पोखरण परमाणु परीक्षण से चंद्रयान 3 तक... 76 साल में अंतरिक्ष के क्षेत्र में देश की उपलब्धियाँ और...
चन्द्रयान-3 के रोवर लैंडर ने चन्द्रमा पर छोड़े देश व इसरो के चिन्ह @DharmNagari |
चंद्रयान-3 का प्रज्ञान रोवर अब चंद्रमा की सतह पर घूम रहा है। हमें ऐतिहासिक चित्र भेज रहे हैं।
Pragyan the Chandrayaan-3 rover which was sitting in the belly of Chandrayan 3 is now roaming on the moon surface. Sending us historical images.
- दुनिया के इतिहास में अंकित हुआ देश की अभूतपूर्व उपलब्धि
- चंद्रयान-3 सफलतापूर्वक चंद्रमा पर हुआ लैंड
- #सोशल_मीडिया से चुनिंदा प्रतिक्रियाएं...
भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर किसी यान (चंद्रयान-3) की लैंडिग कराने वाला विश्व का पहला देश बन गया। साथ चन्द्रमा पर अपना यान उतरने वाले दुनिया का चौथा देश भी बन गया। |
धर्म नगरी / DN News
(W.app- 8109107075 -न्यूज़, कवरेज, विज्ञापन व सदस्यता हेतु)- राजेश पाठक संपादक
निःसन्देश, भारत आज दुनिया भर में सबसे तेजी से विकसित होने वाले देश के रूप में अपना एक नया परिचय बना रहा है। प्राचीन काल में भारत को “विश्व गुरु” का जो मान-सम्मान था, अब लगने लगा है कि वह भारत को फिर से मिलने को जा रहा है। अन्तरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में जिस तेजी से भारत ने प्रगति की है, वह वास्तव में अतुलनीय और सराहनीय हैं। ऐसे में दुनियाभर की दृष्टि फिर से एक बार भारत के ऊपर आ कर रुक गई थी, जब भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने आज (23 अगस्त) सफलतापूर्वक चंद्रयान -3 को चंद्रमा पर लैंड करा करा रहा था।
देखें हम भारतीयों का उत्साह-
सूरत (गुजरात) के डायमंड मार्किट में चंद्रयान-3 की लैंडिंग को देखते भारतीय @DharmNagari
Pubic at Surat diamond market (Gujrat) witnessing historic Chandrayaan3 landing
अँधेरी (मुंबई) में "चंद्रयान-3 की लैंडिंग" को देखते लोग @DharmNagari (धर्म नगरी)
"मामा" के ऊपर सफलतापूर्वक लैंडिंग |
देखें-
चन्द्रयान-1 और चंद्रयान-2 के बाद हमारे देश भारत का ये तीसरा चन्द्रमा पर सबसे बड़ा मिशन था। भूतकाल में दोनों ही चंद्रयानों से मिली सफलता और लैंड न कर पाने के कारण ये तीसरा मिशन ISRO के लिए बहुत अधिक महत्वपूर्ण था। 14 जुलाई को लाँच से लेकर 23 अगस्त तक चंद्रयान 3 पूरी तरह से सही कार्य करते हुए चंद्रमा पर लैंड कर गया। लैंडिंग के कुछ ही देर बाद इसका "प्रज्ञान रोवर" पहली बार चंद्रमा की सतह पर चला, जिसे हम भारतीयों सहित दुनियाभर ने देखा। मिशन के सफलतापूर्वक लैंडिंग के पीछे हमारे वैज्ञानिकों एवं चन्द्रयान मिशन से जुड़े सभी लोगों का अथक परिश्रम भी है।
अगर अत्यंत सरल भाषा में लिखें, तो चंद्रयान-3 मिशन चंद्रयान-2 मिशन का फॉलोअप मिशन है। इसलिए इस मिशन का मुख्य लक्ष्य रहा- “आखिर किस तरह से चन्द्रमा पर सुरक्षित रूप से लैंड किया जा सकता है!” क्योंकि चंद्रयान-2 मिशन के दौरान लैंडिंग के समय थोड़ी सी तकनीकी समस्या का इसरो ने सामना किया था, जिसके कारण चंद्रयान 2 का विक्रम लैंडर क्रैस हो गया था। फिर, चंद्रयान-3 “लैंडर और रोवर” सिस्टम में आता है। 14 जुलाई को इसे इसरो के“LVM3” रॉकेट के जरिये श्रीहरीकोटा स्पेस सेंटर से लाँच किया गया था।
