भाद्रपद अमावस्या : पितरों का आशीर्वाद पाने का दिन, चार राशियों के अनुकूल होगी अमावस्या...
- सनातन पंचांग के अनुसार अमावस्या का महत्व भी है
(धर्म नगरी / DN News)
भाद्रपद अमावस्या (गुरुवार, 14 सितंबर 2023) का दिन अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस दिन विधिपूर्वक स्नान-ध्यान करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुछ उपाय करने से कारोबार, नौकरी और घर-परिवार में चल रही समस्याओं से छुटकारा मिलता है। इसके साथ ग्रह-नक्षत्रों से जुड़े दोष भी समाप्त हो जाते हैं।
भाद्रपद अमावस्या को पिठोरी अमावस्या भी कहा जाता है। इस दिन (भाद्रपद अमावस्या) देवी दुर्गा समेत 64 देवियों की आटे की आकृति बनाकर पूजा की जाती है। पीठ का अर्थ है आटा, इस कारण इसे पिठोरी अमावस्या कहा जाता है।
मारवाड़ी लोग भाद्रपद अमावस्या को बहुत महत्वपूर्ण मानते हैं। इसे मनाने के पीछे मान्यता है, कि इसी दिन श्रीहरि विष्णु ने सभी व्यक्तियों को बुरे कर्मों से छुटकारा देने का वरदान दिया था। मारवाड़ी लोग मानते है, कि भादो अमावस्या के दिन सारी बुरी भावनाओं को दूर करते हुए प्रेम-प्यार के साथ एक नए जीवन का आरम्भ करना चाहिए।
पंचांग के अनुसार अमावस्या का महत्व
विष्णु धर्म शास्त्र (पूर्वजों की आत्मा) के अनुसार यह दिन पितृसत्तात्मक है। लोगों को लगता है, अमावस्या का दिन बहुत अशुभ होता है। यदि कोई व्यक्ति मानसिक रूप से असंतुलित होने का अनुभव करते हैं, तो अमावस्या के दिन वे और भी अधिक असंतुलित हो जाएंगे। चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण इस दिन हर चीज को अपनी ओर खींचता है। अमावस्या तिथि के बारे में ऐसा भी कहा जाता है कि इस दिन पृथ्वी की दुष्ट शक्तियों और बुरी शक्तियां अपने चरम पर होती हैं। अमावस्या तिथि जब सोमवार के दिन पड़ती है, तो उसका विशेष महत्व माना जाता है। कहते हैं, इस दिन विशेष व्रत अनुष्ठान आदि का पालन करने से महिलाओं को संतान की प्राप्ति होती है। साथ ही सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या तिथि का व्रत करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं।
सनातन हिंदू धर्म में अमावस्या 2023 का विशेष धार्मिक महत्व बताया गया है। यह दिन अपने पूर्वजों और दिवंगत परिवार के लोगों का स्मरण करने, उनका तर्पण करने, उनकी पूजा करने और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करने के लिए एक आदर्श समय माना जाता है। ऐसा माना जाता है, जब चन्द्रमा का प्रकाश नहीं होता, तो सूर्य का प्रकाश उन तक पहुंचता है। इस दिन को लेकर ऐसी भी मान्यता है, कि जिन लोगों का देहांत अमावस्या तिथि पर होता है, वह अपनी संतानों और उत्तराधिकारी से मिलने अवश्य आते हैं।
भाद्रपद अमावस्या के कुछ उपाय
- पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए सबसे उत्तम है, उनके नाम का श्राद्ध एवं तर्पण करें। अगर ऐसा नहीं कर सकते तो उनके नाम से अन्न, वस्त्र या फिर अपनी इच्छा अनुसार कोई भी चीज अभावग्रस्त लोगों को दान करें।
- कुंडली में अगर शनि दोष है तो उसे दूर करने के लिए आज के दिन पीपल के पेड़ के नीचे जाकर सरसों के तेल का दीपक जलाएं ।
- इस दिन तेल से चुपड़ी हुई रोटी किसी कुत्ते को खिलाएं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस उपाय को करने से शत्रुओं से जुड़ा भय दूर हो जाता है।
- घर में धन-धान्य की बढ़ोतरी के लिए अमावस्या के दिन पूरे घर की साफ-सफाई करें। ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न रहती हैं।
