... 7 व 17 नवंबर के चुनाव के लिए लाना था कैश !
- ऐप के अधिकांश यूजर छत्तीसगढ़ केभोपाल (धर्म नगरी / DN News) (W.app- 8109107075 -न्यूज़, कवरेज हेतु)
ऑनलाइन सट्टेबाजी का एप- "महादेव बेटिंग एप" जुड़ा घोटाला एक बार फिर चर्चा में आ गया है। अगस्त 2022 से मामले में मनी लांड्रिंग की जांच कर रहे केंद्रीय जाँच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ा दावा किया। ED ने कहा, कि महादेव ऑनलाइन सट्टेबाजी एप के प्रमोटरों ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को 508 करोड़ रुपये दिए जाने की जांच हो रही है। साथ ही 5.39 करोड़ रुपये के साथ गिरफ्तार किए गए (कैश कूरियर) असीम दास ने पूछताछ में मुख्यमंत्री को पैसा दिए जाने की बात कही है।
लगभग 5,000 करोड़ रुपए के "महादेव बेटिंग एप घोटाले" में रणबीर कपूर, कपिल शर्मा जैसे बॉलीवुड के कई सितारों एवं अपराधियों के बाद CM भूपेश बघेल का नाम आने से "महादेव बेटिंग एप" जुड़ा घोटाला पर राजनीति विधानसभा चुनाव को देखते हुए और तेज हो गई है। इस घोटाले को भाजपा के लिए एक बहुत बड़ा मुद्दा मिलना माना जा रहा है। साथ ही संभावना ये भी है, कि कम से कम दो चरण (7 और 17 नवंबर) में होने वाले छत्तीसगढ़ के मतदान में भ्रष्टाचार बड़ा मुद्दा बन जाए और बड़ा असर डाले, जैसा कि ED ने कहा, कि महादेव ऐप के प्रमोटरों ने भूपेश बघेल को 508 करोड़ रुपए दिए हैं और इन पैसों का इस्तेमाल विधानसभा चुनावों के दौरान प्रचार में किया जाना था।
ऐसे पैसे जमा करने और सट्टा खेलने वालों को देते थे लालच
भिलाई (छत्तीसगढ़) का रहने वाला सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल महादेव ऑनलाइन बुक एप के मेन प्रमोटर हैं। ये अपनी गतिविधियां दुबई से संचालित करते हैं। महादेव बुक कई तरह की वेबसाइट और चैट एप्स पर कई तरह के ग्रुप चलाता है। इसके प्रमोटर अपनी वेबसाइट पर लोगों के कांटैक्ट नंबर का विज्ञापन चलाते हैं और लोगों को फायदा कमाने के लिए गेम खेलने का प्रलोभन देते हैं। ऐसे नंबरों को केवल व्हाट्सप्प पर ही संपर्क किया जा सकता है। एक बार जब यूजर इस नंबर से संपर्क करता है, तो उसे दो अलग नंबर दिए जाते हैं। एक कांटेक्ट नंबर पैसे जमा करने और सट्टा खेलने वालों को यूजर्स आईडी में मिलने वाले पॉइंट्स के लिए होता है। वहीं दूसरा नंबर जुटाए गए पॉइंट्स को भुनाने के लिए वेवसाइट से जुड़ने के लिए होता है।
सौरभ चंद्राकर भिलाई में ही 'जूस फैक्ट्री’ नाम से जूस की एक दुकान चलाता था और उसके पिता का नाम रामेश्वर चंद्राकर नगर निगम में पानी के पंप के ऑपरेटर हैं। समय बीतने के साथ उसकी दोस्ती रवि उप्पल से हो गई, जो एक इंजीनियर था। दोनों ने दिमाग चलाया और साल 2017 में ऑनलाइन सट्टेबाजी के लिए वेबसाइट शुरू किया।
कैसे चलाते थे गेम और करते थे सट्टेबाजी में घपला ?
