कार्तिक मास में तुलसी पूजन, प्रभाव, तुसलीदल के लाभ, तुसलीजी से धन-वृद्धि उपाय
तुलसी में है माँ लक्ष्मी का वास, तुलसीदल तोड़ने के हैं नियम
- वायु प्रदुषण से बचाता है तुलसी का पौधा
- अनेक हैं धार्मिक, मेडिकल व वैज्ञानिक महत्व
धर्म नगरी / DN News
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रा.पाठक- अवैतनिक संपादक
सनातन हिंदू धर्म में कार्तिक मास का अत्यंत महत्व है, क्योंकि इसी माह में भगवान विष्णु योग निद्रा से जागते हैं, पाँच पर्वों का त्यौहार- दीपावली मनाया जाता है। कार्तिक मास कल (29 अक्टूबर से 27 नवंबर 2023) में तुलसी पूजन विशेष महत्व एवं प्रभाव होता है। कार्तिक में तुलसीजी से जुड़े कुछ उपाय करने से माँ लक्ष्मी की कृपा होती है (धन में वृद्धि होती है), क्योकि भगवान विष्णु को तुलसीजी अति प्रिय हैं। तुलसीजी का पौधा जहाँ लगा होता है, वहां के आस-पास की हवा शुद्ध (इस लेख के अंत में पढ़ें) हो जाती है। तुलसी के नियमित सेवन से शरीर में ऊर्जा का प्रवाह होता है। व्यक्ति की आयु बढ़ती है। शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाने के साथ बैक्टीरिया और वायरल इंफेक्शन से भी लड़ता है। अर्थात संक्रामक रोगों से निपटने के लिए तुलसी प्रभावी उपाय है।
- कार्तिक मास में तुलसी-पूजा करने से अकाल मृत्यु की आशंका कम होती है। कार्तिक माह पर्यन्त तुलसीजी के सम्मुख दीपक जलाकर उनको प्रणाम करना अति पुण्यदायी होता है।
- कार्तिक में प्रातःकाल शीघ्र उठकर तुलसी को जल चढ़ाएं, कार्तिक में तुलसी के पौधे का दान भी करें। हर गुरुवार को तुलसी के पौधे को कच्चे दूध से सींचना चाहिए। शाम को तुलसी के सामने दीपक जलाना चाहिए।
महाप्रसाद जननी, सर्व सौभाग्यवर्धिनी
आधि व्याधि हरा नित्यं, तुलसी त्वं नमोस्तुते..
प्रतिदिन तुलसीजी का ध्यान करते हुए इस मंत्र का जाप अवश्य करें।
महाप्रसाद जननी, सर्व सौभाग्यवर्धिनी
आधि व्याधि हरा नित्यं, तुलसी त्वं नमोस्तुते..
प्रतिदिन तुलसीजी का ध्यान करते हुए इस मंत्र का जाप अवश्य करें।
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- गुरुवार को तुलसी के छोटे से पौधे को पीले कपड़े में बांधकर ऑफिस या दुकान में रखें। ऐसा करने से व्यापार-कारोबार में उन्नति होती है और नौकरी में प्रगति (promotion) की संभावना भी बढ़ जाती है।- सोमवार को सुबह स्नान करने के बाद तुलसी के पाँच पत्ते तोड़कर भगवान शिव एवं भगवान विष्णु का ध्यान करें। इसके बाद पत्तों को गंगाजल से धोकर मंदिर में रख दें। रात को सोने से पहले इन पत्तों को तकिए के नीचें रखकर सोएं।
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तुलसी का पौधा न केवल पूजनीय है, धार्मिक दृष्टिकोण से महत्व है, बल्कि स्वास्थ्य की दृष्टि से, औषधीय गुण होने से विशेष महत्व है। तुलसीदल (तुलसी की पत्तियां) भी बहुत गुणकारी है। प्रत्येक हिंदू परिवार के घर पर तुलसी का पौधा अवश्य ही लगा होता है। हर एक पूजा या अनुष्ठान में तुलसी पत्र (तुसलीदल) को अवश्य सम्मिलित करते है। सृष्टि के संचालक भगवान विष्णु को तुलसीजी बहुत प्रिय है। तुलसी के बिना कोई भी धार्मिक अनुष्ठान पूरा नहीं माना जाता है।
- तुलसी की पत्तियों का सेवन सर्दी-जुकाम में काढ़ा बनाने में किया जाता है, जिससे बहुत लाभ मिलता है।
- - कहीं पर भी चोट लगी हो, तो तुलसी के पत्तों को पीसकर फिटकरी मिलाकर लगाने से घाव जल्दी भर जाता है। तुलसीदल में एंटी-बैक्टीरियल तत्व होते हैं, जो घाव को पकने नहीं देता और शीघ्र ठीक कर देता है।
- - पुरुषों की शारीरिक कमजोरी में तुलसी का बीज लाभकारी होता है।
- - महिलाओं में अनियमित पीरियड की समस्या को भी तुलसी का दूर करता है।
- - तुलसी का काढ़ा या फिर प्रातः उठकर सबसे पहले (निहारे मुंह) तुलसी खाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती (इम्यूनिटी बूस्ट) होती है।
