रक्षा बंधन : भाई के साथ पहले करें घर में पूजा, महूर्त व भद्रा का निर्णय, स्वास्थ्य सौभाग्य सफलता हेतु करें उपाय
रक्षा बंधन पर्व का उल्लेख रामायण व महाभारत काल में भी मिलता है
- तीन राशि के जातकों हेतु अनुकूल है रक्षा बंधन
- सोशल मीडिया से चुनिंदा पोस्ट...
धर्म नगरी / DN News
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- राजेश पाठक संपादक
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रक्षा के लिए प्रतिबद्धता या बंधन, जिसमें एक-दूसरे की कलाई पर सूत्र बांधते हैं, जिसे राखी कहते हैं, यही कच्चे सूत का बंधन हमारी अटूट परम्पराओं का प्रतीक है। यह सूत्र गुरु-शिष्य, ब्राह्मण अपने यजमान को एवं बहनें अपने भाई को बांधती हैं। सनातन संस्कृति के अनुसार भाई पर बहन की रक्षा का विशेष दायित्व होता है। अतः यह पर्व भाई-बहन के विशेष त्यौहार के रूप में मनाया जाता है।
मुहूर्त-
श्रवण पूर्णिमा पर पड़ने वाला पर्व रक्षा बंधन को लेकर इस वर्ष भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई है। मुहूर्त का समय भी अलग-अलग पंचांगों के अनुसार अलग-अलग है, 5-7 मिनट से लेकर 30-35 मिनट तक। अब चूँकि पूर्णिमा तिथि 30 अगस्त बुधवार सुबह से लग जाएगी और साथ में भद्रा भी। भद्रा का समय या भद्रा-काल अशुभ माना जाता है, इसलिए इस काल में राखी नहीं बांधते। अधिकांश पंचांगों में राखी बाँधने हेतु 30 अगस्त की रात नौ बजे से अगले दिन 31 अगस्त प्रातः 7:05 बजे के मध्य शुभ बताया है।
ज्योतिष नियमानुसार, रक्षाबंधन पर्व की पूर्णिमा तिथि कम से कम त्रिमुहूर्त व्यापिनी हो। अर्थात सूर्योदय के पश्चात 2 घंटा 24 मिनट (48 x 3 = 144 मिनट) तक रहे, तभी उस तिथि में रक्षाबंधन पर्व माना जाए। इस प्रकार शास्त्रानुसार रक्षाबंधन 31 को नहीं, 30 अगस्त को ही है, परन्तु रात्रि से। अब ये मुहूर्त भी फल के अनुसार इस प्रकार है-
सर्वोत्तम- 30 अगस्त रात्रि 9:01 बजे से,
माध्यम- 31 अगस्त सूर्योदय 5:55 बजे से 7:04 बजे तक
यह समय केवल राखी बाँधने हेतु है। पूजा आप पूर्णिमा तिथि लगने के पश्चात (10:58 बजे से) किसी समय कर सकते है।
भद्रा निर्णय
मुहूर्त चिंतामणि 1/45 के अनुसार, कुम्भ राशि के चन्द्रमा में भद्रा वास पृथ्वी पर होने के कारण इस दिन कुम्भस्थ-चन्द्रमा की भद्रा को पीयूषधारा, मुहूर्त गणपति, भूपाल बल्ल्भ आदि ग्रंथों में अशुभ व अग्राह्य बताया है। ज्योतिर्विदों के अनुसार, भद्रा का वास जिस लोक में होता है, वहीं इसका अधिक प्रभाव मान्य है। मुख्य रूप से भद्रा का वास पृथ्वी पर होने से इसका शुभाशुभ प्रभाव जनमानस के ऊपर अधिक देखा जाता है।
भद्रा में क्यों नहीं बांधते राखी ?