हालांकि! चंद्रयान-3 के अंदर एक विशेष “Spectro-polarimetry of Habitable Planet Earth (SHAPE)” मॉड्यूल भी हैं। इस मॉड्यूल के माध्यम से हम पृथ्वी से चन्द्रमा के स्पेक्ट्रल और पोलर के मेट्रिक मेजरमेंट कर सकते हैं। चंद्रमा पर लैंडर के कई इंस्टूमेंट और कैमरे की मदद से लैंड होने के बाद चंद्रयान-3 का रोवर चन्द्रमा की सतह की रासायनिक संरचना को समझने के लिए कई तरह के शोध करने वाला है। दोनों ही लैंडर और रोवर के अंदर कई विकसित पै-लोड को इन्स्टाल किए गए हैं, ताकि मिशन में किसी भी तरह कि कोई रुकावट न आए। लैंडर में लगे उपकरण हमें चंद्रमा की कई तरह की तस्वीरें भेजेंगे और साथ में
लैंडर के पै-लोड्स
मित्रों! यहाँ लेख के इस भाग में हम चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3 Mission in Hindi) में इस्तेमाल होने वाले लैंडर के पै-लोड के बारे में बाते करेंगे, तो इस भाग को जरा गौर से पढ़िएगा। इस यान के लैंडर में इस्तेमाल होने वाला सबसे अहम पै-लोड का नाम है “Chandra’s Surface Thermophysical Experiment (ChaSTE)”, आप लोगों को बता दूँ कि, इस उपकरण के माध्यम से वैज्ञानिक चन्द्रमा की थर्मल कंड़क्टिविटी और तापमान को माप सकते हैं। इसके साथ, लैंडर के अंदर “Instrument for Lunar Seismic Activity (ILSA)” नाम का भी एक पै-लोड है, जो की लैंडिंग साइट पर हो रहे सेसमीक एक्टिविटी को भाँपने में सक्षम है।
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संबंधित लेख पढ़ें / देखें-
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http://www.dharmnagari.com/2023/08/Chandrayaan-3-Lander-will-need-Sun-light-on-23-August-to-complete-the-mission.html
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भारत का तीसरा चंद्र मिशन : चंद्रयान-3
लैंडर का “Langmuir Probe” (LP) चन्द्रमा के प्लास्मा डैन्सिटी और बदलाव को मापने में सक्षम है। इसके अलावा इसरो ने “NASA” की एक पैसिव लेजर रीट्रोरिफ़्लेक्टर एरे को भी चंद्रयान-3 लैंडर के अंदर लगाया है। इससे वैज्ञानिकों को लुनर लेजर रेंजिंग में सहायता मिलेगी। इन्हीं उपकरणों की सहायता से चंद्रयान का विक्रम लैंडर चार चरणों को सफलतापूर्वक दोहराते हुए आसानी से चंद्रमा की सतह पर लैंड कर गया है। चंद्रयान- 2 से इस बार ये लैंडर बहुत बारीकी से जगह को चुन रहा था और चंद्रमा पर समतल जगह की तलाश में था।
रोवर के पै-लोड्स
चंद्रयान-3 के रोवर के अंदर दो मुख्य पै-लोड हैं। पहला- "Alpha Particle X-ray Spectrometer (APXS)" और दूसरा- "Laser Induced Breakdown Spectroscope (LIBS)।" इन दोनों ही उपकरणों का मुख्य काम लैंडिंग साइट पर मौजूद सतह का सही तरीके से अनुसंधान और उनके एलीमेंटल जानकारीओं को जुटाने का है। अगर हम चंद्रयान-3 में इन्स्टाल किए गए हर एक पै-लोड की बात करें तो, इनमें अधिकांश वैज्ञानिक उपकरण ही हैं, जो किसी न किसी प्रकार से अलग-अलग वैज्ञानिक शोध से जुड़े हुए हैं।
सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र |
हमारी पृथ्वी और चन्द्रमा को इसरो ने चन्द्रयान-3 की लैंडिंग से दो दिन पहले (21 अगस्त) ऐसा दिखाया था #Dharm_Nagari_
चंद्रयान-3 के अंदर... आपको जानकर आश्चर्य हो सकता है, कि चंद्रयान-3 के अंदर अत्यंत ही उन्नत धरण के अल्टिमीटर, वेलोसिटी मीटर, प्रोपल्शन सिस्टम, नेविगेशन और गाइडेंस तथा कंट्रोल सिस्टम, हजार्ड डिटेक्शन और आवोइडान्स सिस्टम आदि लगे है। चंद्रयान-3 को लाँच से पहले कई तरह के कठिन टेस्टिंग से हो कर गुजरना पड़ा हैं। इन टेस्टिंग में इंटीग्रेटेड कोल्ड टेस्ट, इंटीग्रेटेड हॉट टेस्ट और लैंडर लेग मैकानिज़म परफॉर्मेंस टेस्ट आदि शामिल हैं। इन टेस्टिंग के कारण आज चंद्रयान-3 बेहद ही सक्षम और काबिल लुनर लैंडर व रोवर बन चुका है।
अब सम्भवतः एक प्रश्न ये हो सकता हैं- ये चंद्रयान-3 मिशन आखिर कितने समय तक चलेगा ? इसका उत्तर है, ये मिशन “1 लूनर डे” (पृथ्वी के हिसाब से लगभग 14 दिनों तक) तक चलेगा। इसके अलावा वैज्ञानिकों को चन्द्रमा के सतह पर कुछ अति महत्वपूर्ण मेटल जैसे Mg, Al, Si, K, Ca,Ti, Fe आदि के बारे में पता लगाना चाहते हैं। कुछ वैज्ञानिकों को लगता है, कि चन्द्रमा पर मौजूद मेटल्स के माध्यम से वो वहाँ के आंतरिक संरचना को भी समझ सकते हैं।
हालांकि! एक बात ये भी है, कि चंद्रयान-3 में लगे एक उपकरण से हम आने वाले समय में कई बड़े-बड़े मिशनों को भी सफलतापूर्वक पूरा कर सकते हैं। चंद्रयान-3 में लगे उपकरणों के माध्यम से हम जल्द ही पृथ्वी जैसे दूसरे एक्सो-प्लैनेट्स को ढूँढने में सक्षम हो सकते हैं। आपको क्या लगता हैं, क्या चंद्रयान-3 के माध्यम से हम आने वाले समय में पृथ्वी जैसे ग्रहों को ढूँढने में सक्षम हो पाएंगे ? नीचे कमेंट कर के अवश्य ही बताएं।
नीले हरे रंग का चन्द्रमा, ISRO ने (5 अगस्त 2023 को) दिखाया था ऐसा दृश्य चन्द्रयान-3 की यात्रा का |
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चन्द्रयान-3 के सफलता का अंतिम दृश्य- देखें-
असाधारण महिलाएं
यह कोई साधारण महिलाएं नही हैं ये है ISRO की वैज्ञानिक.... तन पर साड़ी, माथे पर कुंकुम और गले में मंगलसूत्र पहने ये महिलाएं कोई आम घरेलू महिलाएं नहीं बल्कि इसरो की वैज्ञानिक हैं, जिन्होंने हाल में ही #चंद्रयान_3 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। महिलाओं की आजादी के नाम पर पिछले कुछ सालों में टी-शर्ट, जींस और बरमूडा पहनने का चलन आम हो गया है, जिसका खोखलापन इन दक्षिण भारतीय महिला वैज्ञानिकों ने दिखाया है। इन्हीं वैज्ञानिकों ने पिछले दिनों चंद्रयान के प्रक्षेपण से पहले बालाजी के दर्शन किये थे।
यह चित्र इस बात का अच्छा उदाहरण है कि संस्कृति कभी भी प्रौद्योगिकी के आड़े नहीं आती.... दूसरी ओर, कुछ लोग अल्प-ज्ञानी या थोड़े पढ़े-लिखे होते हुए अपने को बहुत बड़ा वैज्ञानिक होने का दिखावा करते रहते है...परन्तु वास्तव में ऐसे लोगों को विज्ञान का सामान्य ज्ञान भी नहीं होता... जय हिंद
