#GaneshChaturthi : जहां पर बप्पा विराजते हैं, वहां हर समय रहती है सुख-समृद्धि



इस्लाम आने से लगभग 286 वर्ष पहले, 5वीं शताब्दी ईस्वी में (1500 वर्ष पुराना) अफगानिस्तान के पक्तिया प्रांत के गार्डेज़ में मिली भगवान गणेश की मूर्ति चित्र- साभार 
Nearly 286 years before Islam came,  in 5th Century AD (1500 Years Old ) Lord Ganesha Idol Found In Gardez, Paktia Province of  Afghanistan  
अवंचा (तेलंगाना) में एक ही चट्टान से बनाई गई 800 साल पुरानी गणेश मूर्ति
800 Years Old  Ganesh Idol Carved Out of Single Rock In Avancha, Telangana

धर्म नगरी / DN News
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बुद्धि और शुभता के देव भगवान गणपति जहां पर बप्पा विराजते हैं, वहां हर समय सुख-समृद्धि रहती है। इस साल गणपति बप्पा का आगमन अत्यंत शुभ योग में हो रहा है। गणेश चतुर्थी पर गणपति बप्पा का आगमन रवि-योग में हो रहा है। 19 सितंबर 2023 (मंगलवार) को रवि-योग प्रातः 6:08 बजे से दोपहर 1:48 बजे तक है। पूजा-पाठ के लिए रवि-योग को शुभ माना जाता है। इसके अतिरिक्त 19 सितंबर सुबह 10:54 बजे से दोपहर 1:10 बजे तक वृश्चिक लग्न रहेगा। इस सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त में गणपति बप्पा को आप अपने घर लाकर विराजमान करें और विधि-विधान से पूजा करें।

मूर्ति स्‍थापना का शुभ समय
भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 18 सितंबर को दोपहर 12:39 बजे लगेगी और 19 सितंबर को दोपहर 01:43 बजे तक रहेगी। ऐसे में  (उदयातिथि को ध्यान में रखते हुए) गणेश चतुर्थी मंगलवार (19 सितंबर 2023) को मनाया जाएगा। 19 सितंबर को गणपतिजी की स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 10:50 बजे से 12:52 बजे तक है। जबकि, अति शुभ मुहूर्त अपराह्न 12:52 बजे से 2:56 बजे तक है। 

भगवान गणपति को आप 5, 7 या 10 दिनों के लिए स्‍थापित कर सकते हैं, लेकिन एक बार स्‍थापना होने के बाद मूर्ति को हिलाएं नहीं। इसके बाद शुद्ध आसन पर भगवान के सामने अपना मुख करके बैठे और भगवान का ध्यान करते हुए पूजन सामग्री जैसे पुष्प, धूप, दीप, कपूर, रोली, मौली, लाल चंदन, 21 दूब और मिष्ठान आदि गणेश भगवान को समर्पित करें। भगवान को मोदक और लड्डू जरूर चढ़ाएं, क्योंकि गणपति को ये वस्तु अत्‍यंत प्रिय हैं। 

सुबह-शाम गणपति की पूजा करें। मंत्रों का जाप करें और आरती करें। कहते हैं, गणपति की श्रद्धाभाव से पूजा करने से वे प्रसन्‍न होते हैं और जाते समय परिवार के सारे विघ्न लेकर चले जाते हैं. ध्‍यान रहे, गणपति जब तक आपके घर में विराजें, प्‍याज-लहसुन, नॉनवेज और शराब आदि से पूरी तरह से निषेध करें। 

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भद्रा का साया अमान्य  
गणेश चतुर्थी पर भद्रा का साया है, जो प्रातः 6:08 बजे से दोपहर 01:43 बजे तक भद्रा का साया रहेगा। हालांकि, भद्रा का वास पाताल लोक में होगा, इसलिए इसका दुष्प्रभाव पृथ्वी लोक पर मान्य नहीं होगा और भद्रा  निष्प्रभावी होगा।

गणेश चतुर्थी पूजा विधि
- गणेश चतुर्थी तिथि पर शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखकर सबसे पहले अपने घर के उत्तर भाग, पूर्व भाग, अथवा पूर्वोत्तर भाग में गणेश जी की प्रतिमा रखें,
- फिर पूजन सामग्री लेकर शुद्ध आसन पर बैठें,
- सर्वप्रथम गणेश जी को चौकी पर विराजमान करें और नवग्रह, षोडश मातृका आदि बनाएं,
- चौकी के पूर्व भाग में कलश रखें और दक्षिण पूर्व में दीया जलाएं,
- अपने ऊपर जल छिड़कते हुए ॐ पुण्डरीकाक्षाय नमः कहते हुए भगवान गणेश को प्रणाम करें और तीन बार आचमन करें तथा माथे पर तिलक लगाएं।
- हाथ में गंध अक्षत और पुष्प लें और दिए गए मंत्र को पढ़कर गणेश जी का ध्यान करें,
- इसी मंत्र से उन्हें आवाहन और आसन भी प्रदान करें,
- पूजा के आरंभ से लेकर अंत तक अपने जिह्वा पर हमेशा ॐ श्रीगणेशाय नमःॐ गं गणपतये नमः। मंत्र का जाप अनवरत करते रहें।
- आसन के बाद गणेश जी को स्नान कराएं। पंचामृत हो तो सर्वश्रेष्ठ रहेगा और नहीं हो तो शुद्ध जल से स्नान कराएं,
- उसके बाद वस्त्र, जनेऊ, चंदन, अक्षत, धूप, दीप, नैवेद्य, फल आदि जो भी संभव यथाशक्ति उपलब्ध हो उसे चढ़ाएं,
- अंत में गणेश जी की आरती करें और मनोकामना पूर्ति के लिए आशीर्वाद मांगे,

भूलकर भी गणपति को तुलसी अर्पित न करें। न ही टूटे चावल, सफेद जनेऊ या सफेद वस्‍त्र अर्पित करें. सफेद जनेऊ को हल्‍दी से पीला करने के बाद ही चढ़ाएं. इसके अलावा पीले रंग का ही वस्‍त्र अर्पित करें। सफेद चंदन की बजाय भी पूजा में पीला चंदन प्रयोग करें।
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इसे भी पढ़ें- 

बुधवार को अवश्य करें गणपति के "अथर्वशीर्ष स्त्रोत" का पाठ
जीवन के सभी कष्ट होंगे दूर भगवान गणेश के नाम से 
http://www.dharmnagari.com/2020/12/Ganpati-Atharvashirsha-kare-dukho-ka-nash.html

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