#कामिका_एकादशी : चातुर्मास में पड़ने वाली एकादशी से पाएं देवता, गन्धर्वों, नागों व सूर्य की कृपा ; पितृ दोष से मुक्ति हेतु...
...योग निद्रा में विष्णुजी का ध्यान कर अवश्य चढ़ाएं तुलसी के पत्ते
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कामिका एकादशी चातुर्मास में श्रावण कृष्ण पक्ष की एकादशी को पड़ती है, जब चातुर्मास में भगवान विष्णु 4 महीने के लिए योग निद्रा में चले जाते है। ऐसे में कामिका एकादशी पर पूजा करके भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए भक्तजन यह व्रत करते हैं।
शास्त्रों के अनुसार, भगवान विष्णु के अराध्य भगवान शिव हैं और भगवान शिव के अराध्य भगवान विष्णु हैं। ऐसे में सावन में आने वाली कामिका एकादशी की पूजा व व्रत करने से सभी देवता, गन्धर्वों, नागों और सूर्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
स्कंद पुराण के अनुसार, श्रावन मास का प्रथम एकादशी व्रत अर्थात कामिका एकादशी व्रत रखने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति प्राप्त होती है। भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। ऐसी मान्यता है, जो भी भक्त कामिका एकादशी पर व्रत करते हैं, उन्हें बुरे कर्मों से मुक्ति मिलती है। साथ ही व्यक्ति के जीवन में धन धान्य की कमी नहीं होती है। इस व्रत को करने से जाने-अनजाने में किए गए पापों से भी मुक्ति मिलती है। अश्वमेध यज्ञ के समान फल की प्राप्ति होती है। कामिका एकादशी पर भगवान विष्णु को तुलसी के पत्ते अर्पित करने से व्यक्ति पितृ दोष से मुक्त होता है।
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सावन महीने में आने वाली एकादशियों को पर्व भी कहा जाता है। सावन मास में भगवान नारायण की पूजा करने वालों से देवता, गंधर्व और सूर्य आदि सब पूजित हो जाते हैं। एकादशी के दिन स्नानादि से पवित्र होने के बाद पूजा का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद भगवान विष्णु की मूर्ति की पूजा करना चाहिए।
ब्रह्माजी ने नारद को बताया
कामिका एकादशी व्रत की कथा सुनना यज्ञ करने के समान है। इस व्रत के बारे में ब्रह्माजी ने देवर्षि नारद को बताया कि पाप से भयभीत मनुष्यों को कामिका एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए। एकादशी व्रत से बढ़कर पापों के नाशों का कोई उपाय नहीं है। स्वयं प्रभु ने कहा है कि कामिका व्रत से कोई भी जीव कुयोनि में जन्म नहीं लेता। जो इस एकादशी पर श्रद्धा-भक्ति से भगवान विष्णु को तुलसी पत्र अर्पण करते हैं, वे इस समस्त पापों से दूर रहते हैं।
कामिका एकादशी व्रत की कथा सुनना यज्ञ करने के समान है। इस व्रत के बारे में ब्रह्माजी ने देवर्षि नारद को बताया कि पाप से भयभीत मनुष्यों को कामिका एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए। एकादशी व्रत से बढ़कर पापों के नाशों का कोई उपाय नहीं है। स्वयं प्रभु ने कहा है कि कामिका व्रत से कोई भी जीव कुयोनि में जन्म नहीं लेता। जो इस एकादशी पर श्रद्धा-भक्ति से भगवान विष्णु को तुलसी पत्र अर्पण करते हैं, वे इस समस्त पापों से दूर रहते हैं।
कामिका एकादशी व्रत कथा
एक प्राचीन कथा अनुसार, बहुत समय पहले गांव के एक क्षत्रिय व्यक्ति का झगड़ा एक ब्राह्मण से हो गया और क्रोध में आ कर क्षत्रिय के हाथों ब्राह्मण की मृत्यु हो गई। जिस का उस को बहुत पछतावा होने लगा। उस व्यक्ति को पंडितों ने ब्राह्मण की क्रिया में भी शामिल नहीं होने दिया। ब्रह्म हत्या का प्रायश्चित हेतु व्यक्ति ने एक ऋषि से इस दोष से मुक्ति का रास्ता पूछा। जिस पर ऋषि ने उस व्यक्ति को कामिका एकादशी के व्रत करने की बात कहीं, जिसे करने से वह व्यक्ति ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्त हो गया।
कामिका एकादशी पूजा विधि
- प्रातः काल जल्दी उठकर स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनें। सबसे पहले पूजा के मंदिर में दीपक जलाएं। व्रत का संकल्प लें और पूजा की तैयारी शुरू करें।
- एक चौकी में पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की मूर्ति प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- भगवान विष्णु की मूर्ति / चित्र को फूल, फल, तिल, दूध, पंचामृतआदि सामग्री अर्पित कर के दिन भर निर्जल व्रत करना चाहिए।
- तुलसी जरूर चढ़ाएं, क्योंकि तुलसी के बिना भगवान विष्णु की पूजा पूरी नहीं मानी जाती जाती है।
- भगवान विष्णु के मंत्र ॐ नमो भगवते वासुदेवाय और श्री विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करने से विशेष लाभ प्राप्त होता हैं।
- कामिका एकादशी की व्रत कथा पढ़ें या सुनें और अंत में आरती करें।
- इस दिन ब्राह्मण को भोजन करवाने एवं दक्षिणा देने का भी बहुत महत्व हैं। कामिका एकादशी की रात्रि को दीप दान करने का भी विधान है।
कामिका एकादशी का महत्व
व्रत करने से व्रती से प्रसन्न हो कर भगवान विष्णु जाने अनजाने किये गए सभी पापों से मुक्ति देते है और भूलोक में सभी प्रकार के सुखों को भोग कर व्रती अंत में विष्णु लोक की प्राप्ति करता है।
शास्त्रों में बताया गया है कि श्रावण मास में कामिका एकादशी व्रत रखने से जाने या अनजाने में हुए पापों से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही यह मान्यता है कि इस व्रत को सफलतापूर्वक रखने से अश्वमेध यज्ञ के समान फल की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एकादशी व्रत के दिन भगवान विष्णु को तुलसी का पत्ता जरूर अर्पित करना चाहिए। ऐसा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।
कामिका एकादशी व्रत पारण
पंचांग के अनुसार,कामिका एकादशी व्रत का पारण 14 जुलाई प्रातः 5:32 से 8:18 के मध्य कर सकते हैं।
पंचांग के अनुसार,कामिका एकादशी व्रत का पारण 14 जुलाई प्रातः 5:32 से 8:18 के मध्य कर सकते हैं।
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