RBI Monetary Policy: रेपो रेट में नहीं किया परिवर्तन, जिन्होंने लोन लिया है उनकी नहीं बढ़ेगी EMI


आरबीआई ने नहीं किया रेपो रेट में बदलाव, 6.5% ही है 
धर्म नगरी 
DN News (दिल्ली ब्यूरो)
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रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने एक बार फिर रेपो रेट (Repo Rate) अपरिवर्तित रहेगी, इसमें कोई परिवर्तन नहीं किया है। रेपो रेट 6.5 प्रतिशत पर ही रखी गई है। अपनी जून बैठक में आरबीआई मॉनेटरी पॉलिसी (RBI Monetary Policy) समिति ने रेपो रेट में कोई बढ़ोतरी या कटौती न करने का निर्णय लिया है।

RBI ने एक बार फिर से रेपो रेट में कोई बदलाव न करते हुए 2023 में दूसरी बार लगातार रेपो रेट 6.5% ही रखा है। अपनी जून बैठक में आरबीआई मॉनेटरी पॉलिसी (RBI Monetary Policy) समिति ने रेपो रेट में कोई बढ़ोतरी या कटौती न करने का निर्णय किया है। रेपो दरें आरबीआई द्वारा देश में बैंकों को लोन देते समय ली जाने वाली ब्याज दर है। पिछले 1 साल में RBIने हाई इंफ्लेशन को ध्यान में रखते हुए फरवरी 2022 से रेपो दर में 250 आधार अंकों या 2.5% तक की बढ़ोतरी की है।

RBI गवर्नर शशिकांत दास 
महंगाई अभी भी चिंता का विषय
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ताजा आंकड़ों के अनुसार हेडलाइन इंफ्लेशन (अभी भी टार्गेट से ऊपर है और 2023-2024 में हमारे अनुमानों के अनुसार इसके ऊपर ही बने रहने की आशा है। 2023-2024 के दौरान मुद्रास्फीति 5% से ऊपर रह सकती है। वैसे आरबीआई ने अप्रैल पॉलिसी में मुद्रास्फीति के लिए 5.2% के पूर्वानुमान को घटाकर 5.1% कर दिया है।

जीडीपी और 2000 के नोट पर  
2023-24 के लिए 6.5% जीडीपी ग्रोथ (GDP Growth) रेट का अनुमान लगाया गया है। उन्होंने कहा, एवरेज सिस्टम लिक्विडिटी सरप्लस मोड में है और इसमें और भी बढ़ोत्तरी हो सकता है, क्योंकि 2000 रुपये के नोट बैंकों में जमा हो रहे हैं। ग्रामीण मांग में सुधार हो रहा है।

वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 6.5% रियल जीडीपी ग्रोथ का अनुमान लगाते हुए आरबीआई गवर्नर ने कहा, इनमें से पहली तिमाही में 8%, दूसरी तिमाही में 6.5%, तीसरी तिमाही में 6% और चौथी तिमाही में 5.7% ग्रोथ रेट का अनुमान है।

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लोन महंगे नहीं होंगे, EMI भी नहीं बढ़ेगी  
सबसे पहले तो ये जान लीजिए कि आरबीआई के रेपो रेट ने बढ़ाने से जिन लोगों ने लोन ले रखा है, उनकी ईएमआई (EMI) नहीं बढ़ेगी। साथ ही नये लोन भी महंगे नहीं होंगे। इसलिए आप यदि चाहें तो अपने लोन को किसी ऐसे बैंक में शिफ्ट कर सकते हैं, जहां ब्याज दर कम हैं, क्योंकि ब्याज दरों के बढ़ने की संभावना नहीं है। दूसरी चीज, अब एफडी ( FD) में निवेश का सही समय है, क्योंकि एफडी की दरें स्थिर रह सकती हैं। 

उल्लेखनीय है, RBI के पास रेपो रेट के रूप में महंगाई से लड़ने का एक शक्तिशाली टूल है। महंगाई जब बहुत अधिक होती है तो, RBI रेपो रेट बढ़ाकर इकोनॉमी में मनी फ्लो को कम करने का प्रयास करता है। रेपो रेट ज्यादा होगा तो बैंकों को RBI से मिलेने वाला ऋण महंगा होगा। बदले में बैंक अपने ग्राहकों के लिए लोन महंगा कर देते हैं। इससे इकोनॉमी में मनी फ्लो कम होता है। मनी फ्लो कम होता है, तो डिमांड में कमी आती है और महंगाई घट जाती है।