भद्रा को ज्योतिष में एक विशेष काल कहते हैं। भद्रा शनि देव की बहन हैं, जिन्हे 12 नामों से जानते हैं- भद्रा, धन्या, दधिमुखी, महामारी, खरानना, कालरात्रि, महारुद्रा, विष्टि, कुलपुत्रिका, असुरक्षयकरी भैरवी एवं महाकाली। ऐसी मान्यता है, कि भद्रा का स्वरुप बहुत डरावना है और इनका स्वाभाव बहुत क्रूर है। इसलिए सूर्यदेव अपनी बेटी भद्रा के विवाह को लेकर चिंतित रहते थे। भद्रा शुभ कर्मों में बाधा डालती थी, यज्ञों को नहीं होने देती थी. भद्रा के ऐसे स्वाभाव से चिंतिंत होकर सूर्य देव ने ब्रह्माजी से मार्गदर्शन माँगा। तब ब्रह्माजी ने भद्रा से कहा- अगर कोई व्यक्ति तुम्हारे काल अर्थात समय में कोई शुभ काम करता है, तो तुम उसमे बाधा डाल सकती हो, लेकिन जो लोग तुम्हारे काल को छोड़कर शुभ काम करते हैं, तुम्हारा सम्मान करते हैं, उनके कामों में तुम बाधा नहीं डालोगी। इसीलिए भद्रा-काल में कोई शुभ कार्य- विवाह, मुंडन, गृह-प्रवेश, जनेऊ , नए व्यापार का आरंभ, रक्षा सूत्र बांधना आदि नहीं किया जाता।
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इस प्रकार करें पूजा
रक्षा मंत्र (रक्षा सूत्र या राखी बढ़ते समय)-
रक्षा बंधन के चमत्कारी उपाय-
अच्छे स्वास्थ्य हेतु- नारियल सिर से वारकर जलप्रवाह करें,
सौभाग्य में वृद्धि हेतु- शिवालय से कलाई पर कलावा बंधवाएं,
विवाद टालने हेतु- नारियल पर यज्ञोपवीत बांधकर कृष्ण मंदिर में चढ़ाएं,
हानि से बचने के लिए- विष्णु मंदिर में अशोक के पत्तों की माला चढ़ाएं,
प्रोफेशनल सफलता पाने हेतु- भगवान विष्णु पर चढ़ा लाल सूत कलाई पर बांधें,
शिक्षा में सफलता पाने के लिए- टेक्स्टबुक पर रोली से तिलक करें,
व्यापार में सफलता के लिए- गणेश मंदिर में लाल गुड़हल का फूल चढ़ाएं,
पारिवार में आनंद के लिए- घर में गुग्गल से धूप करें,
प्यार मे सफलता के लिए: शिवलिंग पर शहद चढ़ाएं,
विवाहित जीवन में सफलता के लिए- दंपत्ति एक दूसरे को गुड़ खिलाएं।
रक्षा बंधन पर टोटके-
मधुर पारिवारिक संबंधों हेतु- शिवलिंग पर चढ़ा कलावा घर के मेन गेट पर बांधें,
धन आगमन के लिए- गणपती पर चढ़ा तांबे का सिक्का गल्ले या तिजोरी में रखें,
मनोविकार दूर करने हेतु- सफेद कपड़े में बंधा नारियल सिर से वारकर शिवालय में चढ़ाएं,
स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए- लाल कपड़े में नारियल बांधकर विष्णु मंदिर में चढ़ाएं।
अपने घर के पूजन कक्ष या पूजा के मंदिर के सामने आसान लगाकर बैठे। फिर एक तांबे के कलश या लोटे में में जल, दूध, शहद, शक्कर सिक्के डालकर उस पर अशोक के पत्ते और उस पर नारियल रखते हुए कलश स्थापित करें।
कलश को पंच देव (पांच देव) मानकर उसका विधिवत भाई-बहन एक साथ पूजन करें। शुद्ध घी का दीप करें, गुग्गल से धूप करें और लाल चंदन चढ़ाएं। लाल गुडल के फूल चढ़ाएं। अनार व केले चढ़ाएं। गुड़ चढ़ाएं तथा मिष्ठान का भोग लगाएं। यथासंभव लाल चंदन की माला से इन मंत्रों का (एक-एक माला या 11, 21 बार) जाप करें। पूजन के बाद बहन भाई को रोली अक्षत से तिलक करें तथा रक्षा-सूत्र बांधकर भाई की आरती उतारें तथा फलाहार व भोग सभी में बांट दें।
गणेश मंत्र- ॐ गं गणेशय नमः
विष्णु मंत्र- ॐ नमो नारायण
गणेश मंत्र- ॐ गं गणेशय नमः
विष्णु मंत्र- ॐ नमो नारायण
सूर्य मंत्र- ॐ घृणि सूर्याय नमः
मां पार्वती मंत्र- ॐ पार्वत्यै दैव्यायै नमः
शिव मंत्र- ॐ नमः शिवाय
रक्षा मंत्र (रक्षा सूत्र या राखी बढ़ते समय)-
येन बद्धो बलि राजा दानवेन्द्रो-महाबलः।
तेन त्वाम रक्ष-बध्नामि, रक्षे मा-चल मा-चल:॥
तेन त्वाम रक्ष-बध्नामि, रक्षे मा-चल मा-चल:॥
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रेशम की यह डोरी कोमल...