अपनी पूरी क्षमता / परिश्रम, ईमानदारी के साथ ईश्वर/अपने ईष्ट में अटूट आस्था से किए कर्म का परिणाम सकारात्मक ही होगा है, लक्ष्य अवश्य मिलता है। यदि असफलता मिलती है, तो हमारे कर्म या प्रयास में कोई कमी या चूक होती है। चन्द्रयान-3 की सफलता के बाद ISRO के वैज्ञानिकों का आनन्द... देखें- @DharmNagari
कर्नाटक के एक गांव का चन्द्रयान-3 की सफलता पर एक छोटा, लेकिन सुन्दर उत्सव...
The most beautiful celebration from a village in Karnataka...
देखें / See-
देशभर में हमारी सेना के वीर जवानों ने ISRO व चन्द्रयान-3 की सफलता का ऐसे भी मनाया
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Success of ISRO scientists on Chandrayaan3 celebrated by our brave soldiers across the country.
देखें-
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कांग्रेस की मनमोहन सिंह सरकार में 2013-14 में ISRO का कुल बजट 5,615 करोड़ रु था, जो भाजपा की मोदी सरकार में 2023-24 में कुल बजट 12,543 करोड़ रु हो गया।
देखें अपने "चंदा मामा" को निकट से-
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आसान नहीं था चंद्रयान-3मिशन
भारत के लिए चंद्रयान-3 का मिशन बहुत कठिन था, एक अग्निपरीक्षा थी। चार साल पहले 2019 में चंद्रयान-2 की असफलता का विश्लेषण कर, कमियों को दूर कर और "सफलता के द्वार पर पहुंचकर मिली असफलता" से सीख लेकर भारतीय वैज्ञानिकों ने नए उत्साह एवं आत्मविश्वास के साथ पुनः प्रयास किया। चंद्रयान-2 की असफलता के बाद भारतीय वैज्ञानिकों में हौसलों की नई उड़ान भरने का काम प्रधनमंत्री मोदी की उस स्पीच ने दिया, उन्होंने चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग के बाद दी थी।
पीएम ने बढ़ाया था वैज्ञानिकों का उत्साह
चंद्रयान-2 के असफल होने के बाद पीएम मोदी ने कहा था कि मैं देख रहा था कि जब संपर्क टूटा तो वैज्ञानिकों के चेहरे लटक गए थे, लेकिन आप लोगों ने जो किया, वो छोटी उपलब्धि नहीं हैं। पूरा देश आप पर गर्व कर रहा है। आपकी इस मेहनत ने बहुत कुछ सिखाया है।
चंद्रयान-2 असफलता के बाद PM नरेंद्र मोदी ने वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए कहा था- “हमारी सोच, हमारा चिंतन, हमारे संस्कार इस बात से भरे पड़े हैं जो कहते हैं कि वयं अमृतस्य पुत्रा:। हम अमृत की संतानें हैं, अमृत की संतानों के लिए ना कोई रुकावट है, ना कोई निराशा है। हमें पीछे मुड़कर निराशा की तरफ नहीं देखना है, हमें सबक लेना है, सीखना है और आगे बढ़ते जाना है और लक्ष्य की सफलता तक रुकना नहीं है। हम निश्चित सफल होंगें।”
"हमारा हौसला कमजोर नहीं, मजबूत हुआ है"
वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा था कि साथियो, आज भले ही कुछ रुकावटें आईं हो, कुछ बाधाएं हाथ लगीं हों, लेकिन हमारा हौसला कमजोर नहीं हुआ है बल्कि और मजबूत हुआ है। आज हमारे रास्ते में भले ही आखिरी कदम पर एक रुकावट आई हो, लेकिन इससे हम अपनी मंजिल के रास्ते से डिगे नहीं हैं। आज चंद्रमा को छूने को हमारी इच्छाशक्ति, चंद्रमा को आगोश में लेने की हमारी इच्छाशक्ति, हमारा संकल्प और प्रबल हुआ है, मजबूत हुआ है।
पोखरण परमाणु परीक्षण से चंद्रयान-3 तक...
