सावन संकष्टी चतुर्थी आज, पैसे की तंगी या कमी है तो करें विशेष उपाय
शिक्षा में बाधा आ रही हो या करियर में विघ्न, तो अवश्य करें व्रत
- चंद्रोदय का समय और पूजा विधि
संकष्टी चतुर्थी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण व्रत है, जो प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। सावन माह की संकष्टी चतुर्थी 06 जुलाई को है। सावन महीने में पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी को गजानन संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित मानी जाती है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है। संकष्टी चतुर्थी के दिन भक्तगण सुख, शांति और समृद्धि के लिए भगवान श्री गणेश की पूजा-अर्चना करते हैं।
चंद्रोदय का समय
6 जुलाई को गजानन संकष्टी चतुर्थी के दिन रात 10 बजकर 12 मिनट पर चंद्रोदय का समय है। चंद्रोदय के बाद आप चंद्रमा को अर्घ्य देकर पूजा करें। अर्घ्य देने के पश्चात संकष्टी चतुर्थी व्रत का पारण कर लें। मान्यता है, इस दिन चन्द्रमा को अर्घ्य देने से विशेषरूप से ऋण से मुक्ति मिलती है। मनोकामना पूर्ण होती है।
- सावन संकष्टी चतुर्थी के दिन प्रातः काल उठकर स्नानादि करने के पश्चात पूजा घर की साफ-सफाई करें और गंगाजल छिड़कें,
- भगवान गणेश को वस्त्र पहनाएं और मंदिर में दीप प्रज्वलित करें,
- गणेश जी का तिलक करें व पुष्प अर्पित करें,
- इसके बाद भगवान गणेश को 21 दूर्वा की गांठ अर्पित करें। गणेश जी को घी के मोतीचूर के लड्डू या मोदक का भोग लगाएं,
- पूजा समाप्त होने के बाद आरती करें और पूजन में हुई भूल-चूक के लिए क्षमा मांगे।
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चतुर्थी तिथि के स्वामी भगवान गणेश हैं और सावन मास के भगवान शिव। इस तरह आप संकष्टी चतुर्थी तिथि पर भगवान शिव और भगवान गणेश की पूजा और कुछ उपाय करने पर शिव परिवार का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। पूजन से आपके सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। वाणी में निखार आता है। इस दिन उन लोगों को अवश्य व्रत करना चाहिए, जिन्हें शिक्षा प्राप्त करने में बाधाएं आ रही हो। इस व्रत के प्रभाव से करियर के सारे विघ्य दूर होते हैं.
भगवान गणेश भक्तों के लिए विघ्नहर्ता माने जाते हैं। कहते हैं, विघ्नहर्ता श्री गणेश की पूजा करने से भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। विधि-विधान से संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से ज्ञान और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। तो चलिए जानते हैं संकष्टी चतुर्थी की तिथि और पूजा विधि के बारे में...
शुभ मुहूर्त
शुभ मुहूर्त
संकष्टी चतुर्थी को "गजानन संकष्टी चतुर्थी" भी कहते हैं, जो 6 जुलाई प्रातः सुबह 10:08 बजे से अगले दिन 7 जुलाई को प्रातः 10:18 बजे तक रहेगी। पूजा करने का शुभ मुहूर्त प्रातः 5:26 से 10:40 तक है। इस मुहूर्त में विधि-विधान पूर्वक भगवान गणेश की पूजा आराधना कर सकते हैं.
चंद्रोदय का समय
6 जुलाई को गजानन संकष्टी चतुर्थी के दिन रात 10 बजकर 12 मिनट पर चंद्रोदय का समय है। चंद्रोदय के बाद आप चंद्रमा को अर्घ्य देकर पूजा करें। अर्घ्य देने के पश्चात संकष्टी चतुर्थी व्रत का पारण कर लें। मान्यता है, इस दिन चन्द्रमा को अर्घ्य देने से विशेषरूप से ऋण से मुक्ति मिलती है। मनोकामना पूर्ण होती है।
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संकष्टी चतुर्थी पूजा-विधि
- भगवान गणेश को वस्त्र पहनाएं और मंदिर में दीप प्रज्वलित करें,
- गणेश जी का तिलक करें व पुष्प अर्पित करें,
- इसके बाद भगवान गणेश को 21 दूर्वा की गांठ अर्पित करें। गणेश जी को घी के मोतीचूर के लड्डू या मोदक का भोग लगाएं,
- पूजा समाप्त होने के बाद आरती करें और पूजन में हुई भूल-चूक के लिए क्षमा मांगे।
करें आज विशेष उपाय
आक का फूल शिव संग गणपति दोनों को प्रिय है. अगर किसी व्यक्ति के पास धन की कमी रहती है तो उसे सावन की संकष्टी चतुर्थी पर घर के मुख्य दरवाजे पर आक की जड़ एक काले कपड़े में बांधकर लटका दें। इससे धन आगमन का मार्ग सुलभ होता है।
राहु-केतु जनित दोष
सावन की गजानन संकष्टी चतुर्थी पर ॐ दुर्मुखाय नमः मंत्र का 108 बार जाप करें। ज्योतिर्विदों के अनुसार, इससे राहु-केतु जनित दोष शांत होता है। हर कार्य में सफलता मिलती है।
धन लाभ हेतु
धन लाभ के लिए संकष्टी चतुर्थी पर श्री अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम पाठ करें। इस दिन यह पाठ करना धनदायक उपाय होता है, जिससे धन आने में हो रही बाधाओ का प्रभाव समाप्त होता है। फलस्वरूप घनागमन के मार्ग खुलते हैं।
कार्यों में बाधा निवारण हेतु
यदि आपके कार्य बनते-बनते बिगड़ रहे हैं, तो सावन की संकष्टी चतुर्थी पर गणपति की 11 दूर्वा गांठ अर्पित करें। गणेश अर्थवशीर्ष का जाप करें। इससे हर दुख दूर होते हैं।
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