आज द्वारका सजी सलोनी
सावन मास पूर्णिमा आई
हर मन्दिर हर घर आँगन में
शुभ आनन्द घटा है छाई
बूँद-बूँद जल पड़े फुहारें
बरस रही है नेहा बदरी
पकते मीठे पुये कढ़ाई
महक रही है सारी नगरी
माँगे बहन भेंट बहुमोली
ले कर आते प्यारे भाई
हर मन्दिर हर घर आँगन में
शुभ आनन्द घटा है छाई
महल अटारी शोर मचा है
कहाँ गये हैं श्याम सलोने
बहन सुभद्रा करे प्रतीक्षा
भर माखन मिश्री के दोने
ले कर लौटे स्वर्ण पुष्प हैं
भेंट भली बहना को भाई
हर मन्दिर हर घर आँगन में
शुभ आनन्द घटा है छाई
कनक थाल में रखकर राखी
धूप-दीप अक्षत जल रोली
करी तिल बलराम कृष्ण का
बोले मुख से मंगल बोली
माँगे मन्नत महादेव से
पावें सब सुख मेरे भाई
हर मन्दिर हर घर आँगन में
शुभ आनन्द घटा है छाई
रेशम की यह डोरी कोमल
बाँधी आज कलाई तेरी
वचन सनामन निहित है इसमें
रक्षा करना भाई मेरी
इसकी महिमा युगों-युगों से
कवि कोविद गण ने है गाई
हर मन्दिर हर घर आँगन में
शुभ आनन्द घटा है छाई
स्नेहिल बहन सुभद्रा जैसी
कृष्ण दाऊ सम भ्रात जहाँ हैं
पावन भूमि भारत की वह
और जगत में कहा कहाँ है
करें कामना वाँछित प्रभु से
शत-शत शुभ आशीष है पाई
हर मन्दिर हर घर आँगन में
शुभ आनन्द घटा है छाई
-साभार / अनकही
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अच्छे स्वास्थ्य हेतु- नारियल सिर से वारकर जलप्रवाह करें,
सौभाग्य में वृद्धि हेतु- शिवालय से कलाई पर कलावा बंधवाएं,
विवाद टालने हेतु- नारियल पर यज्ञोपवीत बांधकर कृष्ण मंदिर में चढ़ाएं,
हानि से बचने के लिए- विष्णु मंदिर में अशोक के पत्तों की माला चढ़ाएं,
प्रोफेशनल सफलता पाने हेतु- भगवान विष्णु पर चढ़ा लाल सूत कलाई पर बांधें,
शिक्षा में सफलता पाने के लिए- टेक्स्टबुक पर रोली से तिलक करें,
व्यापार में सफलता के लिए- गणेश मंदिर में लाल गुड़हल का फूल चढ़ाएं,
पारिवार में आनंद के लिए- घर में गुग्गल से धूप करें,
प्यार मे सफलता के लिए: शिवलिंग पर शहद चढ़ाएं,
विवाहित जीवन में सफलता के लिए- दंपत्ति एक दूसरे को गुड़ खिलाएं।
रक्षा बंधन पर टोटके-
मधुर पारिवारिक संबंधों हेतु- शिवलिंग पर चढ़ा कलावा घर के मेन गेट पर बांधें,
धन आगमन के लिए- गणपती पर चढ़ा तांबे का सिक्का गल्ले या तिजोरी में रखें,
मनोविकार दूर करने हेतु- सफेद कपड़े में बंधा नारियल सिर से वारकर शिवालय में चढ़ाएं,
स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए- लाल कपड़े में नारियल बांधकर विष्णु मंदिर में चढ़ाएं।
रक्षाबंधन पर विशेष उपाय
यदि आप बहनो का कोई भाई ज्यादा बीमार रहता हो या किसी अन्य समस्याओं में हो, तो निम्न उपाय करना चाहिए-
रक्षा बंधन के दिन राखी बांधने से ठीक पहले अपनी दायीं मुट्ठी में पीली सरसों (1चम्मच) व 7 लोंग लें,