1960 में इसरो के वैज्ञानिक रॉकेट के हिस्से को साइकिल पर ले जाते हुए |
बैलगाड़ी-साइकिल से आरंभ हुई इसरो की यात्रा
क्या कभी आपने भी अपने मोबाइल या कम्प्यूटर पर वह चित्र देखा है, जिसमें "हमारे वैज्ञानिक साइकिल पर रॉकेट जाते हुए" दिखाई देते हैं। आज (23 अगस्त) चन्द्रयान-3 की सफलता पर जिस प्रकार की दुनिया और दुनियाभर के वैज्ञानिक आश्चर्यचकित है, ऐसे ही लगभग साढ़े छह साल पहले 15 फरवरी 2017 को हुए थे,जब इसरो ने एक साथ एक ही रॉकेट से 104 सेटेलाइटों को लॉन्च कर दुनियाभर में अपना लोहा मनवाया था। इसरो की उस उपलब्धि को इसलिए भी बड़ी कहा गया, क्योंकि अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों को भी अबतक ऐसा कारनामा करने में सफलता नहीं कर सके। इसरो की 15 फरवरी 2017 के दिन मिली अभूतपूर्व सफलता पर पूरे देश ने गर्व का अनुभव किया था, जैसा आज चन्द्रयान-3 की सफलता पर कर रहा है।
इसरो की यात्रा अत्यंत साधारण रूप से साइकिल और बैलगाड़ी के माध्यम से हुआ था। डॉ. विक्रम साराभाई ने 15 अगस्त 1969 को इसरो की स्थापना की थी। वैज्ञानिकों ने पहले रॉकेट को साइकिल पर लादकर प्रक्षेपण स्थल पर ले गए थे। इस मिशन का दूसरा रॉकेट काफी बड़ा और भारी था, जिसे बैलगाड़ी के सहारे प्रक्षेपण स्थल पर ले जाया गया था। इसमें विशेष उल्लेखनीय बात ये थी, कि भारत ने पहले रॉकेट के लिए नारियल के पेड़ों को लांचिंग पैड बनाया था। पूरे भारत में इसरो के 13 सेंटर हैं। देश के वैज्ञानिकों ने पहला स्वदेशी उपग्रह एसएलवी-3 18 जुलाई 1980 को लांच किया गया। इस प्रोजेक्ट के डायरेक्टर पूर्व राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम थे।
वहीं, अब समय का पहिया कुछ यूँ घूमा, कि पूरी दुनिया भारत के चंद्रयान-3 मिशन को टकटकी लगाए देखा। भारत ने आज 23 अगस्त चंद्रयान-3 मिशन को सफलतापूर्वक चन्द्रमा के अँधेरे और ऊबड़-खाबड़ या गड्ढे वाले दक्षिण ध्रुव (साउथ पोल) पर उतरकर दुनिया के इतिहास अपना नाम लिखवा दिया। भारत की अंतरिक्ष की दुनिया में अब तक अनेक बड़ी उपलब्धियों रहीं हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं...
