नरक चतुर्दशी / छोटी दीपावली : अकाल मृत्यु से मुक्ति व पितरों का आशीर्वाद पाने का दिन, रात के प्रहर में माँ काली व...


... हनुमानजी की पूजा की करें पूजा  
- छोटी दीपावली पर बन रहे हैं 3 शुभ योग  
नरक चतुर्दशी पर करते हैं यमराज, श्रीकृष्ण, माता काली माता, भगवान शिव, हनुमानजी और विष्णुजी के वामन रूप की विशेष पूजा  

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कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी अर्थात नरक चतुर्दशी (नरका चौदस), रूप चौदस, या रूप चतुर्दशी, काली चौदस या छोटी दीपावली कहते हैं, सनातन हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्व होता है। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा का विधान है। दीपावली के एक दिन पहले और धनतेरस के एक दिन बाद आने वाले इस पर्व के दिन "यम के लिए दीपक" जलाने से यमराज प्रसन्न होते हैं।  

कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी तिथि 11 नवंबर 2023 दोपहर 1:57 बजे आरंभ होकर अगले दिन 12 नवंबर दोपहर 2:44 बजे समाप्त। नरक चतुर्दशी के लिए प्रदोष काल 11 नवंबर को प्राप्त हो रहा है। इसलिए जो लोग माँ काली, हनुमानजी और यम देवता की पूजा रात्रि के प्रहर में करते हैं। ये दोनों ही संकटों से रक्षा करते हैं और नकारात्मकता को दूर करते हैं. उनके आशीर्वाद से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।  

नरक चतुर्दशी या छोटी दीपावली पर तीन शुभ योग   
इस साल छोटी दीपावली पर 3 शुभ योग बन रहे हैं। इस दिन प्रात:काल से ही प्रीति योग बना हुआ है, जो शाम 4:59 बजे तक रहेगा। उसके बाद से आयुष्मान योग शुरू हो जाएगा, जो अगले दिन सायंकाल 4:25 बजे तक रहेगा। सर्वार्थ सिद्धि योग देर रात्रि 1:47 बजे से प्रातःकाल 6:52 बजे तक रहेगा।   

यम दीपक का समय, 
यमराज और नर्क का संबंध
रूप चुतर्दशी के दिन विशेषरूप से यमराज की पूजा की जाती है। मान्यता है, इस दिन घर के मुख्य द्वार पर यम के नाम का दीपक जलाया जाता है और ऐसा करने से परिवार में अकाल मृत्यु का भय दूर हो जाता है। इस दिन विधि-विधान से पूजा करने वाले को सभी तरह के पापों से और साथ ही नर्क से भी मुक्ति मिल जाती है। 

नरक चतुर्दशी पर प्रदोष काल या 
संध्या के समय यम दीपक जलाई जाती है। अकाल मृत्यु से मुक्ति और स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए 
नरक चतुर्दशी का पूजन किया जाता है। प्रदोष काल शनिवार (11 नवंबर) को आरंभ हो जाएगा, अतः शनिवार सायंकाल 5:32 बजे सूर्यास्त के पश्चात से यम दीपक यम का दीपक जला सकते हैं। "यम के लिए दीपक" अर्थात यमराज के लिए तेल का चौमुखा दीपक जलाते हैं और उसे घर से दक्षिण दिशा में रखते हैं। कई स्थानों पर यम के दीपक को नाली के निकट या घर के मुख्य द्वार के पास दक्षिण दिशा में रखते हैं। 

रूप चौदस, उबटन व अभ्यंग स्नान  
नरक चतुर्दशी या रूप चौदस के दिन रूप निखारा जाता है, जिसके लिए प्रात: काल यानी सूर्योदय से पूर्व स्नान की परंपरा है। इसलिए उदया तिथि को देखते हुए कुछ लोग नरक चतुर्दशी 12 नवंबर को मानाएंगे। नरक चतुर्दशी पर सूर्योदय के पूर्व शरीर पर उबटन लगाकर स्नान करने की प्रक्रिया को अभ्यंग स्नान कहा जाता है। अभ्यंग स्नान के लिए उदया तिथि महत्वपूर्ण मानी जाती है। नरक चतुर्दशी की उदया तिथि 12 नवंबर को प्राप्त हो रही है। इस दिन अभ्यंग स्नान का समय सुबह 5:28 बजे से 6:41 बजे तक है।  

काली चौदस पूजा मुहूर्त
काली चौदस (11 नवंबर) की रात में माँ काली की पूजा करते हैं। उनकी कृपा से नकारात्मकता दूर होती है। काली चौदस पर पूजा का मुहूर्त रात 11:45 बजे से देर रात 12:39 बजे तक है। इस प्रकार काली चौदस पूजा हेतु 53 मिनट का शुभ मुहूर्त है। 

हनुमान पूजा मुहूर्त
हनुमानजी की पूजा कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को रात्रि के प्रहर में की जाती है, जो इस बार (11 नवंबर) रात 11:45 बजे से देर रात 12:39 बजे तक है। 
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नरक चतुर्दशी पूजा-विधि
- नरक चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पहले स्नान करके साफ कपड़े पहन लें,
- नरक चतुर्दशी के दिन यमराज, श्रीकृष्ण, काली माता, भगवान शिव, हनुमानजी और विष्णुजी के वामन रूप की विशेष पूजा की जाती है,
- घर के ईशान कोण में इन सभी देवी-देवताओं की प्रतिमा या चित्र स्थापित करके विधि-पूर्वक पूजन करें,
- देवताओं के सामने धूप दीप जलाएं, कुमकुम का तिलक लगाएं और मंत्रों का जाप करें।

 नरक चतुर्दशी से जुड़ी मान्यता

नरक चतुर्दशी के दिन यम देवता का पूजन अकाल मृत्यु से मुक्ति के लिए किया जाता है। वहीं, पौराणिक मान्यताएं एवं अनेक पौराणिक कथाएं हैं, जिनमें सबसे प्रचलित कथा भगवान श्रीकृष्ण से संबंधित है। कथा के अनुसार, नरकासुर देवताओं और ऋषि मुनियों सभी को बहुत अधिक पीड़ित करता था। 
कार्तिक चतुर्दशी के दिन ही भगवान श्रीकृष्ण ने अत्याचारी राक्षस नरकासुर का वध किया और सभी को भयमुक्त किया, 16 हजार 100 कन्याओं को उसकी कैद से मुक्त करा कर उन्हें सम्मान दिलाया। इससे सभी को एक नया जीवन मिला और इसके बाद से नई पहचान प्राप्त करने से स्वयं को संवारने के परंपरा शुरू हुई। इस दिन उबटन लगाकर स्नान किया जाता है, इसलिए इसे रूप चौदस भी कहा जाता है।   

नरक चतुर्दशी के उपाय
- नरक चतुर्दशी के दिन यमराज के नाम से दीपक जलाएं और इसे दक्षिण दिशा में रखें। मान्यता है कि यम के नाम का यह दीपक जलाने से पाप नष्ट होते हैं,
- दक्षिण दिशा पितरों की दिशा मानी जाती है। ऐसे में इस दिशा में दीपक जलाने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है,
- साथ ही नरक चतुर्दशी के दिन अपने घर के बाहर भी कम से कम 5 या 7 दीपक जलाएं।

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