उस सामग्री को भाई के ऊपर से एन्टी क्लॉक वाइज 27 बार (लगातार उल्टा) उसार दें। फिर उसी समय उस सामग्री को गर्म तवे पर डालकर ऊपर से कटोरी उल्टी रखें। जब सारी सामग्री काले रंग की हो जाये, तब नीचे उतार लें और चौराहे पर किसी से फिकवां दें। स्वयं न फेंके।
ध्यान रहे, सरसो व लौंग आपको अपने घर से लेकर जाने है यदि आप विवाहित हैं तो। अन्यथा स्वयं ही बाजार से नए खरीदे। घर के काम में नही लेवे। उपाय के बाद तवे को भी अच्छे से धो लें। सरसो उसरने के बाद ज्यादा देर घर मे न रखें, तुरंत बाहर ले जाएं। इस उपाय को राखी के दिन ही करना है। पुनरावृत्ति न करें।
यदि आप बहनो का कोई भाई ज्यादा बीमार रहता हो या किसी अन्य समस्याओं में हो, तो निम्न उपाय करना चाहिए-
रक्षा बंधन के दिन राखी बांधने से ठीक पहले अपनी दायीं मुट्ठी में पीली सरसों (1चम्मच) व 7 लोंग लें,
उस सामग्री को भाई के ऊपर से एन्टी क्लॉक वाइज 27 बार (लगातार उल्टा) उसार दें। फिर उसी समय उस सामग्री को गर्म तवे पर डालकर ऊपर से कटोरी उल्टी रखें। जब सारी सामग्री काले रंग की हो जाये, तब नीचे उतार लें और चौराहे पर किसी से फिकवां दें। स्वयं न फेंके।
ध्यान रहे, सरसो व लौंग आपको अपने घर से लेकर जाने है यदि आप विवाहित हैं तो। अन्यथा स्वयं ही बाजार से नए खरीदे। घर के काम में नही लेवे। उपाय के बाद तवे को भी अच्छे से धो लें। सरसो उसरने के बाद ज्यादा देर घर मे न रखें, तुरंत बाहर ले जाएं। इस उपाय को राखी के दिन ही करना है। पुनरावृत्ति न करें।
विशेष योग-
रक्षाबंधन पर इस बार शनि और गुरु वक्री अवस्था में अपनी स्वराशि में विराजमान रहेंगे, जिससे कुछ राशियों पर इसके सकारात्मक प्रभाव की प्रबल संभावना है। वहीं, 24 साल बाद रक्षाबंधन पर रवि योग के साथ बुधादित्य-योग और शतभिषा नक्षत्र का संयोग बन रहा है। यह दुर्लभ संयोग भाग्यशाली निम्न तीन राशियों के लिए अनुकूल एवं लाभ देने वाला है-
सिंह- रक्षाबंधन पर बन रहा अद्भुत संयोग सिंह राशि के जातकों हेतु सौभाग्यवर्धक हो सकता है। माता लक्ष्मी और शनि की कृपा से व्यापर से जुड़े लोगों को अच्छा लाभ होने के योग हैं। धन में बढ़ोत्तरी से परिवार में आनंद आएगा। वैवाहिक जीवन में मधुरता आएगी। निवेश हेतु ये समय अनुकूल है और इस अवधि में किया गया निवेश लंबे समय तक लाभ पहुंचाएगा।
मिथुन- रक्षाबंधन का दिन मिथुन राशि के जातकों हेतु अनुकूल है। रक्षाबंधन से अगले एक माह तक अलग-अलग जगह से पैसों की प्राप्ति, धन की समस्याओं से छुटकारा मिलने के प्रबल योग हैं। आर्थिक स्थिति प्रबल होने, बचत करने में सफल होने, पैतृक संपत्ति से धन लाभ होने के भी योग हैं। गुरु ग्रह के शुभ प्रभाव के कारण विवाह में आ रही बाधाएं समाप्त होंगी।