सभी फोटो साभार- #IndiaHistorypic
In 1981, Control Centre In ISRO For Tracking APPLE Satellite. APPLE Was India's First Communication Satellite
''मेरा मानना है कि जिन महत्वपूर्ण संस्थानों और संगठनों का नेतृत्व अब आईएएस अधिकारी कर रहे हैं, उन्हें बेहतर नतीजों के लिए वैज्ञानिकों को सौंप दिया जाना चाहिए।''
ये बात भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (PRL) के तत्कालीन प्रबंधन परिषद के अध्यक्ष प्रोफेसर यूआर राव ने डॉ. विक्रम साराभाई को उनकी 96वीं जयंती (13 अगस्त 2015) के अवसर पर भारत रत्न देने की मांग करते हुए "मेक इन इंडिया" अभियान पर कटाक्ष करते हुए कहा था।
उन्होंने कहा था- हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) जैसे महत्वपूर्ण संस्थानों का नेतृत्व वैज्ञानिकों को करना चाहिए, न कि IAS अधिकारियों को। ''मेरा मानना है कि जिन महत्वपूर्ण संस्थानों और संगठनों का नेतृत्व अब आईएएस अधिकारी कर रहे हैं, उन्हें बेहतर नतीजों के लिए वैज्ञानिकों को सौंप दिया जाना चाहिए।''
पहला सैटेलाइट आर्यभट्ट
एप्पल सैटेलाइट को1981 में ट्रैक करने के लिए इसरो में नियंत्रण केंद्र। एप्पल भारत का पहला संचार उपग्रह था |
भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक- विक्रम साराभाई ने 1947 में अहमदाबाद में भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला की स्थापना की। विक्रम साराभाई को कभी भारत रत्न पुरस्कार नहीं मिला, लेकिन वह सच्चे अर्थों में भारत रत्न हैं। वह व्यक्ति, जिसने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत शून्य से किया।
Vikram Sarabhai, the Father of India's Space Programme. In 1947 he founded Physical Research Laboratory in Ahmedabad. He never got Bharat Ratna Award, but he is Bharat Ratna in True Sense. Vikram Sarabhai, the man, who started India's Space Programme From Scratch. was Mentor to many ISRO Scientists.
ये बात भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (PRL) के तत्कालीन प्रबंधन परिषद के अध्यक्ष प्रोफेसर यूआर राव ने डॉ. विक्रम साराभाई को उनकी 96वीं जयंती (13 अगस्त 2015) के अवसर पर भारत रत्न देने की मांग करते हुए "मेक इन इंडिया" अभियान पर कटाक्ष करते हुए कहा था।
उन्होंने कहा था- हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) जैसे महत्वपूर्ण संस्थानों का नेतृत्व वैज्ञानिकों को करना चाहिए, न कि IAS अधिकारियों को। ''मेरा मानना है कि जिन महत्वपूर्ण संस्थानों और संगठनों का नेतृत्व अब आईएएस अधिकारी कर रहे हैं, उन्हें बेहतर नतीजों के लिए वैज्ञानिकों को सौंप दिया जाना चाहिए।''
इसरो द्वारा 1979 में बनाया गया भारत का दूसरा सैटेलाइट 'भास्कर' India's second satellite 'Bhaskar' built in 1979 by ISRO |
भारत ने अपना पहला सैटेलाइट 'आर्यभट्ट' साल 1975 में अंतरिक्ष में भेजा था। भारत का पहला उपग्रह आर्यभट्ट 19 अप्रैल 1975 को लॉन्च किया गया था, जिसका वजन 360 किलोग्राम है। आर्यभट्ट उपग्रह को इसरो ने सोवियत यूनियन की सहायता से बनाया था।
15 साल पहले लॉन्च हुआ चंद्रयान मिशन
साल 2008 को ISRO ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक बड़ा और ऐतिहासिक कदम बढ़ाया। 22 अक्टूबर 2008 को ISRO के विश्वसनीय PSLV-C 11 रॉकेट पर चन्द्रयान-1 की लॉन्चिंग हुई। इसने चंद्रमा के चारों ओर 3,400 से भी अधिक चक्कर लगाए। चन्द्रयान-1 मिशन के अतंर्गत चन्द्रमा पर पानी के संकेत मिले। 29 अगस्त, 2009 को अंतरिक्ष यान से संचार टूट गया था।
पहले ही प्रयास में मंगल पहुंचा भारत
साल 2014 में ISRO ने एक ऐसा करनामा कर दिखाया, जिससे पूरी दुनिया आश्चर्यचकित हो गई। अपने पहले ही प्रयास भारत ने सफलता प्राप्त करते हुए मंगल पर अपना अंतरिक्ष यान भेजा। इसकी गिनती दुनिया के सबसे सफल स्पेस मिशन में होती है।