- अमावस्या के दिन घर के किसी भी कोने में अंधेरा न रहने दें। बल्ब या दिए से प्रकाशित करके रखें।
- भाद्रपद मास की अमावस्या के दिन पूजा-पाठ, नाम जाप कुश के आसन पर बैठकर करना चाहिए।
चार राशियों के लिए शुभ
भाद्रपद की अमावस्या (14 सितंबर) को बुधादित्य योग और पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र योग बन रहा है, जो ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस योग को शुभ है। इन योग के कारण इन चार राशियों के जातकों के लिए इस दिन अनुकूल योग बन रहे हैं-
वृषभ (Taurus)- दुर्लभ संयोग के कारण से वृष राशि के जातकों को आर्थिक लाभ मिलेगा। बहुत समय से रुका काम पूरा होने के प्रबल योग हैं। धन में वृद्धि संभव है। समाज में मान-सम्मान बढ़ेगा। बड़े-बुजुर्गों के आशीर्वाद से कारोबार में वृद्धि देखने को मिलेगी। करियर से जुड़ी कोई शुभ समाचार मिल सकता है।
तुला (Libra)- नौकरीपेशा लोगों के लिए प्रमोशन संभव है। अगर कोई कानूनी मामला चल रहा है तो उसमें भी राहत देखने को मिलेगी। छात्र पढ़ाई के क्षेत्र में प्रगति करेंगे, ऊंचा स्थान प्राप्त करेंगे। घर-परिवार में चल रही समस्या से भी मुक्ति मिलने के योग हैं। स्वास्थ्य को लेकर भी सकारात्मक परिणाम मिलेंगे।
वृश्चिक (Scorpio)- अमावस्या के उक्त दो शुभ संयोग से वृश्चिक राशि के जातकों को अटके धन की प्राप्ति होगी। युवाओं को करियर के लिए परिश्रम करना होगा, उसके उचित परिणाम भी मिलेंगे। मनचाही नौकरी मिलने से मन काफी प्रसन्न रहेगा। कारोबार में लाभ के योग हैं । परिश्रम का उचित परिणाम पाकर बहुत संतुष्टि का अनुभव करेंगे।
कन्या (Virgo)- घर-परिवार में माहौल अनुकूल-आनंददायक रहेगा। किसी नए काम को शुरू करने के लिए परिवार के सदस्यों का पूर्ण सहयोग मिलेगा। व्यापार करने वालों की डील पक्की हो सकती है। निवेश करने से पहले काम की जांच-पड़ताल अवश्य कर लें। युवाओं को नई जिम्मेदारी मिलेगी, उसे निभाने में सफल होंगे।
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भाद्रपद अमावस्या को पिठोरी अमावस्या भी कहा जाता है। इस दिन (भाद्रपद अमावस्या) देवी दुर्गा समेत 64 देवियों की आटे की आकृति बनाकर पूजा की जाती है। पीठ का अर्थ है आटा, इस कारण इसे पिठोरी अमावस्या कहा जाता है।
मारवाड़ी लोग भाद्रपद अमावस्या को बहुत महत्वपूर्ण मानते हैं। इसे मनाने के पीछे मान्यता है, कि इसी दिन श्रीहरि विष्णु ने सभी व्यक्तियों को बुरे कर्मों से छुटकारा देने का वरदान दिया था। मारवाड़ी लोग मानते है, कि भादो अमावस्या के दिन सारी बुरी भावनाओं को दूर करते हुए प्रेम-प्यार के साथ एक नए जीवन का आरम्भ करना चाहिए।
विष्णु धर्म शास्त्र (पूर्वजों की आत्मा) के अनुसार यह दिन पितृसत्तात्मक है। लोगों को लगता है, अमावस्या का दिन बहुत अशुभ होता है। यदि कोई व्यक्ति मानसिक रूप से असंतुलित होने का अनुभव करते हैं, तो अमावस्या के दिन वे और भी अधिक असंतुलित हो जाएंगे। चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण इस दिन हर चीज को अपनी ओर खींचता है। अमावस्या तिथि के बारे में ऐसा भी कहा जाता है कि इस दिन पृथ्वी की दुष्ट शक्तियों और बुरी शक्तियां अपने चरम पर होती हैं। अमावस्या तिथि जब सोमवार के दिन पड़ती है, तो उसका विशेष महत्व माना जाता है। कहते हैं, इस दिन विशेष व्रत अनुष्ठान आदि का पालन करने से महिलाओं को संतान की प्राप्ति होती है। साथ ही सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या तिथि का व्रत करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं।