इसी प्रकार जब इकोनॉमी विपरीत काल (बुरे दौर) से गुजरती है, तो रिकवरी के लिए मनी फ्लो बढ़ाने की आवश्यकता होती है। ऐसे में RBI रेपो रेट कम कर देता है। इससे बैंकों को RBI से मिलने वाला  ऋण सस्ता हो जाता है और ग्राहकों को भी सस्ती दर पर लोन मिलता है। जैसे- कोरोना काल में जब इकोनॉमिक एक्टिविटी ठप हो गई थीं, तो डिमांड में कमी हो गई। फिर RBI ने ब्याज दरों को कम करके इकोनॉमी में मनी फ्लो को बढ़ाया था।

जानकारों के अनुसार, रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को न बढ़ाकर एक बार फिर EMI भरने वालों को बड़ी राहत दी है। रिजर्व बैंक के अनुसार महंगाई दर पर नियंत्रण पाने में बहुत सफलता मिली है। इससे पहले 6 बार रेपो रेट को बढ़ाया गया था। अभी रेपो रेट 6.50% ही रहेगी। आने वाले समय में यदि महंगाई इसी प्रकार काबू में रहती है और मानसून भी अच्छा रहता है, तो हो सकता है रिजर्व बैंक रेपो रेट को घटाने का निर्णय ले सकता है।

रेपो रेट में वृद्धि से बैंकों से कर्ज लेने वाले बैंक के ग्राहकों के लिए मुश्किल बढ़ सकती थी। रिजर्व बैंक ने कर्ज लेने वालों के साथ साथ कर्ज देने वाले बैंकों को भी बड़ी राहत दी है। क्योंकि कर्ज महंगा होने से बैंकों सहित कई सेक्टर पर नेगेटिव असर होता है।
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    "बैंकिंग क्षेत्र के लिए साइबर सुरक्षा अभ्यास" पर जी20 का अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन
    भारतीय रिज़र्व बैंक और भारतीय कंप्यूटर आपात प्रतिक्रिया दल (CERT-IN), इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MEITY ), भारत सरकार द्वारा संयुक्त रूप से भारत की जी20 अध्यक्षता के अंतर्गत 5 जून 2023 को मुंबई में "बैंकिंग क्षेत्र के लिए साइबर सुरक्षा अभ्यास" पर एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया। सम्मेलन का आरंभ उप गवर्नर, रिज़र्व बैंक के मुख्य भाषण के साथ हुआ। जिसके बाद महानिदेशक, सीईआरटी-आईएन ने विशेष भाषण दिया। 

    RBI के उप गवर्नर एम. के. जैन ने अपने संबोधन में जोर देकर कहा, कि वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए साइबर जोखिमों का प्रबंधन एक प्रमुख चालक बन गया है। उन्होंने साइबर सुरक्षा को मजबूत करने के लिए वैश्विक सहयोग पूर्व प्रयासों की अनिवार्यता पर जोर दिया और छह विशिष्ट कार्यनीतियों, जिनका वैश्विक समुदाय पालन कर सकता है, को रेखांकित किया।

    महानिदेशक CERT-IN डॉ. संजय बहल ने साइबर हमलों का मुकाबला करने में तीन वैश्विक चुनौतियों पर प्रकाश डाला और वैश्विक समुदाय को एक साथ काम करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, साइबर ड्रिल और अभ्यास सुदूरगामी संबंधों और तैयारियों को बढ़ाने के लिए एक-दूसरे की क्षमताओं का लाभ उठाने में सहायता कर सकते हैं।

    वरिष्ठ वित्तीय क्षेत्र विशेषज्ञ, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) तमस गैदोश और प्रभारी, साइबर रेसिलिएंस को-ऑर्डिनेशन सेंटर डॉ. डेविड व्हाईट, अंतर्राष्ट्रीय निपटान बैंक (बीआईएस) ने भी प्रतिभागियों को संबोधित किया।

    कार्यक्रम में विश्व के बैंकिंग क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा चुनौतियों पर एक पैनल चर्चा हुई। कार्यक्रम के भाग के रूप में कार्यनीतिक और परिचालन साइबर अभ्यास और ड्रिल भी आयोजित किए गए। प्रतिभागियों ने विश्व स्तर पर बैंकों द्वारा सामना की जाने वाली नए युग की साइबर सुरक्षा चुनौतियों पर चर्चा की।

    भारतीय रिज़र्व बैंक, MEITY, IMF, BIS, केंद्रीय बैंकों और जी20 सदस्य देशों की कंप्यूटर आपात प्रतिक्रिया दलों के 200 से अधिक प्रतिभागी, चुनिंदा वाणिज्यिक और शहरी सहकारी बैंकों के एमडी और सीईओ, भारतीय और विदेशी बैंकों के मुख्य सूचना सुरक्षा अधिकारी (CISO) और मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी (सीटीओ) इस कार्यक्रम में सम्मिलित हुए।

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