इसके बाद 2019 में चन्द्रयान-2 मिशन को लॉन्च किया गया। यद्यपि, यह मिशन सफल नहीं हो पाया। फिर भी, एक बार पुनः अपने उत्साह और आत्मविश्वास के साथ ISRO के वैज्ञानिकों ने चन्द्रयान-3 मिशन को लॉन्च किया। परिणाम आपने भी देखा, जब 23 अगस्त की शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव (South Pole) पर उतरने के साथ ही अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत एक और कीर्तिमान रच दिया। (input- www.isro.gov.in & news channels)
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पढ़ें / सुनें / देखें-
"हनुमानजी की शपथ, हमारे पास कोई सिद्धि, साधना, मंत्र-विधान नहीं, केवल राम नाम जप है" : पं. धीरेन्द्र शास्त्री बागेश्वर धाम-
सावन : सावन में झूले का लें आनंद, तनाव से मिलेगा छुटकारा परंपरागत झूले से नहीं होता था शरीर के जोड़ों व कमर में पीड़ा
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http://www.dharmnagari.com/2023/07/Sawan-Swinging-in-Sawan-has-benefits-reduce-tension-increase-self-confidence.html
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#सोशल_मीडिया से चुनिंदा प्रतिक्रियाएं...
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Chandrayaan 3's lunar touchdown: India scripts history -Nitin Gadkari (Union Minister)-
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Congratulations to all the ISRO scientists for your work.
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Kangana Ranaut shared reaction of father of the Project director of #Chandrayaan3 on her Insta story
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In time of #Chandrayan3Landing the #Macca was covered with big Storm. -@RajNand34106368
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कल 22 अगस्त सुबह से ट्विटर पर एक ट्रेंड चल रहा है कि फ़िल्म एक्टर प्रकाश राज को गिरफ्तार किया जाए FIR भी दर्ज हो चुकी है लेकिन अब तक इस गद्दार को गिरफ्तार करने की खबर नही आई जब एक राष्ट्रवादी पत्रकार मनीष कश्यप पर NSA लगाया जा सकता है तो #चन्द्रयान_3 का मजाक बनाने वाले इस गद्दार प्रकाश राज पर क्यों नही पूरा देश बोल रहा है #ArrestPrakashRaj , आपका क्या कहना है
-@beingarun28
कल 22 अगस्त सुबह से ट्विटर पर एक ट्रेंड चल रहा है कि फ़िल्म एक्टर प्रकाश राज को गिरफ्तार किया जाए FIR भी दर्ज हो चुकी है लेकिन अब तक इस गद्दार को गिरफ्तार करने की खबर नही आई जब एक राष्ट्रवादी पत्रकार मनीष कश्यप पर NSA लगाया जा सकता है तो #चन्द्रयान_3 का मजाक बनाने वाले इस गद्दार प्रकाश राज पर क्यों नही पूरा देश बोल रहा है #ArrestPrakashRaj , आपका क्या कहना है
-@beingarun28
People ask me - "How many shameless people are there in India"?
I tell them - "2.8 Million". -@grajashekar16
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I tell them - "2.8 Million". -@grajashekar16
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Goosebumps #Chandrayaan3 #चंद्रयान_३ -@PuneCityLife
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हम भारतीयों को बहुत गर्व और प्रसन्नता होती है, जब ऐसे कमेंट्स कोई विदेशी देता / देती है-
We feel proud, when listen comments like this from abroad / any foreigner-
India just became the first country to have a successful controlled landing near the south pole of the moon! #space #breakingnews #astronomy #nasa #isro #moonlanding -@astro_alexandra
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