- - अगर दांत में पीड़ा हो रहा है, तो तुलसीदल पीसकर उसका रस उस पर लगाने से आराम मिलेगा।
- इसके अतिरिक्त तुलसीदल पथरी की समस्या के अलावा टाइफाइड और मलेरिया में भी प्रभावी है।
- -तुलसी की पत्तियों में पोटैशियम की मात्रा अधिक होती है। यदि आप बीपी की पहले से ही कोई दवा खा रहे हैं, तो उसके साथ इसे खाने से बीपी बहुत अधिक कम (लो) हो सकता है।
- ध्यान रखें- यदि आप प्रतिदिन तुलसी की पत्तियों का सेवन करते हैं और आपकी कोई सर्जरी होने वाली है या हुई है, तो इसे खाना छोड़ दें। तुलसी की पत्तियां खून को पतला करती है, जिसके कारण सर्जरी के समय या बाद में ब्लीडिंग का खतरा बढ़ जाता है।
- तुलसी की पत्तियों स्वभाव (तासीर) गर्म होती है, इसलिए इसके अधिक सेवन से पेट में जलन हो सकती है। अतः तुलसदल अधिक खाने से बचना चाहिए। गर्भावस्था में या फिर स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भी तुलसी का सेवन कम करना चाहिए, क्योंकि उस काल में महिलाओं के शरीर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
तुलसीदल तोड़ने के ये हैं नियम-मान्यतानुसार, जिन घरों में तुलसीजी की पूजा प्रतिदिन होती है,
वहां यमदूत प्रवेश नहीं करते, घर की सुख-समृद्धि बनी रहती है -@DharmNagari
तुलसीजी का उपयोग भगवान विष्णु की पूजा में विशेषरूप पर किया जाता है। शास्त्रानुसार, भगवान विष्णु को किसी भी वस्तु का भोग अर्पण करते समय उसमें तुलसीजी के पत्तों का उपयोग करने से भगवान भोग स्वीकार करते हैं। शास्त्रानुसार, तुलसी के पत्तों को तोड़ने को लेकर इन विशेष नियमों का पालन करना चाहिए-
- तुलसी के पौधे में देवी लक्ष्मी का रूप माना जाता है, इसलिए वास्तु के अनुसार इसे घर की उत्तर-पूर्व दिशा में रखना / लगाना चाहिए। दक्षिण दिशा और रसोईघर के पास कभी भी तुलसी का पौधा नहीं लगाना चाहिए।
- तुलसी के पौधे और उसकी पत्तियों को कभी भी बिना स्नान के न ही छूना चाहिए और न ही तोड़ना चाहिए।
- तुलसीदल को कभी भी नाखूनों से नहीं तोड़ना चाहिए। इससे आपको दोष लगता है, घर पर अशुभ असर पड़ता है।
- सूर्यास्त होने के बाद कभी भी तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए, न ही तुलसीजी को स्पर्श करना चाहिए।
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- रविवार को तुलसी के पत्ते तोड़ने पर प्रतिबंध होता है, क्योंकि कहा जाता है, इस दिन तुलसी के पत्ते तोड़ने से समस्याएं बढ़ने लगती हैं। इसके साथ एकादशी, चंद्र-ग्रहण और द्वादशी के दिन भी तुलसीजी के पत्ते नहीं तोडना चाहिए। इन तीन तिथियों को तुसलीजी तोड़ने से पाप लगता हैं।
- तुलसी के पत्तों को कभी चबाना नहीं चाहिए, बल्कि इन्हें निगलना चाहिए, क्योंकि तुलसी में पारा धातु होता है जो दाँतों को हानि पहुंचा सकता है।
- भगवान शिव की पूजा में तुलसी के पत्तों का प्रयोग वर्जित है। शिवजी एवं उनके पुत्र भगवान गणेशजी को कभी भी तुलसी पत्र नहीं चढ़ाना चाहिए।
- मुरझाया या सूखा हुआ तुलसी का पत्ते कभी भी पूजा या धा
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कैसे करती हैं तुलसीजी वातावरण की शुद्धि-
तुलसीजी एक प्राकृतिक रूप से वायु शुद्ध (natural air purifier) है। तुलसीजी का पौधा 24 में से लगभग 12 घंटे ऑक्सीजन छोड़ता है। कार्बन मोनो ऑक्साइड, कार्बन डाई ऑक्साइड व सल्फर डाईऑक्साइड जैसी जहरीली गैस भी सोखता है। तुलसी का पौधा वायु प्रदूषण को कम करता है। वनस्पति वैज्ञानिकों के अनुसार, तुलसी का पौधा उच्छवास में ओजोन वायु छोड़ता है, जिससे सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी किरणों से हमारी रक्षा (बचाव) होता है। तुलसी में यूजेनॉल नाम का कार्बनिक योगिक होता है जो मच्छर, मक्खी एवं कीड़े भगाने का काम भी करता है। हिन्दू धर्मग्रंथों के अनुसार, देवउठनी एकादशी पर तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है।
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