान जगन्नाथ जी की कृपा से सब सम्भव है।
आप भी देखें-
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"धर्म नगरी" का विस्तार हर जिले में हो रहा है. इसलिए शहरी (वार्ड, कालोनी तक) व ग्रामीण (पंचायत, ब्लॉक स्तर तक) क्षेत्रों में स्थानीय प्रतिनिधि, अंशकालीन रिपोर्टर की आवश्यकता है. प्रमुख जिलों, तीर्थ नगरी एवं राज्य की राजधानी में पार्टनर एवं ब्यूरो चीफ नियुक्त करना है. योग्यता- राष्ट्रवादी विचारधारा एवं सक्रियता। वेतन- अनुभवानुसार एवं कमीशन योग्यतानुसार होगा। सम्पर्क- वाट्सएप- 6261868110 ईमेल- dharm.nagari@ gmail.com
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