सनातन हिंदू धर्म में अमावस्या 2023 का विशेष धार्मिक महत्व बताया गया है। यह दिन अपने पूर्वजों और दिवंगत परिवार के लोगों का स्मरण करने, उनका तर्पण करने, उनकी पूजा करने और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करने के लिए एक आदर्श समय माना जाता है। ऐसा माना जाता है, जब चन्द्रमा का प्रकाश नहीं होता, तो सूर्य का प्रकाश उन तक पहुंचता है। इस दिन को लेकर ऐसी भी मान्यता है, कि जिन लोगों का देहांत अमावस्या तिथि पर होता है, वह अपनी संतानों और उत्तराधिकारी से मिलने अवश्य आते हैं।
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- पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए सबसे उत्तम है, उनके नाम का श्राद्ध एवं तर्पण करें। अगर ऐसा नहीं कर सकते तो उनके नाम से अन्न, वस्त्र या फिर अपनी इच्छा अनुसार कोई भी चीज अभावग्रस्त लोगों को दान करें।
- कुंडली में अगर शनि दोष है तो उसे दूर करने के लिए आज के दिन पीपल के पेड़ के नीचे जाकर सरसों के तेल का दीपक जलाएं ।
- इस दिन तेल से चुपड़ी हुई रोटी किसी कुत्ते को खिलाएं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस उपाय को करने से शत्रुओं से जुड़ा भय दूर हो जाता है।
- घर में धन-धान्य की बढ़ोतरी के लिए अमावस्या के दिन पूरे घर की साफ-सफाई करें। ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न रहती हैं।
- अमावस्या के दिन घर के किसी भी कोने में अंधेरा न रहने दें। बल्ब या दिए से प्रकाशित करके रखें।
- भाद्रपद मास की अमावस्या के दिन पूजा-पाठ, नाम जाप कुश के आसन पर बैठकर करना चाहिए।
चार राशियों के लिए शुभ
भाद्रपद की अमावस्या (14 सितंबर) को बुधादित्य योग और पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र योग बन रहा है, जो ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस योग को शुभ है। इन योग के कारण इन चार राशियों के जातकों के लिए इस दिन अनुकूल योग बन रहे हैं-
वृषभ (Taurus)- दुर्लभ संयोग के कारण से वृष राशि के जातकों को आर्थिक लाभ मिलेगा। बहुत समय से रुका काम पूरा होने के प्रबल योग हैं। धन में वृद्धि संभव है। समाज में मान-सम्मान बढ़ेगा। बड़े-बुजुर्गों के आशीर्वाद से कारोबार में वृद्धि देखने को मिलेगी। करियर से जुड़ी कोई शुभ समाचार मिल सकता है।
तुला (Libra)- नौकरीपेशा लोगों के लिए प्रमोशन संभव है। अगर कोई कानूनी मामला चल रहा है तो उसमें भी राहत देखने को मिलेगी। छात्र पढ़ाई के क्षेत्र में प्रगति करेंगे, ऊंचा स्थान प्राप्त करेंगे। घर-परिवार में चल रही समस्या से भी मुक्ति मिलने के योग हैं। स्वास्थ्य को लेकर भी सकारात्मक परिणाम मिलेंगे।
वृश्चिक (Scorpio)- अमावस्या के उक्त दो शुभ संयोग से वृश्चिक राशि के जातकों को अटके धन की प्राप्ति होगी। युवाओं को करियर के लिए परिश्रम करना होगा, उसके उचित परिणाम भी मिलेंगे। मनचाही नौकरी मिलने से मन काफी प्रसन्न रहेगा। कारोबार में लाभ के योग हैं । परिश्रम का उचित परिणाम पाकर बहुत संतुष्टि का अनुभव करेंगे।
कन्या (Virgo)- घर-परिवार में माहौल अनुकूल-आनंददायक रहेगा। किसी नए काम को शुरू करने के लिए परिवार के सदस्यों का पूर्ण सहयोग मिलेगा। व्यापार करने वालों की डील पक्की हो सकती है। निवेश करने से पहले काम की जांच-पड़ताल अवश्य कर लें। युवाओं को नई जिम्मेदारी मिलेगी, उसे निभाने में सफल होंगे।
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