पैसे जुटाने, यूजर आईडी बनाने, ग्राहकों को User ID क्रेडेंशियल्स देने और पैसे बांटने जैसे कई काम ब्रांच के मालिक करते। इन ब्रांच मालिकों को "पैनल" कहा जाता है, जो गेम यूजर को अंधेरे में रखकर खिलाते थे। इसमें यूजर को केवल शुरुआत में ही फायदा होता था, लेकिन बाद में वो पैसे खोते ही थे।
ईडी के अनुसार, बेटिंग एप कई ब्रांच या शाखाओं द्वारा चलाये जाते थे, जिन्हें (ब्रांच या शाखाओं ) को सौरभ और रवि एक छोटे फ्रैंचाइजी के रूप में बेचते और इनसे होने वाला फायदे का 80% अपने पास रख लेते। सामान्य तौर पर एक पैनल में मालिक और चार कर्मी होते और एक व्यक्ति एक से ज्यादा पैनल का मालिक हो सकता है।
पैनलों का संचालन दुबई से होता
इन पैनलों का संचालन दुबई स्थित मुख्यालय (हेड ऑफिस / HO ) से सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल किया करते। मुख्यालय पैनल मालिक के लिए 'प्रोफाइल' बनाता, जो आगे खिलाड़ियों और सट्टेबाजों की यूजर प्रोफाइल बना सकता है। खिलाड़ियों को बेनामी खातों में पैसा जमा करना होता है, जो उन्हें ऑनलाइन शेयर किए जाते। फिर HO द्वारा यूजर को पैनल सौंपा जाता है। ED के अनुसार, बेनामी बैंक खातों का उपयोग करके भी भुगतान किया जाता, जो (बैंक खाते) धोखाधड़ी से खोले गए या कमीशन के लिए ऋण दिए गए।
मुख्यालय साप्ताहिक शीट पैनल मालिकों के साथ साझा करता, जिसमें सभी कुल लाभ या कुल हानि के आंकड़े शामिल होते। जो भी मुनाफा होता, उसका 20% पैनल संचालक का होता और यह रुपया बैंकिंग चैनल के जरिए या हवाला द्वारा पैनल मालिकों तक पहुंचाई जाती। बाकी बचा मुनाफा मुख्यालय का हो जाता। इसी बीच बैंक खाते और व्हाट्सएप नंबर बार-बार बदल कर यूजर से साथ खेल कर दिया जाता। अगर FIR दर्ज होती, तो आम तौर पर छोटे स्तर के सट्टेबाजों या पैनल ऑपरेटरों को ही गिरफ्तार किया जाता। इस तरह, विदेश में बैठे मुख्य आरोपी भारतीय एजेंसियों की पहुंच से बाहर हैं।
घोटाले में CM भूपेश बघेल का नाम कैसे आया ?
महादेव एप घोटाले को लेकर ईडी ने ने बड़ा दावा करते हुए कहा, कि 2 नवंबर को उसे खुफिया जानकारी मिली, कि 7 और 17 नवंबर 2023 को होने वाले छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों के संबंध में महादेव एप के प्रमोटरों द्वारा छत्तीसगढ़ में बड़ी मात्रा में नकदी ले जाई जा रही है। ईडी के अनुसार, उसकी एक टीम ने होटल ट्राइटन और भिलाई में एक अन्य स्थान पर तलाशी ली और एक कैश कूरियर असीम दास को पकड़ा, जिसे विशेष रूप से सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के चुनावी खर्चों के लिए बड़ी मात्रा में नकदी पहुंचाने के लिए UAE से भेजा गया था। ED ने 5.39 करोड़ रुपये नकद असीम की कार और उनके आवास से बरामद किए।
ED की मानें तो, असीम दास ने स्वीकार किया, कि जब्त धनराशि महादेव एप प्रमोटरों द्वारा छत्तीसगढ़ में आगामी चुनाव खर्चों के लिए एक नेता 'बघेल' को देने की व्यवस्था की गई थी। ईडी ने महादेव एप के कुछ बेनामी बैंक खातों का भी पता लगाया, जिनमें 15.59 करोड़ रुपये की शेष राशि फ्रीज कर दी गई है। असीम दास से पूछताछ और उसके पास से बरामद फोन की फोरेंसिक जाँच से शुभम सोनी (महादेव नेटवर्क के उच्च पदस्थ आरोपितों में से एक) द्वारा भेजे गए एक ईमेल में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। पूर्व में नियमित भुगतान किए गए और अब तक महादेव ऐप द्वारा लगभग 508 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया।
उल्लेखनीय है, घोटाले में ED ने 4 आरोपियों को पहले ही गिरफ्तार करने के साथ 450 करोड़ रुपए भी जब्त कर चुकी है। इसके अलावा, 14 आरोपी के खिलाफ प्रॉसिक्यूशन कंप्लेंट दर्ज किया है।
पुलिसकर्मी भीम यादव क्यों गिरफ्तार हुआ ?
ED के अनुसार, जांच से पता चला है कि पिछले 3 वर्षों में भीम यादव ने गैर कानूनी रूप से दुबई की यात्रा की थी। भीम ने एप के निर्माता और प्रमुख प्रमोटर रवि उप्पल और सौरभ चंद्राकर से मुलाकात की थी। एजेंसी के अनुसार, वह छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ अधिकारियों और राजनेताओं के लाभ के लिए महादेव एप प्रमोटरों से रिश्वत की रकम प्राप्त करने का माध्यम था।
अब आगे क्या होगा ?
ईडी ने कहा कि दोनों आरोपियों को पीएमएलए विशेष न्यायाधीश रायपुर के समक्ष पेश किया गया। एजेंसी ने उनके चौंकाने वाले बयान की स्वतंत्र रूप से पुष्टि करने और मनी लॉन्ड्रिंग के सबूतों का पता लगाने के लिए उनसे हिरासत में पूछताछ की मांग की। न्यायालय ने उन्हें 7 दिनों के लिए ईडी की हिरासत में भेज दिया है। आगे की जांच जारी है।
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