धनु- धनु राशि के जातकों हेतु रक्षाबंधन का दिन अनुकूल एवं भाग्यशाली होगा। लंबे समय से रुके हुए कार्य भी पूर्ण होने एवं जीवनसाथी व परिवार का पूर्ण सहयोग प्राप्त होने के पूर्ण योग हैं। कार्यक्षेत्र में राजयोग का लाभ, आय से स्त्रोत बढ़ने, स्वास्थ में सुधार होंगे, समाज में मान-सम्मान बढ़ने के योग बन रहे हैं। जो छात्र या अभ्यर्थी सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हैं, उनके लिए भी अनुकूल है, सफलता होने के योग बन रहे हैं।
(Disclaimer : उपरोक्त लेख / जानकारी ज्योतिर्विदों, मान्यताओं एवं जानकारियों पर आधारित है।)
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सोशल मीडिया से चुनिंदा पोस्ट...
राखी को धागों की कोरी, परिभाषा मत मानो तुम ,
छुपे हुए कितने अहसासों, के सागर पहचानो तुम ।
रोली कुमकुम थाल सजाकर, पास तुम्हारे आऊँ जब ।
भैया उस पल मन में अपने ,एक वचन को ठानो तुम.....
राखी को ............!!
कल सरहद पर सुना लुटी , कितने अरमानों की डोली ।
एक वतन की एक बहन की, रो बैठी खाली झोली ।
सिसक सिसक कर कहना चाहें, उन आँखों के कुछ मोती ।
कौन सुनेगा क्या कहती हैं, चीख चीख अँखियाँ रोती ।
कुछ पल उस बहना के गम को अपने गम सा जानो तुम......
राखी को............!!
अभी अभी दो लावारिस भी, आये थे घर में अपने ।
पूंछ रहे थे किसने लूटे, उन मासूमों के सपने ।
रोज रात को खाली घर में, बिन खाए ही सोते हैं ।
उनको कहाँ पता अपने भी, इस दुनिया में होते हैं ।
जरा देख कर मासूमों में, खुद को भी पहचानो तुम .......
राखी को..............!!
बस राखी का नाम कलाई, तक ही मत रहने देना ।
नही किसी दुखियारे मन को, लाचारी सहने देना ।
अहसासों के इन धागों को, हर दिल तक पहुंचाना तुम ।
खूब नेकियों की खुशबू से, धरती को महकाना तुम ।
यहीं वचन बस यहीं प्रतिज्ञा राखी के दिन ठानो तुम........
राखी को..............!!
- राहुल द्विवेदी 'स्मित'
-मेरे सभी परिवारजनों को रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं। बहन और भाई के बीच अटूट विश्वास और अगाध प्रेम को समर्पित रक्षाबंधन का ये पावन पर्व, हमारी संस्कृति का पवित्र प्रतिबिंब है। मेरी कामना है, यह पर्व हर किसी के जीवन में स्नेह, सद्भाव और सौहार्द की भावना को और प्रगाढ़ करे। - @narendramodi (प्रधानमंत्री)
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In Jammu & Kashmir's Udhampur, on #RakshaBandhan, school girls and women tied rakhis to #CRPF jawans, echoing the nationwide festivities. See-
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